"अटल बिहारी बाजपेई", यह नाम कोई साधारण नाम या तो साधारण व्यक्ति का नाम नहि की जिसकी व्याख्या हो सके । यह अपने आप मे बहुत कुछ है ।
अटलजी यानी सड़क से लेकर संसद तक की संघर्ष गाथा, एक सामान्य व्यक्ति जो सड़क पर आम लोगो के साथ नजर आते थे और उसने देश की संसद मे पहुंच कर नेता प्रतिपक्ष जैसे पदो से लेकर प्रधानमंत्री तक की सफर की, फिर भी उनका व्यक्तित्व और उनके स्वभाव मे कभी फर्क नहि आया ।
प्रधानमंत्री होने के बावजूद लोगो को अटलजी मे उनके अपने अटलजी ही दिखते थे । जो कभी देशवासीओ के लिए सड़क पर उतर आते थे तो कभी संसद मे सिंह गर्जना करते थे ।
अटलजी यानी एक "शब्द सम्राट:, जो अपनी लिखनी उठाकर मौत को भी हरा देते थे, दूध मे पड़ी दरार भी माप लिया करते थे, जो हंमेशा गीत नया गाते थे, कदम मिलाकर चलना सिखाया करते थे, जो हर आफत से टकरा जाते थे ।
अटलजी यानी जिसने अपने जीवन मे कभी देशहित के उपर सता को नहि समझा । एक मत से सरकार गिर सकती है, तो उस एक मत से वापिस सरकार बन भी सकती थी । वह चाहते तो वह भी मत खरीद सकते थे लेकिन उन्होंने वह मार्ग नहि अपनाया ।
संसद मे विश्वास मत हांसिल करने से पहले इस्तीफा सिर्फ वही दे सकते है, ना कोई और । जिसने कहा था मैंने राजनीति को नहि लेकिन राजनीति ने मुझे चुना है । वह बिल्कुल सही था । अटलजी ने कभी राजनीति नही की पर हंमेशा राष्ट्रनीति ही की ।
अटलजी यानी जिसने प्रभु रामजी के मंदिर की आवाज लगाई, जो भगवान राम को राजनीति मे लाए । जिसका स्वप्न था कि, अयोध्या मे राम मंदिर बने पर शांति से ना कि हिंसा से । इसलिए जब बाबरी का ढांचा गिराया गया तब उसने उस पर दुख भी जताया था ।
अटलजी यानी नहेरू से लेकर नरेन्द्र मोदी तक हर प्रधानमंत्री ने जिसके कामो की तारीफ की और जिसके पास से बहुत कुछ सीखा भी ।
अटलजी यानी युनो हो या करगिल हर जगह पाकिस्तान को आईना दिखाने वाले व्यक्ति । युनो मे जाकर जिसने प्रथम हिंदी मे अपना भाषण दिया और कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को आंतर राष्ट्रीय स्तर पर पछाड़ा । और जब कारगिल का युद्ध हुआ तो अपने 'अटल' निर्णयो से युद्ध भुमी मे भी पछाड़ा ।
अटलजी यानी एक सफल संगठक, जिसने सिर्फ ग्यारह लोगो से पार्टी की शरूआत कर उसे पूरे देश मे पहुँचा कर पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक भाजपा की सरकार बनाए और आज उनकी ही महेनत रंग लाई है, जिससे भाजपा ग्यारह करोड़ से अधिक सभ्यो के साथ पूरे विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है ।
अटलजी यानी दिर्घद्रष्टी धराने वाले व्यक्ति, जिसने सदन मे कहा था कि, "भले ही आज कम सदस्य होने पर आप लोग हम पर हँस रहे हो पर एक दिन पूर्ण बहुमत के साथ हमारी सरकार आएंगी ।" और आज पूर्ण बहुमत वाली सरकार उनकी ही दिर्घद्रष्टी का परिचय कराती है ।
अटलजी यानी दलगत राजनीति से उठकर राष्ट्रहित की राजनीति मे विश्वास करनेवाले व्यक्ति, जो समय आने पर अपने विरोधीओ की तारीफ करने मे भी कभी संकोच नहि रखते थे ।
अटलजी यानी मानो सर्वदलीय नेता । वह कभी जनसंघ या भाजपा तक सीमित नहि रहे पर उसका सभी दलोने स्वीकार किया और आदर, सन्मान दिया । सभी दलोने उनका आदर किया, उनसे सीखा और उनकी दिखाई राह पर भी चले ।
अटलजी यानी इस सदी के महानायक, उनके जैसा नेता भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी कभी नहि मिल सकता और न शायद कभी मिलेंगा । और ऐसे महानायक सदीओ की तपस्या से ही किसी देश को मिल सकते है ।
अटलजी यानी शास्त्रीजी के बाद दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री जिसे सब दलोने अपना माना हो । उनके विरोधी भी उनको इतना चाहते थै, जितने कि उनके समर्थक ।
अटलजी यानी देश की सुरक्षा के लिए पूरी दुनिया से लड़ने का साहस रखने वाले व्यक्ति । जिस तरह उन्होंने अपने निर्णय अटल रहकर सभी जगह से दबाव होते हुए भी अमेरिकी सेटेलाइट को भी धोखा देकर परमाणु परीक्षण किया उसे देखकर पुरी दुनिया दंग रह गई थी और उसके बाद उनको कई परिस्थितिओ का सामना भी करना पड़ा पर वह उनसे कभी न हारे, न झुके ।
अटलजी यानी खुद मे एक गीत, अटलजी यानी खुद एक विशाल ग्रंथ, अटलजी यानी राहबर, अटलजी यानी अटल मन के धनी, अटलजी यानी एक विचार, अटलजी यानी खुद एक विचारधारा, अटलजी यानी सिंधु मे ज्वार उठाने वाले व्यक्ति, अटलजी यानी जिसका तन-मन हिंदू होने का परिचय देता था, अटलजी यानी इमर्जेंसी का योद्धा, अटलजी यानी आवाज, अटलजी यानी स्पष्ट वक्ता, अटलजी यानी स्पष्ट वाणी के स्वामी, अटलजी यानी प्रखर राष्ट्रवादी, अटलजी यानी मा भारती के सच्चे सपुत, अटलजी यानी…
क्या न लिखे इस व्यक्ति के बारे मे ? जो खुद शब्द सम्राट हो उसे शब्दो मे कैसे बांध सकते है ? हर एक देशवासीओ को अटलजी मे कोई अलग ही रूप नजर आता था । किसी को नेता तो, किसी को पत्रकार, किसी को कवि तो किसी को राष्ट्रवाद । अटलजी यानी मोतीओ का एक ऐसा समंदर जिसमे हर तरह के मोती थे । जिसने जैसा चाहा उसने अटलजी को वैसा पाया ।
पर अभी कुछ दिन पहले यह महामानव हमारे बीच से ऐसे चले गए मानो कोई स्वप्न हो, अभी भी दिल यकीन नहि करता कि, अटलजी अब नहि रहे । जब भी दिल को यह मनाने का प्रयास करे तो, दिल एक ही बात कहता है, "वो अटल थे, अटल है और हंमेशा अटल ही रहेंगे ।" आज भले वह हमारे बीच न हो पर इस देश के करोडो-करोडो लोगो के दिल में सदियो तक वह जिंदा ही रहेंगे ।
अभी भी ऐसा ही लगता है मानो, स्मृति स्थल पर पड़ी राख मे से आवाज आएंगी,
"देखो; मैं मोत को फिर से हराकर आया हु,
मैं आपका अटल वापिस लौटकर आया हु ।।"
भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेईजी के चरणोमें शत् शत् नमन !
- अर्जुन गढिया (संपर्क : 7878127238)