Ek kadam svachchhata ki aur in Hindi Human Science by Surya Pratap Ball Ji books and stories PDF | एक कदम स्वच्छता की ओर

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एक कदम स्वच्छता की ओर

एक बड़े से शहर के पास थोड़ी दूर पर एक गांव बसता था उस गांव का नाम सुंदरनगर था उस गांव में लगभग दो हजार से ज्यादा आबादी वाले लोग रहते थे और वह बहुत ही अच्छा गांव था उस गांव में एक गली में आमने सामने दो मकान थे एक मकान रमेश का था और दूसरी तरफ घनश्याम का था घनश्याम और रमेश दोनों बहुत ही मेहनती आदमी थे और वह आपस में एक दूसरे से थोड़ी गड़ा करते थे गड़ा धन श्याम करता था रमेश के परिवार को 8 सदस्य रहते थे रमेश  के सभी सदस्य  रोज  अपने घर के शौचालय का उपयोग  नियमित रूप से  करते थे  और  अपने  करके  चारों तरफ साफ सफाई  का काफी ध्यान  रखते थे  और  अपनी  गली का भी  काफी ध्यान  रखते थे  इसलिए  रमेश  का परिवार  काफी खुशहाल  जिंदगी जी रहा था और घनश्याम के घर में कुल 10 सदस्य रहते थे घनश्याम के सभी सदस्य काफी मेहनती थे और बहुत ही मेहनत से सभी कार्य करते थे और लेकिन उसके घर में काफी तरह की परेशानियां रहती थी क्योंकि घनश्याम और घनश्याम के सदस्य अपने घर में हर तरह की गंदगी रखते थे और कभी भी घर का शौचालय इस्तेमाल नहीं करते थे खुले में शौच करने के लिए जाते थे और उसके सभी सदस्य खुले में ही शौच करने के लिए जाते थे और नेता रमेश से जलता था यह सोचता था की हमारे घर में काफी सदस्य हैं इससे ज्यादा काम करते हैं फिर भी हम कुछ नहीं कर पाते हैं और हमारे घर में काफी लोग बीमार पड़े रहते हैं एक दिन उसने रमेश से झगड़ा कर दिया रमेश मैं अपने गांव के सरपंच मुखिया जी से संपर्क किया और घनश्याम की शिकायत की कहा की घनश्याम ने मेरे साथ झगड़ा किया सरपंच मुखिया जी ने घनश्याम को बुलाया और पूछा घनश्याम भाई तुमने रमेश जी से झगड़ा क्यों किया कोई उत्तर नहीं दिया क्योंकि सारी लाल घनश्याम की थी और रमेश ने कहा सरपंच जी मुझ से जलता रहता है सरपंच जी ने कहा क्यों भाई क्यों जलते रहते हो तभी घनश्याम ने कहा की मुखिया जी मैं दिन-रात मेहनत करता हूं और मेरे घर में रमेश के करते ज्यादा सदस्य हैं लेकिन मैं और मेरा परिवार तरक्की की ओर नहीं बढ़ता और बाकी लोग बीमार पड़े रहते हैं फिर सरपंच मुखिया जी ने दोनों को एक साथ खड़ा किया और घनश्याम से कहा घनश्याम भाई रमेश अपने घर की साफ सफाई रखता है और अपने घर के स्वच्छ शौचालय का इस्तेमाल करता है और आप हमेशा बाहर खुले में शौच के लिए जाते हो और तुम्हारे सभी सदस्य भी खुले में ही शौच के लिए जाते हैं इसीलिए तुम्हारे घर में सदस्य बीमार पड़े रहते हैं और तुम तरक्की की हो नहीं बढ़ पाते हो क्योंकि तुम्हारा पैसा बीमारी में ही खर्च हो जाता है घनश्याम मुखिया जी से हाथ जोड़े और कहा मैं भी अपने घर के शौचालय का इस्तेमाल करूंगा और साफ-सफाई रखूंगा एक कदम स्वच्छता की ओर बंदे मातरम जय हिंद वंदेमातरम