beti ghar ke aagan ka panchhi ?? in Hindi Poems by Shaimee oza Lafj books and stories PDF | बेटी घर के आंगन का पंछी ??

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बेटी घर के आंगन का पंछी ??

1.                                    बेटी 
बेटी एक भगवान का दिया हुआ वरदान होती हे. 
न जाने ए  दरिंदा समाज कितनी बेटियाँ खा गया लडके की चाहत में.......... 

बेटी घर का कलरव होती है पर जब उसका समय आता हे तब बिचारी गाय भी बन जाती हे नाथ जाने ए समाज दरिंदा कीतनी बेटियाँ खा गया लडको की चाहत में........ 

हम सान से दुगाँ काली मा की पुजा करते हैं और गभँपरीक्षण  कर कर के न जाने दरिंदा समाज कीतनी बेटियाँ खा गया लडको की चाहत में........ 

कीतनी नाजुक होती हे अपनी पसंद की छोटी सी चीज भी मिल  जायेगी तो पुरा घर खुशी से पागल कर देती है.पर मा बाप की ख़ुशी के लिए अपने ना पसंद इन्सान के साथ पुरी चुपचाप बीताती है.... न जाने कितनी बेटीयां खा गया होगा अे दरिंदा समाज लडको की चाहत में..... 

बेटी चिडिया की तरह होती है जब उसे अपना घोषला मिल ही जाता है तो एक दिन अपना आगन सुना करके चली जाती है न जाने वो बिचारी कयों जन्म से पहले मारी जाती है..... 

बेटी को बोलता है की तु पराये घर की अमानत हे और ससुराल वाले उसे दुसरे घर से आयी हुइ कहते हैं तो हम लडकीयो का घर कोनसा न जाने कयुं बेटीयां जन्म से पहले मारी जाती है लडको की चाहत में....... 

भगवान जब हमपे प्रसन्न होते तब भी बेटी के रूप में एक परी आती है पर न जाने ए दरिंदा दरिंदा समाज कितनी बेटियाँ खा गया लडको की चाहत में ???

बेटियाँ कितनी प्यारी होती है घर के आगन को कलरव से हराभरा करती है नुपुर के रनकार से भी पर जब उनकी बिदाई की घड़ी में अपने दिल में छाप आंखो मे अांसु छोड जाती है.. न जाने ए दरिंदा समाज कितनी बेटियाँ खा गया लडको की चाहत में......... 

समाज मे बहु सबको चाहिए पर बेटी कयुं न ए नहि समझता समाज की बेटी ही नहीं होगी तो वंश केसे बढेगा तेरा बेटा कया पुरी जिंदगी मच्छर मारेगा न जाने ए दरिंदा समाज कितनी बेटियाँ खा गया लडको की चाहत में...... 

बेटी के बिना अे घर और दुनिया दोनो अधुरा है.........


beti bachavo bhrinhatya gunah he........ I 


Shaimee Prajapati 
Gujarat 

2.
BAHENE AND BETIA

bhut khush nasib hote He vo log jinki aek bahen hoti he....  
rab ne baut khub Kia He bahen  Or betia deke... 
n jane log kyu bahne or betia pasand n Karte 
khush nasib hote He vo log jinki khud KI aek bahen hoti He... 

aek ham safar hoti he bahn or betia 
kudrat ka dursa rup hoti He betia and sis 
khush nasib He vo log ki jinki khud ki aek bahen hoti he.... 

aek döst ki Tarah hoti he bahan or betia 
n jane log patni sab chate He par bahan ya betia n chahte.... 

ghar ka taj hoti He betia and bahan 
Payal ka khankhanat hoti He bahan Or betia khushnasib hote He vo log jinki khud ki bahan hoti He..... 

ghar ka agan ka killol hoti He Jo aek din ud jati he apni yad chhod kar jati he n Jane vo kyu mari jati he is dunia me aane se pahle... 
khushnasib He vo log jinki khud ki bahan hoti he... 

sav log apne bete ke lie bahu to chate he par bevkofo khud ki beti kyu n chate... n jane bichari gudia is dunia me aane se pahle hi Mari jati He....... 

Ma Bap kahte He ki beti paraya dhan He..
sasural Vale kahte he ki dusre ghar se aayi ae dunia valo muje aeto batao ham ldkio ka asli ghar konsha He..... 

hamari sankat samay ki chabi hoti He bahan 
or kudrat ka dusra rup hoti He beti n Jane log kyu n chahte beti  bichari ane se pahle ki kyu mari jati he ??

khush nasib He vo log jinki khud KI bahan hoti He jab bhagvan hamse jyada prasan hote He tab hamko ae beti ke rup me tofa dete he 
n Jane log kyu betia n chahte ?

       -shaimee Prajapati  

3.

                          मेरी परी(बिदाई गीत) 

एक दिन आयी थी और मासुम या चहेरा लेके आयी थी मेरी परी,नन्हें हाथ नन्हा मुह था और अपने काले घेले भाषा से सुने घर को भर देती थी मेरी परी...... 

भगवान का अनमोल तोफा है दिया मुझे खुद मा अवतार लेके आयी और तेज भी इतना था धीरे धीरे कब बडी हो गई पता ही न चला और समय इतना कैसा तेजी से गया मेरी परी पाठसाला मे जाने लगी वहा भी वो अपना नाम बना गइ मेरी परी....... 

कोलेज मे भी अपनी पहचान बना गइ मेरी परी सब से अलग थी .कुछ खास बात थी उसमे उसने अपने टेलेनटसे तो सब को दिवाना बना दिया मेरी परी .......

धीरे धीरे मेरी परी बडी हो गई एक दिन कीसीकी दुल्हन कब बन जायेगी  पता ही नहीं चलेगा एक दीन हमारे आगने को सुना करके कीसीके आगन का शोभा बन जायेगी मेरी परी...... 

सोन चीडया उडकर आंगन सुना कर देगी परी हमारा आगन सुना करके कीसीकी बहु पत्नी की बन कर अेक दिन भर हमारा आगन सुना करके चली जायेगी मेरी परी........ ?

wrtiten by shaimee Prajapati gujrat 

(ae poerty mene apne idea se likhi he kisiki copy n ki he....... )


4.

                          अधुरा ख्वाब 

मेरा दुनिया मे आने का ख्वाब एेक कागज के पाने मे रह गया 
मेरा सपना था कीसीका आगन मे अपने किललोल से हरा भरा कर दु पर मे तो इस दुनिया में आने से पहले ही मार दिया गया मेरा अधुरा ख्वाब मेरी आह मे बदल गया...... 

मेरे कीतने अरमान थे परीवार मे जन्म से लेके मृत्यु तक रहना था पर लडके की चाहत में मे कुख  ही मारी गइ.  मेरा अधुरा ख्वाब मेरी आह मे बदल गया 

मा, पत्नी  सबको चाहिए था लेकिन बेटी कीसीको न चाहिए हरामी समाज कयुं न समजता की बेटियाँ ही न होगी तो बेटो के लिए घंटा कया घंटा लावोगे इस समाज ने लडके की चाहत में मेरा ही बली दिया मेरा अधुरा ख्वाब मेरी आह चीको मे बदल गया........ 

दादी, मा, तुम भी कीसीकी तो कसीकी बेटी ही हो तो आप समाज के वाहियात रुलसमे आके आप केसे अेक औरत होके बेटी को मार सकती हो एक बेटे की आड मे, मेरा अधुरा ख्वाब मेरी आह मे बदल गया...... 

मेरा भी खाब था जीने का खुली हवा में उडने का कीसीका कीसीकी खाइश कीसीकी आगन का तारा बनननेका पर अे वैसी दरिंदा समाज बेटे की आड में मेरा ही बली ले गया. मेरे अधुरा ख्वाब मेरी आह मे बदल गया....... 

मेरा सपना था की भाई को साथ खेलने का, शरारते करके सबको भगानेका, पर भाइ को लाने के चक्कर में आपलोगो ने मेरेरुपी काटे को हटा दिया एक समाज के लिए, मेरा दुनिया देखना का अधुरा ख्वाब मेरी आह मे बदल गया....... 

मेरा ख्वाब था कि दुनिया में आनेका कुछ करके आपके तीन कुल का नाम उजाडती आपलोगो की नामना बढ़ती खेर आपलोगो ने भाइ की चाहत में मुझे ही खा गया ए दरिंदा समाज ने मेरा अधुरा ख्वाब मेरी आह मे बदल गया... 

आप सब पापमे भागीदार हे वो कसाई डोकटर मुझे पैसे लालच मे काटता रहा पर कोइ मुजे बचाने आगे न आया मेरी यही गलती की मे लडकी हु  सालो ने मेरा अधुरा ख्वाब मेरी आह मे बदल गया 

ए दरिंदा समाज ने बडे बडे भाषण देते है और मेरे जेसी कीतनी बेटियाँ को आने से पहले ही मार देता है मेरा उल्लास अधुरा ख्वाब मेरी मौत बदल गया.......... 

मे दया  और रहम की भिख  मागती रही मे मे रोती रही चिल्लाती रही पर कोइ आगे न आया मेरी यही गलती की मे लडकी हु मेरा अधुरा ख्वाब मेरी आह चीको मे बदल गया......... 

wrtiten by shaimee Prajapati gujrat 


(ae meri maulik rachna he mene kisika anukarn n Kia He)
 Aek pet me pal rhi beti ki pukar.. I save female child....