Begunaah gunehgaar - 8 in Hindi Short Stories by Monika Verma books and stories PDF | बेगुनाह गुनेहगार 8

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बेगुनाह गुनेहगार 8

सुहानी अब इमरान के साथ खुश है। सुहानी को कोई रुपए पैसे का मोह नही। वो सिर्फ प्यार चाहती है। अंकल ने जो सुहानी के साथ किया वो इमरान को बताना चाहती है। लेकिन मौका ही नही मिला। सुहानी अब अंकल से दूर रहती है। 

सुहानी ने इराही से इन सब बारे में बताने की कोशिश की। 

सुहानी ने इराही को कॉल किया। 

सुहानी: दी, कैसे हो?

इराही: अच्छी हु। तू बता क्या कर रही है। 

सुहानी : बस जॉब का कुछ काम लेकर आई थी वही कर रही हु। 

इराही: अच्छा। छुट्टियां लेकर आजा यहाँ पर। अच्छा लगेगा। 

सुहानी : ठीक है दी। देखती हूं छुट्टियां मिलती है तो। 

सुहानी ने आफिस में बात की छुट्टी के बारे में। सुहानी ने कभी बिना वजह छुट्टी नही मांगी। सुहानी का काम काबिलेतारीफ था। पहली बार छुट्टी मांगी। तो आफिस के हेड ने पूछा। 

सुहानी , सब ठीक तो है न ?

सुहानी: हॉ मेम।

मेम: में तुम्हे अच्छे से जानती हूं। तुम बिना वजह कभी छुट्टी नही लोगी। तुम्हारे परिवार में भी कोई ऐसा नही है जिससे मिलने तुम जाना चाहोगी। अकेली घूमने भी नही जाती। तुम्हारी तबियत तो ठीक है न?

सुहानी: हां मेम। वो कुछ दिन दी के वहाँ जाना चाहती हु। सोचा थोड़ा चेंज मिलेगा तो अच्छा रहेगा। 

मेम: खुश होते हुए बोली। अच्छा अच्छा। जा आओ। कितने दिन की छुट्टी चाहिए? हा , तुम्हारी दीदी तो दूसरे राज्य में है न? 3- 4 दिन तो आने जाने में ही लग जाएगा। तुम 10-15 दिन की छुट्टी ले ही लो। कोई आएगा तो में सम्हाल लूंगी। 

सुहानी: थैंक यू मेम। लेकिन मुझे इतनी सारी छुट्टियां नही चाहिए। फिर काम बाकी रह जाएगा। एक हफ्ते की छुट्टी दे दीजिए। बाकी का काम मे आकर मैनेज कर लुंगी।

मेम: ओके ओके। लेकिन एक हफ्ता तुम्हे काम के बारे में सोचना भी नही है। में तुम्हे अच्छे से जानती हूं। तुम वहाँ जाकर भी यहाँ के बारे में कुछ न कुछ करोगी ही। तो एक हफ्ता एन्जॉय कर लो। 

सुहानी : ठीक है मेम। मुस्कुराते हुए बोली। 

सुहानी के घर मे तो कोई उसका ख्याल नही रखता लेकिन उसके स्टाफ के लोग एक परिवार की तरह रहते है। सुहानी को घर से ज्यादा जॉब पर रहना अच्छा लगता है। क्योंकि यहाँ कोई उसे अपने सपनो से दूर करने वाला नही है। जो वो चाहती वो कर  शकती है। 

सुहानी छुट्टियां लेकर इराही के घर चली गई। वहाँ जीजू उसे लेने आ गए। उसे बड़े भाई की ख्वाइश थी। दूसरे अंकल के बड़े बेटे थे। लेकिन सुहानी को कभी बड़े भाई का प्यार नही मिला। जीजू से मिलकर सुहानी की यह ख्वाइश भी पूरी हो गई। यतिन जीजू उसे अपनी छोटी बहन की तरह रखते। 

सुहानी सब से घुल मिल गई। कई सालों बाद सुहानी अपनी दी से मिल रही है। जीजू को तो पहली बार देख रही है। मम्मी पापा उसे कही आने जाने नही देते थे। इराही के इस तरह से शादी करने के बाद तो सुहानी पर रोकटोक और बढ़ गई थी। 

इराही ने मम्मी को फ़ोन कर के कह दिया था कि सुहानी को यहां भेज दो । में जॉब और बेटे ईशान को नही सम्हाल पा रही। 

मम्मा मना नही कर पाई। सुहानी ईशान के साथ खेलती सम्हालती। यतिन जीजू कभी घर रहते तो कभी इराही घर रहती। सब मिलझुल कर रहते। इराही को बड़ी मुश्किल से 4 दिन की छुट्टी मिली। 

फिर वो सब घूमने जाते। मेले में जाते। इराही बड़ी कैरिंग स्वभाव की है। यतिन जीजू भी विश्वास के लायक है। बड़ी मुश्किल से सुहानी अपने परिवार के पहले ऐसे मर्द से मिल रही है जिसपे वो पूरी तरह भरोसा कर सके।

सुहानी के दिमाग मे यतिन की जैसी इमेज समाज और परिवार वालो ने बनाई थी, ऊपर से इस तरह शादी , यतिन उससे बिल्कुल ही अलग है। उसके दिल मे जो जगह इराही की थी वो और किसी को नही दे सकता।

सुहानी बहुत खुश हुई। इराही ने अपने लिए ऐसा साथी पसंद किया। अगर पापा पे भरोसा करती तो पता नही कैसा शराबी, या केरेक्टरलेस लड़का ढूंढ देते। पूरी जिंदगी इराही दुखी रहती वो अलग। 

सुहानी और इराही दोनो एक दिन एक कमरे में बैठे है। घर मे और कोई नही है। सुहानी को इराही को ऐसे कुछ लोगो के बारेमे बताया। इराही दिल की अच्छी है। वो सारी बाते उसने अपनी मम्मी यानी कि सुहानी की बड़ी माँ , जिसने इराही को गोद लिया उसे बता दी। 

फिर फोन पे बड़ी माँ ने सुहानी की मम्मी से बात की। सुहानी जैसे घर आई मम्मी ने सुहानी को डाटा। 

फिर सुहानी , इराही से भी कुछ नही कहती। 

कुछ दिनों के बाद मम्मी को फ़ोन आया। कि सबसे बड़ी  मासी का  बेटा, कल्पेश कैंसर के लास्ट स्टेज पर है। मम्मी कल्पेश भैया से मिलने चली गई। सुहानी घर और आफिस दोनो सम्हाल रही है। एक दिन की छुट्टी में भी घर आ जाती। 

क्या सुहानी का यह भी हमेशा के लिए चला जाएगा? के सालों के बाद कल्पेश भैया की खबर मिली। वो भी ऐसी? देखते है अगले अंक में।