Shantanu - 14 in Hindi Fiction Stories by Siddharth Chhaya books and stories PDF | शांतनु - १४

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शांतनु - १४

शांतनु

लेखक: सिद्धार्थ छाया

(मातृभारती पर प्रकाशित सबसे लोकप्रिय गुजराती उपन्यासों में से एक ‘शांतनु’ का हिन्दी रूपांतरण)

चौदह

“थैंक्स शांतनु, थैंक्स फ़ॉर एवरी थिंग|” अनुश्री शांतनु के सामने देख कर बोली| उसकी आवाज़ में शांतनु के प्रति आभार स्पष्ट सुनाई दे रहा था|”

“अरे, इस में थैंक्स कैसा अनु? आप मेरी दोस्त हो और मेरी जगह आपका कोई और दोस्त होता तो वो भी यही करता जो मैंने किया है|” शांतनु ने जवाब देते हुए कहा|

“शायद करता, पर मुझे उसके घर जाना, उसकी फैमिली के साथ इन्वोल्व होना, उतना अच्छा नहीं लगता जितना की आज लगा है|” अनुश्री बगैर अपनी पलकें झपकाये शांतनु की ओर देख रही थी|

“माय प्लेज़र अनु की आप को यहाँ अच्छा लगा, और थैंक्स की बिलकुल ही ज़रूरत नहीं है| दोस्त होने के नाते उस वक्त आप के भले के लिये मुझे जो अच्छा लगा मैंने वही किया| यह तो अच्छा हुआ की सुवासभाई और आपके मम्मा जी बात मान गए वरना बहुत रिस्क था| अब कल सुबह आपको मैं सही सलामत आपके घर पंहुचा दूं तो मुझे अपनी मित्रता निभाने का संतोष होगा|” शांतनु ने अनुश्री को जवाब दिया|

“यु नो समथिंग शांतनु? फ्रॉम नाओ ऑन यु आर नोट माय फ्रेंड!” अनुश्री ने सिरियस हो कर कहा|

“मतलब? ऐनी थिंग रोंग? मुझसे कोई गलती हो गयी क्या?” शांतनु थोडा गभराया|

“यु कांट डू एनी थिंग रोंग शांतनु, और आज मेरे साथ जो भी हुआ है उसके बाद तो मुझे उस पर पूरा यकीन हो गया है|” अनुश्री ने हंस कर कहा इसीलिये शांतनु को भी थोड़ी सी राहत हुई|

“तो फ़िर ये फ्रॉम नाओ ऑन यु आर नोट माय फ्रेंड वो क्या था?” शांतनु उतावला हो रहा था|

“यस, फ्रॉम नाओ ऑन यु आर नोट माय फ्रेंड....बट यु आर माय बेस्ट फ्रेंड फ़ॉर लाइफ़, यानी की माय बी ऍफ़ ऍफ़... वील यु बी ध वन? अनुश्रीने मुस्कुरा कर शांतनु की ओर अपना हाथ लंबा किया|

शांतनु के पास दूसरा कोई विकल्प था ही नहीं| उसे तो अनुश्री की यह बात बहुत अच्छी लगी की वो उसका इतना सन्मान कर रही थी|

“श्योर अनु, और मैं भी वचन देता हूँ की मैं अपनी यह दोस्ती, चाहे कुछ भी हो जाये मरते दम तक निभाऊंगा|” अनुश्री का हाथ पकड़ कर शांतनु ने उसे वचन दिया|

“थैंक्स अ लोट शांतनु...एक बात और भी है जो मुझे आपसे बहुत दिनों से पूछनी थी|” अनुश्री ने अब शांतनु की उत्कंठा को और बढ़ा दिया|

अब पता नहीं अनुश्री और क्या कहने वाली है? कहीं दोस्ती के बाद वो अपने प्यार कर इज़हार तो नहीं करने वाली है? सोचते हुए शांतनु के दिल की धड़कने तेज़ होने लगी और उसने यह सब सिर्फ़ दो सेकंड्स में सोच भी लिया|

“क्यूँ नहीं, जब हम दोनों एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड्स ऑफ़ लाइफ़ बन ही चुके हैं तो फ़िर एक दूसरे से हमें कुछ भी छिपाना नहीं चाहिये, नो फोर्मालिटिज़ प्लीज़|” शांतनु ने तुरंत कहा|

“थैंक्स अगेन... दो बातें मुझे आपसे कई दिनों से पूछनी थी|” इतना बोल कर अनुश्री थोड़ी रुकी|

“हाँ हाँ...कौन सी दो बातें? पूछिए ज़रूर पूछिए|” अब शांतनु से रहा नहीं जा रहा था| उसका दिल ज़ोर ज़ोर से पम्पिंग कर रहा था|

“एक तो थी ये बेस्ट फ्रेंड फ़ॉर लाइफ़ की रिक्वेस्ट और दूसरी यह की.... क्या मैं आपको शांतनु की जगह कभी कभी सिर्फ़ शांतु और आप की जगह तू कह कर पुकार सकती हूँ? ओन्ली इफ़ यु डोन्ट माइंड|” अनुश्री ने शांतनु से मंजूरी मांगी|

“इस में माइंड करने जैसा क्या है? ज़रूर अनु, आप को जो अच्छा लगे उस नाम से मुझे बुलाइए|” शांतनु के चेहरे से उसकी ख़ुशी साफ़ झलक रही थी|

दरअसल शांतनु को लग रहा था की अनुश्री अब उसे किसी नये नाम से ख़ुद बुलाना चाहती है और आप की जगह तुम कह कर भी| शांतनु को अब लगने लगा की अनुश्री अब उससे ज़्यादा दूर नहीं है|

“ओह थैंक्स शांतनु, तुमने मेरे दिल का बहुत बड़ा बोझ हल्का कर दिया|” अनुश्री भी शांतनु की हाँ कहने से ख़ुश हुई|

तभी उस म्युज़िक चैनल पर फ़िल्म ‘आंधी’ का गीत “तुम आ गए हो नूर आ गया है” शुरू हुआ| शांतनु को लगा की यह गाना उसके मन में इस वक्त चल रही भावनाओं को ही व्यक्त कर रहा है| शांतनु का रोम रोम उत्तेजित हो गया| और वैसे भी यह गाना उसके सबसे ज़्यादा पसंदीदा गानों में से एक था, क्यूंकि उसके गायक किशोर कुमार को वो भगवान की तरह पूजता था|

“आई जस्ट लव दिस सोंग|” टीवी की ओर देख कर अनुश्री बोली|

“हममम... मुझे भी, इन्फेक्ट किशोर’दा के हर गाने मुझे सुनना बेहद पसंद है| मेरे तो वो भगवान हैं|” शांतनु ने कहा|

“हेय, शांतु, धेट्स ग्रेट! मुझे भी पुराने गाने सुनना बहुत पसंद है|” अनुश्री ने पहलीबार शांतनु को ‘शांतु’ कह के पुकारा, जो नाम उसने ख़ुद पसंद किया था... शांतनु का मन यह सुन कर मीठा मीठा होने लगा| उसे अनुश्री को भी ख़ुद की तरह पुराने गानों का शौक है यह जान कर बहुत अच्छा लगा और दोनों के बीच मैं कोई तो कोमन इंटरेस्ट है यह सोच कर भी उसे बहुत आनंद मिला|

“हाँ, पुराने गानों की तो बात ही कुछ और होती है... सीधे दिल को टच कर जाते हैं|” शांतनु भी अब टीवी की ओर देख कर बोल रहा था|

“हमम... पर मुझे रोमेंटिक गाने ही पसंद है| हाँ कभी कभी और गाने भी सुन लेती हूँ, पर एक्सट्रीम रोमेंटिक सोंग्स वील आलवेज़ बी माय फ़र्स्ट चोईस|” अनुश्री ने अपनी पसंद को और अच्छी तरह क्लियर की|

“वंडरफुल अनु, मेरे पास तो बहुत बड़ा कलेक्शन है, मेरे सैल में भी और लेप्पी मैं भी| जब भी फ्री होता हूँ तब उन्हें ही सुनता हूँ| और जब कोई गाना याद आ जाये तो तुंरत उसे डाउनलोड कर लेता हूँ|” शांतनु अब अनुश्री से ज़्यादा खुल रहा था|

“धेट्स रियली ग्रेट शांतु...! क्या तुम मुझे अपना कलेक्शन दिखाओगे?” अनुश्री ने पूछा|

“अरे, क्यूँ नहीं? ये देखिये, वैसे इस में तो मेरे सबसे ज़्यादा पसंदीदा गाने ही है, पर बाकी के गाने मेरे लैप्पी मैं है, दो मिनिट रुकिए मैं ले कर आता हूँ|” शांतनु ने अपने सैलफोन का प्ले लिस्ट खोल कर अनुश्री को अपना सैलफोन दिया और ख़ुद अपने कमरे में से अपना लैप्पी लेने के लिये उठा|

“मुझे तुम्हारा सारा कलेक्शन देखना अच्छा लगेगा, और उस में से मैं अपनी चोइस के गाने सिलेक्ट कर लूँगी फ़िर वो तुम मुझे मेल कर दोगे ना?” अनुश्री ने शांतनु के सैलफोन में से अपना चेहरा बाहर कर उस से पूछा|

“पक्का|” शांतनु ने अनुश्री की ओर अपना अंगूठा ऊँचा कर उसको ‘डन’ की साइन दिखाई और अपने कमरे में चला गया|

शांतनु ख़ुशी से फुला नहीं समा रहा था| उसका अनुश्री को बारिश में अपने घर लाने का त्वरित परंतु अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय उसे अनुश्री की नज़रों में इतना महत्व रखनेवाला व्यक्ति बना देगा उसकी तो उसे कल्पना भी नहीं थी|

शांतनु ने अपने कमरे में से अपना लैपटॉप उठाया और मन ही मन उसने उपरवाले का धन्यवाद किया, क्यूंकि आज सुबह ऑफ़िस जाते समय बारिश होने के कारण उसने अपना लैपटॉप साथ में नहीं लिया वरना वो अनुश्री को अपने पसंदीदा गानों का संपूर्ण लिस्ट दिखा कर और भी ज़्यादा इम्प्रैस नहीं कर पाता|

लिविंग रूम में आ कर शांतनु अपनी मूल जगह पर बैठ गया और उसने अपना लैपटॉप ऑन किया| फ़िर उसने ख़ुद का बनाया म्युज़िक फोल्डर ओपन किया और लैपटॉप अनुश्री को दे दिया|

“हमम. थैंक्स|” अनुश्री ने हंस कर लैपटॉप अपने हाथों में लिया| ये वही हंसी थी जिसका शांतनु कायल था|

“माय प्लेज़र मेम| आप यह नोटपेड भी लीजिये और इसमें आपको जो भी गाने पसंद हैं वो लिख दीजिये, मैं कल ही आप को सोंग्स सेंड कर दूंगा|” शांतनु भी मुस्कुरा कर बोला|

“श्योर!” अनुश्री की नज़रें अब लैपटॉप पर थी|

अनुश्री एक के बाद एक शांतनु के गानों का कलेक्शन देखने लगी| उसके हावभाव से लग रहा था की वो शांतनु की पसंद से काफ़ी इम्प्रैस हुई थी|

“शांतु, साड़े आठसौ गानों में से मैं अपने मनपसन्द गाने सिलेक्ट करने लगी तो सुबह हो जायेगी| देखो मैंने तुम्हें अपनी चोइस बता दी है ना? रोमेन्टिक सोंग्स, बस तुम्हें इन में से जो भी रोमेन्टिक सोंग अच्छा लगे वो मुझे मेल कर देना मैं अपने सैल में उसे डाउनलोड कर दूंगी, ओके?” अनुश्री ने प्रेक्टिकल रास्ता दिखाया|

“अमम...ठीक है| मैं आप को हर रोज़ पांच-पांच सोंग्स इ मेल करता रहूँगा ओके?” शांतनु ने जवाब देते हुए कहा|”

“ग्रेट| डन... नेट चल रहा है ना? मैं तुम्हें एक टेस्ट मेल भेज देती हूँ|” अनुश्री ने कहा|

“हाँ हैं ना? वाईफाई ऑन है|” शांतनु ने कहा|

अनुश्री ने शांतनु को लोग इन करने के लिये लैपटॉप दिया और शांतनु ने लोग इन कर के अनुश्री को वापस दिया| अनुश्री ने अपने इ मेल अकाउंट में लोग इन कर अपने कुछ इ मेल देखे और शांतनु से उसका इ मेल एड्रेस माँगा और शांतनु को लिखा...

“Hii!

Thanks for being there today for me,

Anu.”

और इ मेल भेज दिया|

“डन, मैंने इ मेल कर दिया है अब कल से हर रोज़ पांच सोंग्स भेजते रहना ठीक है?” अनुश्री ने लगभग शांतनु को आदेश दिया|

पर शांतनु को कहाँ इस की तकलीफ़ थी? उसे तो अनुश्री जो कहे वही करना था|

“ठीक है बोस! और मेरा भेजा हुआ कोई गाना आप को पसंद न आये तो बिंदास डिलीट कर दीजियेगा|” शांतनु ने कहा|

“डन, पर मैंने अब तक तुम्हारा जितना भी कलेक्शन देखा है, उसके चैन्सेज़ कम ही है|” अनुश्री ने शांतनु के कलेक्शन का बखान किया, जवाब में शांतनु सिर्फ़ मुस्कुराया|

“शांतनु, अगर तुम्हें कोई तकलीफ़ न हो तो मैं अपना फ़ेसबुक देख सकती हूँ?” अनुश्री ने फ़िर से मंजूरी मांगी|

“यह कोई पूछनेवाली बात है? आप आराम से सर्फिंग कीजिये और हम दोनों अब ऐसी फोर्मालिटिज़ करना बंद करें तो? शांतनु ने गंभीर मुखमुद्रा धारण कर कहा|

“ओके सर| अब से मैं इस चीज़ का ख्याल रखूंगी|” अनुश्री हंसते हुए बोली और अपने फ़ेसबुक अकाउंट में लोग इन हो गयी|

“गुड...” बस इतना कह कर शांतनु फ़िरसे टीवी देखने में व्यस्त हो गया|

अब टीवी पर ‘लहू के दो रंग’ फ़िल्म का किशोर कुमार का ही गाया हुआ गाना “मुस्कुराता हुआ गुल खिलाता हुआ मेरा यार” चल रहा था, शांतनु उस में एक दम से इन्वोल्व हो गया|

“शांतु, तुम फ़ेसबुक पर हो?” दो मिनिट बाद अनुश्री के इस सवाल ने शांतनु का ध्यानभंग किया|

“था... पर अब टाइम ही नहीं मिलता|” शांतनु टीवी देखते हुए ही बोला|

“हमम... मुझे लगा| मैंने तुम्हारा नाम सर्च किया पर नो रिज़ल्ट दिखा रहा है| और टाइम क्यूँ नहीं मिल रहा? बहुत पैसा कमाना है क्या?” अनुश्री ने आँख मार कर पूछा|

“मतलब? मैं कुछ समझा नहीं|” शांतनु ने टीवी का वोल्यूम कम कर के कहा|

“मतलब ये की इन तीन-चार महीनों से, यानी की जब से हमारी दोस्ती हुई है, मुझे कोई काम होता है तो मैं तुम्हें एस एम एस भेजती हूँ राईट? अब अगर तुम फ़ेसबुक पर होते तो मैं तुम्हें यहीं मेसेन्जर पर ही पूछ लेती ना? तुम खामखा पैसा बर्बाद कर रहे थे, तुम्हारे भी और मेरे भी|” अनुश्री ने मुस्कुराकर कहा|

“आपकी बात तो सही है अनु, पर मैं अपना आई डी और पासवर्ड भी भूल गया हूँ|” शांतनु बोला|

“हमम... अच्छा, तुम्हें यह याद है की तुम किस मेल आई डी से फ़ेसबुक पर लोग इन करते थे?” अनुश्री की पुछताज से शांतनु को लगा की वो अब उसे फ़ेसबुक पर ला कर ही छोड़ेगी|

पर शांतनु को अनुश्री की उसकी ओर बढ़ रही फीलिंग्स देख कर अच्छा भी लगा|

“अभी आपने जीस पर टेस्ट मैसेज भेजा वहीं... सालों से वही मेरा एक ही इ मेल आई डी है|” शांतनु ने मुस्कुरा कर जवाब दिया|

“हमम... वेइट...” अनुश्री के हावभाव से लगा की वो कुछ चेक कर रही है|

अब शांतनु का ध्यान गानों पर से हट गया और अनुश्री आख़िरकार क्या चाहती है उस पर स्थित हो गया|

“ओक्के, रास्ता मिल गया... यहाँ तुमने अपना सैल नंबर भी रजिस्टर करवाया था वो बहुत अच्छा किया शांतु, आई हॉप की इस से तुम्हारा आई डी रिस्टोर हो जायेगा|” अनुश्री शांतनु की ओर देख कर बोली|

“होना तो चाहिये अनु, यह नंबर मेरे पास पिछले सात-आठ साल से है|” शांतनु को विश्वास था की अब उसका फ़ेसबुक आई दी अनुश्री ज़रूर फ़िर से एक्टिव करवा देगी|

“ग्रेट धेन|” अनुश्री ने हँस कर अपना सैलफोन उठाया|

शांतनु कुतुहल पूर्वक अनुश्री की एक एक क्रिया को देख रहा था| अनुश्री उसके लिये कुछ कर रही है उसका शांतनु को बड़ा ही आनंद हो रहा था|

“डन... अब तुम्हारे सैल में एक पासवर्ड आएगा उससे अपना एकाउंट रिस्टोर कर के नया पासवर्ड डाल दो और फ़िर वी वील गेट कनेक्टेड ऑन फ़ेसबुक एज़ वेल|” अनुश्री एक दम ख़ुश हो कर बोली| उसके चहेरे से ऐसा लग रहा था की उसने किसी बड़े कार्य को अंजाम दिया है|

“आप कर देंगी? इफ़ यु डोन्ट माइंड? क्या मैं आप के बाजू में आ कर बैठ सकता हूँ?” शांतनु अभी भी यही चाह रहा था की अनुश्री ही बाकी की सारी विधि पूरी करे और ऐसा कर के उसे अनुश्री के साथ बैठने का मौका भी मिलनेवाला था|

अब अनुश्री के नज़दीक जाने की सारी ट्रिक्स शांतनु ख़ुद सीख गया था| शांतनु के सैलफोन में फ़ेसबुक पासवर्ड भी आ गया|

“व्हाय नोट यार? विथ प्लेज़र|” कह कर अनुश्री ने शांतनु ने उसकी ओर किया हुआ अपना सैलफोन लिया और अनुश्री की एक साइड पर बैठ गया और उसकी सारी विधि देखने लगा|

“ओक्के, हो गया, अब तुम अपनी चोइस का पासवर्ड डाल दो|” अनुश्री ने लैपटॉप अपनी दाहिनी ओर बैठे शांतनु को देते हुए कहा|

“आप ही पासवर्ड डाल दीजिये ना? आप कहाँ मेरा एकाउंट हैक करनेवाले हो?” शांतनु ने हंसते हुए कहा|

“सो स्वीट ऑफ़ यु शांतु, पर दोस्ती अपनी जगह है| ये भले ही फ़ेसबुक का अकाउंट हो पर तुम्हारा पर्सनल है, जैसे की तुम्हारा बेंक अकाउंट, तो उसको तुम्हे ही हेंडल करना है ओके?” अनुश्री ने शांतनु को इन्टरनेट एटिकेटस् सिखाई|

“ओके मेम, आगे से ख्याल रखूँगा|” कह के शांतनु ने अपना पासवर्ड ShantAnu02 फ़िक्स किया और वो फ़ेसबुक में लोग इन हो गया|

“हो गया?” अनुश्री तत्परता दिखा रही थी|

“हाँ, मैं लोग इन हो गया हूँ, अब? आप मुझे ऐड कर लीजिये मैं लोग आउट हो जाता हूँ|” शांतनु ने कहा|

“नो नो वेइट, मैं तुम्हे यहीं अपने फ़ोन की ऐप से ही एड कर लेती हूँ|” इतना कह कर अनुश्री अपने सैलफोन में कुछ करने लगी|

इधर शांतनु ध्यान से अनुश्री को देखने लगा| कभी वो अपना नीचे वाला होंठ अपने दांतों तले दबाती थी तो कभी अपनी लट अपने कान के पीछे लगाती थी|

“हाँ, हो गया, ज़रा देखो तो? नोटिफिकेशन आया?” अनुश्री ने अचानक से शांतनु की ओर देखा और शांतनु जो अनुश्री की ओर तन्मयता से देख रहा था वो शायद पहलीबार ऐसा करते हुए पकड़ा गया|

“हें? हं...हाँ...देखता हूँ|” शांतनु अचानक से नींद से जागा हो ऐसा लगा और अनुश्री से आँखे चुराने के लिये अपना लैपटॉप देखने लगा|

इस दौरान अनुश्री ने शांतनु का सैलफोन भी ले लिया और उस में कुछ देखने लगी|

“हेय, वाओ, शांतनु तुम्हारे पास तो स्मार्टफोन है|” अनुश्री के चेहरे पर आश्चर्य था|

“हां क्यूँ?” शांतनु को लगा की उसने सैलफोन खरीद कर कोई गलती की है क्या?

पर अनुश्री के चहेरे के हावभाव तो कुछ और ही कह रहे थे|

“मतलब ये की तुम इस में फ़ेसबुक ऐप भी डाउनलोड कर सकते हो और वोट्स अप भी|” अनुश्री बोली पर शांतनु को कुछ भी पता नहीं चल रहा था|

“हमम...” जवाब में शांतनु इतना ही बोल पाया|

“क्या हमम? अहमदाबादी हो कर तुझे पैसों की नहीं पड़ी? कमाल है! इतने दिनों से तुम्हारे पास इतना मस्त फ़ोन है और फ़िर भी तुम एस एम एस पर खर्च कर रहा था? तुम कितने बोरिंग इन्सान हो शांतनु?” अनुश्री ने शांतनु को लगभग डांट ही दिया|

“सच कहू तो मुझे अब तक इन सब की कोई जरूरत ही महसूस नहीं हुई पर अब आप के साथ कोंटेक्ट में रहने के लिये मैं कल ही दोनों ऐप्स डाउनलोड कर दूंगा, आई प्रोमिस|” शांतनु ने अनुश्री को शांत करने के लिये उसके सामने अपने हथियार डाल दिये|

शांतनु सही कह रहा था| उसका अक्षय के आलावा कोई भी ऐसा मित्र या संबंधी नहीं था जिनके साथ उसे बार बार बात करने की ज़रूरत पड़े| इसीलिये इतना महंगा स्मार्टफोन होने के बावजूद शांतनु उसका उपयोग सिर्फ़ बातें करने या एस एम एस करने के लिये ही करता था|

“कल नहीं, मैंने ऑलरेडी तुम्हारे फ़ोन में वोट्स ऐप डाउनलोड करना शुरू भी कर दिया है, हॉप यु वोन्ट माइंड|” अनुश्री ने शांतनु से कहा|

“फ़िर से फोर्मालिटिज़?” शांतनुने हंस कर अनुश्री के सामने देख कर कहा|

“अरे हाँ| और इस गलती के लिये मैं सोरी भी नहीं कहूँगी|” अनुश्री ने अपना कान पकड़ कर हंस कर जवाब दिया|

अगले कुछ पलों में अनुश्री और शांतनु फ़ेसबुक में भी फ्रेंड्स बने और फ़िर अनुश्री ने फ़ेसबुक और वोट्स ऐप का इस्तमाल कैसे करे वो समझ शांतनु को दी|

पुरे समय शांतनु और अनुश्री के कंधे लगातार एक दूसरे को छू रहे थे| अनुश्री के कंधे से पहेले संपर्क पर तो शांतनु के शरीर में जैसे की करंट दौड़ गया था पर बाद में उसने अनुश्री के कंधे से अपना कंधा ज़्यादा दूर न रहे उसका ख्याल रखा|

अनुश्री जब शांतनु को अपनी उँगलियों से शांतनु को ऐप्स का उपयोग समझा रही थी तभी शांतनु का ध्यान गया की अनुश्री की उँगलियाँ किसी नोर्मल लड़की या लड़के की उँगलियों से थोड़ी ज़्यादा ही लंबी थी| शांतनु ने इस तरह अनुश्री की एक और विशेषता नोट कर ली|

अब शांतनु अनुश्री के साथ और अच्छे से कनेक्टेड हो चूका था| अनुश्री ने उसको वोट्स ऐप पर Hii का मैसेज भी भेज दिया| शांतनु अनुश्री का वोट्स ऐप डिस्प्ले पिक्चर बड़े ध्यान से देख रहा था|

“ये तुम्हारे मम्मा है ना शांतु?” दो-तीन मिनट बाद दीवार पर लटक रहे धरित्रीबेन के फ़ोटो के सामने देख कर अनुश्री बोली|

क्रमशः