Adventure of Karun Nayar - Rahashy Bharatpur ka - 1 in Hindi Fiction Stories by Author Pawan Singh books and stories PDF | एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर - रहस्य भरतपुर का - Chapter - 1

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एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर - रहस्य भरतपुर का - Chapter - 1

12 जनवरी 1972...जाड़े के दिन थे लीगल ग्राउंड कंपनी का चौकीदार बहादुर सिंह रात के समय धीमी आंच वाली लालटेन लिए कंपनी का मुयआना कर रहा था ...लेमपोश की जलती बुझती लाइट सड़क पर पड़ रही थी हवा का ठंडा झोंका रात की ठंड को ओर बडा रहा था पानी की बूंद नल से नीचे गिर रही थी जिसकी आवाज चारो तरफ डरवाना माहौल बना रही थी बहादुर एक दम से चोंक जाता है इतनी रात को किसकी आवाज हो सकती है मानो कोई दर्द से चिला रहा हो ऐसे आवाजे सुनकर बहादुर के भी हाँथ पाँव ठंडे हो जाते है वह अपने मन को दिलासा देते हुए कहता है
लगता है कोई कुत्ता भोंक रहा है? लेकिन उसको पता है कि ये एक दम झूठा दिलासा है इसलिए वह धीरे धीरे आवाज की तरफ बढ़ने लगा।
कौन है ?? एकदम शान्त वह ठिठका सा खड़ा रहा
अचानक वह आवाज तेज हो जाती है बहादुर आवाज की तरफ दौड़ने लगता है तभी उससे एक आदमी खून से लथपथ पड़ा हुआ दिखता है

लगता है जिंदा है? उसने आपने आप से सवाल किया

पानी कृप्या मुझे पानी पिला दे।। उस आदमी ने कहा

बहादुर ने फौरन अपनी पानी की बोतल उसके मुंह से लगा देता है....

धन्यवाद ।।

आप कोन है ?? और ये आपकी हालत किसने की ?? बहादुर ने उत्सुकतापूर्वक पूछा

मेरे पास इन सब सवालो के जबाब देने का समय नही है कृपया आप मेरी एक वस्तु अपने पास रख लेंगे

जी ।। जरूर बहादुर ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा

उस आदमी ने एक चाबी जो सोने की बनी हुई थी जिसपर बाज की आकृति बनी हुई थी वह चाबी काफी पुरानी लगती थी बहादुर के हांथो में दे दी ।। कृप्या इस चाबी को किसी को मत देना ये चाबी भरतपुर के राजशाही परिवार की धरोहर है इसलिए अगर भरतपुर के राजा विक्रम सिंह राठौड़ आपसे मिले तो ये चाबी उन्हें दे देना इसके अलावा ये चाबी किसी गलत हांथो में न पड़े ओर ये चिट्ठी ले लो वो भी उन्हें ही दे देना इससे उनको मेरे कातिल का पता चल जाएगा इतना कहते ही वह चुप होगया मानो वह आँखे खोलकर सो रहा हो बहादुर ने भाँप लिया और उसकी आँखें बंद करके चाबी अपनी कमीज के अंदर वाली जेब मे रख लेता है ओर शांत होकर उस लाश की तरफ देखने लगता है मानो वह मूक भाषा मे उससे बात कर रहा हो रात धीरे धीरे खत्म हो रही है ओर ठंड मानो बढ़ गई हो...

सुबह का समय चारो तरफ भीड़ जमा थी एकाएक एक पुलिस जीप भीड को काटते हुए आगे बढ़ रही थी सभी लोग भीड़ में उस जीप को रास्ता दे रहे थे लाश के चारो तरफ पुलिस का मेला सा लगा हुआ था कुछ सबूत ढूँढने में व्यस्त थे तो कुछ आसपास की भीड़ को हटाने का बेकार प्रयत्न कर रहे थे और एक फोटोग्राफर लाश के चारो तरफ की पिक्चर ले रहा था।

जीप में से एक हट्टा कट्टा नोजवान जो पुलिस वर्दी में चौडे कंधे सीना निकला हुआ और रोबदार वयक्तित्व वह लाश की तरफ एकटक देखता है

सर ...लगता है किसी नुकीली चीज़ से हत्या की गई ह एक पुलिस हवलदार जानकारी देता है

कुछ और पता चला ??

कुछ खास नही बस इतना कि ये वयक्ति किसी अमीर परिवार का सदस्य है क्योकि सोने की घड़ी ओर एक चेन बरामद हुआ है

हत्या लूटपाट के इरादे से नही लगती...

सही कहा गोखले जी यह एक हत्या है लेकिन कारण क्या हो सकता है ?? इसके किसी रिश्तेदार से संपर्क हुआ ??

नही सर ! गोखले कुछ सो F3चते हुए बोला

इस हत्या के बारे में पता करना होगा वरना मीडिया हमारी जान खा जाएगी वैसे भी यह हमें इसकी ज्यादा हवा नही फैलानी है इसके पोस्टर दिल्ही ओर यूपी के हर पुलिस स्टेशन में भेज दो और दस हज़ार का इनाम रख दो कोई तो आएगा ....

जी सर !! गोखले ने मुस्कराते हुए कहा

कुछ दिन बाद....

इंस्पेक्टर सुरेश शिशौदिया फाईलो को उल्टे पलटे हुए किसी महत्वपूर्ण फाइल को ढूंढने में वयस्त है थाने में चारो तरफ गरमा गर्मी का माहौल है और थाने के बाहर मीडिया वाले खड़े है ।

गोखले- गोखले ! लगभग चीखते हुए वह आवाज लागता है

जी सर ! गोखले फ़ौरन सावधान अवस्था मे खड़े होते हुए बोलता है ।

तीन दिन हो गए अब तक उसके रिश्तेदार सग्गे सम्बन्धी हत्यारे के बारे में कुछ पता चला । गोखले की तरफ देखते हुए पूछता है

नही सर गोखले बड़ी धीमे स्वर में कहता है

तुम्हे पता है मीडिया ने उस केस को हवा दे दी है चारो तरफ हमारे थाने की बदनामी शुरू हो गई है कुछ भी करो मुझे दो दिन में कुछ पता करके दो

जी सर ! गोखले कुछ सँभलते हुए बोलता है और वँहा से चला जाता है

सुरेश शिशोदिया मीडिया को दिलासा देते है कि वह हत्यारे के काफी करीब है पता चलते ही वह मीडिया को ज़रूर सम्पर्क करेंगे । उसके बाद मीडिया का जमावड़ा कम होने लगता है अचानक ही एक लड़की इंस्पेक्टर शिशोदिया से मिलने का आग्रह करती है

नही मैडम । साहब अभी वयस्त है गोखले अनदेखा करते हुए कहता है

यह काफी महत्वपूर्ण है कृपया मुझे मिलने दीजिये

मना किया ना मैडम समझ नही आती है क्या। गोखले कड़कते हुए स्वर में बोला

कृप्या मुझे मिस्टर शिशोदिया जी से मिलने दीजिये ! उसने दबाव ड़ालते हुए कहा

गोखले मैडम को अंदर आने दो । अंदर से आवाज आई

जी सर !! गोखले ने कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा

वह धीरे धीरे कमरे की तरफ बढ़ने लगी वह कांप सी रही थी मानो बिना जान का मुर्दा चल रहा हो ।

हेलो सर माई नेम इज रश्मि झांझर ।

सुरेश शिशोदिया ने उसकी तरफ देखा एक पचीस साल की महिला रंग गोरा पतला बदन ओर नए जमाने की प्रतीत होती थी सुरेश ने उसका जबाब सिर्फ सिर हिलाकर दिया और बैठने को कहा।

जी कहिये क्यो मिलना था आपको मुझसे ?

जिस शख्स के पोस्टर अपने लगाए है में उन्हें जानती हु

यह सुनकर सुरेश आगे की तरफ झुक जाते है और शांत रह कर उसे बोलने देते है

वह आगे कहती है अमर सिंह राठौड़ ओर मेरी मुलाकात दो महीने पहले हुई थी वह मेरे साथ देल्ही यूनिवर्सिटी से वकालत की पढाई करने आये थे दो महीने में ही में अमर की तरफ खींचती चली गई हैम दोनो एक दूसरे से प्यार करने लगे हमारे प्यार का समय भले ही कम था लेकिन एक महीने में ही हम एक दूसरे के बिना नही जी सकते थे ऐसा प्यार हमारा सिर चढ़ा की हम दोनों एक किराये पर कमरा लेकर करोल बाग में रहने लगे एक हफ्ते पहले ही एक चिट्ठी आई...

माफ़ कीजियेगा लेकिन अमर रहने वाला कँहा से था ?? बीच मे बात काटते हुए कहा

मुझे नही पता ।

उसने अचम्भे से उसकी तरफ देखा आपको नही पता आपके साथ दो महीने से कोई लड़का साथ रह रहा है और आपने कभी जानने की कोशिश नही की कि वह कोन है कँहा से है ??

जी नही ! उसने जबाब दिया

क्यों ??

क्योकि जब भी में उससे इसके बारे में पूछती थी या तो वो अनदेखा करता था या टाल देता था और में उसके प्यार में पागल होकर उसकी बातों को मान लेती थी तो में कँहा थी ?? उसने पूछा

चिठ्ठी आई ! याद दिलाते हुए उसने कहा

जी एक हफ्ते पहले एक चिठ्ठी आई वह बहुत कुछ बदला सा था बहुत ही दुखी था उसने उस चिट्ठी को अपनी किसी किताब में छुपा दिया मेने बहुत ढूंढने का प्रयत्न किया पर वो चिठ्ठी मुझे नही मिली वह इतना दुखी शायद कभी न हुआ था मुझे याद है उसने मुझसे ठीक से बात भी नही की फिर उसके अगले दिन एक फ़ोन आया वह

बहुत भयभीत हो गया था और जल्दी जल्दी कंही बाहर जाने की तैयारी करने लगा वह इतना डरा प्रतीत हो रहा था मानो जैसे महाकाल का चेहरा उसने देख लिया हो मेने बहुत रोका पर वो मुझे दिलासा देकर चला गया कि कुछ दिनों बाद वो वापस आएगा फिर कल मेने उसका पोस्टर देखा इतना कहकर वो रोने लगती है ।

आप धेर्य रखे ! ढांढस बांधते हुए उसने कहा

वह अपने आंसू पोछते हुए फिर पूछती है कातिल का पता चला ?

नही लेकिन हम उसको जल्द ही पकड लेंगे । आप अपना ध्यान रखे और हो सके तो उस चिठ्ठी को ढूंढने की कोशिश करे शायद खूनी तक कोई सबूत हमारे हाँथ लग जाये

जी ज़रूर ! वह उठते हुए कहती है अब मुझे चलना चाहिए इतना कह कर वह वँहा से चली जाती है और इंस्पेक्टर सुरेश शिशोदिया फिर अपनी सोच में खो जाते है ।

अगले दिन.....

सुबह के 9 बजे है इंस्पेक्टर सुरेश शिशौदिया अखबार के पन्ने पलटते हुए अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे हिल रहे है और अचानक गोखले एक वयक्ति के साथ कमरे में प्रवेश करता है ।

सर ! ये भरतपुर के राजा विक्रम सिंह राठौड़ है । गोखले ने कहा

आइये बैठिये ! शिशौदिया ने अखबार मोड़ते हुए कहा

थैंक यू ! मिस्टर शिशौदिया

तो कैसे आना हुआ विक्रम जी ।

जिस पोस्टर में आपने सख्श दिखाया है वह मेरा भाई अमर सिंह राठौड़ है भरतपुर के होने वाले राजा लेकिन...

लेकिन क्या ?

आपके अनुसार हमारे भाई की मौत कुछ दिन पहले हुई ।

जी हां ! हमे उनकी लाश लीगल ग्राउंड कंपनी में मिली थी ।

लेकिन ऐसा नही हो सकता इंस्पेक्टर साहब ! विक्रम ने कहा

लेकिन क्यो ? शिशौदिया ने उत्सकुतापूर्वक पूछा

क्योकि हमारे भाई की मौत 4 महीने पहले एक कार एक्सीडेंट में हुई थी और ये है उसकी मेडिकल रिपोर्ट

क्या ? व्हाट नॉनसेंस यह कैसे हो सकता है ? वह एकदम चिल्लाते हुए बोला फिर थोड़ा शांत होते हुए कहता है ऐसा भी तो हो सकता है कि वह कार एक्सीडेंट में बच निकले हो और अपनी जान बचाने के लिए देल्ही आ गए हो क्योंकि रश्मि के अनुसार भी अमर सिंह राठौड़ की मुलाकात उनसे दो महीने पहले ही हुई थी । कुछ देर सब शांत बैठे रहे इंस्पेक्टर शिशौदिया ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा यह रहस्य तो मेडिकल रिपोर्ट जांचने के बाद ही सुलझेगा उसने गोखले को आवाज लगाई गोखले गोखले ।

जी सर ! गोखले सावधान अवस्था मे खड़े होते हुए बोला

इस मेडिकल रिपोर्ट को ले जाओ और चैक करके पता करो कि यह मेडिकल रिपोर्ट दो अलग अलग आदमियो की है या नही।

मुमकिन है यह दो अलग अलग शख्स की होगी यही मेरा अनुभव कहता है।

To be continued.........