Gems of india
Sri A.B Vajpayee
C.P. Hariharan
श्री ए.बी. वाजपेयी का जन्म २५ दिसंबर १९२४ को ग्वालियर में हुआ था I वह भारतीय नेता था I वह तीन बार प्रधान मंत्री था Iपहली बार १९९६ में १३ दिन केलिए, दूसरी बार १९९८-९९ में १३ महीने केलिए और
आखिरी बार, पूरा पांच साल की अवधि केलिए I वह पहला प्रधानमन्त्री था जो ऐ. एन. सी. की सदस्य नहीं था
और पांच साल की अवधी पूरा किया था I वह चार दशक तक संसदीय सदस्य बना रहा I वह दस बार लोकसभा चुनाव जीता था और दो बार राज्यसभा में चुना गया था I वह २००९ तक लखनऊ से संसदीय सदस्य था जब वह सेहत ख़राब होने की वजह से राष्ट्रिय पथ से निवृत्ति लिया I श्री वाजपेयी भारतीय जन संघ की संस्तापक सदस्य था और १९६८ से १९७२ तक सदस्य बना रहा I वह पि.एम्. मोरारजी देसाई की मंत्रिमंडल में विदेशी मामले का मंत्री था I उन्होंने जन संघ को पुनर्गठन करके १९८० में भारतीय जनता पार्टी बनाया I १९९८ में उन्हीने पोखरण २ परमाणु परिक्षण करवाया I वे पाकिस्तान से राजनयिक सम्बन्ध सुधारने की कोशिश में, पाकिस्तान प्रधान मंत्री नवाब शरीफ से मिलने हेतु बस में गयेI
१९९९ की कारगिल संघर्ष के बाद, उन्होंने पाकिस्तान राष्ट्रपति परवेश मुशारफ को आगरा में एक सम्मलेन में बुलायाI
पाकिस्तान से सम्बन्ध बहालने हेतु १९९५ में राष्ट्रपति प्रणाभ मुकर्जी ने उनको उच्चतम नागरिक सम्मान प्रधान किया I
मोदी जी की शासन प्रबन्ध ने २५ दिसंबर को सुशासन दिवस घोषित किया और उनकी जन्म दिन पर उनको "भारत
रत्न" की सम्मान भी घोषित किया था I उम्र सम्बन्धित बीमारी की वजह से १६ अगस्त २०१८ को उनका निधन हुआ I
उनका विद्यालय शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर, ग्वालियर में हुआ था I उन्होंने ग्वालियर विक्टोरिया कॉलेज से
स्नातक की उपाधि प्राप्त कीI हिंदी अंगेजी और संस्कृत में वे निपुण थे I उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोतर भी की I डी. ए. वि. कॉलेज, कानपूर से उनको पहली दर्ज उपाधि से सम्मानित किया गया I
उनका चहल - पहल १९४४ में आर्य समाज की युवा शाखा, ग्वालियर में महासचिव की पद से शुरू हुई I १९३९ में उन्होने आर. एस. एस.की स्वयं सेवक बने I
बाबा साहब अप्ते की प्रभाव से १९४० से १९४४ तक आर. एस. एस. की अधिकारी प्रशिक्षण शिविर में वह शामिल हुआ और १९४७ में आर. एस. एस. की प्रचारक बना I
विभाजन दंगों की वजह से उन्होंने कानून की शिक्षा छोड़ दीI उनको उत्तरप्रदेश में परिवीक्षादीन प्रचारक बनाया गया I फिर उन्होंने अख़बार, ”दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रधर्म” (एक मासिक प्रकाशन), ”पांचजन्य” एक
हिन्दी साप्तहिक और दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन केलिए काम किया I
१९४२ में वे आर. एस. एस. का सक्रिय सदस्य बने I १९४२ अगस्त में उनको अपनी भाई प्रेम सहित “भारत छोड़ो आंदोलन”में २४ दिन केलिए गिरफ़्तार किया गया I
उन्होंने यकीन दिया कि वह भीड़ के साथ था और अगस्त २७ १९४२ की आतंगवादी घड़नाओं में भाग नहीं लिया था I उनको रिहाई मिलीI
महात्मा गांधीजी की हत्या की आरोप के कारण आर. एस. एस. पर प्रतिबन्ध लगाया गया था I १९५१ में दिल्ली में दीनदयाल उपाध्याय के साथ उनको भारतीय जन संघ केलिए काम करने केलिए आर. एस. एस. ने सिफारिश किया I उनको उत्तरीय क्षेत्र राष्ट्रीय सचिव बनाया गया I वह भाषण देने में प्रवीण था I उनको जन संघ की नीतियों की परिरक्षक बनाया गया I १९६८ मे दीनदयाल उपाध्याय की निधन के बाद वे जनसंघ की अध्यक्ष बनेI
१९७५ में इंदिरागांधी ने उनको गिरफ्तार करवाई I लेकिन सेहत ख़राब होने की वजह से उनको छुट्टी मिलीI
१९७७ में यु .एन. की सभा में उन्होंने पहली बार हिंदी में भाषण दी I उनकी भाषण देखकर नहेरु ने सूचित किया कि वे एक दिन प्रधान मंत्री बनेंगे I १९७९ में जनता पार्टी ढह गया I वाजपेयी ने अध्यक्ष की पद से इस्तीफा दी I पूर्व जन संघ की सदस्यों के साथ भारतीय जनता पार्टी १९८० में बनाया गया I वाजपेयी पार्टी की अद्द्यक्ष बना I
१९८० के चुनाव में भा.ज.पा. कांग्रेस से हार गई क्योंकि इंदिरा गांधी के हत्या के कारण कांग्रेस को सहानुभूति मिली थीI फिर भी उन्होंने १९८६ तक पार्टी की अध्यक्ष बने रहे I १९८० में वह ग्वालियर में सिंद्या से हार गया था I १९९० में राम जनम भूमि मंदिर आंदोलन शुरू किया गया I १९९२ दिसंबर में आर. एस. एस. और वि. एच. पी. मिलकर बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया I इसकी वजह से बीजेपी लोक प्रिय बना I बीजेपी को राज नीतिक फायदा मिलाI
१९९४ में कर्नाटका विधान सभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा I १९९५ में महाराष्ट्र और गुजरात विधानसभा चुनावों में भी शानदार जीत पाने से बीजेपी शोहरत में आया I १९९६ में बीजेपी लोकसभा चुनाव में जीता I
१९९६ से २००४ तक वे लगातार तीन बार प्रधान मंत्री थे I १९९६ में बहुमत न होने की कारण १३ दिन में ही वह वापस आया I १९९८ में वह फिर से प्रधान मंत्री बना जो १३ महीने तक चला I
१७/ ०४/१९९९ को जयललिता ने अविश्वास प्रस्ताव में उनको खाली एक वोट से हराया I
१९९८ में पोखरण (राजस्तान) में परमाणु परीक्षण कराया गयाI वह रेडियोएक्टिव उत्सर्जन निहित थे I यू.एस., जापान कनाडा और इ. यू .ने भारत पर प्रतिबन्ध लगया था, जो बाद में उठाया गया था I उनकी प्रतिबन्ध से भारत को कोई असर नहीं पड़ाI
१९९८-९९ में वाजपेयी ने पाकिस्तान से राजनयिक शांति प्रक्रिया शुरू की I दिल्ली-लाहौर बस सेवा की ऐतिहासिक उट्घाड़न करके फलस्वरूप लाहौर घोषणा बातचीत जारी रखने की प्रतिबद्धता जताया I
काश्मीर और अन्य समस्या को हल किया I यह व्यापार सबंध, मित्रता और परमाणु मुक्त पर्यावरण की परिकल्पना को बढ़ाया I साउथ एशिया में शांति फैलाईI
१९९९ की कारगिल युद्ध में, वाजपेयी ने पाकिस्तान को, अगर वे कारगिल से वापस न चले तो, एल.ओ.सी. पार करने की और परमाणु की प्रयोग करने की धमकी दी I आखिर पाकिस्तान को अमेरिका की दबाव में आकर कारगिल
से निकलना पड़ाI
१९९९ की लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बहुमत पाया और उन्होंने पांच साल की अवधि पूरी की I बीजेपी को ५४३ में ३०३ सीटें मिला था I १३ वां अक्टूबर १९९९ को उन्होंने प्रधान मंत्री की पदग्रहण किया थाI
२००० मार्च की महीने में अमेरिकन प्रेसडेंट बिल क्लिंटन ने वाजपेयी से मुलाकात की I यह १९७८ में जिम्मी कार्टर के भारत दर्शन के लम्बी अवधि के बाद था I यह मुलाकात दोनों देशों की सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना गया I दोनों देशों की क्षेत्रीय, द्विपक्षीय, और अंतरराष्ट्रीय सबंध और विकास के बारे में काफी विस्तृत विचार विमर्श हुआ I यह मुलाकात व्यापर विकास और आर्थिक सम्बन्ध को बढ़ाया I
घरेलू स्तर पर हिंदुत्व लागू करने केलिए, आर. एस. एस. और वि. एच. पी की तरफ से बीजेपी को लगातार दबाव
रहा I
गढ़बंधन समर्थन पर निर्भर रहने की कारण, एक समान नागरिक कोड सभी धर्मों पर लागू करने में, उल्लेख ३७० जो कश्मीर को विशेष स्तिथि प्रधान करते है, उसको निरस्त करने में और रामजन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर बनाने में बीजेपी सफल नहीं हो पायेI
आर.एस.एस.और समझौता की विरोधियों ने फिर से जन संध को सजीव करने की धमकी दी I आर. एस. एस. ने अपनी झंडे की रंग को नक़ल करने की इल्जाम बीजेपी पर लगाया और उन्होंने ऊपर से बहस किया
कि केसर रंग तो हिन्दू देशीयता आंदोलन की प्रतीक है I
१९९२ की बाबरी मस्जिद तोड़फोड़ में, भीड़ हिंसा को बढ़ावा देने के लिए, एम्. एम्. जोशी पर इल्जाम लगाया गयाI वाजपेयी को भी संवीक्षा में रखा गया I अंदरूनी कलह बीजेपी में जारी रहा I वाजपेयी की बिगड़ती
सेहत भी घबराहट पैदा कीI
१३ वीं दिसंबर २००१ को कुछ आतंगवाती मुखौटा पहनकर, हथियारों के साथ, नकली पहचान पत्र सहित
संसद के अन्दर घुसने की कोशिश की I उन्होंने सुरक्षा कर्मियों को मार डालाI
तुरंत संसद पर छापा लगाया गया I हमलावरों को हड़प लिया I उनको मार डालने से पता चला कि वे पाकिस्तान से थे I एल. ओ. सी. में फौजी को भिजवाया गया Iपाकिस्तान भी अपनी फौजी को सीमा पर भेज दिया I मई २०१२ में भी कश्मीर किले की सेना पर हमला हुआ I दोनों तरफ से परमाणु की प्रयोग की संभावना बढ़ गयी I अंतरराष्ट्रीय राजनयिक मध्यस्थता, तनाव बिखेरने की कोशिश की I
अक्टूबर २०१२ में दोनों देशों ने फौज को सीमा से वापस लौटाया I
वाजपेयी की शासन प्रबंध ने आतंकवाद रोकथाम अधिनियम, २००२ लागू किया जिसका दुरुपयोग का भी शक था I संदिग्ध लोगों को जांच करने केलिए अधिकारीयों को अधिकार दिया गया जो उनको सशक्त
बनाया I यह अधिनियम संसद की संयुक्त सत्र में मंज़ूर किया गया I
सबसे बड़ी राजनीतिक आपदा २००१-०२ में हुई थी I वी. एच्. पी. ने राम मंदिर की मुद्दा को लेकर सरकार को घेराओ किया I बाबरी मस्जिद की तोड़ फोड़ की १० वीं सालगिरा पर उन्होंने राम मंदिर की शिला दान अयोध्या में करने की कोशिश कीI सांप्रदायिक दंगों का संभावना बढ़ गयी I कानून और व्यवस्था की स्थिति भी खराब हो रही थी I किस्मत से वाजपेयी को थोड़ी सी राहत मिली I शिला दान की निश्चित जगह से एक की.मी. दूर पर
प्रतीक की रूप में शिला दान किया गया I
२००२ फरवरी में, कुछ तीर्थयात्रियों, अयोध्या से गुजरात वापस आ रहे थे I जब रेलगाड़ी गोधरा में रुका, अचानक वहां के रहनेवालों के साथ यात्रियों का हाथापाई शुरू हुई I उन्होंने गुस्से में आकर रेलगाड़ी पर आग लगा दी I उनसठ लोगों की मौत हुईI उन्होंने धारीदार शरीर को लेकर अहमदाबाद में प्रदर्शन किया I दो महीने तक ये दंगा जारी
रहा I हिन्दुओं ने कई सारे मुसलमानों को हमला किया और मार डाला I सत्तारूढ़ सरकार को लोग ज़िम्मेदार बतायाI
उन्होंने सरकार पर लापरवाही की इल्जाम लगा दी I मामला इतना गड़बड़ था कि सरकार भी बेबस था I भले ही वाजपेयी ने हिंसा की निंदा की, फिर भी सार्वजनिकरूप से उन्होंने मोदी को नहीं डाँटा I
वाजपेयी ने दंगा से प्रभावित क्षेत्रों पर व्यक्तिगत रूप से दर्शन किया I वाजपेयी ने मोदी को
राजधर्म पालन करने की आशिक की I वाजयपेयी ने टिप्पणीस्वरूप से कहा कि जहाँ मुस्लमान होते है वे
सहवर्तित नहीं रहते I उनकी यह बात विवादास्पद बने I उन्होंने कहा कि सन्दर्भ के अनुसार ऐसे कहने में वे मज़बूर हो गये I पार्टी की तात्पर्य को मन में रखकर वाजपेयी ने मोदी को माफ की I गुजरात की परस्थितियां काबू मैं नहीं थाI इसकी वजह से बीजेपी ने २००४ की चुनाव हारेI वाजपेयी ने मोदी पर कार्रवाई न लेने की पश्चाताप कीI
२००२-०३ में उन्होंने आर्थिक सुधारें चालू किया I २००३ से २००७ तक, देश की जीडीपी ५ प्रतिशत की नीचे से ७ प्रतिशत पर पहुँच गया I बढ़ती विदेशीय निवेश, सार्वजनिक और उद्योगिक आधारिक सरंचना की आधुनीकरण कराया गया Iनये नौकरियां की सृजन किया I उच्च टेक्निक और सूचना प्रद्योगिकी उद्योग में काफी प्रगति हुई I शहरी आधुनीकरण और विस्तार, अंतरराष्ट्रीय स्तर में भारत की छवि को बढ़ायाI
अच्छी फसल, मज़बूत औद्योगिक वृद्धि, आर्थिकस्थिति को सुदारने में मदद कीI
उन्होंने कर व्यवस्था को सुधारा I व्यापर हित पहल, प्रमुख सिंचाई, आवसीय योजनाओं को बढ़ायाI बीजेपी
की ध्यान शहरी मध्यम वर्ग और युवा की तरफ बिखरने लगा जो देश की भविष्य और प्रमुख आर्थिक प्रगति में उत्सुक और सकारात्मक थे I
उनको संघ परिवार, भारतीय मज़दूर संघ और भारतीय किसान संघ से ज़बरदस्त मुकाबिला करना पड़ा I फिर
भी उन्होंने आक्रामक आर्थिक सुधार जारी रखाI
२००३ में वाजपेयी ने संसद में पाकिस्तान से सबंध सुधारने की आखिरी कोशिश की घोषणा की I पिछले १६
महीने से पाकिस्तान से राजनयिक सम्बन्ध काटा गया था I राजनयिक सबंध सुधारा नहीं था, तो भी उच्चतम अधिकारीयों की आना जाना हो रहा था I सीमा में तनाव नहीं थी, फौजी भी नहीं थीI
पाकिस्तान प्रेजिडेंट, राजनेताओं, नागरिक और धार्मिक नेताओं इस पहल की सराहना की जैसे कि अमेरिका यूरोप दुनिया काअधिकाँश I
जुलाई २००३ में वाजपेयी ने चीन का दौरा किया I उन्होंने तिब्बत को चीन का हिस्सा माना जो चीनी नेताओं ने स्वागत कियाI उन्होंने कई चीनी नेताओं से मिली I चीन ने सिक्किम को भारत का हिस्सा माना I
भारत - चीन की सम्बन्ध सुधरा I वाजपेयी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और आधारिक
संरचना सुधाराI निजी क्षेत्र और विदेशीय निवेश को प्रोत्साहित किया I सरकारी अपशिष्ट को कम किया I अनुसन्धान और विकास को उत्तेजित किया I सरकारी स्वामित वाली निगम को निजीकरण करवाया I उन्होंने नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट और प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरुआत कीI उन्होंने २००१ में सर्व शिक्षा अभियान का शुभारम्भ किया
२००३ में वाजपेयी और एल. के. आडवाणी के बीच में नेतृत्व साझा करने की मुद्दा उठी I वेंगइय्या
ने अडवाणी को नेता बनाने की सुझाव दी, लेकिन वाजपेयी नाखुश था और राजीनामा देने की धमकी दी Iइसलिए २००४ की आम चुनाव में दोनों को नेता बनाया गया और तय किया गया कि बीजेपी दोनों की नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगेI
एन. डी. ए. को सत्ते में रहने की पूरी उम्मीद थीI उन्होंने आर्थिक विकास और पाकिस्तान के साथ
शांति की पहल को मूल बनने की उम्मीद रखी I अवधि के पहले ही तेरहवीं लोकसभा को भंग किया गया I हवा
तो बीजेपी की तरफ बहल रही थी I राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी की जीत हुई थी I “भारत
चमक रहा है” मुहीम में विज्ञापन के माध्यम से आर्थिक विकास की घोषणा की I बीजेपी को ५४३ में १३८ सीटें ही मिलीI कई प्रमुख नेता हार गये I यु. पि. ए. को १४५ सीटें मिलीI
गढ़बंधन के साथ २२० सीटें मिलीI वाजपेयी ने इस्तीफा दीI उन्होंने २००५ दिसंबर में सक्रिय राष्ट्रिय से निवृति लीI आगे चुनाव न लड़ने का घोषण की I
छाती का संक्रमण और बुखार के दौरान उनको छठी फरवरी २००९ को एम्स में भर्ती किया गया Iउनको
झरोक में रखा गया था I बाद में वे ठीक हो गयेI
२००९ चुनाव में वे भाग नहीं ले सके I इसलिए उन्होंने खत लिखकर जनता से बीजेपी को साथ देने की अनुरोध की I
वाजपेयी अविवाहित रहे I उन्होंने देश की सेवा करना पसंद किया था I इसलिए लोग उनको भीष्म पितामहा मानते है I
देश केलिए उनकी खुरबानी का कोई ठिकाना नहीं था I उन्होंने अपनी दोस्त की बेटी को अपनाया I वे लोक प्रसिद्ध हिंदी कवी थेI उनकी कवितायेँ प्रसिद्ध है I १९७५-७७ में जेल में लिखा गया “कैदी कविराय की कुंडलियां” एक कविताओं की संग्रह हैI “अमर आग है “ उन से लिखा गया कविता थाI उन्होंने
कहा “मेरी कवितायेँ युद्ध की घोषण है, मुकदमा हारने की नहीं है”
“योद्धा फौज की विजय संकल्प है, हाराहुआ योद्धा की निराशजनक ढोलबाज नहीं है “
“आलसियों की मायूस आवाज़ नहीं है, मगर जीत की उत्तेजित आवाज़ है”
२००९ में उनको आघात हुई जो उनकी भाषण को प्रभावित किया I उनकी
सेहत चिंता को जताया I उनका जीवन पहियेदार कुर्सी में ही सीमित थे I किसी को पहचान नहीं रहे थेI उनको
मधुमेह भी था I कई साल से सार्वजनिक संलग्न से दूर रहा I सिर्फ मेडिकल जांच केलिए एम्स जाया करता था I
गुर्दे में संक्रमण के दौरान उनको जून ११ २०१८ को एम्स में भर्ती किया गया I उनकी हालत गंभीर थी I १६ वीं अगस्त को शाम ५.०५ बजे उनकी निधन हुई I १७ अगस्त २०१८ को उनकी पार्थिव शरीर को भारतीय झंडे से लिपटा गया Iउनको बीजेपी की मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं और माननीय व्यक्तियों की दर्शन केलिए रखा गया I उसके बाद राजघाट के पास राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर उनका अंतिम संस्कार पूरे देशीय सम्मान के साथ कराया गयाI
संस्कार में प्रधान मंत्री सहित कई नेताओं और हज़ारों लोग मौजूद थेI
वाजपेयी ने किसी भी चीज़ से ज्यादा, भारत और लोकतान्त्रिक परंपराओं को अहम् माना I उन्होंने विरोधियों का दृष्टिकोण को भी स्वागत किया I हिंदुत्व के मूल सिद्धांतों पर उनको दृढ़ विश्वास था I इन बातों केलिए वे हमेशा केलिए याद किये जायेंगे I २०१५ में उनको भारत की उच्चतम नागरिक सम्मान “भारतरत्न” का
पुरस्कार दिया गयाI
समाप्त
Author: C.P. Hariharan