मनुष्य अक्सर अच्छी यादों को संजो कर रखता है,एवं दूसरो से साझा करता है।अच्छी बातें जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।इसके विपरीत बुरी यादें मष्तिस्क के किसी कोने में दफन कर दी जातीं है,किसी को कानों कान खबर न हो जाये इस डर से मनुष्य घुटता रहता है।जिससे मन और मष्तिस्क में अस्वस्थता और नकारात्मकता घर करने लगती है।किसी भी घटना का उम्र से कोई सरोकार नहीं होता,ताउम्र मनुष्य घटनाओं दुर्घटनाओं से,जिंदगी का नया सबक सीखता है,इसलिये जरूरी है कि जीवन में एक साथी ऐसा अवश्य हो जिससे आप सबकुछ बेझिझक साझा कर सकें।
इस अनुभव की चर्चा करना बेहद जरूरी इसलिये भी है,कि जब आपके साथ कुछ अशुभ होता है तो अक्सर लगता है,मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?किंतु ऐसा बिलकुल नहीं है,सब के साथ कुछ न कुछ जरूर घटित होता है,ये बात और है कि ज्यादातर लोग उजागर नहीं करते।
बात ज्यादा पुरानी नहीं है,2016,की है।स्मार्ट फोन की अच्छाइयों के साथ साथ इसमें कुछ खामियां भी हैं।उन दिनों फेसबुक और वाट्सएप्प का बुखार सिर पर कुछ अधिक हावी था।कई लोग फ्रेंड लिस्ट में शामिल हुए।लिखने पढ़ने का थोड़ा शौक था,तो कई साहित्यिक ग्रुपों में जुड़ गई,और किसने किस ग्रुप में जोड़ा ये भी नहीं पता चलता था।कई लोगों की रचनाएँ सिर्फ इसलिये नज़र में आ जाती थी।
क्योंकि वो म्युचुअल फ्रेंड द्वारा लाइक की गई होती थीं।
इसी सिलसिले में एक रचनाकार की कविताएं सामने आईं।जिनकी कविताएं,काफी रूमानी हुआ करती थी।उसका नाम था "निखिल"उसकी कविताओं में कमेंट की बाढ़ सी आ जाती थी,अधिकांशतः महिलाएं ही उसकी मित्र सूचि में थी।उसकी डी. पी के अनुसार वो एकदम सौम्य, सुशील लगता था।अक्सर चेहरे और व्यवसाय से किसी के व्यक्त्वि का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।संगीतज्ञ,गायक,लेखक,डॉक्टर, शिक्षक,या आध्यात्मिक गुरु,जरूरी नहीं कि उनकी कथनी करनी एक सी हो।
जिस तरह सब,उसकी कविताओं में कमेंट करते थे,उसी तरह मैंने भी प्रभावित हो कमेंट किया,उसका जवाब मैसेंजर में आया।शुरू में तो सब सामान्य सा लगा।जब उसकी बातें सामान्य से हट कर लगने लगी तो,मैंने उसे जता दिया कि अब बचकानी बातों की उम्र नहीं है।उसकी बातों में तिलिस्म था,वो लगातार इतना ज्यादा बोलता था कि शायद साँस भी मुश्किल से लेता था।हालांकि उसकी किसी बात पर जरा भी यकीन नहीं था।कभी कहता उसकी कई बहने है,और बेटियां भी,अतः महिलाओं की बहुत इज्जत करता है। उसने मोबाइल नम्बर भी मांग लिया।मुझे हर बात झूठी और सिर्फ झूठी ही लगती ,न जाने कौन सा सम्मोहन था उसकी आवाज में कि तब भी सुनती।
मेरी सुखद घर गिरहस्थी थी।बच्चे बड़े थे,इन सब से ऊपर उठ चुकी थी। उसके लिए कोई भाव भी नहीं थे,फिर भी..अक्सर वो कहता कि" एक वयस्क औरत हो इसमे बचकाना क्या है,बोलो स्टैम्प पेपर पर लिख के दूँ?अच्छा,ये जो गाड़ी आ रही है उसके सामने आ जाऊँ?तब मानोगी?"यहाँ तक कह देता कि"तुम थूक दो ,चाट लूंगा तब तो यकीन करोगी"।तब तक समझ मे आने लगा था कि वो नार्मल नहीं है।मैंने एक दिन उसे ब्लॉक कर दिया।
यहाँ मुझसे भी एक गलती हुई।लगभग महीने बाद, मैंने अनब्लॉक कर दिया।
फिर पता चला कि उसकी नॉकरी छूट गई। उससे सिम्पेथी बढ़ी।
धीरे धीरे उसकी बातों में बहुत गालियां शामिल होने लगीं।एक बार देर रात को उसका काल आया उसकी बातों से समझ मे आया कि वो टुन्न है।दूसरे दिन सब बातों के लिए माफी मांगता।उसने ऐसा मायाजाल बुन रखा था कि हर बार"छोड़ो,माफ करो "वाली बात मन में आती।इस तरह बातों से हिप्नोटाइज कर देता कि...बस।एक दोपहर बाहर से आ, चेंज कर रही थी कि उसका कोल आया।दो मिनट में तो बीसियों मेसेज कर देता।कहा जाता है न,विनाश काले विपरित बुद्धि।बस उस टाइम काल उठा लिया।फिर क्या था,उसने फ़ोटो दो अभी अभी अभी जिद शुरू कर दी।मना करने के बावजूद,कम से कम पच्चीस तीस बार,अलग अलग दलीलें दे,उसने मांगीं।हड़ के उस वक़्त की फ़ोटो दे दी।उसने कहा देख कर डिलीट कर देगा। मैंने भी झंझट खत्म किया।दूसरे दिन उसकी बीबी का मैसेंजर में मेसेज दिखा,तमाम उल्टी सीधी बात के बाद,बहुत कुछ लिखा हुआ था,जो कि आत्म सम्मान को छलनी कर गया।फिर उसने धमकियां देनी शुरू की।ब्लैक मेलिंग का दौर शुरू हुआ,"इतनीं रकम पहुँचाओ नहीं तो सोशल मीडिया में वाइरल कर देंगे।"मैं इस अचानक आई विपदा से एकदम घबरा गई।बदनामी के डर से थर थर काँपने लगी।लगा किसे बताऊँ।अलग अलग नंबर से धमकियां आने लगी।कभी कहा जाता"पति की वाल पे पोस्ट कर दी जाएगी।कभी कुछ तो कभी कुछ।डर के मारे हालत खराब थी,लगा कि अगर पति तक बात पहुँची तो इस उम्र में फजियत और गृहस्थी टूट जाएगी,उम्र भर की मेहनत,एक फालतू से,जिसका हकीकत से कोई लेना देना नहीं,जाया हो जाएगी। एकदम घबरा गई कहाँ जाऊं क्या करूँ,कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूँ।तभी एक फेसबुक फ्रेंड को मैंने सारा किस्सा बताया।उसने बहुत हिम्मत बंधाई।कहा कि सबसे पहले सिम बदलो तो,कॉल आने बंद होंगे।डर के मारे फेसबुक और व्हाट्सएप्प डीएक्टिवेट कर दिए।उसकी पत्नी ने धमकी दी थी कि तुम्हारे पति के वॉल पर सब पोस्ट कर देगी।येअब एक नया डर पैदा हो गया।उस मित्र ने सलाह दी कि अपने पति के फेसबुक में जा कर इनलोगों को ब्लॉक कर दो।समझ मे आ गया था कि ये सारा,पति पत्नी का ट्रेप था। इसलिये मैंने सारी बात अपनी बेटी को और बहन को बताई।उन दोनों ने ढांढस बंधाया।बेटी ने अपने पापा का पासवर्ड मांग कर उनदोनो को ब्लॉक कर दिया ।उन दिनों इतनीं शर्मिंदा थी कि खुद पर बड़ा गुस्सा आया।अक्सर माँ, बेटी की समस्याएं दूर करती हैं,यहाँ उल्टा हो गया था।हालांकि सारा मामला सेटल हो गया था।फिर भी मन बड़ा व्यथित था।उसके बाद दुबई जाने का प्रोग्राम बना वहाँ भी मेरा मन नहीं लगा,इतनीं बड़ी दुर्घटना कैसे भूल सकती थी।वक्त हर चीज का इलाज होता है।धीरे धीरे सब कुछ भूल सामान्य होने लगी,इस सबसे उबरने में,मेरे उस मित्र,बेटी और बहन की बड़ी अहम भूमिका रही।न कभी इसकी चर्चा बेटी ने की,न बहन ने जिससे शर्मिंदगी महसूस हो।लेकिन इस घटना को याद कर आज भी मैं सिहर जाती हूँ।