यह उन दिनों की बात है जब वीरू 8 वीं के बाद 9 वीं की पढ़ाई करने के लिए शहर गया और उसका ऐडमिशन एक प्राइवेट स्कूल में कराया गया। वह शहर की जिंदगी से पूरी तरह से अंजान था। उसे स्कूल के बच्चे देहाती कह कर पुकारने लगे थे। लेकिन वीरू के लिए उन बच्चों द्वारा देहाती कहकर पुकारना बुरा नहीं लगता था क्योंकी वह उस परिवेश में नहीं पला था जहां लोगों की उपेक्षा की जाती हो। वह सीधे साधे गांव के किसान का लड़का था। एक दिन उसके साथ पढ़ने वाली एक लड़की ने जब अन्य लड़कों का उसके साथ किए जाने वाले व्यवहार को देखा तो उससे रहा ना गया और उसने उसका विरोध किया। क्योंकि वह वीरू के भोलेपन को समझ चुकी थी। वह जानती थी की उसके जीवन में परिवर्तन यदि लाना है तो उसका साथ देना होगा नहीं तो वह जिस उद्देश्य से आया है वह कभी भी पूरा नहीं हो सकता। इसलिए उसने वीरू का साथ देना शुरू कर दिया और वह उसे शहरी जीवन के बारे में बताना शुरू कर दिया कि उसे किस तरह की जीवन शैली को अपने छात्र जीवन में अपनानी है ताकि वह अपने परिवार वालों की अपेक्षाओं पर खरा उतर सके। उसके इस तरह के व्यवहार से वीरू के मन मस्तिष्क में उसकी हर बातें समझ में आने लगी और उसका असर भी दिखाने लगा । अब वह पढ़ाई के साथ साथ उसके बारे में भी सोचने लगा और परिणाम यह हुआ कि जब इंतहान हुआ तो व अच्छे नंबरों से पास हुआ। जब वीरू को अपने परीक्षा परिणाम कि जानकारी हुई तो वह बहुत खुश हुआ और वह उस लड़की से मिला और कहा कि मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है लेकिन जब भी मेरी जरूरत हो मैं इस एहसान के बदले में उसे जरूर पूरा करने का प्रयास करूंगा। उसने अपने इस बदलाव का पूरा श्रेय उस लड़की को दिया। लड़की वीरू के इस बर्ताव से काफी प्रभावित हुई तथा उसने कहा कि अब तुम्हें मेरे साथ की जरूरत नहीं है तुम अब इस शहरी परिवेश और शिक्षा को समझ चुके हो अब आगे का रास्ता तुम्हें तय करना है मुझे विश्वास है कि तुम्हें अब किसी की जरूरत आगे नहीं पड़ेगी और वह वहां से चली गई। लड़की की इस बात को सुनकर वीरू काफी अचंभित हुआ की आखिर वह ऐसा क्यों कह रही है कि अब उसे किसी की जरूरत आगे नहीं पड़ेगी वह घर लौटा यही शब्द बार-बार उसके दिलो दिमाग में गूंजते रहे कि आखिर मुझसे कौन सी ऐसी भूल हो गई जो अभी है लड़की भी मेरे साथ आगे नहीं रहना चाहती समय बीत गया पुनः अगली कक्षाएं शुरू हो गई वीरू जब कक्षा में प्रवेश किया तो उसकी निगाहें उस लड़की को ढूंढने लगी मगर उस भीड़ में व नहीं थी वीरू को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। वह बार बार कक्षा के अंदर उस लड़की को देखने का प्रयास कर रहा था। मगर उसकी आगे की कहानी अधूरी हो गयी ।