दीदी छोड़ आया वो उसको उसके माँ के घर, बहुत रो रही थी वो, मुझे बोली काकू बहुत मारा उसने मुझे देखो हाथों में नील पड़ गयी ,मेरी बेटी रोती रही पर मैं उसे अपने पास भी नही सुला पाई, सास आयी और उसे दूसरे कमरें मे ले गयी, बिलखती रही वो पर निर्दयी लोगो पर कुछ असर नही हुआ।
मैंने पूछा क्यों काकू क्या हुआ ऐसा की ऐसी मार पीट की नोबत आ गई ,भाभी लड़ाकू थी क्या।
नही दीदी उसकी बहू तो बहुत समझदार है,एक शब्द नही बोलती मैं जब वहाँ काम करने जाती हूँ तो बस वो ही लगी रहती है रसोई में ,इतने महीने से काम करती मैं वहाँ सबको पहचानती हूँ, कौन कैसा है सब पता चल जाता है,
दीदी माँ को छोड़ आया पर उसकी बेटी को ले आया ,कैसे बिलख रही थी वो बिन माँ के कैसे एक बच्चा रह सकता है बिन माँ के, और उस माँ पे क्या बीती होगी ,कैसे रही होगी वो अपनी बेटी के बिना
ऐसा क्या काकू आज के वक़्त में भी ऐसे लोग होते ,दिखने में तो बड़े सभ्य नजर आते है, उस दिन ऑन्टी मुझसे बात भी बहुत अच्छे से कर रही थी लगा नही मुझे की ऐसा बर्ताव वो अपने ख़ुद के घर में करती है। भाभी ने पुलिस में शिकायत क्यों दर्ज नही की, सब पता चल जाता उनको की बहु पर हाथ उठाने का क्या परिणाम होता है, आजकल तो कानून भी सख़्त हो गए है।
ओह नही दीदी हम औरत जात यही तो मात खा जाती ,मर जाएगी पर घुटती रहेगी, ना जाने भगवान कौनसा कलेजा देकर भेझता है हम औरतो को कभी समाज की ख़ातिर कभी बच्चें की ख़ातिर कभी परिवार की ख़ातिर ख़ुद की बलि चढ़ाती है,और बदले में हमको ना कोई देवी की तरह पूजता है ना सम्मान करता है ,
ऐसा नही है काकू सब ऐसे नही होते पर जो परिवार ऐसे होते वो भी कभी सुखी जीवन नही बिता पाते क्योंकि हर वक़्त ग्रहकेलेष का कारण अपने घर मे वो खुद ही बनते है, ऐसे घरों में जहाँ नारी का सम्मान नही होता वो कभी ख़ुद भी सम्मान नही पाते,उन्हें लगता है कि उन्होने बड़ा महान काम किया है पर असल में वो ख़ुद के भविष्य के गड्ढे ख़ुद ही खोद लेते और उन्हें ख़बर भी नही होती।
आइये देखते है कि महिलाओं के हित में हमारे देश का कानून क्या कहता है जिसे हर महिला और पुरूष को जानना चाहिए।
1. समान वेतन का अधिकार- समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता.
2. काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार- काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है.
3. नाम न छापने का अधिकार- यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को नाम न छापने देने का अधिकार है. अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है.
4. घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार- ये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है. आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है.
5. मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार- मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं बल्कि ये उनका अधिकार है. मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 12 सप्ताह(तीन महीने) तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं.
6. कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार- भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार- 'जीने के अधिकार' का अनुभव करने दें. गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक(लिंग चयन पर रोक) अधिनियम (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है.
7. मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार- बलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है. स्टेशन हाउस आफिसर(SHO) के लिए ये ज़रूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण(Legal Services Authority) को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे.
8. रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार- एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है.
9. गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार- किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो, उसपर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए.
10. संपत्ति पर अधिकार- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है.
धन्यवाद
सोनिया चेतन कानूनगों