Aapke kitane sare sawal ? in Hindi Motivational Stories by Rudra books and stories PDF | आपके कितने सारे सवाल ? …

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आपके कितने सारे सवाल ? …

IMRudra – The Life Coach

Book Author – Rudra

Presented by – IMRudra – The Life Coach

Content Writer – Rudra

Disclaimer –

यह एक काल्पनिक कृति है। नाम, पात्र, व्यवसाय, स्थान, घटनाएं, स्थान, और घटनाएं या तो लेखक की कल्पना के उत्पाद हैं या एक कल्पित तरीके से उपयोग की जाती हैं। वास्तविक व्यक्तियों, जीवित या मृत, या वास्तविक घटनाओं के लिए कोई समानता पूरी तरह से संयोग है।

About The Author –

Rudra is widely recognized for his thought leadership, A First Generation Entrepreneurs has an ideology to win the long road race. Some of these lineaments are Belief, Passion, Networking, Optimism, Startup Capital and Partner (Co-Founder). He is actually the wealth creator and fresh leader. He also coach professionals and leaders in business and personal Life. He believes that finding your excellence is an inside job. With the advent of the modern marketing concept and innovative business plan, Rudra can easily create customers and buyers by fulfilling their needs. He has also competed ferociously by standing against those businesses who follow the traditional business norms. Rudra’s Life Coaching is different from any other. If you are severe about changing the situations of your life and are open to exploring how life lessons or coaching can help you. Your Rudra Results life coach will become faithful companion in your life. I expect the best from your inside so that you will dare to perform your best. I help people fight powerfully with whatever challenges they are facing in life, challenges related to business, career, relationships, finances etc. That’s the class of value and capability He brings to your life.

आपके कितने सारे सवाल ?

ऐसे कितने ही सवाल हैं जो आपको सिर्फ आपको ये एहसास करते हैं की आप कितना जरुरी हैं और फिर यही सवाल आपको दिन भर घेरे रहते है... सबसे बड़ा सवाल - में क्यों नहीं और में ही क्यों ?

सोचिये !! मेरे कुछ सवाल हैं जवाब जरूर देना जैसे भी आप दे सके... मुझे नहीं खुद को ही ?

1. क्यों सबसे मुश्किल है आपका खुद को जी लेना ?

2. क्यों सबसे मुश्किल है आपके पास सब होते हुए भी आपका खुश नहीं हो पाना ?

3. क्यों आपका लिए सबसे मुश्किल है आपका वो कर लेना जो आप कर सकते हैं ?

4. क्यों सबसे मुश्किल है उन लोगों खुश कर देना जो आपके आस - पास हैं

क्यों ?

5. या फिर क्यों हर दिन के बाद भी कुछ लोगों को शिकायते रह जाती है जो आपके आस - पास हैं?

आखिरी सवाल का जवाब सबसे पहले देता हूँ, बेहतर है अगर कुछ शिकायतें आपसे लोगन को हैं तो मतलब आपके होना का कारण या आपका होना कहीं न कहीं उन लोगो के लिए जरुरी है। तो यह सबसे अच्छा है ॥

ये परिस्थिति या ऐसे सवाल सिर्फ हमारे साथ नहीं, सबके पास कुछ न कुछ कमी तो जरूर है ।

मैं शायद बहुत कम शब्दों में आपको यह समझना चाहता हूँ की ऐसा क्यों है ?, या आपके हर सवाल का सिर्फ एक जवाब दूँ तो मुझे ऐसा लगता है, क्यूंकि, अभी जो भी आप दिन के शुरू होने से रात तक क्रिया - प्रितिक्रिया करते हैं तो हर काम को आप बस कर रहे हैं और किये जा रहे हैं । इसका मतलब ये कतई नहीं की आप वो न करें जो आप करते है

"कर्मविहिन व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है ।"

पर अब समझिये की फिर कमी क्या है आपके किसी काम को करने में और मेरे उन्ही कामो को करने में ?

आराम एक ऐसी चीज है जो सबको चाहिए, जब आप सुबह उठते हैं तो जो जबसे पहला जवाब आप खुद को देते हैं वो ये की अगर आज नहीं उठे तो माँ फिर से चिल्लाएगी, या आज नहीं उठा तो ऑफिस कैसे जाऊंगा , बहुत सारे ही सवाल ?

पर कभी आपने सोचा हैं की अगर आप आज भी नहीं उठेंगे तो क्या होगा या फिर क्या रुक जायेगा ? चलिए सोचिये, क्या ऐसा हैं की भगवान् ने कुछ ऐसा सिस्टम बनाया हैं जहाँ आपके आँख खुलने पर माँ की आँख खुलती हैं और आप सोते हैं तो माँ की आँख बंद होती हैं !! अगर ऐसा हैं तो मेरी नजरों में आप बेहतरीन हैं, अगर ऐसा नहीं तो फिर सोचिये, की माँ ऐसा क्यों करती हैं ?

आपके उठने से पहले दुनिया चल रही होती हैं, आप जब हैं तब भी चल रही हैं, आप जब चल रहे होते हैं तब भी सब चल रहा होता हैं, जब आप सोते हैं तब भी वक़्त चल रहा होता हैं, जब आप ऑफिस जा रहे होते हैं, तब आपसे भी पहले वहाँ बहुत लोग होते हैं । मतलब आपके ऑफिस जाने और नहीं जाने से ऑफिस नहीं चलेगा ऐसा भी नहीं हैं?

फिर आपके इतने एहसान किस पर ? उन लोगों पर जो आपको चलना सीखा रहे हैं, आपको आपके "मैं" में जीने की इजाजत दे रहे हैं या फिर खुद पर ?

में जिस समाज का हिस्सा हूँ या जैसे भी आस - पास में बड़ा हुआ, मेने यही महसूस किया की में जब नहीं था तब भी ये दुनिया थी, जब में चला जाऊंगा शायद तब भी सब चलता रहेगा, फिर मेरा अस्तित्व क्या ?

मेरी बात का मतलब ये कतई नहीं की आप ये सोच ले की जब मेरे होने और नहीं होने से कुछ फ़र्क़ ही नहीं पड़ता तो मेरे होने का क्या कारण ? कारण तो हैं, जब आप इस दुनिया में आये तब सभी ने आपको स्वीकारा, आपको दुनिया की हर समझ से वाकिफ कराया, आपसे लड़कर, कभी प्यार से बस आपको समझाते रहे। जब भी आप बिखरे या जब भी आप गिरे तो सबसे पहले आपके आस - पास के लोगों ने प्रतिक्रिया की । मतलब आपका होना तब तक जरुरी हैं जब तक आप हैं । आज ये समझ लीजिये आपके होने का कारण हैं इसलिए आप हैं ।

अब आपका सवाल खुद से ये हैं की फिर क्या कारण हैं आपके नहीं होने पर भी जब सब हो जाता हैं तो आपके होने और नहीं नहीं होने का क्या अस्तित्व हैं ॥

कारण होना और अस्तित्व होना दोनों अलग बात हैं ॥ कारण ये हैं जिस दिन भी आप हर चीज का आभारी होना शुरू करेंगे तब सबसे पहली ख़ुशी आपको मह्सूस होगी। तब आपके आस - पास के लोगों को आपके होने पर ख़ुशी होने लगेगी । आप फिर सुबह उठने से पहले ये सोचेंगे की आज आँख खुलने पर माँ की पहली झलक दिखने को मिलेगी, उसकी आवाज से दिन की शुरुआत होगी ।

में जब तैयार हो जाऊंगा ऑफिस जाने के लिए तो मुझे खाने में वो मिलेगा जिसे बनाने से पहले हज़ार बार उस इंसान ने सोचा होगा की मुझे अच्छा लगेगा या नहीं, में कहीं पुरे दिन भूखा न रहूं ।

जब में ऑफिस पहुँच जाऊंगा तो फिर से उन्ही लोगों से मिलूंगा जिनके साथ बैठकर में वो काम करूँगा या करुँगी जो मुझे सबसे अच्छा लगता हैं, क्यूंकि मेने खुद से अपने दिन का सबसे ज्यादा समय उसे करने के लिए चुना था । जब आप इस तरह काम करेंगे तो आप उसे महसूस कर सकेंगे क्यूंकि आप उस काम को 8 घंटे तक करेंगे जिस काम के लिए आपने अपनी ज़िंदगी का सबसे ज्यादा समय उस काम को करने के लिए चुना था । जिस दिन भी आप अपने काम से कनेक्ट कर पाएं उस दिन से काम बेहतर होने लगेगा । और एक दिन वो आपकी पहचान भी बन जाए , क्यूंकि कुछ भी हो सकता हैं ॥

और जब भी रात में आप सोयेंगे तो आपको आज के दिन का आभारी होना पड़ेगा भगवान् का, उन सभी लोगों का जो आपके आस - पास थे , क्यूंकि उन सबने आपको आपके होने का कारण बताया ।

इसके बाद भी अगर आपको शिकायते हैं तो फिर कहूंगा, आज ही अपने होने का कारण जरूर पता कीजिए ।

रही अस्तित्व की बात तो जब आपके न होने पर भी लोगों के अंदर आप ज़िंदा हो पाए, तो वही आपका अस्तित्व होगा ॥

बहुत सारे काम मत करो किसी एक काम को बेहतर करो, उसे जी लो । मेरी बात समझ समझकर आप खुद को महसूस कर सके तो बहुत अच्छा हैं नहीं तो वो जरिये जो कर रहे हैं ॥ खुश रहिये ॥

“छोटी छोटी बातों से पूर्णता आती हैं और पूर्णता कोई छोटी बात नहीं ||”

"No one can give the better explanation about YOU except 'YOURSELF'.

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