Milarepa - ek hatyara buddh in Hindi Spiritual Stories by Ajay Amitabh Suman books and stories PDF | मिलारेपा:एक हत्यारा बुद्ध

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मिलारेपा:एक हत्यारा बुद्ध

ऐसा माना जाता है कि इतिहास में जो भी बुद्ध पुरुष हुए हैं उनलोगों में छोटी उम्र से ही असाधारण गुण के दर्शन होने लगे थे। गौतम बुद्ध बचपन से ही बहुत ही दयालु स्वभाव के बच्चे थे।जहां तक कृष्ण की बात की जाती है तो उनके बारे में अनगिनत कथाएं हैं। कृष्ण ने बचपन से ही असाधारण ताकत और प्रतिभा का परिचय दिया। जीसस क्राइस्ट के बारे में भी अनगिनत कथाएं हैं । उनका जन्म हीं ईश्वर की पवित्र आत्मा और कुवारी कन्या मरियम से हुआ था। जीसस के बारे में जॉन ने गवाही दी थी कि ये मसीहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि जितने भी बुद्ध पुरुष हुए हैं उनमें आसाधारण गुण बिल्कुल बचपन से ही परिलक्षित होने लगे थे । इतिहास में इस तरह की घटनाएं कम दिखती है जहां पे एक हत्यारा बुद्धत्व की ऊंचाई तक पहुंचता है।


इसी तरह की घटना 11 वीं शताब्दी में तिब्बत में घटी थी।मिलारेपा नाम का व्यक्ति तिब्बत में हुआ था। उसका जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था। उसके पिता धनी व्यक्ति थे। जब वह छोटा था तब पिता की मौत हो गई। उसके सर से पिता का साया उठ गया। उसके पिता की मृत्यु के बाद उसकी सारी धन-संपत्ति उसके चाचा के पास चली गई। मिला रेपा का चाचा उसे बहुत कष्ट देता था। इस तरह से मिलारेपा का जीवन अपने पिता की मृत्यु के बाद बहुत कष्टप्रद हो गया था।


मिलारेपा की मां ने उसे तंत्र की साधना के लिए घर से बाहर भेज दिया। जब वह तंत्र का ज्ञान लेकर घर लौटा तो उसने देखा उसकी मां और उसकी बहन की मृत्यु हो चुकी है। वह समझ गया कि यह काम उसके चाचा का ही है। उसके मन में चाचा से बदला लेने की भावना भड़क उठी। मिलारेपा उचित समय का इंतजार करने लगा। कुछ ही दिनों में उसे यह मौका मिल गया जब उसके चाचा की बेटे की शादी होने वाली थी। उसने इंतजार किया और जब शादी हो रही थी तो उसने अपने तंत्र की साधना से बहुत भयंकर बर्फ की बारिश करवा दी। इस घटना में उसके चाचा के पूरा परिवार समेत लगभग 80 लोगों की मौत हो गई। मिलारेपा का बदला पूरा हो गया था।


उस समय तो मिलारेपा को यह सारी बातें अच्छी लगी लेकिन कुछ दिनों के बाद उसकी आत्मा मिलारेपा को कचोटने लगी।उसके मन मे अपराध का भाव भर गया था। वह अनेक गुरुओं के पास गया लेकिन किसी गुरु ने उसे यह नहीं कहा कि इसी जन्म में उसको बुद्धत्व की प्राप्ति हो सकती है। अंत में मिलारेवा को उसके गुरु मारपा मिले।


ऐसा कहा जाता है कि उसके गुरु मारपा ने मिलारेपा से बहुत कठिन परीक्षा ली। मारपा जान रहे थे कि मिलारेपा की आत्मा अपराध भाव से ग्रसित है। इस कारण से उन्होंने मिलारेपा को कठिन परीक्षा से गुजारा। सबसे पहले मारपा ने मिलारेपा से कहा कि उन्हें तीन तल्ला मकान चाहिए। जब मिलारेपा पानी तीन तल्ला मकान बना दिया तब उनके गुरु ने कहा कि अब 4 तल्ला मकान चाहिए। जब मिलारेपा ने 4 तल्ला मकान बना दिया तो उनके गुरु ने कहा अब पांच तल्ला मकान चाहिए। इस तरह से मिलारेपा का पूरा जीवन मकान को बनाने और तोड़ने में गुजर रहा था। मिलारेपा का कष्ट देकर उसके गुरु मारपा की पत्नी में दया की भावना जाग उठी। मारपा की पत्नी ने मारपा से कहा कि मिलारेपा ने काफी काफी कष्ट उठा लिया है। अब उसे ज्ञान दिया जाना चाहिए।


मारपा ने अपनी पत्नी की बात को सुना और अंत में मिलारेपा को दीक्षा प्रदान की और कठिन तंत्र का मार्ग बता दिया। जब मिलारेपा साधना कर रहा था तब उसे एक डाकिनी के दर्शन हुए हैं और डाकिनी ने मिलारेपा को कहा जाकर अपने गुरु से मेरे बारे में पूछो उसे अवश्य ही मेरे बारे में पता नहीं होगा। मिलरेपा को आश्चर्य हुआ और वह जाकर अपने गुरु मारपा से उस डाकिनी के बारे में पूछा। उसके गुरु मालपा को उस डाकिनी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उससे गुरु समझ चुके थे कि उनका शिष्य अध्यात्म के रास्ते पर उन से भी आगे निकल चुका है।


इसके बाद मिलारेपा और मारपा दोनों के दोनों भारत में अपने गुरु नारपा के पास आए। मिलारेपा और मारपा ने भारतीय संत नारपा के पास आकर उनसे अध्यात्म की सर्वोत्तम शिखर की शिक्षा ली। भारतीय सिद्ध गुरु नारपा ने मारपा से पूछा कि इस तरह के दर्शन तो तुम्हें नहीं हो सकते हैं। कौन है वो जो डाकिनी की बात कर रहा है? तब मारपा ने अपने शिष्य मिलारेपा को अपने गुरु नारपा को मिलवाया। इस तरह से मारपा को यह बात समझ में आ गई थी कि उनका शिष्य उन से भी आगे निकल चुका है।


भारतीय सिद्ध गुरु नारपा से उन दोनों ने अध्यात्म की ऊंचाई को जाना और फिर दोनों तिब्बत को लौट गए। लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि इस बार मिलारेपा शिष्य के रूप में नहीं बल्कि अपने गुरु मारपा के गुरु के रूप में तिब्बत लौटा।


यह घटना बड़ी आश्चर्यजनक घटना है। हालांकि इतिहास में ऐसी बहुत सारी घटनाएं घटी हुई हैं कि अपराधी अध्यात्म की ऊंचाइयों को छूता है। महर्षि वाल्मीकि, महर्षि बनने से पहले रत्नाकर डकैत थे और उनका आजन्म लोगों की हत्या और लूट में गुजरा था। अंगुलिमाल भी जीवन भर लोगों की हत्या करता रहा और अंत में गौतम बुद्ध के प्रभाव से उसका हृदय परिवर्तित हुआ और वह बौद्ध भिक्षु बन गया। पर मिलारेपा की घटना अपने आप मेरा अनूठी है।


मिलारेपा के मन में एक हत्यारे का हृदय था। उसने अपने चाचा के पूरे परिवार सहित 80 लोगों की हत्या कर दी थी। वाल्मिकी और रत्नाकर भी उसकी तरह हत्यारे थे लेकिन उन्होंने बुद्धत्व की शिखर को नहीं छुआ था। मिलारेपा अपने आप में मिसाल है । ना केवल उसने अपनी आत्मा को अनेक कष्टों से गुजारा बल्कि अपने गुरु द्वारा दी गई अनेक यातनाओं को झेलाकर अपनी आत्मा को पवित्र किया। अन्त में अध्यात्म की राह पर अपने गुरु से भी आगे निकल गया। इस तरह से यह एक अद्भुत घटना है जहां कोई शिष्य अध्यात्म की राह पर अपने गुरु से अत्यंत नीचे होते हुए भी अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प के बदौलत अपने गुरु से भी आगे निकल गया। मिलारेपा जो अपने गुरु मारपा का शिष्य था, जब वह भारत से लौटा तब अपने गुरु मारपा का गुरु बन चुका था।


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