doller ka mara mara in Hindi Comedy stories by Mahendra Rajpurohit books and stories PDF | डॉलर का मारा मारा - व्यंग्य लेख

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डॉलर का मारा मारा - व्यंग्य लेख

नमस्ते देश के प्रेमी और प्रेमिकाओ, कवियों और कवियत्रीयो, मेरे जैसे बिना समझने वाले भाई और बहनों।
आज-कल देेश में , रूूपया की तबीयत काफी समय से खराब चल रही है। देेश मैं कुछ लोगों को इनकी चिंता खाये जा रही हैं।
आज सवेरे सवेरे ,मे घूमने गया तो फेंकूमल मिल गए,
कसम मच्छर के दांतो की,
क्या खूब लग रहे थे। मेरे को देखते ही हो गए मेरे पिछे,
मैंने भगवान से कहा हे प्रभु
, मैंने तुम्हारी कौनसी भैंस चुराई जो सवेरे सवेरे फेंकूमल से मिलवा दिया।
खैर जो भी हो अब फेंकूमल से बचना मुश्किल ही नही ना मुमकिन है।
आखिर मेरे पास पहुंच ही गए,
मैंने कहा अरे अंकल जी आप, भी टहलने आते हो, वह भी इतने सवेरे सवेरे,
अब देर कहां, होगये शुरू..,
काका कहां है,
क्या बात है
घर पर आता नहीं फलाना,
यह,वह,करते करते
बात भारत की अर्थव्यवस्था पर आ गई,
मैंने भी अब फेंकूमल काका की बातों को ध्यान से सुनना शुरू किया, बात जो देश के अर्थव्यवस्था के लिए थी,
आज काका की बातों मे क्या. शब्दो की रासलिला थी,
वाह काका वाह,मन कर रहा है काका जी पर किताब लिख दूं।
काका बात आगे बढाते हुए बोले,
माही आज मेरे पास माता इंडिया का फोन आया था।कि तेरा रुपैया बेटा बिमार है,
मैने कहा की,फेंकूमलजी। आप कह रहे थे कि मेरा पुत्र रूपयालाल अजर अमर रहेगा,
पर मुझे डर लग रहा है कहीं अनहोनी ना हो जाए।
अब वह बूढ़ा हो रहा है।
हा और तो और,, आपके भाई सोना जी को भी जेल भेजने की तैयारी चल रही है
काका ,हां आपके पिताजी के कहने से ही मैंने मेरी लाडली चवन्नी और अठनी, का बाल विवाह किया था।
अब बेचारी को ससुराल से बेइज्जत कर भगा दी गई। और कुछ समय बाद उसनेे मानसिक तनाव से आत्महत्या कर ली। कितनी प्यारी थी मेरी चवन्नी अठन्नी,,, काका जी की ऐसी फिलिंग देख कर मैं भी भावुक हो गया।
मुझे आज भी याद है। गांधी अंकल के साथ लुका छिपी खेलती थी।
हा एक बार तो गांधी जी ने पुरी रात बढी मुश्किल से ढूंढा था,
अब तो बेचारी को देखते ही लोग चिढ़ने लगते है, 
और रूपये बेटे की हालात कही चवन्नी अठन्नी की तरह न हो जाए,
मुझे अब क्या करना क्या न करना समझ मे नही आ रहा,
सोना जी  का क्या होगा राम जाने, क्योंकि उनके खर्चे देख कर उनका बड़ा बेटा तो विदेश चला गया है, छोटे वाला तो दिवाना मस्ताना है, उनका तों खुद का भी कोई ठिकाना नहीं है, कब घर आएं या, बाहर भी रात गुजार ले। मुश्किल तो सोना जी को है, उनकी गाड़ी रामभरोसे, चांदी भाभी की भी तबियत आज-कल ठिक नहीं रहती हैं।
कहते कहते काका बेहोश हो गए, मैंने पानी भी डाला पर काका तो टस से मस भी नहीं हुआ, में भी 108 बुलाकर,चला गया। काका की तबीयत कैसी है, मुझे नहीं मालूम।
अब मेरा क्या होगा पुलिस वाले जाने , कयोकि काका के बेहोश होने पर में भागा जा रहा था, तब एक पुलिस वाला मुझे देख रहा था। चलों फिर मिलेंगे,,अगली बार नये लोगों के साथ में,, अगली नई पोस्ट के लिए आपका रहेगा इंतजार,तो जल्दी से जल्दी हाजिर हो जाये, तब तक के लिए आप और आपके परिवार को हेपी सन्डे,