खुशी
हे ईश्वर सबका कल्याण हो|आपकी महिमा की सदैव स्तुति हो|
खुशी वैसे तो बहुत छोटा सा शब्द है लेकिन हमारे जीवन मे इसके मायने बहुत बड़े है|अगर हम ध्यान से विचार करेंगे तो पायेंगे की हम जो अपने रोजमर्रा के काम करते है उनका मुख्य उद्देश्य खुशी और सुकून प्राप्त करना होता है|जैसे कि कोई अगर किसी दफ्तर मे काम करता है या कोई व्यापार करता है या फिर कोई मजदूरी करता है, तो वो इसलिए ताकि वह अपनी और अपने आश्रितों कि जरूरतों को पूरा कर सकें|और जब वो इन जरूरतों को पूरा कर लेता है तो उसे शांति और सुख कि अनुभूति होती है |
परन्तु एक चीज ये भी ध्यान रखने वाली है कि इंसान कि इच्छाएं अनंत होती है और उसी के हिसाब से उसकी जरूरते भी बढ़ती जाती है|अब अगर इस धरती पर देखा जाये तो ऐसा कोई इंसान नहीं जिसकी सभी इच्छाएं और जरूरते पूरी होती हो | जरूरतें अगर भौतिक है तो एक अत्यंत धनी व्यक्ति के लिए भले ही उसे पूरा कर पाना संभव हो परन्तु फिर भी उसकी सारी इच्छाएं और आकांछाएं कभी पूरी नहीं होती |अगर ऐसा होता तो जो बहुत धनी लोग हमेशा खुश रहते | उन्हें कभी भी कोई दुःख नहीं होता | परन्तु क्या सच मे ऐसे धनी लोगो को कभी दुःख नहीं होता? मैंने अक्सर पढ़ा है कि कई विचारक कहते है कि लोगो को क्षणिक सुख के चक्कर मे नहीं पढ़कर उस सतत परम आनंद कि खोज करनी चाहिए जो केवल हमें ईश्वर मे लीन होने से ही मिल सकती है | परन्तु मेरा मानना है कि छोटी - छोटी खुशियाँ जो हमें जीवन के कई सारे छोटे - छोटे अवसरों पर मिलती है यदि उन्हें जोड़ा जाएं तो हम पाएंगे कि वो हमारे जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा होती है | इन छोटी छोटी खुशियों के अवसर को हमें कभी गवांना नहीं चाहिए क्योंकि ऐसे अवसर भी हमें ईश्वर कि कृपा से ही प्राप्त होते है | अगर हम इन छोटी - छोटी खुशियों के अवसरों को छोड़ देंगे तो हमारी जिंदगी एकदम नीरस हो जाएगी|परन्तु एक बात ये भी है कि हमें इन छोटी - छोटी खुशियों मे ही अपने आप को पूरी तरह नहीं रमने देना चाहिए क्योंकि ये क्षणिक होती है और कुछ क्षण बाद उनकी मात्र यादें रह जाती है |ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसके जीवन मे ऐसी कोई खुशी कि घटना घटित हुई हो जिसके बाद वो पूरा जीवन उस घटना की याद के साथ खुश रहा हो |इसलिए क्षणिक खुशियों को ईश्वर का वरदान और आशीर्वाद मानते हुए और इसके लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करते हुए परम आनंद की खोज मे हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए |
कहते है खुश रहना एक कला है| ये मेरी समझ से परे है, क्योंकि कलाकार जैसा प्रदर्शित करता है जरूरी नहीं की वो वैसा हो भी या जैसे भाव वो दिखता है वैसे भाव उस समय उसके अंदर हो ही | कई बार हम दुसरो के सामने अपने आप को खुश दिखाने की कोशिश करते है परन्तु उस समय हमारी मनोस्थिति कुछ और ही होती है | ये एक साधारण सी बात है जो हर किसी के साथ कभी न कभी हुई ही होगी |मेरे अनुसार खुश रहना हमारे विचारों पर निर्भर करता है | हमारे विचार जैसे जैसे बदलते जाते है हमारी खुशियों के पैमाने भी बदलते जाते है | एक मज़दूर इसी बात से खुश हो लेता है की आज उसे काम मिल गया, शाम को उसे 300 रूपये मिलेंगे और वो अपनी और अपने घर वालो की जरुरत का सामान खरीद पायेगा | जब की कई बार ऐसा भी होता है की कोई बड़ा व्यापारी ये सोच कर दुखी हो जाता है की कल उसे 25000 हज़ार का मुनाफा हुआ था जबकि आज मुनाफा केवल 20000 हज़ार हुआ | जबकि देखा जाये तो उन 20000 हज़ार रुपयों मे उस दिन की उसकी सभी जरूरते पूरी हो जाएँगी और रुपये बचा भी जायेंगे | मैंने एक बार सुना कि किसी आदमी कि डेढ़ करोड़ कि लाटरी लगी| लेकिन उसे इस दुःख मे हार्ट अटैक आ गया कि उसे टैक्स के रूप मे सरकार को लगभग 48 लाख रूपये देने पड़ेंगे | ये सुनने मे हास्यास्पद लगता है लेकिन अगर हम ध्यान से अवलोकन करें तो कई सारी परिस्थितियों मे हम भी खुद को उस आदमी कि तरह पाएंगे जहाँ हमें पाने कि खुशी से ज्यादा खोने के बारे मे सोचकर दुखी होते है |इसलिए मेरे हिसाब से खुश रहना हमारी परिस्थितियों से ज्यादा हमारे विचारों पर निर्भर करता है | फिर भी कई बार परिस्थितियाँ बहुत ज्यादा विपरीत होती है और तब वैसी अवस्था मे खुश रहना बहुत मुश्किल होता है | तब हमें ये सोचकर चलना चाहिए कि समय हमेशा बदलता है और ये बुरा वक़्त भी निकल जायेगा और फिर अच्छा समय आएगा | हमें आशावान बने रहते हुए ईश्वर से मदद कि विनती करनी चाहिए |ईश्वर बहुत दयालु है वे हमारी विनती जरूर सुनते है |ईश्वर हमें वो नहीं देते जो हम चाहते है वल्कि वो देते है जो हमें चाहिए या जो हमारे लिए जरूरी है |
एक समय कि बात है एक गाँव मे दो मित्र रहते थे | एक दिन दोनों ने निश्चय किया कि जंगल के एकांत मे जाके तपस्या करेंगे और भगवान से वरदान प्राप्त करेंगे | पहला मित्र भौतिकवादी था जबकि दूसरा शांत और विचारशील था | दोनों ने तपस्या आरम्भ कि और कई वर्षो तक तप करते रहे | फिर भगवान ने प्रसन्न होकर दोनों को दर्शन दिया और वरदान मांगने को कहा | पहला मित्र जो कि भौतिकवादी था उसने अपार धन सम्पदा, राज्य और एक सुन्दर सी स्त्री से विवाह का वरदान माँगा|जबकि दूसरा मित्र विचारशील था सो उसने भगवान से वरदान माँगा कि चाहे जैसी भी परिस्थितियां हो मै और मेरा परिवार हमेशा खुश रहे | भगवान दोनों को वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए | दोनों मित्र फिर अपने अपने रास्ते चले गए | पहले मित्र को अपार धन, राज्य और विवाह के लिए बहुत ही सुन्दर कन्या मिली जबकि दूसरा अपनी साधारण सी जिंदगी मे बहुत खुश था | कुछ वर्षो बाद वहां भीषण अकाल पड़ा |पहले मित्र का धन धान्य सब नष्ट हो गया और वो बहुत दुखी हुआ जबकि दूसरा मित्र अब भी खुश था क्योंकि परिस्थितियां सदैव ही ऐसी बना जाती कि वो कभी दुखी नहीं होता | इसलिए हमें प्रार्थना मे ईश्वर से क्या मांगना चाहिए और क्या मांग रहे है इस पर सदैव विचार करना चाहिए |इसलिए लोगो को अपनी जरूरते सीमित करनी चाहिए और जो मिल रहा है उसके लिए ईश्वर का धन्यवाद करते हुए अधिक के लिए प्रयासरत रहना चाहिए | असफल होने पर निराश होने कि बजाये ये सोचना चाहिए कि ईश्वर ने हमारे लिए कुछ इससे भी अच्छा सोचा होगा और फिर से अपने प्रयासों मे जुट जाना चाहिये |क्योंकि बड़े - बड़े ज्ञानी लोग कह गए है कि कोशिश करने वालो कि कभी हार नहीं होती |
इसी प्रकार हमें अपनी रोज कि दिनचर्या मे एक समय ऐसा नियत करना चाहिए जब हम उस परम आनंद के लिए प्रयास करें |ये प्रयास हमारी दिनचर्या मे ऐसे शामिल होना चाहिए जिसे कि भोजन करना | निरंतर थोड़ा थोड़ा प्रयास करते रहना चाहिए | ये प्रयास ही हमें उस परम आनंद और खुशी कि ओर ले जा सकता है |कहते है बूँद बूँद से ही घड़ा भरता है इसलिए थोड़ा - थोड़ा प्रयास रोज करते रहने से ही हमें उस आनंद कि प्राप्ति हो सकती है | इसलिए रोज थोड़ा थोड़ा प्रयास अवश्य करें |
इन्हीं शब्दों एवं आशा के साथ कि ईश्वर हमें सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करेंगे और हमारा कल्याण करेंगे, मैं इस वार्ता को यही विराम देता हूँ | अगली बार फिर कुछ नये विचारों को साझा करूँगा |
धन्यवाद्