( हम हैं अधूरे में अब तक आपने देखा के मोक्षा अपने मम्मी पापा की लाडली बेटी थी जो ब्यूटी विथ ब्रेन का परफेक्ट कॉम्बिनेशन थी। सुदीप जो के उसके है कॉलेज में पढ़ता है उससे दोस्ती होने के बाद इंप्रेस होती है। अनीश जो सुदीप का दोस्त और हॉस्टल में रूम मेट है, अब सुदीप के साथ साथ मोक्षा का भी अच्छा दोस्त बन जाता है और कुछ वक़्त में मोक्षा से प्यार करने लगता है। पर जब उसे पता चलता है के मोक्षा सुदीप के लिए फीलिंग्स रखती हैं तो वो अपने प्यार को छुपा अपने जज़्बात समेट लेता है।
अब आगे...)
" तुझे नहीं लगता मोक्षा तेरे लिए दोस्ती से आगे बढ़कर कुछ और महेसूस करती है?" अनीश ने एकबार सुदीप से पूछ लिया।
"नहीं... हम सिर्फ अच्छे दोस्त है इससे ज्यादा कुछ नहीं.. पर तू क्यों पूछ रहा है?" सुदीप ने जवाब देते सवाल कीया , "कुछ कहा है क्या मोक्षा ने तुझे?"
" नहीं यार.. कुछ नहीं.."
"बोल..."
"कुछ नहीं है यार ऐसा..." अनीश आनाकानी करने लगा।
"अब बोल ले... जनता हूं तुझे मै.. तेरा यार हूं मै.. इतना तो समजता हूं, तुझे और तेरी जूठ बोलने की नाकाम कोशिश को।"
"ठीक है तो सुन, मोक्षा ने कुछ नहीं कहा मुझे पर उसकी आंखे बहुत कुछ बोल जाती है, वो तेरे लिए अलग फीलिंग्स रखती है... दोस्ती से बढ़कर, पर तू पता नहीं क्यों नहीं समझ रहा या जानबूजकर नासमझ बन रहा है।"
"तुझे बड़ी समझ आती है उसकी आंखो की भाषा, माजरा क्या है भाई? तू बोले तो मै बात करू मोक्षा से तेरे लिए।" अनीश की फिरकी लेते सुदीप बोला।
" तू रहेने दे भाई.. गाड़ी को अलग पटरी पर मत ले जा।"
" देख अवी, तुझे तो पता ही है सीमा के लिए। हम साथ नहीं है फिर भी कहीं ना कहीं लगता है मेरा इंतज़ार रंग लाएगा।"
" अब तक सीमा पर अटका हुआ है तू? भाई उसकी शादी तय हो चुकी है। वो खुश है अपनी शादी से। उसके पीछे अपना टाइम और मोक्षा की फीलिंग्स की बली मत चड़ा।"
"देख अवि, अब मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी।" कहेके सुदीप वहां से चला गया।
अनीश ने सुदीप को कई बार समझाया मोक्षा की भावनाओं के बारे में पर सुदीप ने ध्यान नहीं दिया। और यहां मोक्षा का ध्यान अपने कैरियर से हट कर सुदीप की तरफ बढ़ गया जिसका सीधा असर उसके रिजल्ट पर दिखने लगा था। हमेशा डिस्टिंक्शन लाने वाली लड़की अब एवरेज स्टूडेंट बन चुकी थी। ना अब वो पढ़ाई पर ध्यान देती ना ही अनीश के माष्वरों को समजती। अनीश ने मोक्षा को कई बार समझाया अपने भविष्य पर ध्यान देने के लिए पर मोक्षा तो प्यार में इतनी हद तक पागल हो चुकी थी के उसे अब सुदीप के साथ जीवन बिताने के खयाली पुलाव के चलते अपना बर्बाद होता कैरियर नहीं दिखा। वो दिन रात सुदीप के खायालो में खोई रहेती। पढ़ाई की किताबों की जगह अब प्यार की कहानियों ने ले ली थी। पूरा दिन बस सुदीप से बातें करना, खुली आंखों से उसके सपने देखना और वक़्त मिले तब लव स्टोरीज पड़ना ये मोक्षा की दिनचर्या बन चुका था। अब तो बस उसे जल्द से जल्द सुदीप से अपने प्यार का इज़हार करना था।
एक शाम मोक्षा ने सुदीप को कॉल किया, " हाय, कल शाम को क्या कर रहे हो?"
" कुछ खास नहीं, तू बता केसे फोन किया?"
" क्यों? ऐसे ही फोन नहीं कर सकती क्या तुझे?"
" ऐसा नहीं है पर ये टाइम पर तेरा क्लास होता है ना, तो ऐसे बेवक्त तेरा फोन आया इस लिए थोड़ा अजीब लगा। खैर बोल क्या बोल रही थी?" सुदीप ने कहा।
" कल शाम 5 बजे कॉफी शॉप में मिल। बात करनी है तुझसे। और कोई बहाना मत बनाना मै वेट करूंगी।"
" ओके डियर। पहोंच जाऊंगा। चल बाय।" कहेकर सुदीप ने फोन रखा और सामने अनीश उस घूर रहा था।
"अब तुझे क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रहा है?" सुदीप बोला।
" क्या बोल रही थी?"
" कौन? मोक्षा? कुछ खास नहीं। कल शाम कॉफी शॉप में मिलने का बोल रही थी।"
" गुड। देख फिर बोल रहा हूं तुझे, अगर वो सामने से तुझे प्यार का इज़हार करे तो हा बोलना और प्लीज़, सीमा के लिए मत सोचना। शी हैव मूव्ड ऑन।"
" देखते है कल क्या होता है।" सुदिपने कहा।
***
यहां सुदीप से बात करने के बाद मोक्षा के तो जैसे पर लग गए हों ऐसे झूमने लगी।
" बस अब तो कल शाम का इंतज़ार है, फिर सुदीप मुझे डियर नहीं डार्लिंग कहेकार बुलाएगा और मै उसे स्वीटहार्ट...!!!" खुदसे बोलके शर्मा गई, बेहद खुश थी मोक्षा उस दिन।
क्रमशः ....