Shantanu - 6 in Hindi Fiction Stories by Siddharth Chhaya books and stories PDF | शांतनु - 6

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शांतनु - 6

शांतनु

लेखक: सिद्धार्थ छाया

(मातृभारती पर प्रकाशित सबसे लोकप्रिय गुजराती उपन्यासों में से एक ‘शांतनु’ का हिन्दी रूपांतरण)

छ:

“ओह ओके!” शांतनु ने मुस्कान के साथ जवाब तो दीया, पर अनुश्री का हाथ अभी भी उसके सामने था वो उसके ध्यान में नहीं आया वो तो सिर्फ उसका चेहरा ही देख रहा था जिसमे अजीब सा चुंबकीय आकर्षण था|

लंबा सा चेहरा, बड़ा ललाट, तीखी सी नाक, ज़्यादा पतले नहीं ओर ज़्यादा भरे हुए भी नहीं ऐसे होंठ, पर अनुश्री के मात्र चेहरे का ही नहीं परन्तु उसकी सुंदरता का संपूर्ण यूएसपी थी उसकी बड़ी बड़ी आंखे, जो अनुश्री से ज़्यादा बातें करती थीं| अनुश्री मांग बीच में नहीं पर एक तरफ लगाती थी इस लिये उसके सर से एक लट बार बार उसकी उन बड़ी बड़ी आंखो के सामने आ जाती थी, ओर वो उसे बार बार अपनी दो उंगलियों से हटा कर अपने कान के पीछे डाल देती थी ओर उसकी इसी ‘अदा’ ने शांतनु को अब तक पागल बनाये रखा था, पर फ़िलहाल वो उस पागलपन में ज़रुरी एटिकेट भूल रहा था|

एक लड़की ने अपना हाथ उसके साथ मिलाने के लिये उसके सामने किया था ओर शांतनु को उसका ज़रा भी ख्याल नहीं था| पर अक्षय का ध्यान इस पर ज़रूर गया और उसने टेबल के नीचे अपना पैर शांतनु के पैर के साथ टकराया ओर शांतनु का ध्यान उसकी ओर गया| अक्षय ने आँख के इशारे से शांतनु को अनुश्री के हाथ की ओर देखने को कहा| शांतनु को तुरंत ही ख्याल आ गया और उसने अनुश्री का हाथ पकड़ लिया, पर एकदम ढीलीढाली पकड़ से क्यूंकि वो अभी भी नर्वस था| अगर इस वक्त अनुश्री की जगह उसका कोई क्लायंट होता तो शांतनु ने उसका हाथ एकदम टाईट पकड़ा होता|

“मैं समरसेट न्यू लाइफ इंश्योरेंस प्राइवेट लिमिटेड़ में सिनियर इंश्योरेंस एडवाइजर हूं!” शांतनु ने अनुश्री की ओर देख कर कहा|

“ओर मैं भी| अक्षय भी इस चर्चा में जुड़ा ओर उसने सिरतदिप की ओर देखा, बदले में सिरतदीपने सिर्फ़ केज्युअल स्माइल दिया|

“अच्छा... मैं आज ही आपकी ऑफ़िस के सामने नवयुग में एज़ अ कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव्ज़ टीम लीडर की पोस्ट पर ज्वाइन हुई हूं| कल इंटरव्यू था...आई थिंक कल पार्किंग में मैंने आपसे ही अड्रेस पूछा था, राईट?” अनुश्री एक साँस में इतना सब बोल गई|

“जी... जी... जी... पर लगता है आप का काम अब तक शुरू नहीं हुआ है|” शांतनु ने तुंरत ही बात को बदल दिया क्यूंकि उसको डर था की कहीं अनुश्री को कल की बीड़ी वाली बात याद न आ जाये|

“अरे हां! कल एक्च्युली अच्छा मुहूर्त था तो सर ने ओपनिंग तो कर दिया पर अभी भी फर्नीचर का थोडा सा टचअप बाकी है, प्लस आपको तो पता चल ही गया होगा की स्टेशनरी ओर दूसरी इम्पोर्टेंट चीज़े भी अब तक नहीं आयी, इसीलिए सर ने कहा की आज सब ब्रेक ले लो कल से रेग्युलर काम शुरू करेंगे, इसीलिए मैंने सिरु को यहाँ बुला लिया| वो यहीं स्वस्तिक क्रोस रोड्स पर एक एड एजंसी में इंटरव्यू के लिये आयी थी तो मैंने सोचा एक कप कौफी साथ में पी लेते हैं और फिर एकसाथ ही घर चलते हैं!” एक साँस में बोलना शायद अनुश्री की आदत थी ओर वो कुदरती रूप से ऐसे ही बोलती होगी| कुछ भी हो पर इतनी देर में ही शांतनु उसकी आवाज़, उसके बोलने के अंदाज़ ओर उसके चेहरे से ऑलरेडी मंत्र मुग्ध हो चुका था|

“स्वस्तिक क्रोस रोड्स पर कौन सी जगह?” अक्षय ने सीधे सीधे सिरतदीप को ही पूछ लिया|

सिरतदीप के लुक्स एक टिपिकल पंजाबी सिख लडकियों जैसे ही थे, पर उसकी ऊंचाई एवरेज सिख लडकियों से बहुत कम थी|

“ग्लेम एड में|” सिरतदीप को शायद अक्षय की इन्क्वायरी पसंद नहीं आयी इसलिये उसने ऐसे ही जवाब दे दिया|

“किसने? जयेशभाई ने इंटरव्यू लिया?” अक्षय ने बाउंसर डाला ओर सिरतदीप चौंक उठी|

“हाउ डू यु नो हिम? डोन्ट टेल मी की आप उन्हें पहचानते हैं!” अचानक से सिरतदीप के चेहरे के भाव ही बदल गये|

“वो मेरे पड़ोसी हैं, नेबर यु नो?” अक्षय ने किसी विजेता की अदा से जवाब दिया|

“सिरु!!” अनुश्री भी एकदम आनंद में आ कर बोली|

अक्षय द्वारा बातचीत का दौर संभाल लेने से इस तरफ शांतनु को तो अब जैसे अनुश्री को टिकटिकी लगा कर देखने का लाइसेंस ही मिल गया था और वो उसे लगातार देख भी रहा था|

“ऑ वाऊ| क्या आप मेरा नाम उन्हें रेकेमेंड करेंगे प्लीज़? प्लीज़... प्लीज़...प्लीज़... आई बेडली नीड़ दिस जॉब|” अब सिरतदीप अक्षय के कंट्रोल में थी|

“क्यों नहीं? व्हाय नोट? एक मिनट|” बोल कर अक्षय ने अपने शर्ट के पॉकेट से अपना सैलफोन निकाला ओर किसी का नंबर डायल कर के खड़ा हुआ ओर दरवाज़े की ओर चल पड़ा|

शांतनु, अनुश्री ओर सिरतदीप तीनो एकसाथ उसकी ओर देखने लगे... दो तीन मिनट बाद अक्षय उनकी ओर वापस आया|

“मिस सिरतदीप बाजवा राईट?” अक्षय ने सिरतदीप से पूछा, वैसे जयेशभाई से दो-तीन मिनट बात करने के बाद ओर अनुश्री द्वारा इंट्रोडक्शन करवाने के बाद अक्षय को सिरतदीप के नाम के बारे में जानकारी तो थी ही पर किसी जान पहचान वाली या अनजान लड़की के सामने अपनी धाक कैसे जमानी है उस कला में अक्षय माहिर था|

“हां एक्जेक्टली|” सिरतदीप ने उत्साहित हो कर जवाब दिया|

अक्षय फिर से दरवाज़े की ओर चला ओर फिर से अपने सैलफोन से बतियाने लगा और लगभग आधे मिनट बाद वापिस आया| उसके चेहरे पर विजयी मुस्कान थी ओर सिरतदीप अब नर्वस लग रही थी| शांतनु ओर अनुश्री अक्षय की ओर देख रहे थे|

“क्या हुआ?” सिरतदीप से अब नर्वसनेस सहेन नहीं हो रही थी|

“आपका काम तो हो जायेगा पर आप को थोड़ा सा कोम्प्रोमाईज़ करना पड़ेगा|” अक्षय ने कहा|

“मतलब?” सिरतदीप ने सवाल किया|

“मिस बाजवा, मुझे ज़्यादा तो पता नहीं है पर जयेशभाई की बातों पर से उतना तो पता है की पूरे भारत में ग्लेम एड का कितना बड़ा नाम है| अगर आपने अपनी एक्सपेक्टेड सेलरी में से अगर तीन से चार हज़ार कम करेंगी तो कल सुबह दस बजे आप जब जयेशभाई को मिलने जायेंगी तो आपका अपोइंटमेंट लेटर सिर्फ दस मिनट के अंदर अंदर आपके हाथ में होगा|” अक्षय जिस आत्मविश्वास से बोल रहा था वो देख कर अब शांतनु को डर लग रहा था, कहीं सिरतदीप को इम्प्रेस करने में वो उसका और अनुश्री का ‘केस’ न बिगाड़ दे|

“हमम... मैं थोडा सोच कर बताऊँ तो? शाम को अनु से डिस्कस कर लूँगी| मैं कभी भी कोई भी बड़ा डिसीजन उसे पूछे बगैर नहीं लेती|” सिरतदीप थोड़ी अनिश्चित लग रही थी|

“कोई बात नहीं, मैं भी बड़े भैया से बगैर पूछे कोई भी इम्पोर्टेंट निर्णय नहीं लेता, बस जब भी आप कोई डिसीजन लें बस एक बार मुझे कॉल ज़रूर कर दीजियेगा, ये लीजिये मेरा कार्ड|” अक्षय ने अपना बिज़नेस कार्ड सिरतदीप के सामने बढ़ाया|

शांतनु तो पूरी तरह कन्फ्यूज्ड हो गया था, उसको पता नहीं चल रहा था की वो ओर अक्षय उसके लिये यहां आये थे ओर अक्षय अचानक ख़ुद का ही ‘सेटिंग’ करने में बिज़ी हो गया|

“वाऊ, आई एम इम्प्रेस्ड, यु गाय्ज़ आर जस्ट फेंटास्टिक|” अनुश्री के बोलते ही शांतनु के दिल को राहत मिली, पर पूरी नहीं, उसको तो अक्षय से पूछना था की ये अचानक से जयेशभाई नाम का ‘प्राणी’ कहां से प्रगट हुआ?

शांतनु ऐसा सोच ही रहा था की वेइटर ने अनुश्री का ओर्डर सर्व किया|

“आप लोग कुछ ले नहीं रहे?” अनुश्री ने शांतनु की ओर देख कर कहा|

“अब ऑर्डर देंगे ना|” शांतनु ने जवाब दिया|

उस तरफ अब सिरतदीप ओर अक्षय के बीच अलग से कोई बातचीत शुरू हो चुकी थी इसलिये शांतनु और अनुश्री एक दूसरे से बात करने को फ्री थे| शांतनु तो अनुश्री से मिल कर उससे इतनी बातें कर के ही धन्य हो गया था ओर उसे अभी भूख-प्यास जैसा कुछ भी एहसास नहीं हो रहा था| पर फिर भी कैफेवाले को ये न लगे की ये लोग सिर्फ़ टाईमपास करने के लिये आये हैं और खास कर अनुश्री को शक न हो की वो उसका पीछा करने के लिये यहां आये हैं इस लिये उसको कुछ न कुछ ऑर्डर तो देना ही था|

“अक्षय तू क्या लेगा?” शांतनु ने अक्षय और सिरतदीप की बातों में विघ्न डालते हुए कहा|

“अम्मम्म... कैपुचीनो?” अक्षय ने देख लिया था की सिरतदीप ने भी कैपुचीनो ही मंगवाई थी और इन सारी बातों में एक्सपर्ट अक्षय ने इसीलिए वोही कौफी मंगवाई, वैसे कैपुचीनो उसे पसंद थी या नहीं वो अलग बात थी|

“ओके, मैं सिर्फ़ फ्रेश ओरेंज लूँगा|” शांतनु ने अपनी चोइस कही ओर वो ऑर्डर लेने खड़ा हुआ|

“वेइट भाई, आप बैठिये, ऑर्डर मैं दे कर आता हूं|” अक्षय खड़ा हुआ| उसे शांतनु और अनुश्री को किसी भी हिसाब से अलग नहीं करना था|

अक्षय ऑर्डर देने चला गया|

“शांतनु, आप कहां रहते हो?” अनुश्री ने शांतनु से पूछा|

अनुश्री के मुंह से, उसकी अलग पर मीठी सी आवाज़ में अपना नाम पहलीबार सुन कर शांतनु फिर से नर्वस होने लगा, पर उसको अनुश्री के सवाल का जवाब तो देना ही था|

“मैं? सेटेलाइट... रामदेव नगर के पास आश्रम सोसाइटी है न? बस वहीँ सागर टावर्स में, और आप?” शांतनु ने जवाब तो दिया पर साथसाथ अनुश्री का एड्रेस भी पूछ लिया|

“बोपल, सूर्यसंजय हाइट्स रो हाउसीज़ में|” अनुश्री ने जवाब दिया|

शांतनु थोड़ा चौंक गया क्यूंकि कल वो ओर अक्षय इसी सूर्यसंजय रो हाउसीज़ के सामनेवाले बिल्डिंग में ही गये थे|

“अनुश्री हम चलें? मम्मा फ़िक्र कर रही होंगी|” अचानक से सिरतदीप बोली|

“ओह हां| आई थिंक वी शुड मूव नाओ, शांतनु मेरी मम्मा मेरी फ़िक्र कर रही होगी| मैंने तो कब का उनको कह दिया था की मैं ओर सिरु एक घंटे में घर आ रहे हैं| ओर अब तो आमने सामने ऑफ़िस है इस लिये मिलना तो होता रहेगा न?” अनुश्री ने शांतनु की आँखों में अपनी आँखे डाल कर कहा, शांतनु ना कहे ऐसा तो कोई सवाल ही नहीं था|

“श्योर, तो फ़िर कल मिलते हैं|” शांतनु ने ‘कल’ शब्द पर थोडा भार रखा, उसे अब अनुश्री को रोज़ मिलना था, सदा मिलना ही था|

“अरे? आप लोग कहाँ चल दिये?” अक्षय ओर्डर दे कर वापस आया ओर उसने अनुश्री और सिरतदीप को खड़ा होते देखा|

“हमें घर जाने में देरी हो रही है, मैं आपको शाम को कोल करती हूं|” सिरतदीप ने मुस्कुराते हुए अक्षय को जवाब दिया|

“ठीक है, पर नौ बजे से पहले कर दीजियेगा प्लीज़, जयेशभाई रात को ठीक दस बजे सो जाते हैं|” अक्षय ने सिरतदीप को बांध लिया|

“श्योर बाय|” सिरतदीप ओर अक्षय ने हाथ मिलाये|

यह देख अनुश्री से यंत्रवत शांतनु के सामने अपना हाथ आगे हो गया| इस बार शांतनु तैयार था, उसने तुरंत ही अनुश्री का हाथ पकड़ा ओर इस बार उसने मज़बूत पकड़ भी दिखाई|

“आवजो!” शांतनु से स्माइल दे कर कहा, अनुश्री ने भी जवाब में सर हीला कर अपनी पावरहाउस स्माइल दी|

अपनी आँखों से अनुश्री जब तक ओझल नहीं हुई, शांतनु तब तक उसे कांच की दीवारों में से देखता रहा| वो दोनों काफ़े के बहार ही खड़े एक ओटो में बैठीं और ऑटो चल पड़ा|

“अब बैठ जाइये बड़े भाई, जूस पीजिये जूस|” अक्षय हंसते हंसते बोला| वो ऑलरेडी सोफ़े पर बैठ गया था|

शांतनु भी हंस पड़ा और उसके सामने बैठ गया| थोड़ी देर में वेइटर उनका ऑर्डर भी ले कर आ गया|

शांतनु के मन से अभी भी अनुश्री का ‘नशा’ नहीं उतर रहा था, वो शांत था ओर अक्षय भी उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था| अक्षय को पता था की जब पहलीबार ‘कोई किसी को इस तरह मिलता है’ तब उसकी हालत क्या होती है| शांतनु ने उसी अवस्था में जूस का ग्लास उठाया ओर धीरेधीरे उसमें से सिप करना लगा ओर सुबह वो जिस तरह अनुश्री के पीछे लिफ्ट की ओर भागा था वो सारा किस्सा याद करने लगा ओर तब से ले कर अब तक अनुश्री के साथ की हुई सारी बातें भी बारी बारी उसके मन में आने लगी, पर अचानक से एक बात याद आने पर उसका ध्यानभंग हुआ|

“अरे अक्षय? ये जयेशभाई का क्या मामला है? तू कहीं उस सरदारनी को इम्प्रेस करने के लिये कोई प्रॉब्लम तो खड़ा नहीं कर रहा ना?” शांतनु ने थोड़े डर के साथ अक्षय से पूछा|

“नहीं भाई, फ़िलहाल मेरा केस सेकंडरी है, आपके और भाभी के मिलन तक मैं कोई भी चान्स नहीं लूँगा| जयेशभाई सचमुच मेरे पड़ोसी है और हम दोनों अच्छे दोस्त भी हैं| डोन्ट वरी, सिरु... आई मीन सिरतदीप की नौकरी पक्की ही है, ओर हां वो सेलरी कम करनेवाली बात बंडल थी|” अक्षय ने आँख मारी|

“बंडल? मतलब?” शांतनु गभराया|

“देखिये बड़े भाई, जब मैंने जयेशभाई को कौल किया था ओर सिरतदीप के बारे में उनसे पूछा तो उन्हों ने कहा की वो एकदम स्मार्ट और इंटेलिजेंट लड़की है और उनके पैरामीटर्स में वो बिलकुल फ़िट बैठती है इस लिये उसका जॉब पक्का ही है, और कल सुबह उसको वो जॉब ऑफर करने के लिये बुलाने वाले हैं| पर यहाँ मुझे आपका ओर भाभी का प्यार भी सैट करना है इसीलिए भाभी की फ्रेंड सैट मतलब भाभी भी सैट, सो मैंने थोडा सेलरीवाला ट्विस्ट दे दिया| हमारा इम्पोर्टेंस भी मेटर करता है न बड़े भाई? इस लिये मैंने ये सेलरी कम करनेवाला बंडल मारा ताकी वो आज शाम को मुझे कोल करे और जब वो कोल करेगी तब मैं उसे कहूँगा की मैंने जयेशभाई को समझाया है और उसे उसकी मनपसन्द सेलरी ही मिलेगी| भाई, सिरतदीप खुश मतलब भाभी भी खुश और उसका मतलब ये की कल भाभी आपको ऑफ़िस के बहार थेंक्स कहने के लिये फ़िरसे ज़रूर मिलेगी, मतलब आपकी और उनकी एक ओर मीटिंग पक्की|” अक्षय ने एक साँस में अपना प्लान शांतनु को समझा दिया और शांतनु ने भी बड़ी धीरज से उसे सुना|

“पर अगर जयेशभाई ने सिरतदीप से कल सच कह दिया तो?” शांतनु ने अपना शक ज़ाहिर किया|

“बंधु, जयेशभाई हमारी पार्टी में ही है, बिलकुल मेरे और आपके जैसे ही हैं!! और आज शाम को मैं उन्हें घर पर मिलनेवाला हूं न? सो चिल्ल मारो|” अक्षय ने अंगूठा दिखा कर शांतनु को गारंटी दी|

“ठीक है, पर संभाल लेना|” अक्षय के सामने देखकर शांतनु बोला|

“श्योर ब्रो| अच्छा यह तो बताइए की जब मैं ऑर्डर देने गया था तब आप ओर भाभीने क्या बातें की?” अक्षयने मस्तीभरे अंदाज़ में इन्क्वायरी शुरू की|

“ये क्या भाभी-भाभी लगा रखा है तुमने? अभी तो ये फर्स्ट मीटिंग थी| हां मुझे वो पसंद है पर अभी तो ढेर सारी परीक्षाओं से गुज़रना है मुझे|” शांतनु ने कहा|

“श्रीमान शांतनु ज्वलंतराय बुच, सोरी आपका नाम लिया, पर मैं अक्षय वेलजीभाई परमार आपको आपके द्वारा ख़ाली किये गये इस ओरेंज ज्यूस के ग्लास और मिस अनुश्री मेहता के द्वारा ख़ाली किये गये इस कौफी के कप की कसम खा कर कहता हूं की मैं आप दोनों को हर क़ीमत पर एक दुसरे के पति ओर पत्नी बना कर ही दम लूँगा!!” अक्षय ने फ़िल्मी अंदाज़ से कहा, जवाब में शांतनु सिर्फ़ मुस्कुराया|

क्रमश: