Sharad se amavas tak ki yatra - Chandrama in Hindi Travel stories by Anant Dhish Aman books and stories PDF | शरद से अमावस तक की यात्रा चन्द्रमा

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शरद से अमावस तक की यात्रा चन्द्रमा



।। बाल मन चन्द्रमा ।।

बालमन में हीं एक आलेख रेखांकित हो जाती है छोटी छोटी गीत लोरी एंव कविताओं के द्वारा ।। नन्हें बच्चे जब रात में सोया नहीं करते तो माँ उन्हें चाँद की लोरी इत्यादि सुनाकर बहलाने का काम करती है और इस बहलाने के क्रम में वो इतनी मग्न और पावन हो जाती है कि चाँद को भी भाई बना लेती है ।। 
जिसे आज विज्ञान साबित कर चूका है चन्द्रमा धरती का हीं एक भाग है जो कई हजारों वर्ष पहले धरती से टूटा था। किंतु हम सबकी माँ वैज्ञानिक से थोङी न कम है उन्हें  अपनें अंश का पता है और इन्हें ये भी पता है वो दूर हैं इसलिए दूर की भाई बताने का काम करती है ।। 

।। प्रेमी चन्द्रमा ।।

बालमन रेखांकन एक उम्र तक हमारे मस्तिष्क पर एक प्रभाव जमा लेता है जिस वजह से हम उपमा और अलंकार के रुप में इसका प्रयोग करने लगते है ।।

अलंकृतिरलंकारः । करण व्युत्पत्या अलंकार शब्दों यमुपमादिषु वर्तते ।

काव्य की बाहरी शोभा को बढ़ाने वाले धर्म हीं अलंकार कहलाते है ।। इस धर्म का फल काव्य का अलंकरण है । 

काव्य और प्रेम दोनों का नैसर्गिक संबध है इसलिए चन्द्रमा दोनों को अपने किनारे तटस्थ करता है और अलंकार के रुप में दोनों और निरंतर बह रहा है सदियों से ।। काव्य जिस तरह पूर्ण नहीं अलंकार से प्रेम पूर्ण नहीं उसी प्रकार बिना श्रृंगार के ।। 

यह एक प्रेमी की स्वच्छंदता है जो अपने प्रिय को चांदनी के बिच जगमगाता देखना चाहता है ।। चन्द्र प्रेमी और प्रेमिका दोनों को अलंकृत करता है इसलिए चन्द्र में ताप नहीं शीतलता है और रात में ये पूर्ण रुप से नयनों का अमृत पियूष है ।।

।। दार्शनिक चन्द्रमा ।।

दार्शनिक रुप में भी चन्द्र का एक अद्भुत स्थान है सर्वप्रथम दर्शन क्या है इसे जानना आवश्यक है हमारे मन में उठने वाले मूलभूत प्रश्नों तथा उनके उत्तरों को हम वेदों में संकेत के रुप में उपनिषदों में कुछ स्पष्टता के साथ तथा पुराणों में समान्य जन को समझ में आने लायक कथात्मक शैली में पाते है ।। इन प्रश्नों और उतरों के वैज्ञानिक ढंग से विवेचन की प्रक्रिया में से हीं भिन्न भिन्न दर्शनों का भारत में उद्भव हुआ ।। 

 ।। दृश्यते अनेन इति दर्शनम् ।। 
अर्थात जिसके द्वारा देखा जाए और जो कुछ देखा जाय वह दर्शन है ।। 
प्राचीन काल से हीं दो परंपरा है एक वैदिक दर्शन और दूसरा अवैदिक ।। 

वैदिक दर्शन में छ दर्शन है न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा तथा वेदान्त ।। 
अवैदिक दर्शन में अनेक दर्शन है प्रमुख रुप से चवार्क, जैन, तथा बौद्ध ।। 

दर्शन पर चर्चा जरुरी इस कारण से थी क्योंकि चन्द्र इसके दोनों भाग वैदिक और अवैदिक में हैं इसके बगैर दर्शन की यात्रा पूर्ण नहीं हो सकती है चन्द्र के द्वारा देख भी रहे है और देखा भी जा रहा है इसलिए यह पूर्ण रुप से वैदिक और अवैदिक दोनों को संतुष्ट करता है।। 
चन्द्रमा को दर्शन का उद्गम स्थल हम कह सकते है क्योंकि बाल मन से ज्ञान मन तक यह सफर संपूर्ण करता है ।। 

अध्यात्मिक चन्द्रमा ।। 

अध्यात्म क्या है स्वंय के भीतर चेतना का अध्ययन हीं अध्यात्म है और वो चेतना हीं ब्रह्म है ।। 

"परमं स्वभावो अध्यात्ममुच्चयते"

गीता में कृष्ण ने अपने स्वंय अर्थात जीवात्मा को अध्यात्म कहा है ।। 

किंतु हम सभी किसी न किसी प्रकार से अर्थ काम एंव मोह से ग्रसित होकर चेतना से दूर हो जाते है जबकि हम स्थिर प्रज्ञ होकर उस ब्रह्म को पा सकते है इसे हीं अध्यात्म कहते है ।। अध्यात्म को अनेक रुपों में वर्णित किया गया है किंतु सभी का लक्ष्य उस परम चेतना को हीं पाना है ।। 

योग ध्यान हवन ये तिन प्रमुख क्रिया कलाप है परम तत्व   को जानने का ।। 

"नक्षत्रामहं शशी"
गीता में श्री कृष्ण ने कहाँ नक्षत्रों में चन्द्र हूँ ।।

ब्रह्म हीं अध्यात्म है ब्रह्म हीं चन्द्र है तो चन्द्रमा अध्यात्मिक क्रिया में कितना सहयोग करता है उसका एक उदाहरण देता हूँ ।। काल जिसे सरल भाषा में समय कहते है समय की गणना हेतु चन्द्र और सूर्य दोनो का प्रयोग होता है जो की अध्यात्मिक और वैज्ञानिक प्रक्रिया है ।। 

चन्द्र को दो स्वरुप बहुत विख्यात है पूर्णिमा और अमावस अध्यात्मिक दृष्टिकोण से।।

पूर्णिमा की रात्रि को धरती से चन्द्रमा सम्पूर्ण चमकता और दमकता देखाई देता है इस दिन पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के मध्य में होती है और तीनों एक सीधी रेखा पर होते है ।। 
इसे अध्यात्मिक पथ पर अग्रसर होने का सूचक माना जाता है ।। पूर्णिमा का चाँद हमारे मन और चित पर प्रभाव डालता है अतः इसे उन्माद का कारण भी समझा जाता है ।। 

अमावस यूं तो नकारात्मकता का पथ प्रदर्शित करता है किंतु अमावस के दिन पितरों को तर्पण और देव दिवाली का आयोजन किया जाता है ।। 
अध्यात्मिक दृष्टि कोण से तंत्र मंत्र के द्वारा स्वंय को जागृत करने का प्रक्रिया किया जाता है ।। 

चन्द्र का प्रभाव हमारे शरीर पर होने के भी बहुत से कारण है हमारे शरीर में जल की मात्रा सत्तर प्रतिशत होती है और जब हम खुले स्थान पर बैठकर चन्द्र ध्यान करते है तो उसके शीतलता से मन को केन्द्रित करने में सफलता प्राप्त होती है ।। 

#अनंत