Satark in Hindi Short Stories by Sanjay Nayka books and stories PDF | सतर्क

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सतर्क

सतर्क

टी.वी पर ब्रेकींग न्युज चल रही है |

मुंबई के प्रचलीत ईलाके की कलावती हस्पताल मे एक आतंकवादी हमला हुआ है | हमले मे 15 लोगो मारे गये है और 20 से ज्यादा घायल होने की संभावना जताई जा है | हमला करीबन सुबह के 5 बजे हुआ है |

हस्पताल के सी.सी केमेरे उस हमला वर की तसवीर साफ नहि आ पाई है मगर सायद स्केच एक्शपर्ट से हमलावर का स्केच जारी किया जा सकता है | सरकार देशवासीयो से सतर्क रहने की सलाह दे रही है कोई भी सनिध्न

व्यकित की जानकारी मिले तो हमें स्क्रिन पर दिखाये गये नंबर पर फोन करे धन्यवाद |

सिमा ब्रेकींग न्युज देखने आती है |

सिमा: गुड मोरनींग पापा !

पापा: क्या गुड मोरनींग ? दिवाली मे जीतने बम नहि फुटते उसे ज्यादा आंतकवादी फोड रहे है !

सिमा: ओह मालावती हस्पताल मे ?

मम्मी नास्ता लेकर आती है |

मम्मी: इन कमिनो को कीडे पडे पडेगे | इस्से तो अच्छा मेरे चादरवाले बाबा के भजन चलाओ !

पापा: तेरे बाबजी उल्लु है !

सीमा: पापा बाबा का टुल्लु होता है !

पापा हस्ते है |

सिमा: मम्मी ! पराठे को पुरी की तरह घी में टला है क्या ? कितना घी डाला है ?

मम्मी: पता है स्लिम वाला फेसन ! सिल्म बनने के चक्कर मे सुक लडकी मत बन जाना !

सिमा: ओह्ह मम्मी तुम भी ..चलो में ओफिस चलती हुं |

सिमा ओटो मे जा रही है और किसी को परेशान होकर फोन करती है | थोडी देर के बाद फोन कनेक्ट होता है |

सिमा: पल्लवी कहा है तुं ? तु और तुम्हारी फेमेली ठिक तो हो ना ?

पल्लवी: हा सब ठिक है पर कलावती हस्पताल मे बुरा हाल है !

सिमा: हा देखा मैने पर तु आपना ख्याल रखना चल बाय …

फोन कट करती है और तुंरत एक मेसेज आता है |

सिमा: आंतकी हमले मे घायल हुये 10 साल के बच्चे के लिए ओ-नेगेटीव खून की जरुरत है !

सिमा मेसेज पढते ही फोन करती है |

सिमा: हेल्लो अमर !

अमर: हा सिमा बोलो |

सिमा: अपने ग्रुप मे मेसेज पढा ?

अमर: वो ओ-नेगेटीव ब्लड वाला ?

सिमा: हा |

अमर: हा मैने दुसरे ग्रुप मे फोरवर्ड खर दीया है |

सिमा: अरे य़ार सब फोरवर्ड करेगे तो हेल्प कौन करेगा ?

अमर: तो मै क्या करु ? मेरा थोडी ओ-नेगेटीव ब्लड है ?

सिमा: हा पता है पर तेरे पापा की रेडक्रोस में अच्छी पहेचान है इसीलिए कह रही हु | किसी की जिंदगी का सवाल है तुम्हे पता तो है ना ओ-नेगेटीव ब्लड मिलना कितना मुश्किल होता है ! सेवा का काम है भगवान इसके बदले अब की बार तेरी शादी करा देगा बस !

अमर: शादी के नाम पर ब्लेकमेल मत कर ! चल कुछ करता हुं |

सिमा: कुछ नहि फिक्स कर तभी तुम्हारे शादी फिक्स होगी

अमर: हा फिक्स करता हु मेरी माँ ! अब फोन रख नहि तो शादी का वास्ता देकर मेरे से क्या करवा लेगी |

सिमा हलके से हंस कर फोन कट करती है | ओटो बस स्टेशन के सामने खडी रहती है | सिमा ओटो वाले को पैसे देकर बस स्टेन्ड पे बस की राह देखने लगती है |

फिर से फोन पर मेसेज आता है | सिमा मेसेज को देखाती है | मेसेज मे एक फ़ोटो आती है | वो फ़ोटो आंतकवादी का होता है | वो फ़ोटो हस्पताल के सी.सी केमेरे के फुटेज की मदद से पेन्सील स्केच से बनाया गया है

इसलिए आंतकवादी की तस्वीर साफ नहि आई है | सिमा फ़ोटो को ध्यान से देखने जाती तभी बस आ जाती है | सिमा फोन को पर्स मे रख खर बस मे चढ जाती है | सिमा बस के बहार की गति विधिया देख रही है |

कंडक्टर पान चबाता सिमा के सामने आता है |

कंडक्टर: मेडम टिकट टीकट

सिमा: तुम गवर्मेन्ट बस मे हो तुम्हारे घर मे नहि ! ये क्या पान खाकर मुह को गुब्बारा बना कर घुम रहे हो ?

कंडक्टर: अरे मेडम किसी को प्रोबलेम नहि आप को हंमेशा प्रोबलेम होती है !

सिमा: सब को प्रोबलेम होता है पर बोलते नहि ये तुम लोग उनका फायदा उठाते हो

कंडकटर: अरे मेडम ! अब टिकट निकालु ?

सिमा कुछ नहि बोलती है |

कंडकटर: ये लिजिए टिकट ! और 9 रुपेये खुल्ला देना …

सिमा पांच रुपये का नोट ठमा देती है |

कंडकर: मेडम और 4 रुपिये दीजिए ..

सिमा: नहि दुगी ! 10 रुपिये देती हु तो 1 रुपये कहा देते हो ? आज सब वसुल हो गया |

कंडकटर: अरे मेडम …..

कंडकटर चला जाता है | बस अचानक गड्डे के वजह से उछती है तो पेसेन्जर के सामान खीसक जाते है | सिमा भी अपने आप को संभालती है तभी उसकी नजर उसकी बाजु की सीट के उपर सोते आदमी के उपर जाती है |

सिमा: कैसा कुंभकरण की तरह सोया है ? ऐसे आदमी की निंद तो भुकंप के झटके मे भी तोड नही सकते ..

सिमा उस आदमी की बेग पर जाती है जो उसने सीट के निचे रखी थी | सिमा उस आदमी की बेग देखकर सन्न हो जाती है और धडकने तेजी से बढने लगती है | क्युकि बेग मे से उसे बाहर झाकती पिस्तोल देखती है |

सायद वो पिस्तोल बस से उछलने के वजह से बाहर निकल आई होगी |

सिमा आगे पिछे देखती है पर बस मे एक्कादुक्का पेसेन्जर बेठा देखती है | सिमा धीरे से उस आदमी की तरफ देखती है और गहरी सोच मे पड जाती है | अचानक फोन को देखने लगती है मानो उसे कुछ याद आ गया हो !

फोन मे आया आंतकवादी का स्केच देखती है तो ऐसे चोक जाती है जैसे किसीने उसे गहरी निंद से जगा दीया हो ! क्युकि उस आदमी का चेहरा और स्केच से बना चहेरा एक दुसरे से मिलता है |

सिमा तसल्ली करने के लिए फिर से उस आदमी को देखती है पर वो आदमी धीरे धीरे जगने लगता है | सिमा डर के मारे अपनी नजरे दुसरी तरफ़ करती है | वो आदमी फिर से सो जाता है |

सिमा धीरे से उठ कर पीछे वाली सीट पर चली जाती है | पीछे जा कर फोन करती करती है |

सिमा: हेल्लो पुलिस ?

पुलिस इंस्पेक्टर: हा बोलिए ? में पुलिस इंस्पेक्टर विनोद बोल रहा हु

सिमा: आज सुबह जो आंतकवादी हुमला हुआ था वो आंतकवादी मेरे सामने है ?

विनोद: सामने है ? क्या ???

सिमा: हा वो जे.के टावर जानेवाली बस मे है ?

विनोद: मेडम जी ! आपको कैसे पता चला की वो वही आंतकवादी है ?

सिमा: आज सुबह मोबाईल पर आया आंतकवादी की स्केच से बनाई फ़ोटो आई थी वो फोटो इस आदमी मे मिलती है और उसकी बेग मे मैने अपनी आंखो से पिस्तोल देखी है |

विनोद: क्या बात कर रहे हो ? ठिक है आप सतर्क और सावधान रहिये और फोने चालु रखए हम आपका फोन ट्रेक करके आ रहे है |

फोन कट होता है |

सिमा चालाकी से उस आदमी के उपर नजर रखती है | बस के पिछे के आएने से सिमा पुलिस की गाडी को आता देखती है |

विनोद: बंदुक अपनी जेब रखलो हम बस के बहुत करिब है | जब तक मे न कहु तब तक गोली नहि चल आयेगा ! हमारे हाथ मे बंदुक देख कर वो आंतकवादी निर्दोश की जान भी ले सकता है |

हवालदार: जी सर

बस थोडी दूर जाके खडी रहती है |सब पेसेन्जर सोचने लगती है आखिर बस क्यु रुकी ?

वो आदमी भी जाग जाता है बस में एक पुलिसवाला कोमन ड्रेस में फोन करता-करता चढता है |

पुलिसवाला: हा मेडम आप कहा हो ?

सिमा फोन देखाकर इशारा करती है और वो आदमी की तरफ इशारा करती है जिस के लिए पुलिस को बुलाया था | वो पुलिसवाला उस आदमी की तरफ देखता है और वो आदमी भी पुलिस वाले की तरफ देखता है |

पुलिसवाला बस से उतर जाता है |पुलिस वाला जैसे हि बस से निचे उतरता है वैसे वो आदमी अपनी बेग हाथ मे ले लेता है | सिमा वो देखकर डर जाती है |

वो पुलिस वाला निचे उतर कर उसके पुलिस इंस्पेक्टर विनोद को आने का इशारा करता है | विनोद अपनी टीम को इशारो समजाकर बस की तरफ बढते है | सब पुलीसवाले (कोमेन ड्रेस मे) एक बाद एक चढते है

और उस आदमी आजु बाजु की सीट पर बैठ जाते है | वो आदमी सब को देखकर बेग को कसकर पकडता है | सब पुलीस वाले विनोद का इशारे की राह देख रहे होते है |

विनोद अपनी बंदुक निकालना है और उस आदमी को पकडने को इशारा करता है | सब पुलिसवाले उस आदमी पर ऐसे झपटते है जैसे शिकारी शिकार पर झपटते हो ! बस में अफरा-टफरी मच जाती है |

उस आदमी के दोनो हाथ और पैर कश कर बांध देते है वो आदमी छटपताने लगता है कुछ बोलना चाहता था मगर मुह कपडा ठुस दीया जाता है | सब उसको बस से बहार लीया जाता है एक पुलिसवाला उस आदमी की बेग ले लेता है |

सिमा भी निचे उतर जाती है |

विनोद: डाल दो साले को जमीन पर और उसका मुह जमिन की तरफ रखो और मारो उसे सिमा सहमी खडी देख रही है |

विनोद: पाटील इसकी बेग लाओ

बेग विनोद तलासने लगते है और उसमे से पिस्तोल निकालता है और एक आई डी कार्ड मिलता है | विनोद उस कार्ड को देखने लगता है और अचानक से बोल पडता है |

विनोद: रुको....

पुलिसवाले मरना रोक देते है

विनोद आई डी को लेकर उस आदमी की तरफ बढता है |

सिमा भी विनोद को देखती है

विनोद उस आदमी को देखता है और हक्काबक्का हो जाता है |

विनोद: सर ....? आप ..?

विनोद सलामी देता है उसके साथ पुलिसवाले भी उस आदमी को छोड कर सलामी देने कहते है |

सिमा सोचने पड जाती है आखिर ये कौन है जिसे पुलिस वाले सलामी दे रहे है |

विनोद: उठाओ साब को ये तु ये सीआईडी ऑफिसर मि. प्रभाष है |

सीआईडी ऑफिसर प्रभाष धीरे धीरे उठता है

विनोद: माफ करना साब जी ! स्केच से बना चहरा आप से मिलता इसलिए ये सब ....

प्रभाष: कोइ बात नहि ! अच्छा हुआ आपने मुजे आंतकवादी समज कर गोली नहि चलाई !

विनोद: बिना छान-बिन कैसे हम कहा गोली चला देते ?

प्रभाष: आपको मेरे बारे किसने ईन्फ़ोर्म किया ?

विनोद: जी इस मेडम ने

विनोद सिमा की तरफ इशारा करता है

सिमा: हा मै हि किया था ! आपकी बेग मे पिस्तोल देखी और स्केच से भी आपका चहेरा मेच हो रहा था !

प्रभाष: वेरी गुड आप बहुत सतर्क है और हमे सतर्क हि रहेना चाहिए | अच्छा वो स्केच तो बताओ ?

सिमा मोबाईल मे से स्केच दिखाती है

प्रभाष स्केच देखता है |

प्रभाष: इंस्पेक्टर क्या मुजे वो सी.सी केमेरे की फुटेज मिल सकती है ?

विनोद: जी साब

प्रभाष फुटेज देखता है |

प्रभाष: अरे ये तस्वीर तो मेरी हि है !

सब एकदम से चोक जाते है |

विनोद: आप ?

प्रभाष: हा ये फ़ोटो मेरी है पर मे आंतकवादी नहि हुं …दरअसल क्या हुआ था |

ये आंतकवादी हुमले की भनक हमारी टीम पहले थी पता चल गई थी पर हमला कब और कहा होगा वो पता लगाना बाकी था | हमारे इन्टलेजन्ट की इन्फ़ोर्मेसन के मुताबीक मुजे कलावती होस्पीटल मे भेजा गया |

हस्पताल बहुत बडा था और लोग भी कई सारे थे | मुजे आम आदमी को मुशीबत मे डाले बिना ओपरेशन करना चहरा था |

मे हस्पताल मे आम आदमी की तरह उस आंतकवादी को ढुढ रहा था | मैने बिना पलके झबकाये पुरी रात उसे ढुढता रहा | आखिरकार मुजे जब उसका पता चला तब तक वो हुमला कर चुका था | मेरी और उस आंतकवादी की मुठभेड हुई |

मै उस पर गोलीया बरसा रहा था तभी सी.सी केमेरे मे ये तस्वीर आ गई होगी | मेरी गोली उसकी पैर के उपर लगी और वो घायल हो गया | मे उसे पकड ने उसकी तरफ बढा पर लोको की भागदोद मे

वो ऐसे ओझल हो गया जैसे पानी मे बुलबुले ! मैने उसे बहुत ढुढा पर वो नहि मिला | फिर मैने अपने टीम से सारी बात बताई और हमारे ओफिसर ने मुजे जे.के टावर के पुलिस स्टेसन मे बुलाया |

जे.के टावर की बस पकड के जा रहा था मगर निंद पुरी नही हुई थी इस वजह से बस मे हि सो गया था |

विनोद: ओह्ह ये बात है ! तो साब अब क्या करना है ?

प्रभाष: जे.के टावर पुलिस स्टेसन चलो और वो स्केच बारे मिडीया को बताओ की आंतकवादी जरूर पकदा जायेगा | गोली सीधे पैर में लगी है ज्यादा दुर नही जा सकता वो ..

विनोद: ठिक है साब

सब जीप मे बैठने लगते है | सिमा एक कोने मे खडी देख रही होती है

प्रभाष सिमा की तरफ बढता है

प्रभाष: मेडम ! बस ऐसे हि सतर्क रहे और दुसरे को सतर्क रखे | स्केच देखना आम बात है पर देखके उस पर एकशन खास बात है !

(ओफिसर हाथ मिलाने के लिए आगे बढता है)

प्रभाष: वेल डन

सिमा: थेन्क यु (हाथ मिलाती हुई)

प्रभाष: ये मेरा कार्ड है ऐसी कोई भी जानकारी मिले तो आप मुजे बता सकती है |

सिमा घर मे टी.वी चल रहा है |

चादरवाले बाबा के भजन सिमा की मम्मी सुन रही है और सुनमे लिन है | सिमा मोबाईल फोन पर बात करती आती है |

सिमा: गुड यार ! चल देखती हुं

सिमा फोन कट करके चेनल चेन्ज करती है |

मम्मी: अरे रहने देना ! और तु सन्डे को कैसे जल्दी उठ गई ?

सिमा: वो आंतकवादी पकदा गया

मम्मी: चलो अच्छा हुआ

सिमा न्युज देखने लगती है

न्युज एन्कर: कल सुबह हस्पताल मे आंतकवादी हमला हुआ था वो आंतकवादी पकदा गया है |

कल जब हमलावर ने हमला किया था तब हमारे होनहार क्राईम ब्रान्च ओफिसर मि. प्रभाष वही थे और आंतकवादी के साथ मे मि. प्रभाष ने आंतकवादी को गोली मारी थी | वो आंतकवादी घायल हो कर एक पुरानी बंध पडी फेकटरी मे जा कर छुप गया था और पुलिस की छानबीन मे पकदा गया | आईये आप से उस उस जांबज ओफिसर से मुलाकात कराते है जिसमे आंतकवादी को गोली मारी थी |

न्युज एन्कर: नमस्ते मि. प्रभाष

प्रभाष: नमस्ते

न्युज एन्कर: आप देश की जनता को कुछ कहना चाहेगे ?

प्रभाष: में तो देश की जनता से यही कहना चाहुगा की जब आपके पास कोई जानकारी आती है तो बस पढके उसे भुल मत जाओ | मेरी कहने का मतल्ब है कल आंतकवादी का स्केच सब के पास आया होगा और सब उसे देखा भी

होगा पर सब उस पर कोई एक्सन नही ली स्केच देखना आम बात है पर देखके उस पर एकशन खास बात है | बस आप सतर्क रहीए और सेफ़ रहिए जय हिन्द ..

सिमा मन हि मन खुश होती है |

मम्मी: तुम तो ऐसे खुश हो रही हो जैसे ये ओफिसर को जानती हो ? अच्छा भी दिख रहा है |

सिमा बस हंस देती है और वो कार्ड (जो ओफिसर उसे दीया था) देखती रहती है |

समाप्त

Writer: Sanjay Nayka

Email: sanjay.naika@gmail.com