Shantanu - 9 in Hindi Fiction Stories by Siddharth Chhaya books and stories PDF | शांतनु - ९

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शांतनु - ९

शांतनु

लेखक: सिद्धार्थ छाया

(मातृभारती पर प्रकाशित सबसे लोकप्रिय गुजराती उपन्यासों में से एक ‘शांतनु’ का हिन्दी रूपांतरण)

नौ

“केन आई कोल यु नाओ इफ़ यु आर नोट बिज़ी? कल का वेन्यु फ़िक्स करें?” अनुश्री का मैसेज आया और शांतनु का चहेरा मुस्कुराया|

“वेइट, अभी खाना खा रहा हूँ, थोड़ी देर बाद?” शांतनु ने जवाब तो दे दिया पर उससे ही ‘वेइट’ होने वाला नहीं था इस लिये उसने फटाफट खाना खा लिया और खड़े हो कर हाथ धो लिये|

ज्वलंतभाई को यह सब अच्छा नहीं लगा}

“दिन में एक बार ही इसको शांति से खाना खाने को मिलता है और यह लड़का ऐसे ही खा कर खड़ा हो गया|” ज्वलंतभाईने मन में सोचा पर वो चुप रहे|

शांतनु अपने कमरे में गया और अनुश्री का नंबर डायल किया, पर अनुश्री ने कोल रिसीव करने की जगह काट दिया| शांतनु को आश्चर्य हुआ| पांच मिनट बाद अनुश्री का मैसेज आया|

“डोन्ट कोल मी, हम ऐसे ही बात करते हैं|” पढ़ कर शांतनु को शांति हुई|

“ओके, तो कल डिनर पर कहाँ जायेंगे?” शांतनु ने मैसेज किया|

“मेरी कोई खास चोइस नहीं है, पर तुम और अक्षय जो भी ठीक समझो|” अनुश्री का जवाब आते ही शांतनु ने अपनी मनपसन्द तीन-चार रेस्तरां सोच ली|

शांतनु पहलीबार किसी लड़की को डिनर पर ले जा रहा था और वो भी अपने जनम दिन पर तो होटल भी अच्छी और महंगी होनी चाहिये ना? और अनुश्री के साथ तो उसको और भी आगे बढना था इस लिये शांतनु ने बहुत सोच कर एक रेस्तरां फ़िक्स किया|

“व्होट अबाउट डिनर चिम? नवरंग सिक्स रोड्स के पास?” शांतनु ने मैसेज भेजा|

इस रेस्तरां में शांतनु ने अपने ऑफ़िस की दो-चार डिनर पार्टीज़ अटेंड की थी और उसका फ़ूड उसे बेहद पसंद भी था| हां थोड़ी महंगी थी उससे पर शांतनु को कुछ खास फर्क पड़नेवाला नहीं था|

“वो फायर स्टेशन के सामने है वो ना? कूल तो कल जॉब पर से सीधे ही चलते हैं|” अनुश्री को रेस्तरां पसंद आ गया|

“नो प्रॉब्लम, पर शायद आपको वेइट करना पड़े क्यूंकि शाम को ऑफ़िस में हमें रिपोर्टिंग करते करते साडे सात हो ही जाते हैं, आपको कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगा ना?” शांतनु ने पूछा

“अरे, मैं तो बताना ही भूल गयी, कल सेटरडे है तो हमारा हाफ़ डे है, तो मैं और सिरु तो घर से ही आयेंगे|” अनुश्री ने शांतनु की तकलीफ दूर कर दी|

“ओके, तो कल शाम डिनर चीम पर रात आठ बजे फ़ाइनल ठीक है?” शांतनु ने कन्फर्म करने की लिये पूछा|

“श्योर| पर शार्प आठ बजे, क्यूंकि मुझे और सिरु को दस बजे तक घर पहोंचना होगा, आई एम् श्योर यु अंडरस्टेंड|” अनुश्री ने समय कन्फर्म किया|

“ओक्के डन! व्होट एल्स?” शांतनु को अब ये बात आगे बढ़ानी थी और उसी बहाने अनुश्री के साथ कुछ और समय गुज़ारना था|

“नथिंग, गुड नाईट|” अचानक ही अनुश्री ने बात पर पूर्णविराम लगा दिया और शांतनु बेचैन हो उठा|

शांतनु को अनुश्री से ऐसे रुक्ष जवाब की आशा नहीं थी पर फ़िर सोचा की कल तो अब डेढ़ दो घंटा वो अनुश्री के साथ ही रहने वाला है ना? बस यही सोच कर शांतनु ने अपने मन को मना लिया और अक्षय का नंबर डायल किया|

“तो कल कहाँ ले जा रहे हो भाभी को?” अक्षय हल्लो बोले बगैर सीधे पॉइंट पर ही आ गया|

“डिनर चीम रात आठ बजे शार्प, बाय एंड गुड नाईट|” शांतनु वैसे भी अनुश्री के रुक्ष जवाब से थोडा निराश था और उस पर अक्षय ने हाई हेल्लो किये बगैर सीधे पॉइंट पर आ कर शांतनु के रहे सहे उत्साह को भी मार डाला, पर शांतनु ने कोल कट नहीं किया|

“अरे...अरे...अरे!! क्या हुआ बड़े भाई?” अक्षय को पता चल गया की शांतनु को उसका मज़ाक पसंद नहीं आया|

“नथिंग, जस्ट ऐसे ही तेरी मस्ती कर रहा था, क्या तू अकेला ही मस्ती कर सकता है?” शांतनु ने बात को आगे बढ़ने से रोक लिया, पर मन में अभी भी उसको अनुश्री का नथिंग, गुड नाईट वाला मैसेज चुभ रहा था|

“श्योर भाई, आपको मज़ाक तो क्या मुझे गाली देने का भी हक़ है| पर कल हम आपके घर थोडा जल्दी आ जायेंगे, ऑफ़िस के कपड़ो में यु नो? लडकियों के सामने अच्छा नहीं लगता, थोडा फ्रेश हो कर फिर डिनर पर जायेंगे, क्या कहते हो?” अक्षय ने अपना अनुभव काम पर लगाया|

“नोट अ बेड आइडिया अक्षु, ऐसे ही करते हैं| दाबु सर को बोल देते हैं की आज हम मेरे घर के एरिया में ही है और इस लिये ऑफ़िस वापस नहीं आयेंगे| छ: बजे तक घर आ कर फ्रेश हो कर और कपड़े चेंज कर के ही डिनर चीम के लिये निकलेंगे| वैसे भी पप्पा को तुझे बड़े दिनों से मिलने की इच्छा है, वो कल ही मुझे बता रहे थे, प्लस मेरा बर्थडे भी है तो केक पप्पा के सामने ही काटेंगे?” शांतनु अक्षय का आइडिया मान गया|

“यस, एक पंथ और दो काज|” अक्षय ने जवाब दिया और फिर दोनों ने एक दुसरे को “गुड नाईट” विश कर के कोल कट कर दिया|

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दुसरे दिन सुबह सुबह ही अक्षय ने कोल कर के शांतनु को बर्थडे विश किया और बाद में अनुश्री ने मैसेज कर शांतनु को ऑफ़िस की बिल्डिंग के पैसेज में बुला लिया और विश किया| शांतनु और अक्षय आधा दिन ऑफ़िस में ही रहे और लंच के बाद कुरुश सर को कल के उनके प्लान के मुताबिक शाम को वो ऑफ़िस नहीं आयेंगे ऐसा कह कर ढाई बजे ही ऑफ़िस से निकल गये| वैसे भी दोनों इस महीने के अपने अपने टारगेट पुरे कर चुके थे और इसी लिये मिस्टर कुरुश के पास भी उन्हें मना करने के लिये कोई भी कारण नहीं था|

“कहाँ जायें?” लिफ्ट में घुसते ही शांतनु ने अक्षय से पूछा|

“घर ही चलते हैं, आज मैच है ना?” अक्षय ने आइडिया दिया|

“अरे हाँ, चल वैसा ही करते हैं, घर चलते हैं, पप्पा को भी अच्छा लगेगा और शाम को ऑफ़िस का डिनर है ऐसा कह कर जल्दी निकल जायेंगे!” शांतनु ने अक्षय के आइडिया को दोनों हाथों से स्वीकार कर लिया|

पार्किंग में अपना बाइक लेते हुए साथ वाली जगह खाली देख शांतनु के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी, शांतनु भी शांतनु के स्माइल को समझ गया और उसके चहेरे पर भी एक बड़ी सी मुस्कान आ गयी| दोनों अपने अपने बाइक्स पर सवार हो कर शांतनु के घर पहोंचे|

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“अरे आइये आइये अक्षय भाई, मुझे तो आज ख़ुद को ही देनी पड़ेगी बधाई!” दरवाज़ा खोलते ही शांतनु के साथ अक्षय को देख कर ज्वलंतभाई बोले|

“सिर्फ नहीं चलेगी बधाई, मुझे तो चाहिये मिठाई|” घर में घुसते ही अक्षय बोला और शांतनु फिर से स्माइल करने लगा|

“क्यूँ नहीं अक्षय, मिठाई के साथ नाश्ते का भी नहीं होगा क्षय|” ज्वलंतभाई ने फ़िरसे प्रास बिठाया|

“नाश्ते का समय तो आयेगा आते आते, पहलें करते हैं ढेर सारी बातें|” अक्षय भी शांतनु के घर के बात करने के नियम को भलीभांति पहचानता था|

“बातें करेंगे पर नोर्मल टोन में प्लीज़, और इसीलिये आज शाम तक सबकी तरफ़ से मेरी और से टाइम प्लीज़|” शांतनु ने रिक्वेस्ट की और वो सर्वसम्मति से पारित हो गयी|

अक्षय और शांतनु एक दुसरे के घर में परिवार के सदस्य की तरह ही घुल मील गये थे| ज्वलंत भाई भी अक्षय को शांतनु की तरह अक्षय को अपना पुत्र मानते थे|

इन तीनो के बिच बातें करते, मैच देखते और नाश्ता करते तीन घंटे कहाँ बीत गये पता ही नहीं चला| घड़ी में साड़े छ: बज रहे थे| शांतनु का ध्यान घड़ी की तरफ़ और अपने सैलफोन की ओर ही था| घड़ी की तरफ़ इस लिये क्यूंकि वो कमबख्त आगे ही नहीं बढ़ रही थी और सैलफोन की ओर इस लिये की वो डर रहा था की कहीं अनुश्री का कोल या मैसेज न आ जाये की “शांतनु, आज का प्रोग्राम केंसल!” पर साड़े छ: बजते ही अक्षय का फोन बजा|

“ओह हाई! हाँ हाँ हम पहुँच जायेंगे.. श्योर... ओके...हाँ वहीँ वहीँ.. आप वहीँ खड़े रहियेगा, वैसे तो हम एक दम टाइम पर पहुँच ही जायेंगे|” अक्षय को इस तरह बात करते देख शांतनु को पता चल गया की कोल सीरतदिप का ही था और उसको शांति हो गयी की डिनर कर प्रोग्राम जस का तस ही है|

इन तीन घंटो में ज्वलंतभाई को ऑफ़िस के डिनर के लिये बहार जाना है वो भी बता दिया गया था| अक्षय शांतनु के घर के सामनेवाले केक शॉप से केक ले आया, शांतनु ने केक काटा|

अगले एक घंटे के अंदर ही दोनों दोस्त फ्रेश हो गये और इनफॉर्मल कपड़े पहन कर ज्वलंतभाई को ‘आवजो’ कह कर शांतनु के बाइक पर डिनर चीम रेस्तरां की और रवाना हो गये|

“क्या कहा सीरतदिप ने?” बाइक चला रहे अक्षय को पीछे बैठे शांतनु ने पूछा|

“वो दोनों पोने आठ बजे रेस्तरां के बहार वाले पार्किंग में हमारा इंतजार करेंगी|” अक्षय ने छोटा सा उत्तर दिया|

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पन्द्रह मिनिट में दोनों ‘डिनर चीम’ के पार्किंग में पहुँच गये| एक तरफ़ अक्षय बाइक पार्क कर रहा था और दूसरी ओर शांतनु पार्किंग में अनुश्री को ढूंढ रहा था पर वो दोनों अभी तक आयी नहीं थी|

“अभी तक आयीं नहीं|” बोलते हुए शांतनु ने फ़िरसे पार्किंग को अपनी आँखों से स्केन किया|

“चिल्ल...भाई आ जायेंगे, आ जायेंगे|” अक्षय ने अपनी हेलमेट बाइक में लोक करते हुए कहा|

“पर सात पचास होने को आयी|” शांतनु अभी भी पार्किंग में अनुश्री को ढूंढ रहा था|

“होता है होता है भाई| यह आपका पहला अनुभव है| अक्षयने आँख मारी और जवाब में शांतनु भी थोडा मुस्कुराया|

जैसे जैसे आठ बज रहे थे डिनर चीम में लोगों का आना बढ़ रहा था| शांतनु ने पार्किंग में ही इधर उधर चक्कर काटे और अचानक ही उसका ध्यान रास्ते पर गया जहाँ एक ओटो आ कर रुका| शांतनु ने पहेले उसमे से सीरतदिप को उतरते हुए देखा और उसके पीछे अनुश्री भी ओटो से नीचे उतरी और शांतनु की जान में जान आयी| अनुश्री जब ऑटोवाले को पैसे चूका रही थी तब सीरतदिप ने अक्षय और शांतनु की ओर देख कर अपना हाथ हिलाया, उन दोनों ने भी जवाब में अपने अपने हाथ हिलाये| अनुश्री की पीठ इन दोनों की ओर थी|

सीरतदिप ने लाईट ब्ल्यू रंग का टाईट जिन्स और सफ़ेद रंग का शर्ट पहना था, अक्षय उसको टकटकी बांध कर देख रहा था|

अनुश्री ने ऑटोवाले को पैसे दिये और फ़िर अक्षय और शांतनु की ओर घूमी और शांतनु का दिल एक धडकन चुक गया| दो दिन तक शांतनु ने अनुश्री को सिर्फ़ उसके ऑफ़िस के ड्रेस में ही देखा था पर अभी उसने लाईट ओरेंज रंग का कमीज़ और लाईट पीले रंग का शलवार पहना था| अनुश्री के ड्रेस की बाहें शोर्ट थी और उसकी बोर्डर पर लाल रंग के हीरे चमक रहे थे और उसकी ओढ़नी जो हरे रंग की थी उसकी बोर्डर पर ही ऐसे ही हीरे चमक रहे थे| खुले बालों में अनुश्री का सुंदर चहेरा और भी सुंदर दिख रहा था, शांतनु को लगा की आज उसने तैयार होने में काफ़ी समय लीया होगा और जो दस मिनिट उसने अनुश्री का बेसबरी से इंतजार किया था उसका फल अभी उसको अनुश्री को देख कर मिल रहा है|

“हाई शांतनु| ऑफिशियली हेप्पी बर्थ डे टू यु|” शांतनु के करीब आते ही अनुश्री ने अपना हाथ बढ़ाया|

“थेंक्स, कैसी हो आप?” अनुश्री के रूप से चकाचोंध हुआ शांतनु ने उसका हाथ पकड़ा और उसको लगातार हिलाता रहा|

थोड़ी देर हो गयी और अनुश्री को अपना हाथ छुड़वाना था पर शांतनु छोड़ ही नहीं रहा था| सीरतदिप से बातें करने में व्यस्त अक्षय का ध्यान अचानक ही इस ओर गया|

“चलिये उपर चलें?” अक्षय ने शांतनु की ओर देख कर ज़ोर से कहा|

शांतनु अक्षय का इशारा समझ गया और उसने तुरंत ही अनुश्री का हाथ छोड़ दिया| बाद में सीरतदिप ने भी शांतनु को बर्थडे विश किया|

“हाँ हाँ क्यूँ नहीं|” शांतनु भी अपनी उस हरकत से शर्मिंदगी महसूस कर रहा था|

क्रमशः