The Author सोनू समाधिया रसिक Follow Current Read वो कौन था ? By सोनू समाधिया रसिक Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ચતુર आकारसदृशप्रज्ञः प्रज्ञयासदृशागमः | आगमैः सदृशारम्भ आरम्भसदृश... ભારતીય સિનેમાનાં અમૂલ્ય રત્ન - 5 આશા પારેખઃ બોલિવૂડની જ્યુબિલી ગર્લ તો નૂતન અભિનયની મહારાણી૧૯... રાણીની હવેલી - 6 તે દિવસે મારી જિંદગીમાં પ્રથમ વાર મેં કંઈક આવું વિચિત્ર અને... ચોરોનો ખજાનો - 71 જીવડું અને જંગ રિચાર્ડ અને તેની સાથ... ખજાનો - 88 "આ બધી સમસ્યાઓનો ઉકેલ તો અંગ્રેજોએ આપણા જહાજ સાથે જ બાળી નાં... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share वो कौन था ? (63) 2.3k 9.1k 8 . ? वो कौन था? ? सूर्य अपनी लालिमा युक्त किरणें बिखेरता हुआ अपने अस्तचल में जा छुपा था |एक गाँव जो जंगल के पास था |उस गाँव का प्लैटफॉर्म लगभग जंगल से ही सटा हुआ था |वो अंधेरे के आगोश में समा जा चुका था |क्यों कि प्लैटफॉर्म गाँव में होने के कारण उसका विकाश भी गाँव की तरह मंद गति से चल रहा था |इसलिए वहां पर किसी भी तरह की रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं थी |वहां पर अंधेरा होने पर कोई भी ग्रामीण नहीं जाता था |इसका कारण वहां रोशनी का ना होना के साथ उस प्लैटफॉर्म का शापित होना भी था |इसका लाभ उठा कर चोर लुटेरे लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया करते थे |रोजाना की तरह आज भी प्लैटफॉर्म पर रात्रि का सन्नाटा पसरा हुआ था |तभी ट्रेन के तीव्र हॉर्न ने रात्रि के सन्नाटे को शोर में तब्दील कर दिया |ट्रेन स्टेशन पर आकर रुकी और उसके बाद थोड़ी देर बाद चली जाती है |ट्रेन की एक बोगी से एक सूट बूट पहने एक शख्स उतरा था |जो उस स्टेशन पर अकेला था तब रात के 2बज रहे थे ट्रेन के जाने के बाद स्टेशन पर अंधेरे और सन्नाटे का फिर से कब्जा हो गया था |चारों तरफ से कई जंगली जानवरों की आवाजें आ रही थी जो खौफनाक माहोल पैदा कर रही थी जिससे कि कोई भी व्यक्ति की रूह तक कांप जाये पर उस शख्स पर कोई भी असर नहीं था |वो बिना इधर उधर देखे सीधे चला जा रहा था |उस शख्स के दोनों हाथों में सूटकेस थे |वह व्यक्ति स्टेशन से निकल कर गाँव की तरफ मुड़े रास्ते से आगे बढ़ ने लगा शांत माहोल में उसके जूतो की आवाज साफ साफ गूंज रही थी |तभी अचानक पास की झाड़ियां हिली और रुक गयी |झाड़ियों की आवाज उस व्यक्ति के कानो तक भी पहुंची मगर उसने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी और वह उसी गति से चल रहा था |अचानक झाड़ियां फिर से हिली और अब उन झाड़ियों से दो नाक़ाब पोस व्यक्ति निकले वो कोई और नहीं लुटेरे थे जो लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देने की फिराक में थे|और वेसा ही कुछ हुआ |वो लुटेरे उस व्यक्ति का पीछा करने लगे, परंतु उस व्यक्ति को कोई भी एहसास नहीं हुआ |कुछ क्षण एक लुटेरा उस व्यक्ति के कंधे पर पीछे से हाथ रखता है और दूसरे पल उस व्यक्ति की पीठ पर चाकू से वार कर देता है और दूसरा लुटेरा उसके पेट में लात मारता है पर वह व्यक्ति बिना गिरे आगे की ओर झुका हुआ खड़ा रहता है दोनों लुटेरे अचंभित हो कर देखते रह जाते हैं तभी उनमेसे एक लुटेरा उस व्यक्ति के कंधे पर हाथ रख कर उसे अपनी तरफ मोड़ता है *और सामने आता है एक खौफनाक मंज़र जिससे शांत माहौल एक. भयावह माहौल में तब्दील हो गया था |जो व्यक्ति कुछ पल पहले शांत और साधारण दिख रहा था, उसके मुह से एक खूंखार दरिंदे की आवाज निकल रही थी और उसका चेहरा एक घृणित और विकृत रूप ले चुका था |लुटेरों का वजूद ही हिल चुका था |वो कुछ और करते तब तक वो दरिंदा आक्रामक रुख ले चुका था उसने अपने खूनी पंजों से एक लुटेरे की गर्दन को दबोच लिया और उसे हवा में उछालते हुए दूर फेंक दिया |खून से लथपथ लुटेरा दर्द से तड़पता रहा था दरिंदे *ने जैसे ही दूसरे लुटेरे की तरफ देखा तब तक वो वहां से भाग निकला था. वो भागता भागता. थककर चूर हो गया था और उसकी हिम्मत जबाब दे चुकीं थीं वह बुरी तरह से हाँफ रहा था |अंत में वह लुटेरा एक पेड़ के नीचे हाँप ता हुआ पेड़ की औट में छिप कर उस दिशा में देखने लगा |कुछ समय बाद उस लुटेरे को अपने पीछे से वही खौफनाक आवाजें मेहसूस हुई जेसे ही उसने डरते हुए पीछे मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था मगर वह बुरी तरह से डर रहा था वह रोता हुआ जमीन पर गिर पड़ा|तभी उसे फिर से वही आवाजें मेहसूस होती है और वह अपना सर ऊपर उठा कर देखता है तो वही दरिंदा उसके सामने खड़ा उसे घूर रहा था लुटेरे की चीख निकल गई. उस लुटेरे की गर्दन अब उस दरिंदे के खूनी पंजे में थी तेज़ नाखूनों की वजह से लुटेरे की गर्दन से खून के फव्वारे फूट पड़े. उसके पांव हवा में थे कुछ क्षण बाद उसके पाँव हिलना बंद हो जाते हैं और वह वहसी दरिंदा उसका सारा खून पी जाता है |जंगल शांत था अभी भी जैसे कुछ हुआ ही नहीं तभी ट्रेन के तेज़ हॉर्न ने जंगल की मौन स्तिथि को शोर में बदल दिया था |ट्रेन के जाने के बाद स्टेशन पर फिर से अंधेरे और सन्नाटे का माहौल था | स्टेशन पर कई लोगों ने रात के सफर में उस काले सूट बूट धारी व्यक्ति को वहा घूमता हुआ पाते हैं पर वो किसी भी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाता है आखिर कार वो चाहता क्या है ? क्या वो ऎसा प्रेत है जो बुरे लोगों से गाँव के लोगो को प्रोटेक्ट कर रहा है? अखिरकार ऎसा क्यों करता है वो? ऎसे कई सवाल है जो ग्रामीणों और आपको परेसान कर रहे होंगे! *ऎसा लाज़मी है आखिरी सवाल ये है कि '' वो कौन था? '' खैर जो भी हो वह अच्छा ही इंसान रहा होगा। ✝️समाप्त ✝️✍️?आपका सोनू समाधिया ??? Download Our App