Attraction of life in Hindi Short Stories by Durgesh Tiwari books and stories PDF | जिंदगी की कशिश

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जिंदगी की कशिश

अरे ओ बेटा उठजा देख दिन सर  पर आगया है और बगल के भैया आफिस जा रहे है सब अपना काम कर रहे है तू अभी तक सोया है क्यों ऐसा कर रहा है चल उठजा ।
तू ऐसे नही मानेगा माँ कम्बल खीचते हुवे । रुक जा माँ थोड़ा सा और सो लेने दे थोड़ी देर और अभी उठता हु न 
मैं जानती हूं बेटा तू कैसे उठेगा माँ उसका हाथ खीचते हुवे 
थोड़ी देर और सो लेने दे माँ परेसान मत कर  बस थोड़ी देर और 
तेरा रोज का आदत बन गया है सूर्या तू ऐसे नही मानेगा रुक कहते हुवे माँ ने उसको बेड से नीचे खीच के उतार दिया। माँ सोने दो प्लीज  माँ माँ  समझो न सोने दो माँ सोने दो बहुत नीद आरही है 
माँ धकेलते हुवे स्नानगृह में जा जल्दी तरोताजा हो मै ने चाय बनाया है ठंडी हो जाएगी।
आज तुजे बुरा लग रहा है न बेटा जब मैं नही रहूंगी तो तू सोचेगा ये कहते हुवे माँ की आंखे आशुओ से भर गयीं।
माँ तौलिया देना ये कहते हुवे सूर्या ब्रश करने लगा
तरोताजातरोताजा होकर वह स्नानगृह से वापस आते हुवे माँ माचिस कहा है वही गैस के पास रखी हु ले ले  बेटा और हा अगरबत्ती भी जला देना हमेसा पूजा करता है लेकिन अगरबत्ती जलाना ही भूल जाते हो।
माँ देख फ़ोन बज रहा है सायद किसी का फोन आ रहा है देखती हूं बेटा।
बेटा ब्रेड गैस के पास रखी हु उसपे घी लगा के सेक ले और चाय के साथ खा ले तबियत ठीक नही लग रहा है अभी थोड़ा आराम होता है तो मैं खाना बनाती हु। ठीक है मै
थोड़ी देर बाद माँ चाय ले लो ठीक है रख दे बेटा अभी मैं लेती हूं । नही मा ये लो सुर्या माँ की सर पकड़ के उठाते हु ए तू नही मानेगा ठीक है ला दे।
नास्ता करने के बाद रोज की तरह दूध पीने के बाद ओ टी वी देखने लगा।
माँ मैं बाहर जा रहा हु। ठीक पर जल्दी आ जाना माँ ये कहते हुवे खाना बनाने चली गयी।
अपना सेलफोन चार्जर से निकलते हुवे कुछ सोच  रहा था  सेलफ़ोन देखते हुवे और
 कुछ सोचते हुवे पार्क में चला गया और वहा बने हुवे पानी के कुण्ड के किनारे बैठ कर उठती हुई लहरो को ऐसे देख रहा था जैसे उसके मन मे लहरे उठ रही हो।
 उसकी जिंदगी में ईश्वर की अशीम अनुकम्पा से उसकी जिंदगी काफी खुशहाल थी उसके जीवन मे हर एक प्रकार की शुख सुविधाएं थी।
दोस्तो
 की तरह साथ देने वाले पिताजी जान देने वाला भाई फिक्र करने वाली माँ के साथ ए कहा जा रहे हो हीरो कहने वाली प्यारी बहन और बाबू और जानू कहने वाली दो-दो प्रेमिका और चल पार्टी करते है भाई कहने वाले अच्छे दोस्तो के साथअच्छी मार्केटिंग जॉब  और जो ओ चाहता है ओ कर भी लेता है सारी चीजों के होने के बाद भी उसको किसी  चीज की कमी महसूस होती थी।
 और ओ हमेसा अपने अंतर आत्मा को टटोलता रहता है और उसके मन मे बहुत सारे प्रश्न घूमते रहते है जो हमेसा अपने उत्तर के तलास में आतुर रहते है।
 आखिर मेरा जन्म आखिर क्यों हुआ है?
क्या मेरा भी लोगो की तरह मृत्यु हो जाएगी??
अगर मेरा भी मृत्यू हो जाएगा तो मेरा जन्म क्यों हुआ है???
क्या मुझे भी  इस दुनिया मे पेट के लिए भाग दौड़ी करनी पड़ेगी?
क्यों लोग पैसे को ही सब कुछ मान ले रहे जबकि उससे केवल जरूरत ही पूरी होती है ।
आखिर इस जिंदगी का मकसद क्या है?
सुर्या को इस तरह के ख्याल हमेसा सताते रहते है और ये ख्याल न चाहते हुवे भी उसके दिमाग मे आते है 
इस बात की सच्चाई जानने के लिए कई पंडितो महात्माओ मोलवियों डॉक्टरों आदि से मिला पर उसको कही पर भी सही जबाब नही मिला जिससे उसके मन मे चल रहे पानी के लहरो की तरह प्रश्नों  को अभी भी उत्तर नही मिला ।
अब भी ओ अपनी जिंदगी का मकसद जानने में लगा है उसे उम्मीद है कि एक दिन जरूर उसको उसका लक्ष्य मिलेगा।
और उसके सारे प्रश्नों का उत्तर भी।
                                                    Durgesh tiwari 

जारि है..............................