पोता बहु के स्वागत के लिए अम्मा कब से बेचैन थी मुड चुकी कमर को पकडे कितनी बार अंदर बाहर हो गई
तभी गाडी आ कर रूकती हैं बैंड बाजे की आवाज में अम्मा की आवाज दब सी गई ।
बहु को गाड़ी से उतारकर अम्मा की बहू कमला बडा इतरा रही थी ,इतराये भी क्यों नहीं मिताली थी ही इतनी खूबसूरत ,नीलेश के चहरे पर विजई मुस्कान थी ।
अम्मा जैसे ही आगे बढी कमला की कर्कश आवाज सुनाई दी ...
"क्या अम्मा किसने बोला बाहर आने के लिए ?भोला कमरे में ले जाओ इनको।"
आँखो मे पानी लिए अम्मा डगमगाते कदमों से अंदर चल गई, उनकी आंखों का पानी किसी ने देखा या नहीं पर मिताली की दिल को छलनी कर गया ।
रस्मे शुरू हो गई पर अम्मा ना आई उसने सास से पुछा
"माँ जी अम्मा जी नहीं दिख रही वो ठीक तो हैं ना ?"
"अरे उनकी चिंता ना करो वो ठीक है कमरे में ह़ोगीं
इतने मेहमान है उनको कौन संभालेगा ।"
आँखों में आई हिकारत मिताली से छुप ना सकी ।
पर वो चुप रही उसके संस्कार बोलने की इजाजत नहीं देते।
नई उंमग के साथ नीलेश ने कमरे में प्रवेश किया, पर मिताली ना दिखी ..
देखा तो वो खिडकी के पास खडी कुछ परेशान लग रही थी ...
"मिताली यहाँ क्यों खडी हो क्या हुआ ? "
"कुछ नहीं नीलेश ।"
"फिर परेशान क्यों हो थक गई हो ..?"
"नीलेश मुझको दादी से मिलना है सुबह बस.एक झलक देखी थी उनकी ।"
"इस समय ?आज इतना खास दिन है और तुम! "
"आज खास दिन है और दादी के लिए सबसे ज्यादा खास।मुझको कुछ नहीं सुनना ,मुझको मिलना है बस ...."
"सुबह मिल लेना ।"नीलेश ने कहा।
"ये मेरी मुँह दिखाई समझो ।"
"ठीक है पहले देखता हूँ बाहर कोई हैं तो नहीं ।"
कमरे में अम्मा जाग रही थीं ,नीलेश के बचपन की फोटो हाथ में लिए पनियाली आँखों से निहार रही थी।अम्मा को यूँही बैठे देख मिताली के दिल में हूक सी उठ गई।
उसनें अम्मा के पाँव छुये।मिताली के स्पर्श से अम्मा की तिन्द्रा भंग हुई।
"बहु इस समय ? "
"हाँ अम्मा ।"
"पर क्यों ?"
"आप से मिले बिना आपके आर्शीवाद के बिना मै अपना नया जीवन कैसे शुरू कर सकती थी ।"
आँखों में जैसे रूका हुआ सैलाब बह गया ,मिताली को गले लगाकर वो जोर से रो पड़ी ,पता नहीं कितने दिनों का बांध था जो टुट गया ।अम्मा के आँसुओं से मिताली का मन चित्कार करने लगा।उसनें अम्मा को सम्भाला और बोली...
"अम्मा आज रो लिए आप पर अब नहीं ।"
इतने में कमला की वही कर्कश आवाज सुनाई दी।
"नीलेश नीलेश यहाँ क्या कर रहा है?"कर्कश आवाज से कमला चिल्लाई।बहू को क्यों लाया यहाँ ?"
"अम्मा से आर्शीवाद लेने औऱ मिताली को ये कमरा दिखाने ।आखिर आप को भी तो यहीं रहना है अम्मा की तरह ।चलो मिताली अम्मा को आराम करने दो,कल उनको मेरे साथ मंदिर जाना है ।"
ये सुन कमला जैसे धरातल पर गिर गई।
औऱ मुस्कुराते हुए मिताली ने पति की तरफ गर्व से देखा ।
अम्मा की आंखों में अब भी नमी थी घर में सचमुच लक्ष्मी आ गई।
मौलिक रचना
दिव्या राकेश शर्मा
देहरादून।