Five Orange Pips - 3 in Hindi Adventure Stories by Sir Arthur Conan Doyle books and stories PDF | पांच नारंगी गुठलियाँ - 3

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पांच नारंगी गुठलियाँ - 3

दी एडवेंचर्स ऑफ़ शेरलोक होम्स

पांच नारंगी गुठलियाँ

(3)

हॉम्ज़ आख़री मुद्दे पे हंस दिए। “अच्छा,” उन्होंने कहा, “मैं अब भी कहता हु, जैसा मैंने तब कहा था, इंसान को अपने दिमाग़ की अटारी उस सारे असबाब से भर के रखनी चाहिए जिसका वो सम्भवित इस्तेमाल करने वाला हो, और बाक़ी का वो पुस्तकालय के कबाड़ख़ाने में रख सकता है जहाँ से वो उसे जब चाहे पा सके। अब, ऐसे केस के लिए जो आज रात हमें पेश किया गया है, हमें निश्चित रूप से चाहिए कि हम सारे संसाधन एकत्रित कर ले। कृपया, विश्वकोश का के॰ अक्षर उतार के मुझे दो, जो तुम्हारे पास की ताक़ पे पड़ा है। धन्यवाद। अब चलो हम परिस्थिति पर ग़ौर करते है और देखते है कि हम उससे क्या निष्कर्ष निकाल सकते है।सबसे पहले, हम इस अनुमान से शुरू कर सकते है कि कर्नल ओपनशॉ के अमरीका छोड़ने के पीछे कोई बहुत बड़ा कारण रहा होगा। उनकी उम्र के आदमी अपनी मर्ज़ी से अपनी आदतें नहीं बदलते और अपनी मर्ज़ी से मनोहर फ़्लोरिडा के जीवन के बदले में लंदन के एक प्रांतिक शहर के एकाकी जीवन को नहीं चुनते। उनका इंग्लंड में एकाकीपन के प्रति इतना लगाव, यह जताता है कि वे किसी व्यक्ति या किसी बात से डरे हुए थे, सो हम इस बात को कामचलाऊँ अवधारणा मान के चल सकते है कि किसी व्यक्ति या किसी बात का डर ही था जिसने उनको अमरीका से निकलने को मजबूर किया। रही बात इसकी कि वो क्या था जिससे वो डरते थे, तो हम उनको मिले डरावने ख़तों को कारण मान सकते है जो उन्हें और उनके उत्तराधिकारी को प्राप्त हुए। क्या तुमने उन ख़तों पर लगे पोस्ट्मार्क पे ग़ौर किया?”

“पहला पोंडिचेरी से था, दूसरा डंडी से, और तीसरा लंदन से।”

“पूर्विय लंदन से। इन बातों से तुम क्या नतीजा निकालते हो?”

“ये सारे बंदरगाह है। मतलब इन ख़तों का लिखने वाला किसी जहाज़ पर था।”

“बहुत ख़ूब। हमारे पास पहले से ही एक सुराग़ है। इस बात में कोई शक नहीं है कि यह संभावना—बहुत मज़बूत संभावना—है कि लिखने वाला जहाज़ पे था। अब चलों दूसरे मुद्दे पे ग़ौर करते है। पोंडिचेरी के केस में धमकी और अमल के बीच में सात हफ़्ते बीतते है, डंडी में सिर्फ़ तीन या चार दिन। क्या यह कुछ इंगित करता है?”

“सफ़र के लिए लम्बा अंतर”

“परंतु ख़तों को भी उतना ही अधिक अंतर तय करना था पहुँचने के लिए।”

“फिर मुझे मुद्दा नज़र नहीं आ रहा।”

“कम से कम एक अनुमान तो बाँध सकते है कि जहाज़ जिसमें यह आदमी आया या ये आदमी आए वो एक माल वाहक जहाज़ था। ऐसा लगता है कि वे हमेशा मिशन पे निकलने से पहले अपनी अजीब चेतावनी भेजते थे। तुमने ध्यान दिया कि संकेत मिलने के कितनी तुरंत बाद काम को अंजाम दिया गया जब डंडी की बात आइ। अगर वो पोंडिचेरी से स्टीमर में आते तो वो ख़त के साथ साथ ही पहुँचते। पर वास्तव में सात हफ़्ते बीत गए। मुझे लगता है कि वो सात हफ़्ते मेल बोट जिसमें की ख़त आया और मालवाहक जहाज़ जो लिखने वाले लाया उसके बीच का अंतर दर्शाते है।”

“यह संभव है।”

“उससे भी अधिक। यह मुमकिन है। अब तुम समझते हो यह नया केस क्यूँ प्राणघाती रूप से अत्यावश्यक है, और क्यूँ मैंने युवा ओपनशॉ को सावधानी बरतने को कहा। वार हमेशा ख़त भेजने वाले के सफ़र के अंत में हुआ है। पर यह ख़त लंदन से आया है, और इसलिए हम विलंब नही कर सकते।”

“अरे ईश्वर,” मैं बोल पड़ा। “इसका क्या अर्थ हो सकता है, यह अनवरत अत्याचार।”

“ज़ाहिर है कि वो काग़ज जो ओपनशॉ ले के चल रहा है वह मालवाहक जहाज़ में चलने वाले लोगों के लिए अत्यधिक महत्व के है। मुझे लगता है यह बिलकुल स्पष्ट है कि यह काग़ज़ात एक से ज़्यादा होने चाहिए। एक अकेला आदमी इस क़दर दो मौत को अंजाम नहीं दे सकता है कि मृत्यु समीक्षक धोखा खा जाए। वे कई सारे होने चाहिए और बहुत संसाधन और दृढ़ निश्चय वाले लोग होने चाहिए। उनको अपने काग़ज़ात चाहिए चाहे वो किसी के भी पास क्यूँ ना हो। इस तरह से के॰ के॰ के॰ किसी एक व्यक्ति के प्रथमाक्षर ना रह के किसी एक संस्था का चिह्न बन जाता है।”

“पर कौन सी सॉसायटी?”

“क्या तुमने कभी—,” शेरलॉक हॉम्ज़ ने आगे झुकते हुए और अपनी आवाज़ को गहराते हुए कहा—“क्या तुमने कभी कु क्लक्स क्लान के बारे में नहीं सुना?

“मैंने कभी नहीं सुना।”

हॉम्ज़ ने अपने घुटनो पे पड़ी किताब के पन्ने पलटे। “ये रहा,” उन्होंने झटपट कहा।

“‘कु क्लक्स कलान। नाम जो कि राइफ़ल का घोड़ा चढ़ाने की आवाज़ से भावित साम्य से जन्मा है। यह भयानक गुप्त संस्था गृह युद्ध के बाद किसी भूतपूर्व संघी सैनिक के द्वारा दक्षिण के राज्य में स्थापित की गई, और जल्द ही देश के विभिन्न हिस्सों में इसकी स्थानिक शाखायें स्थापित होने लगी, विशेषकर टेनेसी, लूईज़ीआन, केरोलिना, ज्योरजिया और फ़्लोरिडा। इसकी सत्ता को राजनैतिक रूप से प्रयोग में लाया जाता था, ज़्यादातर निग्रो मतदाताओं को भयभीत करने के लिए और जो इस नज़रिए का विरोध करे उसे देश से खदेड़ देने के लिए या उसकी हत्या कर देने ले लिए। इनके अत्याचार से पहले, जो निशाने पर होता था उसे एक ऊटपटाँग मगर परिचित स्वरूप में चेतावनी जारी होती थी—कुछ हिस्सों में ओक के पेड़ की टहनी, और दूसरे हिस्सों में ख़रबूज़े या संतरे के बीज। इसके मिलने पर शिकार व्यक्ति या तो खुले आम औपचारिक रूप से अपने नज़रिए का त्याग करता था या देश छोड़ कर भाग खड़ा होता था। अगर वो ज़रा सी भी बहादुरी दिखाता था तो निश्चित रूप से उसे मौत आनी थी, और अक्सर बड़े विचित्र और अप्रत्याशित तरीक़ों से। संस्था का संगठन इतना सही था, और इसके तरीक़े इतने सुनियोजित कि शायद ही कोई व्यक्ति था जो बहादुरी दिखा के बच निकलने में सफल रहा हो, और जिसमें तहक़ीक़ात के दौरान अत्याचार के निशान अपराधी तक पहुँचे हो। अमरीकी सरकार और दक्षिण की बेहतर बिरादरी के प्रयासों के बावजूद कुछ सालों तक यह संस्था ख़ूब फली। आख़िरकार, सन १८६९ में, इस आंदोलन का पतन हुआ, ऐसा होने पर भी इसी तरह के छुट-पुट हंगामे होते रहे है।”

“तुम देखोगे,” किताब को नीचे रखते हुए हॉम्ज़ ने कहा, “कि संस्था का अचानक से बिखर जाना और ओपनशॉ का अमरीका से उनके सारे काग़ज़ात ले के ग़ायब हो जाना संयोगिक है। यह कार्य कारण भी हो सकता है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनके और उनके परिवार के पीछे यह निर्दयी लोग लगे हुए है। तुम समझ सकते हो कि यह रजिस्टर और डायरी दक्षिण के कुछ शुरुआती लोगों की तरफ़ इशारा कर सकती है, और बहुत से लोग होंगे जो तब तक चैन की नींद नहीं सोएँगे जब तक कि इसे वापिस हाँसिल न कर ले।”

“मतलब जो पन्ना हमने देखा—”

“वो वैसा ही है जिसकी हम उम्मीद करते है। उस पर लिखावट कुछ ऐसी थी, अगर मुझे सही से याद है तो, ‘ए॰, बी॰, सी॰ को बीज भेजें—मतलब इनको संस्था की चेतावनी भेजी गई। फिर उसमें एक के बाद एक प्रविष्टि थी कि ए॰ और बी॰ साफ़ कर दिए गए, और देश छोड़ चले गए, और आख़िरी में लिखा था कि सी॰ की मुलाक़ात ली गई, जिसमें मुझे डर है कि सी॰ के लिए परिणाम अशुभ रहा। अच्छा, मुझे लगता है, डॉक्टर, कि इस अंधेरे केस पे हमने कुछ रोशनी तो डाली है और इस दौरान ओपनशॉ के पास एक मात्र चारा यहीं है कि वो वहीं करे जो मैंने उसे करने को बोला। इससे ज़्यादा आज रात कुछ कहने या करने को नहीं है, सो मुझे मेरा वाइयलिन बढ़ाओ और चलो आधे घंटे के लिए हम इस अभागे मौसम को और उससे भी ज़्यादा अभागे हमारे साथी जनो के तौर तरीक़ों को भूलने की कोशिश करें ”

सुबह मौसम साफ़ था, और सूरज झिने घूँघट की ओट से, जो कि शहर पे टंगा था, मंद मंद चमक रहा था। शेरलॉक हॉम्ज़ पहले से ही नाश्ते पे बैठे हुए थे जब मैं नीचे पहुँचा।

“तुम मुझे माफ़ करना मैंने तुम्हारा इंतेज़ार नहीं किया,” उन्होंने कहा, जैसा कि मैं देख रहा हु आज युवा ओपनशॉ के केस की छानबीन में मेरा दिन काफ़ी व्यस्त गुज़रने वाला है।”

“आप क्या क़दम उठाओगे?” मैंने पूछा।

“यह काफ़ी हद तक निर्भर करता है मेरी शुरुआती पूछताछ के परिणाम पर। आख़िरकार मुझे होरशम भी जाना पड़े।”

“आप वहाँ पहले नहीं जाओगे?”

“नहीं, मैं शहर से शुरुआत करूँगा। सिर्फ़ घंटी बजा दो और नौकरानी तुम्हारे लिए कॉफ़ी ले आएगी।”

राह देखते देखते मैंने टेबल पे पड़ा अख़बार उठा लिया जो खुला ही नहीं था और उसपे नज़रें दौड़ाई। एक शीर्षक पर मेरी नज़र ठहरी और मेरे हृदय में एक शीत लहर दौड़ गई।

“हॉम्ज़,” मैं चिल्लाया, “आपने देरी कर दी”

“आह!” उन्होंने अपना कप नीचे रखते हुए कहा, मुझे इस बात का डर था। कैसे किया गया?” वे काफ़ी संयत सवार में बोले पर मैं देख पा रहा था कि वो काफ़ी विचलित थे।

“मेरी आँखों ने ओपनशॉ नाम पकड़ लिया, और शीर्षक ‘वोटरलू तालाब के पास हादसा।’ यह रहा विवरण:

“कल रात नौ से दस के बीच में एच॰ प्रभाग के पुलिस कान्स्टेबल कूक ने, जो कि वोटरलू तालाब के पास फ़र्ज़ पे थे, मदद की बुहार और फिर पानी में छपाक की आवाज़ सुनी। रात, हालाँकि, बहुत ही अंधेरी और तूफ़ानी थी, यहाँ तक कि आस पास से गुज़रने वालो की मदद के बावजूद बचाव कार्य हो ना पाया।हालाँकि, चेतावनी जारी की गई और जल-पुलिस की मदद से आख़िरकार लाश को निकाला गया। लाश एक युवा सज्जन की साबित हुई जिसका नाम, उसकी जेब से निकले लिफ़ाफ़े के मुताबिक़ जॉन ओपनशॉ था, और जिसका घर होरशम के क़रीब था। ऐसा अनुमान लगाया गया कि वोटरलू स्टेशन से आख़री ट्रेन पकड़ने की जल्दी में भाग रहा होगा, इतनी जल्दी में और घने अंधेरे में वो रास्ता चूक गया और नदी की स्टीमबोट खड़े करनी की जगह (तटबंध) के किनारे से गिरा होगा। लाश पर हिंसा के कोई निशान नहीं थे, और इस बात में कोई शक की गुंजाइश नहीं थी कि यह व्यक्ति दुर्घटना का शिकार हुआ था, जिसकी असर इतनी सी होनी थी कि प्राधिकारीयों का नदी किनारे के तटबंध के मचान की हालत की तरफ़ ध्यान जाना था।”

हम कुछ देर सन्नाटे में बैठे रहे, हॉम्ज़ जितने खिन्न और विचलित थे उतने मैंने उन्हें आज तक कभी नहीं देखा था।

“यह मेरे ग़ुरूर को ठेस पहुँचाता है, वॉटसन,” आख़िरकार वो बोले। निशंक: यह काफ़ी तुच्छ अहसास है, मगर यह मेरे ग़ुरूर को ठेस पहुँचाता है। अब यह मेरे लिए निजी मामला बन गया है, और, अगर भगवान मुझे भला चंगा रखते है, मैं इस गिरोह को पकड़ के रहूँगा। वो मेरे पास मदद माँगने आया था, और मैंने उसे मौत के मुँह में धकेल दिया—!” वो अपनी कुर्सी से लपके और बेक़ाबू आवेश के साथ कमरे में चक्कर काटने लगे, उनके फीके गालों पर तमतमाहट थी और वे दोनो लम्बे पतले हाथ परेशानी से बाँध-खोल रहे थे।

“वे लोग कपटी नर-पिशाच रहे होंगे,” आख़िर उन्होंने चिल्लाकर कहा। “वहाँ जाने ले लिए उन्होंने झाँसा कैसे दिया होगा? वो तटबंध स्टेशन के रास्ते में नहीं पड़ता। ऐसी रात को भी पुल, निश्चित ही, उनके प्रयोजन के लिए तो भीड़ भरा ही था। अच्छा वॉटसन हम देखेंगे की आख़िरकार कौन जीतता है। अभी तो मैं बाहर जा रहा हुँ।”

“पुलिस के पास?”

“नहीं, मैं अपनी पुलिस ख़ुद रहूँगा। जब मैंने जाल बून लिया होगा तब वे आ के शिकार को पकड़ सकते है, उसके पहले नहीं।”

पूरा दिन मैं अपने व्यवसायिक काम मैं व्यस्त रहा और मुझे बेकर स्ट्रीट आते आते शाम हो गई। शेरलॉक हॉम्ज़ अब भी नहीं लौटे थे। उनके थके माँदे घर आने के पहले लगभग दस बजने को थे। वे अलमारी की तरफ़ बढ़े, और पाव रोटी से एक टुकड़ा तोड़ कर भुक्कड की तरह भकोसने लगे, पानी के घूँट के साथ उसे नीचे उतारते हुए।

“तुम भूखे हो,” मैंने कहा।

“भूख से मर रहा हु। मेरे ध्यान से ही यह बात निकल गई कि मैंने नाश्ते के बाद से कुछ नहीं खाया है।”

“कुछ भी नहीं”

“एक कौर भी नहीं। मेरे पास इसके बारे में सोचने का वक़्त ही नहि था।”

“और आप कितने सफल रहे?”

“भली भाँति”

“तुम्हारे पास सुराग़ है?”

“सुराग़ मेरी मुट्ठी में है। युवा ओपनशॉ लम्बे समय तक बिना बदले के नहीं रहेगा। क्यूँ, वॉटसन, चलो हम उनका शैतानी ट्रेड्मार्क उन्ही पर लगाते है। यह अच्छे से सोचा गया है!”

“आपका मतलब क्या है?”

उन्होंने अलमारी से एक संतरा उठाया, और उसको नोच कर, टुकड़े करके उन्होंने उसके बीज मेज़ पर निचोड़े। उन में से पाँच बीज उठाए और एक लिफ़ाफ़े में डाले। लिफ़ाफ़े के अंदर के हिस्से में उन्होंने लिखा “जे॰ ओ॰ के लिए एस॰ एच॰” फिर उसे सील किया और पता लिखा, “कैप्टन जेम्स कैल्हून, बार्क लोन स्टार, सवाना, ज्योरजिया।”

“जब वो बंदरगाह में प्रवेश करेगा तो उसे यह इंतेज़ार करता हुआ मिलेगा,” वे दबी हँसी हँसे। यह उसकी रात की नींद छिन लेगा। वो इसे बिलकुल वैसे ही अपने भाग्य का शगुन पाएगा जैसा कि उसके पहले ओपनशॉ ने पाया था।”

“और यह कैप्टन कैल्हून कौन है?”

“गिरोह का मुखिया। मैं दूसरों को भी ठिकाने लगाउँगा पर पहले यह।”

“फिर आपने इसका पता कैसे लगाया?”

उन्होंने अपनी जेब से एक लम्बा काग़ज़ निकाला जो पूरी तरह से दिनांक और नामों से भरा था।”

“मैंने पूरा दिन गुज़ारा,” उन्होंने कहा, “लोयड के रजिस्टर और पुराने दस्तावेज़ों की फ़ाइल पे, और सन ८३ की जनवरी और फ़रवरी में पोंडिचेरी से गुज़रने वाले हर जहाज़ के आगे के चलन का अभ्यास किया। अच्छा ख़ासा समान लादे हुए कुल छत्तीस जहाज़ थे जो इन दो महीनो में पोंडिचेरी बंदरगाह पे रुके थे। इनमे से, एक, लोन स्टार, ने तुरंत ही मेरा ध्यान आकर्षित किया, क्यूँकि, भले ही वह लंदन से निकल चुका था, यह वो नाम था जो यूनीयन के एक राज्य को दिया गया है।

“टेक्सस, मुझे लगता है।”

“मुझे पक्का नहीं पता था ना ही पता है कौनसा; पर मैं जानता था कि जहाज़ अमरीकी मूल का है।”

“फिर क्या?”

“मैंने डंडी के रेकर्ड तलाशे, और जब मैंने यह जाना कि बार्क लोन स्टार सन ८५ की जनवरी में वहाँ रुका था, मेरा शक यक़ीन में बदल गया। मैंने फ़ीर फ़िलहाल लंदन में जितने जहाज़ है उनका पता लगाया।”

“फिर?”

“लोन स्टार पिछले हफ़्ते ही यहाँ पहुँचा था। मैं ऐल्बर्ट गोदी पहुँचा तो पता लगा जहाज़ को तड़के ही नदी के ज्वार में सवाना की तरफ़ रवाना कर दिया गया है। मैंने ग्रेवसेंड में तार कर के पता लगाया कि जहाज़ वहाँ से निकल चुका था, क्यूँकि हवाए पूर्व की ओर चल रही थी मुझे इस बात पे कोई शक नहीं है कि जहाज़ गूडविन्स से आगे निकल चुका है और वाइट के द्वीप से ज़्यादा दूर नहीं है।”

“फिर आप क्या करोगे?”

“ओह वो मेरी पकड़ में है। वो और दो और लोग है, जैसा कि मुझे पता चला, जहाज़ में जो कि देशी अमरीकी है। बाक़ी के फ़िन और जर्मन है। मैं यह भी जानता हुँ कि यह तीनों पिछली रात जहाज़ में नहीं थे। मुझे यह स्टीवडोर से पता चला जो कल रात कार्गो में सामान चढ़ा रहा था। जब तक कि उनका जहाज़ सवाना पहुँचेगा, मेल बोट ख़त लेकर पहुँच चुकी होगी, और तार से सवाना की पुलिस को सूचना दे दी गई होगी कि इन तीन सज्जन की हत्या के आरोप में इंग्लंड में हाज़िरी आवश्यक है।”

इंसानो की बनाई योजना में, हालाँकि, कुछ न कुछ नुक़्स रह ही जाते है, और जॉन ओपनशॉ के हत्यारों को संतरे के बीज कभी नहीं मिलने थे जिससे कि उनको पता चलता कि उनके ही जैसा चालक और दृढ़निश्चयी कोई और उनके पीछे लगा था। इक्विनोटिकल प्रवाह उस साल काफ़ी प्रचंड थे। सवाना के लोन स्टार के समाचार प्राप्त करने के लिए हमने बहुत इंतेज़ार किया, पर हम तक कोई समाचार नहीं पहुँचे। आख़िरकार हमारे सुनने में आया कि कहीं दूर अटलांटिक सागर में किसी जहाज़ का चकनाचुर पिछला हिस्सा लहरों में तैरता नज़र आया था, जिस पर एल॰ एस॰ तराशा हुआ था, लोन स्टार के भाग्य के बारे में यह एक मात्र बात है जो हम जान पाएँगे।

***