दाउदपुर नामक गाँव में बहुत बड़ा परिवार था। उस संयुक्त परिवार में कुल मिलाकर 10-15 भाई बहन थे। सारे के सारे दिन भर धमा कौचड़ी मचाते रहते। कभी गिल्ली डानटा , कभी पतंग , कभी लुका छिपी , कभी मारा पिटी में दिन गुजरता था। कभी कभी सारे भाई किसी जामुन के पेड़ पे जा बैठते और बंदरों का खाना चट कर जाते।
उन भाई बहनों मे सबसे शक्तिशाली था। वह अपनी उम्र के बच्चों से काफी मजबूत था। उसका छोटा भाई मोनू उतना मजबूत नहीं था। जब जब उन दोनों भाइयों में लड़ाई होती हमेशा की तरह सोनू अपने छोटे भाई को पीट देता।उसके छोटे भाई के पास कोई उपाय नहीं था। वो बार बार अपने बाबूजी के पास शिकायत लेकर जाता , पर उसकी बात अनसुनी हो जाती। बाबूजी को इन छोटी छोटी बातों के सुलझाने के अलावा भी दुनिया में बहुत बड़े बड़े काम करने होते थे। सोनू का मन इस बात से चढ़ता गया। एक तरह से वह अपने छोटे भाई पर शासन करने लगा था।
छोटा भाई समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या करें? वह अपने बड़े भाई के पास दब के रहता था। धीरे-धीरे उसके मन में कुंठा उपजने लगी। इसका असर यह हुआ कि वह दब्बू किस्म का बच्चा बन गया था। सारे लोग उस पर हंसते। वो लगातार अपने उपर हो रहे हास परिहास को देखता, सहता , पर प्रतिरोघ न कर पाता।
उसकी दादी को उस पर बहुत दया आती थी। वह बार-बार जाकर अपनी दादी के पास अपना दुख बताता। दादी को भी समझ नहीं आ रहा था कि दोनों भाइयों में कैसे प्रेम उत्पन्न कराए। उसी समय गांव के वैद्य साहब आए थे। उन से सलाह लेने के लिए दादी पहुंची। दादी ने बताया कि कैसे बड़ा भाई अपने छोटे भाई पर अत्याचार कर रहा है।
गांव के उस बूढ़े व्यक्ति ने दादी को बताया कि बिना भय के कभी भी प्रेम नहीं होता। उन्होंने दादी को आगे बताया कि छोटे भाई को ऐसा कोई उपाय सुझाओ जिससे कि बड़े भाई के मन में भय उत्पन्न हो जाए। दादी को बात यह समझ में नहीं आ रही थी कि कैसे छोटे भाई से बड़ा भाई डरने लगे। एक दिन दादी के मन में उपाय आया और उन्होंने छोटे भाई को समझा दिया।
एक बार फिर दोनों भाइयों के बीच लड़ाई हुई। अपनी आदत के मुताबिक सोनू छोटे भाई को पीटने लगा। इस बार मोनू उसके गंजी को पकड़कर लटक गया। सोनू पिटता रहा पर मोनू अपने बड़े भाई के गंजी के साथ ऐसे चिपक गया , जैसे कोई फेविकोल का जोड़ हो। आख़िरकार मोनू ने बड़े भाई के गंजी को फाड़ हीं दिया।
सोनू अपनी फटी हुई गंजी को लेकर अपनी मां के पास पहुंचा। मां ने उसके बड़े भाई को हिदायत दी कि आइंदा वह मोनू लड़ाई ना करें। लेकिन हमेशा की तरह फिर दोनों भाइयों में लड़ाई हुई और छोटे भाई ने इस बार भी अपने बड़े भाई की गंजी फाड़ दी। यह घटना दो तीन बार घटी और दो तीन बार बड़ा भाई अपनी मां के पास फटी हुई गंजी को लेकर गया। इस पर उसकी मां काफी क्रुद्ध हो गई और उसने सत्य प्रकाश को झाड़ू से बहुत पीटा। जमकर धुनाई हुई उसकी। एक तरह से सोनू की कुटाई हीं हो गई।
छोटे भाई के पास उपाय आ गया था। जब जब बड़ा भाई उसको पीटने की कोशिश करता तब तक वह उसकी गंजी फाड़ने की कोशिश करता। जब जब उसके बड़े भाई की गंजी फटती तब तब उसकी मां उसके बड़े भाई की धुनाई करती।
मोनू के पास आत्म रक्षार्थ बहुत हीं मजबूत सुरक्षा कवच आ गया था। अब उसे बड़े भाई से डरने की जरूरत नहीं थी। अब तो सोनू हीं संभल के रहने लगा ।सोनू लड़ने से ज्यादा ध्यान अपनी गंजी को बचाने में लगाता। मोनू की समस्या का समाधान को चुका था।
अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित