Master Blaster - Sachin Tendulkar in Hindi Short Stories by Sonia Gupta books and stories PDF | मास्टर ब्लास्टर – सचिन तेंदुलकर की कहानी

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मास्टर ब्लास्टर – सचिन तेंदुलकर की कहानी

#Great Indian story

*******************मास्टर ब्लास्टर – सचिन तेंदुलकर की कहानी ********

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भारत के महान रत्न सपूतों में जाने जाना वाला एक सुप्रसिद्ध नाम- ‘सचिन तेंदुलकर’, जिन्होनें अपने हुनर के बल पर सम्पूर्ण विश्व में भारत का नाम रोशन किया !

सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के इतिहास में विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में गिने जाते हैं! भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित होने वाले वह सर्वप्रथम खिलाड़ी और सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं!

व्यक्तिगत जीवन :

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सचिन का वास्तविक नाम “सचिन रमेश तेंदुलकर’ है! इनका जन्म 14 अप्रैल 1973 को मुम्बई के एक मराठा ब्राह्मण परिवार में हुआ ! इनके पिता का नाम श्री ‘रमेश तेंदुलकर’ है और वह मराठी के प्रोफेशर थे और उन्हें किताबे लिखना उनका शौक था ! सचिन का नाम उनके पिता रमेश तेंदुलकर ने अपने चहेते संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा था। इनकी माता का नाम श्रीमती रजनी तेंदुलकर है ! वे एक LIC कंपनी में जॉब करती थी! उन्होंने अपने बेटे की अपार सफलता के बाद भी अपनी नौकरी नहीं छोड़ी ! इतेफ़ाक की बात यह है की इनकी माँ ने अपने बेटे का कोई भी मैच नहीं देखा जब तक २०० टेस्ट मैच नहीं खेले उन्होंने! १९९९ में सचिन के पिताजी की अकस्मात मृत्यु हो गयी! तब इनकी माँ ने इतने बड़े हादसे के बाद भी इन्हें विश्व कप खेलने के लिए प्रेरित किया; उनका कहना था कि देश के प्रति तेरी ज़िम्मेदारी सर्वप्रथम है बेटा, और यही सीख तेरे पापा ने भी तुझे दी है ! इनके एक बड़े भाई अजित तेंदुलकर और एक बहन सबिताऐ तेंदुलकर है !सचिन तीनों में सबसे छोटे हैं!

सचिन ने शारदाश्रम विद्यामन्दिर में अपनी शिक्षा ग्रहण की! कहा जाता है कि सचिन केवल दसवीं पास हैं, उन्होंने आगे कोई शिक्षा ग्रहण नहीं की, यह भी सुना है, कि वे दसवीं में ३ बार फेल हुए थे !

कहाँ से जागी क्रिकेट के प्रति रूचि?

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बचपन से ही सचिन को क्रिकट के प्रति अत्यंत लगाव था ! 5 साल की उम्र में ही सचिन अपने से बड़ो बच्चो के साथ क्रिकेट खेलते और खूब छक्के लगाते,इसे देखकर उनके बड़े भाई अजीत आश्चर्य में आ जाते ! 1984 में अजित 11 साल की उम्र में सचिन को लेकर महाराष्ट्या के रमाकांत अचरेकर के पास गए! उसी दिन से सचिन की आँखों में क्रिकेटर बनने का ख्याब पलने लगा , और उसी दिन घर लौटते समय सचिन ने अपने भाई से कहा मैं बाकी लोगो से अच्छा खेल सकता हूँ! यह था 11 साल के सचिन का आत्मविश्वास! रमाकांत आचरेकन ने सचिन को तराशना शुरू कर दिया, पर रमाकांत आचरेकन को सचिन के बल्ला पकड़ने के तरीके से तोड़ी दिक्कत थी उन्हें लगता था इस तरह से बल्ला पकड़कर अच्छा शॉट नहीं खेला जा सकता . तो उन्होंने सचिन के इस तारेके तरीके में बदलाब किया पर सचिन उसके साथ संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने रमाकांत आचरेकन से गुज़ारिश की कि मुझे वैसे ही बल्ला पकड़ने दिया जाये , आज भी सचिन नीचे से ही बल्ला पकड़ते हैं !और उन्हें यह आदत पड़ी थी बचपन में ! छोटे सचिन, बड़े भाई के बल्ले से क्रिकेट खेलते और उनके छोटे छोटे हाथो से बड़ा बल्ला पकड़ने में उन्हें दिक्कत होती इसलिए वह उसे नीचे से पकड़ते ! नन्हे सचिन अपने हर खेल का हर रिकॉर्ड अपनी डायरी में लिखते थे !

कहते हैं कि एक गुरु ही अपने शिष्य को समझ सकता है, एक ज़ोहरी की भांति जिसको हीरे की पहचान होती है ! रमाकांत आचरेकन ने सचिन की क्षमता को और निखारने की एक तरकीब निकाली ! वे रोज़ 1 रुपए का सिक्का रखते और कहते जो सचिन को आउट करेगा उसे 1 रुपए का सिक्का दिया जाएगा , पर सचिन को कोई आउट ही नहीं कर पाता ,और वह एक रुपए का सिक्का सचिन ही लेकर जाते! सचिन के पास आज भी वे सभी सिक्के रखे हुए हैं ! सचिन तेंदुलकर क्रिकेट में बल्लेबाज़ी दायें हाथ से करते हैं किन्तु लिखते बाये हाथ से हैं। वे नियमित तौर पर बायें हाथ से गेंद फेंकने का अभ्यास करते हैं। उनकी बल्लेबाज़ी उनके बेहतरीन सन्तुलन और नियन्त्रण पर आधारित है। वह भारत की धीमी पिचों की बजाय वेस्ट इंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया की सख्त व तेज़ पिच पर खेलना ज्यादा पसंद करते हैं!
भारतीय क्रिकेट टीम में प्रवेश और क्रिकेट का सफ़र

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जब सचिन 14 साल के थे तब अपने समय के महानक्रिकेटर सुनील गावस्कर ने सचिन को अपने लाइट पैड दिए जिसने सचिन को क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने को और प्रोत्साहित किया और २० साल बाद इसी सचिन ने सुनील गावस्कर के टेस्ट मैच में 34 शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ा ! हँरिस शिल्ड मुकाबले में विनोद कांबली के साथ निजी 326 रन करते हुये 664 रनों की विक्रमी भागीदारी करने का पराक्रम किया ! 15 साल की उम्र में सचिन का मुंबई टीम में चयन हुआ ।1988 में सचिन ने गुजरात के खिलाफ 100 रन की नवाद पारी खेली और इसी साल सचिन ने दुलीप ट्रॉफी, ईरानी ट्रॉफी ,रणजी ट्रॉफी में लगातार शतक लगाया और ऐसा करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए !
16 साल की उम्र में 1989 में कराची में सचिन ने भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ पहला मैच खेला और 15 रन बनाकर सचिन आउट हो गए! इसी सीरीज में पेशावर में सचिन के नाक पर गेंद लगने की वजह से चोट लगी पर सचिन रुके नहीं और पूरा मैच खेला और 54 रन बनाये ! 1990 में इंग्लड में पहला शतक लगाया और इंग्लैंड में सचिन की पारी को देखकर सचिन की तुलना महान खिलाड़ियों में की जाने लगी! 1991-1992 के ऑस्ट्रेलिया टूर में सचिन ने 148 रन बनाये और 1994 में इंडियन टीम में ओपनर की जगह ले चुके थे!

सचिन की प्रतिभा और क्रिकेट तकनीक को देखते हुए सभी ने उन्हें ‘डॉन ब्रेडमैन’ की उपाधि दी जिसे बाद में डॉन ब्रेडमैन ने भी खुद स्वीकार करा.

सचिन के शानदार प्रदर्शन के कारण उनको टीम इंडिया की कप्तानी भी दी गई लेकिन वे एक कप्तान के रूप मे सफल नहीं हो सके और उनका अपना खेल भी इससे बहुत प्रभावित हुआ. जिस कारण उन्होंने स्वतः ही कप्तानी का पद छोड़ दिया!

भारतीय टीम का एक अन्तर्राष्ट्रीय मैच ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध इन्दौर में ३१ मार्च २००१ को खेला गया था। तब इस छोटे कद के खिलाड़ी ने पहली बार १०,००० रनों का आँकड़ा पार करके इन्दौर के स्टेडियम में एक मील का पत्थर गाड़ दिया था! 2003 में विश्व कप में सचिन ने 11 Match में 673 रन बनाये जिससे इंडिया फाइनल तक पहुच गयी पर ऑस्ट्रेलिया से हार गयी, पर सचिन को ‘मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट’ अवार्ड दिया गया !

सचिन के क्रिकेट जीवन का सबसे बुरा दौर तब आया जब सचिन सन 2005-06 में एल्बो और कंधो में दर्द के कारण काफी अनफिट रहे जिस कारण उनका खेल भी इससे प्रभावित हुआ. किन्तु बेजोड़ प्रतिभा और कठिन परिश्रम के धनी सचिन ने अपने खेल में बदलाव करके खुद को सन 2008 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे में साबित किया और रनों का अम्बार लगा दिया!
२३ दिसम्बर २०१२ को सचिन ने वन-डे क्रिकेट से संन्यास लेने घोषणा की।लेकिन उससे भी बड़ा दिन तब आया जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास लेने की घोषणा की! इस अवसर पर उन्होंने कहा - "देश का प्रतिनिधित्व करना और पूरी दुनिया में खेलना मेरे लिये एक बड़ा सम्मान था! मुझे घरेलू जमीन पर २०० वाँ टेस्ट खेलने का इन्तजार है!जिसके बाद मैं संन्यास ले लूँगा। उनकी चाहत के अनुसार उनका अन्तिम टेस्ट मैच वेस्टइण्डीज़ के खिलाफ मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में ही खेला गया! और जैसा उन्होंने कहा था वैसा ही किया भी! १६ नवम्बर २०१३ को मुम्बई के अपने अन्तिम टेस्ट मैच में उन्होंने ७४ रनों की पारी खेली! मैच का परिणाम भारत के पक्ष में आते ही उन्होंने ट्र्स्ट क्रिकेट को अलविदा! कह दिया!

तेंडुलकर नियमित गेंदबाज़ नहीं हैं, किन्तु वे मध्यम तेज, लेग स्पिन व ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी में प्रखर हैं। वे कई बार लम्बी व देर से टिकी हुई बल्लेबाजों की जोड़ी को तोड़ने के लिये गेंदबाज़ के रूप में लाये जाते हैं। भारत की जीत पक्की कराने में अनेक बार उनकी गेंदबाज़ी का प्रमुख योगदान रहा है! गेदबाजी में उन्होंने 46 विकेट लिए. वही वनडे मैचों में सचिन ने 463 मैचों में 44.83 के बल्लेबाजी औसत के साथ 18426 रन बनाये जिसमे उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 200* रन था वही उनके नाम 49 शतक और 96 अर्धशतक दर्ज है. उन्होंने वनडे मैचों में अपनी गेदबाजी से टीम के लिए 154 विकेट भी लिये!इनकी बल्लेबाजी में अदभुत प्रतिभा और कठिन परिश्रम के कारण इन्हें ‘क्रिकेट का चमत्कार’ भी कहा जाता है!

भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह प्रथम खिलाड़ी और भारत रत्न पाने वालो में सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं! वहीँ वो ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित अकेले क्रिकेट खिलाड़ी हैं. इनको सन 2008 में ‘पद्म विभूषण’ से भी पुरस्कृत किया गया

25 मई 1995 में सचिन ने अंजलि तेंदुलकर से शादी की जो कि पेशे से एक डॉक्टर हैं! अंजली ने हर मोड़ पर अपने पति का साथ दिया और सचिन के प्रोत्साहन का एक सबसे बड़ा कारण हैं वो! सचिन के दो बच्चे हैं.सारा और अर्जुन! इसके अलावा सचिन एक सफल रेस्टोरेंट के मालिक भी हैं जिसका नाम उनके ही नाम पर सचिन है!
सचिन को भारत में सकारात्मकता का प्रतीक और सम्मानित व्यक्ति इसलिए भी माना जाता है क्योंकि वे “अपनालय” नाम का एक गैर सरकारी संगठन भी चलाते हैं जिसमे वे हर वर्ष 200 बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी स्वयं लेते है!
वर्तमान में सचिन राज्य सभा के सदस्य हैं उन्हें सन् 2012 में राज्य सभा की सदस्यता मिली!

सचिन तेंदुलकर के नाम कुछ अनोखे वर्ल्ड रिकॉर्ड :
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* सचिन के नाम अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक.
* एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट इतिहास में दोहरा शतक जड़ने वाले वह पहले खिलाड़ी है.
* वनडे अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में 18426 सबसे ज्यादा रन है.
* वनडे अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में सबसे ज्यादा 51 शतक.
* वनडे अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में सबसे ज्यादा रन.
* टेस्ट अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में सबसे ज्यादा 49 शतक.
* टेस्ट अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में 15921 सबसे ज्यादा रन है.
* सबसे अधिक वनडे अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच (463) खेलने वाले एकमात्र खिलाडी.
* सबसे अधिक टेस्ट अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच (200) खेलने वाले एकमात्र खिलाडी.
* टेस्ट अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में 13000 रन बनाने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज.
* वनडे अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में 16000 रन बनाने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज.
* वनडे अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द सीरीज.
* वनडे अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द मैच.
* अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में सबसे ज्यादा 34000 हजार से ज्यादा रन बनाने वाले पहले खिलाडी.
*सबसे अधिक अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट का कैरियर.

सम्मान:
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· भारत रत्न: १६ नवम्बर २०१३ को मुंबई में सचिन के क्रिकेट से संन्यास लेने के संकल्प के बाद ही भारत सरकार ने भी उन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की आधिकारिक घोषणा कर दी।४ फ़रवरी २०१४ को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें भारत रत्न से सम्मनित किया गया।४० वर्ष की आयु में इस सम्मान को प्राप्त करने वाले वे सबसे कम उम्र के व्यक्ति और सर्वप्रथम खिलाड़ी हैं। गौरतलब है कि इससे पहले यह सम्मान खेल के क्षेत्र में नहीं दिया जाता था। सचिन को यह सम्मान देने के लिए पहले नियमों में बदलाव किया गया था।

· राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित एकमात्र क्रिकेट खिलाड़ी हैं।

· सन् २००८ में वे पद्म विभूषण से भी पुरस्कृत किये जा चुके है।

राष्ट्रीय सम्मान

· 1994 - अर्जुन पुरस्कार, खेल में उनके उत्कृष्ट उपलब्धि के सम्मान में भारत सरकार द्वारा

· 1997-98 - राजीव गांधी खेल रत्न, खेल में उपलब्धि के लिए दिए गए भारत के सर्वोच्च सम्मान

· 1999 - पद्मश्री, भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार

· 2001 - महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार

· 2008 - पद्म विभूषण, भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार

· 2014 - भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार

अन्य सम्मान

· 1997 - इस साल के विज्डन क्रिकेटर

· 2002 - बराबरी की तेंदुलकर की उपलब्धि के उपलक्ष्य में डॉन ब्रैडमैन टेस्ट क्रिकेट में 'एस 29 शताब्दियों, मोटर वाहन कंपनी फेरारी में अपनी मंडूक करने के लिए उसे आमंत्रित सिल्वरस्टोन की पूर्व संध्या पर ब्रिटिश ग्रांड प्रिक्स एक प्राप्त करने के लिए, 23 जुलाई को फेरारी 360 मोडेना F1 दुनिया से चैंपियन माइकल शूमाकर

· 2003 - 2003 क्रिकेट विश्व कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट

· 2004, 2007, 2010 - आईसीसी विश्व एक दिवसीय एकादश

· 2009, 2010, 2011 - आईसीसी विश्व टेस्ट एकादश

· 2010 - खेल और कम से पीपुल्स च्वाइस अवार्ड में उत्कृष्ट उपलब्धि एशियाई पुरस्कार, लंदन में

· 2010 - विज़डन लीडिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर

· 2010 - वर्ष के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर के लिए आईसीसी पुरस्कार, सर गारफील्ड सोबर्स ट्राफी

· 2010 - एलजी पीपुल्स च्वाइस अवार्ड

· 2010 - भारतीय वायु सेना द्वारा मानद ग्रुप कैप्टन की उपाधि

· 2011 - बीसीसीआई द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ भारतीय क्रिकेटर

· 2011 - कैस्ट्रॉल वर्ष के इंडियन क्रिकेटर

· 2012 - विज्डन इंडिया आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट पुरस्कार

· 2012 - सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) की मानद आजीवन सदस्यता

· 2012 - ऑस्ट्रेलिया के आदेश के मानद सदस्य, ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा दिए गए

· 2013 - भारतीय पोस्टल सर्विस ने तेंदुलकर का एक डाक टिकट जारी किया और वह मदर टेरेसा के बाद दूसरे भारतीय बने जिनके लिये ऐसा डाक टिकट उनके अपने जीवनकाल में जारी किया गया



अपने खेल के अलावा अपने व्यक्तित्व के कारण सचिन को दुनियाभर में सभी क्रिकेट प्रेमी प्यार और सम्मान देते हैं! क्रिकेट के एक लीजेंड खिलाडी होने के बावजूद उन्होंने कभी खुद में अहंकार नहीं आने दिया और हमेशा अपने अहं से दूर रहे वरना इतनी शौहरत कमाने के बाद इतना सरल बने रहना हर किसी के बस की बात नहीं होती! पूरी दुनिया में आज हर उम्र के व्यक्ति की जुबान पर लिटल मास्टर ‘सचिन तेंदुलकर’ का ही नाम रहता है!
कितनी विचित्र है न एक कम पढ़े लिखे युवा को होनहार हीरा उभरकर जीवन को नई दिशा देना ! भारत की जमीन पर ऐसे कितने ही अनमोल रत्नों ने जन्म लिया है जो आज कल की युवा पीढ़ी के लिए एक उदाहरण हैं !

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डॉ सोनिया / सर्वाधिकार सुरक्षित २५.८.१८.