somewhat love in Hindi Love Stories by Yayawargi (Divangi Joshi) books and stories PDF | Somewhat लव -

Featured Books
Categories
Share

Somewhat लव -

‘Somewhat लव’
यार! तू तो बोहोत बड़ी वाली नोट है…  
अच्छा कोनसी वाली 
अमम... 200 की कही से मिलती ही नहीं... 
ओर स्तुति का वौ valentine पे मिलते लाल गुबारों की तरहा लाल होता चेहरा!
स्तुति
काफी unique नाम रखा था माता-पिता ने उसका लेकिन बाकी unique नामो वालों की तरह ही स्तुति भी अपने नाम से हमेशा परेशान ही रहा करती थी ओर आखिर हो भी क्यू ना! जीतने मुह उतने versions निकाल ही जाते थे 
श्रुति
सूती
शुतुति
ओर पता नहीं क्या क्या...!
बाकी लड़कियो जेसी थी ही कहा वो 
पैसे ओर पैसे के ज़िंदगी मे मायने बोहत ही कम उम्र मे समाज आ गए थे उसे, आते केसे नहीं!
माँ –पापा को घर से बाहर करना, पापा की कड़ी मेहनत,माँ का केसे कर के दो वक्त का खाना बनाना, पढ़ाई के खर्चे, घर के खर्चे के लिए भी पेसों की तनातनी॥ इसीलिए बचपन से ही काफी कर्रिएयर ओरियंटेड थी!
रुक जाए जनाब! अगर इतना सुन के आप यह समज रहे है की, चसमे पहनने वाली किसी से बात न करने वाली कोई पढ़ाकू लड़की बात चल रही है तो “हो सकता है आप गलत हो!”
आफत की पुड़िया या फिर येही केहलों imperfection का पेकेट थी! कोई भी काम देड़ो एक बार बिगाड़ेगी ही ओर हड़बड़ी मे गड़बड़ी करने की पुरानी आदत!

अच्छा माँ एक बात बताओ! लड़की होने का यह तो मतलब नहीं के खाना बनाना आना ही चाहिए; ओर अगर जीवन ज़रूरियात है तो लड़को भी सीखना चाहिए
ओर माँ बड़े ही प्यार से कोई ब घर का काम लाडॉ को नहीं देती थी !
तुजसे बहस करने से अच्छा हे मे ही यह काम करदू॥ माँ झूठी रिस देखके कहती॥

अहह! माँ घर पह रेह रेह के बोर हो जाऊँगी मैं! ; स्तुति ने बड़े ही नाराजगी से कहा 
Exams खतम हो गई थी ओर result आने मे तो 3 महीनो की देर थी॥ अब बाकी लड़कियो की तरहा वोह घर के कामो उलजना पसंद नहीं था॥ 
माँ भी मोर्ड़ेन थी कहा , बेटा इंटरनेट फ्री करवाले तेरा टाइम पास भी हो जाएगा ओर दो नई चिजे भी सीखने मिलेगी
बस ! फिर क्या था स्तुति को तो जो चाहिए था वोह मिल गया!!
बोहोत सुना था उसने व्हाट्स अप्प के बारे मे लेकिन exams सर पे थी ओर यह सब मोह माया चाहिए कहा थी ॥ अब तो exam हो चुके थे तो सोचा क्यू ना social media का ही थोड़ा ज्ञान क्यू न बढ़ाया जाए॥
फिर क्या नेकी ओर पूछ पूछ !
नेट पेक रीचार्ज करवाके सब से पहले स्तुति ने व्हाट्स अप्प बाबा को ही अपना नंबर दिया पर दोस्त तो कोई था नही आखिर क्या किया जाए! तब याद आया उसकी एक दोस्त बता रही थी के क्लास का कोई कोमन ग्रुप है॥
अब ग्रुप मे एड तो हो गए लेकिन जान-पहचान बढ़ाए केसे!
 तभी ग्रुप मे मैसेज आया! 
Welcome!! श्रुति ओर एक cute सी स्माइल
श्रुति
स्तुति जल्ला गई अब तक लोग सुनने मे तो गलती करते ही थे पर अब तो नाम गलत पढ़ने भी लगे है 
देखू तो सही कोन है यह श्रुति वाला 
राहुल ओर पास मे दो आँख मारती एमोजी; ग्रुप अड्मिन थे जनाब! Dp देखा तो सही! पर याद ना आ पाया की कोनसी क्लास मे कोनसे बेंच पे किनके साथ बेठा था॥
इट्स स्तुति
What is in the name!
Everything is in the name ओर मुह बिगड़ती दो एमोजी भेज के स्तुति ऑफलाइन हो गई॥
राहुल! नाम तो सुना ही होगा... राहुल नाम के पीछे by default आता डाइलोग स्तुति के दीमग मे आ ही गया!! कितना घीसा-पीटा नाम है ओर चेहेरा मानो attitude का बादशाह! हूह...
मोबियल डाटा ऑन करते ही 421 मैसेज पूरे स्तुति के नाम का तो मानो पोस्ट मोटेर्म कर के रख दिया था!
ओर एंड मे सोर्री dear स्तुति welcome ओर प्यारे से दो गुलदस्ते के एमोजी॥
स्तुति फिर से जलला के रेह गई
स्तुति : अब dear क्या है! Dear कब से हो गई मे
राहुल : सोर्री buddy! अब तो dear god आए तो भी dear बोलने की आदत न जाएगी
स्तुति : ठीक है पर अवॉइड करना 
राहुल : okay
ओ के ए वाय okay का पूरा स्पेलिंग कोन लिखता है? Whatever
तेरा dp क्यू नहीं दिख रहा, नंबर सेव नहीं किया अब तक? 
कहा पता था उससे के ये नंबर एक दिन उसे मुह ज़बानी हो जायगा या एक दिन ब्लॉक करने के बावजूद आंखे उसी नंबर का एक message ढूंढती रहेगी!

ग्रुप चैट,private chat से personal chat तक की सफर...
कोन बीएफ़-जीएफ़ है, कोन क्लास बँक करके किस के साथ कहा जाता है, जब क्लास मे बोर हो जाते थे तो केसे डब्बे गिराके एंटर्टेंमेंट करते थे...  से लेके सब से बड़ा दर, कमजोरी,निराशा,फ्युचर-प्लान्स,गोल्स। अचिवेमेंट्स सब शेर करते थे...
कहते है ना शेरिंग इस caring, caring इस loving…  बस कुछ एसा ही रिस्ता पनप रहा था दोनों के दरमियान... 
स्तुति मानो पहली बारिश होने के बाद जेसे पेड़-पोधे खिले=खिले एक नई ही ऊर्जा देते है वेसे ही खिल गई थी सिर्फ लबो से नहीं पूरे बदन से हस्ती थी॥
स्तुति  : अम्म... एक बात बोलू ?
राहुल : बोल... 
स्तुति :can i propose you?
राहुल : अरे... गलती से मेरे प्यार मे मत गिर जाना॥
स्तुति : shut उप!
राहुल :तूने तो कहा can i propose you?
स्तुति : क्या आप को हमारी दोस्ती ताउमर के लिए काबुल है ?
राहुल: डरा ही दिया था तूने तो ! friend तो रहूँगा ही ना पागल
     वेसे टूज जेसी कोई मिल जाए as gf काम हो जाए
ओर बाद मे ज़ोर ज़ोर से हस्स ने वाली आंखो मे से पनि निकने तक की एमोजी की लंबी लंबी कतार.... (इमोशन बताने के या कभी छुपने के बेस्ट रास्ता है यह emoticons )
एसी ही मीठी नोक जोक कभी रूथ न माना ना दोस्ती को ओर गहरा कर रहा था॥
सुबह के 4 बझे ओर नोटिफ़िकेशन बार मे (राहुल : गुड मॉर्निंग LOvE)
स्तुति की आंखे फटी की फटी रेह गई  
एलओवीई ! लव 
स्तुति : कोन लव? किसका लव? कोनसा लव? मे तेरी लव कब से हो गई? देख बोल ने मे ध्यान रखा कर मे कोई तेरी लव नहु हु ॥ 
बदले मे बतिस्सी दिखते ओर चिढ़ाते दो पीले पकोड़े
राहुल : क्यू ! हर बार तू ही परेशान कर सकती है सामने वाले को ?
स्तुति : मे परेशान करती हु?
राहुल : तेरी आदत यही है परेशान करने वाली
ओर घंटो चलती बेफिजूल बक-बक...
कभी कभी स्तुति को लगता के राहुल प्यार करने लगा है उससे फिर सोचती ना, we are just best friend if we are not then… वोह मुझे अपने crush के बारे मे, अपने प्यार के बारे मे , अपनी एक्स के बारे मे, ईवन जिस लड़की को प्रपोसे करने वाला है उसके बारे मे सब कुछ क्यू बताता? मे ही जादा सोच रही हूँ॥
एसे ही चैटिंग आगे बढ़ती रही ओर समय भी अपनी गति से आगे बढ़ता रहा यह कब महीनो मे बादल गया पता ही न चला॥ दोनों पूरा दिन मैसेज मे बाते करते पूरा दिन केसा रहा? क्या किया ? कहा गए? ओर कभी समय मिले तो एक दूसरे को कॉल भी कर लेते ओर घंटो बाते चलती ओर खतम होती अच्छा रखती हु ओर जेसी तेरी अंतिम इछा पे... 
Specially एक दूसरे को दिखा ने के लिए रोज़ स्टेटस अपडेट होता फोटो शेरिंग होता...
समय के साथ दोनों बादल ने लगे थे एक दूसरे की मानो आदत सी लग गई थी॥ रोज़ बाते करना, एमएसजी ना आए तो कुछ भी अच्छा ना लगता ओर जब एक मैसेज आने पह कुछ अलग ही स्माइल आती थी चहरे पे...
स्तुति : सुबह के 3.30 को जीएम कही बाहर गया है क्या? 
राहुल : हा ! दिल्ली आया हूँ ॥
स्तुति : हम्म... कुछ एंजॉय भी किया या सिर्फ काम ही किया !
राहुल :तूह साथ ना हो तो फिर केसे एंजॉय करू?
स्तुति :अच्छा ! ओर कहा-कहा थी मे तेरे साथ ओर कहा-कहा तूने मेरे साथ एंजॉय किया है! 
राहुल : तूने हा कहा है कभी कही साथ मे आने के लिए
स्तुति : तूने कभी पहले पूछा है?
राहुल : ठीक है अब पूछ लेता हु ,लंच पे चल मेरे साथ!
स्तुति : exams है बाद मे कभी! पक्का 
जेसे-तेसे स्तुति ने टाल दिया ओर याद करने लगी आखिर कितनी बार मिले थे दोनों एक बार जब अजनबी थे तब एक बार जब एक दूसरे को सिर्फ देखके पहचानते थे तब ओर एक बार जब मिले तो सही पर बात न हो पाई॥
Officially, पहली बार जब वोह राहुल से मिलेगी as फ्रेंड 

बेचेनी, बेताबी आज मुझे यह केसी आज है जो पहले ना थी दिल की हालत एसी...
आज उनसे मिलना है हमे... आज उनसे मिलना हमे... 
सजना है मुझे सजना के लिए 
स्टॉप ! वन मिनिट he is not my sajana…. 
एसे कई अलग अलग बॉलीवूड गाने मन मे लिए खुद से ही बाते करते... खुद को ही डाट ते 
स्तुति तैयार हो गई थी उससे मिल ने जो उसका कोई ना था!
एक नज़र पर सामने रखे आईने मे उसने खुद को देखा... जो माँ-पापा रामेश्वरम से लेके आए थे जिस के आस पास की सुंदर छिप ओर शिपयो से नकसीकम किया गया था! हर बार इस्स खूबसूरत आईने मे खुदकों देखने से ओर खूबसूरत महसूस करती थी खुद को लेकिन आज.....
  सफ़ेद टी-शर्ट, ब्लॅक डेनिम जीन्स ओर असपे लेधर जेकेट भीगे हुये बाल ओर उसकी एक लट से पानी की बूंद पलको को स्नेह से सहलाते गालो से फिसलते गरदन से होते हुये टी-शर्ट मे शमा रही थी ओर गीले बालो की वजे से सफ़ेद टी-शर्ट का ऊपर का थोड़ा हिस्सा पारदर्शक होके चिपक गया था जो उसके अप्रतिम रूप की हल्की सी जालक दे जा रहा था... लेकिन यह क्या!! उसके गालो पह तो लाल सी गुलाबी लाली आ गई थी जेसी मनाली की वादिया के बीच आई थी...
स्तुति फटाफट बाल dry किए ओर मिलने के लिए तैयार हो गई!
Destination arrived 
15 पहले ही आना हो गया अब इंतज़ार!
ऊपर से राहुल महाशय भी 15 मीनट लेट! शहर का ट्राफिक पता है ना...!
आधे घंटे के लंबे इंतज़ार के बाद जब राहुल की एंट्री ओर तभी हा तभी गाना बजाना "तुम आ गए हो यकी केसे आए यह दिल कह रहा है, तुम्हें छू के देखू"
स्काइ जीन्स,ब्लू टी-शर्ट ओर फोटो मे हमेशा फोटो मे  सन ग्लासिस से ढकी रहती थी आज वो बेपरदा  आंखे जो आज सिर्फ उसे देख रही थी !
एक हल्की सी कसीस उठ के रेह गई मानो दिल एक धडक भूल गया! 
पता नहीं था जिससे रात के 2 बजे बेबाकी से कुछ भी कह जाते थे आज उससे मिलते ही होठ सील जाएंगे! अब बाते करे क्या!
स्तुति : पता है जिसके भी कान पे तिल होना वोह बोहोत लकी होते है!
राहुल : एसा!
स्तुति : तेरे कान पे है ना !
राहुल : मुजे नहीं पता॥
स्तुति: अरे! है ! मे देख रही हू 
राहुल : तो होगा शायद!
स्तुति खुद सोच मे पड गई कह कब उसने आंखो से राहुल का पूरा scanning कर लिया था! इतना गुड लूकिंग तो नहीं था लेकिन आंखे!! मानो आंखो से उसका दिल ही पढ़ लो!
गुस्सा आया था उसे इस बात पह के उसस 1 घंटे की मुलाक़ात मे राहुल ने 3 बार उससे पूछा था ठीक है चलो अब निकलते है!
200 की नोट याद आते ही इस्स कान से उसस कान तक की लंबी सी स्माइल आ जाती स्तुति के चेहरे पे श्रुति बुलाने भी चिड़ती नहीं थी स्तुति अब 
एक अलग ही दुनिया मे मानो उड रही थी !
लेकिन दूसरे दिन की सुबह जब स्तुति उठी ओर मोबियल डाटा ऑन किया तो देखा राहुल का मैसेज था जो मैसेज नहीं पूरा निबंध ही लग रहा था;
“dear स्तुति,तुम जानती हो किसी कारनवास मेरी पढ़ाई थोड़ी देर से सुरू हुई थी॥ काश, तुम थोड़ी बड़ी होती तो सीधा तुम्हारे पापा के पास सीधा रिस्ता लेके आता हमारी शादी के लिए but, I know its impossible… मे तुजसे 9 साल बड़ा हु॥ मेरे लिए तू छोटी बहन की तरह होनी चाहिए थी लेकिन we are best buddy लेकिन अब तेरा सिर्फ दोस्त बन के मे नहीं रेह सकता! I SOMEWHAT love you… पता है सिद्दत वाली मोहोब्बत नहीं है हमारी लेकिन अब कुछ प्यार या प्यार जेसा ही कुछ करने लगा हु तुजसे, जानता हु हमारे रिस्ते का कोई भविस्य नहीं हो सकता पर अब दोस्ती नहीं निभाए जाएगी मुजसे तेरा मनपसंद डायलोग था ना ; प्यार कर न हमारे बस मे नहीं पर उसस प्यार से दूर चले जाना तो हमारे बस मे है ना, तुजे मे ब्लॉक नहीं कर पाऊँगा तू ही मूजे ब्लॉक कर देना ! मे तुजे ओर हर्ट करना नहीं चाहता तुजसे ओर तेरी ज़िंदगी से दूर जाना चाहता हु but I really SOMEWHAT, SOMEWHAT love you, dear “

“THE END”