mara sapana no mahemood part-3 in Gujarati Adventure Stories by Deeps Gadhvi books and stories PDF | મારા સપના નો મહેમુદ ભાગ-3

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મારા સપના નો મહેમુદ ભાગ-3

मे चाचा चाची और उनके बच्चो को लेकर घर को आया।
जहा लाला और मनोहर चाचाजी जोकी वेह मेरे पीताजी के काफी अछे दोस्त थे।
लाला बोला आइ गवा बचवा;
जी हा शेठ आ गये और चाचाजी के पुरे परिवार को साथ लाया हु।
अरे बचवा ई शेठ शेठ का कहत हो;अब तो हम तुम्हारे ससुर लगत हे;तनीक हमका पीताजी बुलाई लो जोकी हमरी बेटी भी हमको पीताजी कहत हे।
ठीक हे लालाजी अब हम आपको पीताजी कहेके बुलाऐंगे।
लाला ने चाचाजी बोला की मंगनी की तैयारी करते हे; पंडित ने इस महिने का मुर्हुत नीकाला हे।
चाचाजी बडे आदर्श से बोला हे ठीक हे शेठ जी जेसा आप ठीक समजे।
मेरी सगाई तीन दिन बाद होने वाली थी कींतू उसके पहेले मुजे कीशोरी लाल के घर जाना था क्युकीं उसके बा-बाबुजी की साल गीरा थी।
मे ईस रविवार को सालगीरा के न्योते पर सामील होने को गया।
सालगीरा मे मेरी होनेवाली दुल्हन को भी ले गया था;उसके पीताजी की रजामंदि से।
सालगीरा बडि धुम धाम से मनाइ जा रहि थी;मे और मेरी होने वाली पत्नी खुब खुश हो रहे थे।
जब सिलगीरा खत्म हुइ तब मे कीशोरीलाल से मीला।
और कीशोरीलाल क्यां हाल चाल हे बतावा हो।
अरे भैये ऐक दम खुश हे मजे मे हे;अपनी सुनावा हो।
अरे हम तो ऐक दम बडिया हे;जरा इन्से मीलीये यह हे तुम्हारी होने वाली भाबी।
अरे का कहत हो भैया।
जी हा सहि कहत हे रे।
चलो अच्छा हमरे से पहेली हि शादि का इरादा बनाई लीया नहि।
अरे हमको भी नहि मालुम था भैया की ऐसा दिन हमरे नशीब मे भी आऐगा।
अच्छा शुनो तुम जाके बा-बाबुजी से मील लो तब तक मे और कीशोरीलाल कुछ गुफ्तगु करले।
मेरी पत्नी बा-बाबुजी से मीलने चली गई और मेने कीशोरीलाल को वोह सीवाजी पार्क वाली वारदात को बताया।
कीशोरीलाल कुछ सोच रहा था।
मेने बोला अबे ओ कहा को खो गया हे रे।
अरे कहि नहि खोया हु;अच्छा सुन अब कब जाना हे उसको ले कर के।
पता नहि यार मुजे कुछ बताया नहि हे।
अच्छा तो ऐक काम कर मे और कुछ पुलीस वाले भेष बदल के तुम्हारी टेक्सी के आगे पीछे घमेंगे और जब वोह तुम्हे कहि ले जाऐ और स्मगींग की हेराफेरी करे उसी वक्त हम उसको रंगे हाथ लपेटेंगे।
वाह उस्ताद आईदिआ वाकेई मे काबीले तारीफ हे।चलो तो मे चलु रात काफी हो चली हे और ससुर मेरा बेसब्री से ईन्तेज़ार कर रहा होगा।
ठीक हे तु निकल कल को मीलते हे और हा भुल कर भी मेरा नाम नहि लेना क्युकी मे पुलीस के भेष मे नहि होउंगा।
चल ठीक हे यार।
मे और मेरी जोरु घर को जाने के लीए निकल पडे उतने मे अपन को वोह बाबु साहेब मीला।
बाबु साहेब बोला अरे ओ आसीक यह कौन हे।
अरे बाबु साहेब यहि तो हे वोह जीनके लीये मे उस दिन दिलीप कुमार की फील्म देवदास के माफिक उदास हो रहा था।आओ ना बाबु साहेब आपको छोड दिए देता हु।
चल थीक हे मगर यह सब हुआ केसे।
अरे साहेब इसके पीताजी ने अपने साथ मज़ाक कीया था;दरअसल वोह जो दुल्हा पसंद कीया था वोह मे हि था।
अच्छा मज़ाक कीया तेरे साथ रे;एक काम कर मुजे यहि छोड दे;और यह ले पैसे।
अरे ना ना बाबु साहेब आज हम थोडि ना कोई धंधे पे नीकले थे;आज तो हम युहि सहेर करने को नीकले थे; आप अपने पैसे वापसको लीजीए।
चल थीक हे और सुन कल रात को नौ बजे वर्सोवा ब्रीज के पास चलना हे;टाईम से आ जईयो।
जी बाबु साहेब आ जाउंगा।
मेने शोभा को उसके घर को छोडा और मे घर को जाके सों गया।
सुबह उठ कर नाह धो कर;चाचीजी ने नास्ता बनाया था तो नास्ता करके बच्चो को स्कुल छोड ने जा रहा उसी वक्त एक आदमी मेरी टेक्सी मे बेठा और बोला चलते रहो।
मेने बोला अरे भाई कहा को चलाना हे;कोई ठीकाना बताओ तो चले ना।
पहेले ईन बच्चो को स्कुल छोड दो फीर बताता हु।
थीक हे भैया जैसी तुम्हारी इच्छा।
बच्चो का स्कुल आ गया और बच्चो को स्कुल छोड आने के बाद उस आदमी को मे बोला अरे भैये अब तो बता दे कहा को चल दु तुम्हे लेकर।
अरे क्या रे दिपु अब भी नहि पहेना क्यां;अरे मे कीशोरीलाल हु यार।
अरे भैये तु हे;हमतो समजा कोई और हे।वाह भैया गज़ब का हुलीया बदला हे तुने;और सुनो कल रात को जब मे वापस लोट रहा तेरे घर से तो तबी वो बाबु साहेब मीला और उसने बताया की आज रात नौ बजे वर्सोवा ब्रीज के पास जाना हे।
वाह रे मेरे हिन्दुस्तानी ज़ाबाज क्यां गज़ब की खब़र की दि हे तुने;अगर येह स्मगलर हुवा ना तो तेरे ईनाम के साथ मेरा प्रमोशन भी पका।
अरे भाई हमका कुछ ईनाम नाहि चाहत ई सब तो हमारा धरम हे क्युकी आखीर मे यह देश हमारा हे।
हा यार दिपु तुने पहेले भी बहुत काम कीए हे देश के लीए तब तो तुम बच्चे थे।
जी हा कीशोरीलाल सहि बात हे;चल तो फीर मीलते हे नौ बजे अभी धंधे का टाईम खोटी हो रहा हे।
दोपहर तक टेक्सी चलाके खाना खाने को घरु आया तो देखा की लाला ओनकी बेटी;मनोहर चाचाजी सब बेठे हुए थे;मेने पुछा अरे क्यां बात हे आज सब कठे हुए हे; चाचाजी ने दाव़त दि हे क्यां???
शेठ बोला;लो भैया इन्को तो कुछ मालुम हि नहि हे;और तो और भतीजे को आज काम पर जाने के लीए जरुर उसके चाचा ने हि बताया होगा।
मे बोला अरे नहि नहि हमको कोइ नहि बोला था;हम तो खुद हि अपने काम को जाते हे।
अरे कींतु मालुमात तो कर लेते की आज तुम्हारी और शोभा की मंगनी हे;शेठ मुस्कुराते हुए बोला।
अरे बाप रे,,,हम तो भुल हि गये थे पीताजी की आज मेरी सगाई होने को वाली हे;तो बताइए कब का मुह्रुत हे।
बेटा मुह्रुत तो आज साम चार बजे का नीकला हे;मगर तुम्हे कहि जाना तो नहि हेना।
जी नहि पीताजी मुजे जाना तो हे मगर साडे आठ बजे को।
लाला बोला फीर ठीक हे;चलो तो भैया खाना वाना खाके आते हे।
अरे अरे पीताजी खाना खाने घर को क्युकी जाएगे;यहि खा लोना।
अरे बेटा यह अब हमारी बेटी का घर हे;और कोई बाप बेटी के घर का खाना खाता हे क्या,,!!!
एसा बोल के लाला और लाला की बेटी शोभा घर को गए खाना खाने और मे और मनोहर चाचा सब अपने घर को बेठे।
साडे तीन के आस पास पंडित जी आए और उनके साथ मे लाला और शोभा भी आई।
मे तैयार होके बेठा था और घर के बडो ने रस्म की थाली को एक दुसरे के हाथ मे देने लगे और लाला दो अंगुठीया साथ मे लाया था तो हमने एक दुसरे को अंगुठीया पहनाई और ईस तरह मंगनी की वीधी संपन्न हुई।फीर सब थोडि देर बेठ के अपने अपने घर को चले गए और मे मनोहर चाचा को लेकर स्टेशन को आया और मनोहर चाचा को वहा छोड कर धंधे को नीकल पडा।
साडे आठ बजने वाले थे मे ताज़ होटल से स्टेशन रोड को गया;जहा वोह बाबु साहेब खडा हुआ था।
मे मीटर को नीचे कीया और बाबु साहेब को लेकर वर्सोवा को नीकला;बाबु साहेब ने बोला;अरे ओ मजनु तु मीटर काय के लीए गीराता,,,???
अरे बाबु साहेब वोह रोज की आदत पड चुकी हे ना ईसलीए।
अच्छा अच्छा थीक हे;और बता आज यह नया कप़डा काय को पहेना;कुछ तहेवार हे क्यां आज,,???
जी नहि बाबु साहेब आज को मेरी सगाई हुई हे मेरी महोब्बत के साथ।
वाह जीयो मेरे आशीक़ क्यां बात हे;
"खुश नशीब होते हे वोह लोग जीनको उसका प्यार मीला जाया करता हे; वर्ना हिर रांजे को हि देख लो उन्हे पत्थर खा के भी ना मील पाया उन्हे उनका प्यार",,,,
वाह बाबु साहेब आप शायर भी हो।
जी शायर तो नहि हु लेकीन तुम्हे देखता हु तो अल्फाज़ो को रोक नहि पाता हु।
बाबु साहेब एक सवाल पुछु,,??
हा पुछो पुछो बेशक पुछो,,!!
आपका यह कोनसा कारोबार हे जो रात को हि होता हे,?
अरे ओ आसीक़ हसके दो बाते क्यां करली तु तो सीधा सर पे चढ़ गया हे।
अरे बाबु साहेब नाराज़ क्युं होते हो;मेने तो बस युहि पुछ लीया।
चल अबी गाडि को ब्रेक मार ब्रीज आ गया।
मेने गाडि रोकी और सामने देखा तो एक आदमी काला शुटकेश लेके खडा था और बाबु साहेब वोह शुटकेश ले कर अपनी शुटकेश दे रहे उतने मे कीशोरीलाल ने दोनो को चारो ओर से धेर लीया और दोनो को पुलीस वेन मे बीठाके ले गए।
कुछ दिनो बाद रात को कीशोरीलाल मेरे घर को आया और बोला;अरे यार दिपु तुने तो कमाल हि कर दिया।
क्युं मेने एसा क्यां कर दाला भाई।
अरे वोह जो आदमी था ना वो सब से बडा स्मगलर था और तो और वोह देश के किंमती हिरो की चोरी करवा के वीदेशो मे स्मगलीन करवाता था;और सरकार ने उसे पकडने का दस हज़ार ईनाम भी रखा ता;और वोह मे दस हज़ार साथ मे हि लाया हु;और एक खुशी की बात सुन मेरे कंधे पे जो दुई स्टार थे ना तो तुने एक स्टार बढाके तीन स्टार कर दिया हे;यानीके मेरा प्रमोशन भी हो गया लाले।
वाह कीशोरीलाल यह तो वाकीय मे काबीले तारीफे हे यार;और यह दस हजार का मे क्यां करु; एक काम कर यह पैसे वापस सरकार को दे दे;ईस वक्त देश काफी धाटे मे चल रहा हे।
अरे यार दिपु क्युं घर को आई लक्ष्मी को वापस भेज रहा हे;और कल को तेरी शादि के वक्त काम आएगी ना यार ले ले।
क्यां यार तुभी कमाल हे शादि के नाम से डरा रहा हे; चल थीक हे तु कहेता हे तो रख लेता हु बस।
ईनाम तो मेने ले लीया और शादि भी करली;लेकीन जो पैसे मुजे मले थे उसमे से आधे पैसे यतीम खाने को दे दिया क्युकी यतीम होना क्या हे;वोह मुजसे बेहतर और कौन जान सक्ता हे।
वो ऐक ईन्सानी भेडिया था;जो अपने देश और वतन की भुमी को नौच नौच कर खा रहा था;लेकीन वो कहेते हे ना की जब गीडर की मौत आती हे तो वो शहेर की और भागता हे।
शादि मे बहोतो की मुबारकबाद मीली और मेरे अजीज दोस्त कीशोरी लाल ने कहा की "हम दो और हमारे दो" हि रखना मीया क्युकी आज कल देश की तर्रकी कम और आबादि जादा हे।
अरे भैया कीशोरी लाल सहि कह रहे हो मीया;देश की हालात वाकेय मे नाजुक हे कींतु हमारे जेसे जब तक जींदा हे;तब तब हम देश को तर्रकी बडती रहेगीं।

जय हिंद।

મહેમુદ-વાહ યાર દિપક સ્ટોરી તો વાકેય મે કાબીલે તારીફ હે મીયા.
દિપક-જી હા ભાઇજાન લેકિન કેવલ આપ હિ ઇસ રોલ મે સેટ હો પાએંગે ક્યોંકિ યુ આર માય રોલ મોડલ હિરો,
મહેમુદ-અમા યાર ક્યાં બાતા કરતે હો;આજ સે હિ ઇસ કહાની કો ડાયરેક્શન,પોડ્શન ઔર રોલ ભી મે હિ કરુંગા બસ,
દિપક-જી હુજ્જુર સુક્રીયા હમારી તારીફે નવાજી કે લીયે મગર હમે ભુલ ના જાના કહાની કે બાદ....

એટલા માં મારી દિદિ આવી અને મને જગાડ્યો કે કોલેજ જવા માટે લેટ થાય છે;જલ્દિ ઉઠ;
અને મે ઉઠિ ને જોયુ તો હુ મારી પોતાની દુનીયા ની પાછો આવી ગયો;જ્યાં પ્રેટ્રોલ ના ભાવ આસમાને છે; ટ્રાફિક ની મારા મારી છે;ઇનટરનેટ નુ ધમાકેદાર યુઝેસ થાય છે;જ્યાં ટેક્નોલોજી નો ભરપુર ઉપયોગ થાય છે;અને જ્યાં દેશ રંગો માં વહેચાલો દેખાય છે;કોઇ કહે હુ ભગવો એટલે હિન્દુ;કોઇ કહે હુ લીલો એટલે ઇસ્લામ ને કોઇ કહે હુ સફેદ એટલે ખ્રીસ્તી,અરે મારા વહાલા દેશ વાસીઓ આ ત્રણેય ને ભેગા કરો એટલે આપણો રાષ્ટ્રીય ઝંડો બને અને આ ત્રણેય રંગો એકતા નુ પ્રતીક છે,
આ ત્રણેય રંગો ને જુદા કરીને દેશ ની અખંડતા ને તોડશો નહિ;જ્યારે દેશ ના ભાગલા પડ્યા ત્યારે મુસ્લીમ ભાઇઓ એ આ દેશ પસંદ કર્યો અને આપણે જ એમણે આપણા થી જુદા કેમ રાખી શકિયે,આવો આપણી અખંડતા થી દેશ નુ ઉજ્વલ ભવીષ્ય બનાવીએ અને દેશ ના તમામ મજહબ ને ભેગા રાખી ને ચાલીએ;
મહેમુદ અલી ની આખી લાઇફ દેશ માટે કંઇક સારૂ કરવા માં પુરી કરી ભલે એ એક કોમેડિયન હતા પણ દેશ ના એટલા જ ભક્ત હતા કે જેટલા એ પોતાના મજહબ ના ચાહક હતા;એમના એક એક મુવી માં અથવા એમની શોશીયલ એક્ટીવીટી માં પણ એ દેશ માટે કાર્યશીલ હતા,
એ ધર્મ પહેલા ઇન્સાનીયત ને વધારે માન આપતા અને એ ઇન્સાનીયત ના પુજારી હતા;
આપણે પણ ધર્મ પહેલા એક ઇન્સાનીયત ને પહેલુ સ્થાન આપીએ અને દેશ અને દેશ ના આ સવીધાન ને માન આદર આપીએ.....

ખુશ રહો આબાદ રહો આઝાદ રહો....

સમાપ્ત.......