Banty aur Sheru Bank me daketi in Hindi Children Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | बंटी और शेरू बैंक में डकैती

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बंटी और शेरू बैंक में डकैती

बंटी और शेरू

बैंक में डकैती

बंटी के हॉफ इयरली इम्तिहान खत्म हो गए थे। छुट्चियां चल रही थीं। वह पूरा दिन या तो टीवी देखता था या इंटरनेट पर रहता था।

बंटी बाहर लॉन में अपने टैब पर कोई वीडियो देख रहा था। शेरू उसके पास ही बैठा था। तभी सिद्दिकी आंटी आईं। उनके हाथ में लेटेस्ट आई फोन था। कुर्सी पर बैठते हुए बोलीं।

"देख ना बेटा ये तुम्हारी सना दीदी ने लाख मना करने पर भी यह मोबाइल गिफ्ट कर दिया। अब मुझे तो मोबाइल इस्तेमाल करना आता नहीं। तुम मुझे मोबाइल का इस्तेमाल सिखा दो। फेसबुक, वॉट्सएप, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम सब पर एकाउंट कैसे खोलते हैं बता दो।"

बंटी ने उनके हाथ से फोन लेते हुए कहा।

" लगता है सना दीदी को प्रमोशन मिला है। अच्छा वाला फोन दिलाया है आपको।"

"हाँ सना को प्रमोशन मिला है। मुझसे कह रही थी कि आपका फोन बहुत पुराना है। मैं आपको नया फोन दिलवाऊंगी। आप भी अब खुद को बदलिए। ऑनलाइन रहना सीखिए। फेसबुक वगैरह पर एकाउंट बनाइए। अब वह तो फोन दिला कर चली गई। मुझे तो यह सब आता नहीं हैं।"

"कोई बात नहीं आंटी मैं आपको सब सिखा दूंगा।"

बंटी ने पहले तो आंटी को फोन के सारे फीचर समझाए। उसके बाद फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम पर उनका एकांउट खोल कर उन्हें प्रयोग करना सिखाया। इन सब में बहुत देर हो गई। बंटी की मम्मी उसे खाने के लिए अंदर बुलाने आईं तो उसने कहा कि अभी तक तो वह नहाया भी नहीं है। उसकी मम्मी ने कहा कि वह जाकर नहाए तब तक वह सिद्दिकी आंटी के साथ बातें करती हैं। बंटी नहाने चला गया। मम्मी आंटी के साथ बातें करने लगीं। शेरू बिल्ली को देख कर उसके पीछे बैकयार्ड में भाग गया।

अगले दिन बंटी के पापा की ऑफिस में कोई ज़रूरी मीटिंग थी। उन्हें दफ्तर पहुँचने में देर हो रही थी। लेकिन बैंक में भी कुछ आवश्यक काम थे। अतः उन्होंने बंटी को बुला कर कहा।

"बंटी मुझे ऑफिस जाने में देर हो रही है। तुम ज़रा बैंक चले जाना। ये चार चेक्स हैं। इन्हें ड्रॉप बॉक्स में डाल देना।"

उन्होंने बंटी को चारों चेक्स के साथ अपनी पासबुक पकड़ाते हुए कहा।

"बैंक के बाहर ही पासबुक अपडेट के लिए मशीन लगी होगी। वहाँ से इसे भी अपडेट करा लेना। समझ गए ना।"

"हाँ पापा मैं पहले भी यह काम कर चुका हूँ।"

पापा के जाने के कुछ ही देर बाद बंटी शेरू को लेकर बैंक चला गया। उसने चेक्स ड्रॉप बॉक्स में डाल दिए। लेकिन जब पासबुक अपडेट करने के लिए मशीन पर गया तो वह काम नहीं कर रही थी। बंटी ने सोंचा कि बैंक के अंदर जाकर वहाँ से पासबुक अपडेट करा ले। वह शेरू के साथ बैंक के अंदर जाने लगा तभी सिक्योरटी गार्ड बोला।

"आप इस कुत्ते को लेकर अंदर नहीं जा सकते हैं।"

"पर यह बहुत समझदार है। किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा।"

बंटी ने समझाना चाहा किंतु गार्ड ने एक नहीं सुनी।

"जो भी हो। अंदर और लोगों को परेशानी होगी। इसे घर छोड़ कर आइए।"

बंटी सोंच में पड़ गया। अब क्या करे। घर जाकर फिर वापस आने में वक्त लगेगा। कुछ सोंच कर वह बोला।

"भाई मैं इसे अंदर नहीं ले जा रहा हूँ। लेकिन तुम इसे यहीं अपने पास रहने दो। यकीन मानो यह बहुत समझदार है। तुम्हें परेशान नहीं करेगा।"

गार्ड ने कुछ सोंचा फिर बोला।

"ठीक है। तुम अपना काम निपटा कर जल्दी आओ।"

बंटी शेरू को समझा कर बैंक के अंदर जाने लगा। जब वह बैंक में घुस रहा था तब उसके साथ दो और लोग बैंक में घुसे। घुसते समय बंटी उनमें से एक से टकरा गया। वह आदमी करीब पचास वर्ष का होगा। वह थोड़ा लंगड़ा कर चल रहा था। उसके साथ वाला व्सक्ति भी करीब चालीस पैंतालीस का होगा। बंटी ने माफी मांगते हुए कहा।

"सॉरी अंकल गलती से टकरा गया।"

बंटी की बात ध्यान ना देकर दोनों आदमी सामने की डेस्क में बैठे क्लर्क के पास चले गए। बंटी भी बगल वाली डेस्क पर बैठी मैडम के पास जाकर बोला।

"मैम वो बाहर लगी मशीन काम नहीं कर रही है। आप इस पासबुक को अपडेट कर दीजिए।"

डेस्क पर बैठी मैडम ने कुछ देर रुकने को कहा। बंटी इधर उधर देखने लगा। तभी आवाज़ सुनाई पड़ी।

"बिना किसी होशियारी के सब लोग एक तरफ हो जाएं। अपने मोबाइल, वॉलेट निकाल कर हमें दे दें। कोई भी चालाकी महंगी पड़ेगी।"

बंटी ने देखा कि उसके साथ बैंक में घुसे दोनों आदमियों के हाथ में गन थी। बैंक में करीब दस से बारह लोग थे। वह सभी घबरा कर उनकी बात मानने लगे। सबने अपने मोबाइल व वॉलेट निकाल कर दे दिए।

"ए लड़के तुम्हें समझ नहीं आता क्या ? तुमसे अलग से कहना पड़ेगा।"

लंगड़ा कर चलने वाला आदमी बंटी पर गुर्राया। उसकी बात सुन कर बंटी ऐसे पेश आने लगा जैसे कि बहुत घबरा गया हो। तेज़ आवाज़ में अजीब सी सींटी बजाने लगा। उसकी हरकत देख कर वह आदमी गुस्से से चिल्लाया।

"तुम्हें मज़ाक सूझ रहा है। एक ही गोली तुम्हें ठंडा कर देगी।"

बंटी ज़ोर ज़ोर से कांपने लगा।

"नहीं अंकल प्लीज़ गोली मत चलाना। मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूँ। डर के मारे मेरे मुहं से ऐसी ही आवाज़ निकलती है।"

"जाकर चुपचाप सबके साथ खड़े हो जाओ।"

बंटी जाकर सबके साथ खड़ा हो गया। वह दोनों आदमियों की गतिविधियों पर नज़र रखे हुए था। उसने गौर किया कि दोनों ऊपर से तो सामान्य लगने का दिखावा कर रहे हैं लेकिन अंदर से कुछ घबराए हैं। बंटी को यह बात अच्छी लगी। वह सही मौके की तलाश करने लगा।

लंगड़ा कर चलने वाला आदमी सबको गन प्वांइट पर लिए हुए था। दूसरा कैशियर को सारा कैश एक बैग में भरने के निर्देश दे रहा था। बंटी दोनों पर नज़र जमाए था। उसने देखा कि दूसरे आदमी का सारा ध्यान कैश निकलवाने पर था। वह कुछ लापरवाह भी था। बंटी की निगाह कैशियर से मिली तो बंटी ने आँखों ही आँखों में एक इशारा किया।

लंगड़ा कर चलने वाला आदमी बहुत ही नर्वस लग रहा था। वह दूसरे आदमी से जल्दी करने को कह रहा था। बंटी अचानक चिल्लाया।

"अरे नहीं हम सबकी जान खतरे में आ जाएगी।"

उसके इस तरह चिल्लाने से लंगड़ा कर चलने वाला आदमी सकपका गया। उसने पलट कर पीछे देखा। मौका पाते ही बंटी ने उसे ज़ोर की लात मारी। वह लड़खड़ा कर गिर गया। गन छिटक कर दूर चली गई। दूसरा आदमी जब तक कुछ समझ पाता कैशियर जो कि गठीले शरीर का था ने बिना मौका गंवाए उसकी गन छीन ली।

अचानक बैंक के बाहर पुलिस का सायरन सुनाई पड़ने लगा।

बाहर गार्ड शेरू के साथ था। वह अंदर की गतिविधियों से अंजान बड़े आराम से बैठा था। बंटी ने जब वह अजीब सी सीटी बजाई तो गार्ड ने तो अनसुनी कर दी। किंतु शेरू के कान खड़े हो गए। वह खतरे के इस संकेत को समझ गया।

बैंक से कुछ ही मीटर की दूरी पर पुलिस चौकी थी। शेरू उसे पहचानता था। जब वह पुलिस चौकी पहुँचा तो वहाँ मौजूद सब इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह ने पहचान लिया कि यह बंटी का शेरू है। बंटी और शेरू की जोड़ी अपने कारनामों के कारण मशहूर हो गई थी। वह समझ गए कि शेरू किसी वारदात की जगह पर ले जाना चाहता है।

शेरू पुलिस जीप के आगे आगे भाग रहा था। वह बैंक के आगे जाकर रुका। पुलिस को देखते ही गार्ड चौकन्ना हो गया।

बंटी और कैशियर की बहादुरी देख औरों में भी जोश आ गया। उन सबने मिल कर लुटेरों को कब्ज़े में ले लिया।

अंदर जाकर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सबने बंटी और कैशियर की तारीफ की। पर सबके मन में सवाल उठ रहा था कि पुलिस को किसने बुलाया। सब इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह ने उन्हें शेरू के बारे में बताते हुए कहा कि वह बंटी का ही कुत्ता है।

बंटी ने उन लोगों को बताया।

"वो मैंने अजीब सी सींटी बजाई थी ना। वह धबराहट के कारण नहीं बल्कि शेरू को इशारा देने के लिए थी।"

सबने ताली बजा कर बंटी और शेरू का स्वागत किया।

आगे जाँच में पता चला कि दोनों लुटेरे सिक्योरटी गार्ड के जानने वाले थे। उसने शराब के नशे में उन्हें बताया था कि बैंक की इस ब्रांच में लगे दोनों सीसीटीवी कैमरे बेकार हैं। उसके अलावा और कोई सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं है।

सिक्योरटी गार्ड की इस लापरवाही के कारण उसे मौकरी से हाथ धोना पड़ा।