दी एडवेंचर्स ऑफ़ शेरलोक होम्स
बोसकोंब वैली का रहस्य
(1)
एक सुबह मैं और मेरी पत्नी नाश्ते की टेबल पे बैठे थे जब नौकरानी एक तार लेके आइ। यह तार शेरलोक हॉम्ज़ की तरफ़ से था जिसमें संदेश कुछ ऐसा था:
“क्या आप कुछ खाली दिन निकाल पाओगे? मुझे अभी अभी पश्चिमी इंग्लंड से बोसकोंब वैली की दुर्घटना के सम्बंध में तार प्राप्त हुआ है। मुझे ख़ुशी होगी अगर आप मेरे साथ चले। मौसम और नज़ारे बेहद ख़ूबसूरत है। आप सुबह ११:१५ पेड़िंगटन से चलिए।”
“क्या कहते हो प्रिये?” मेरी पत्नी ने, मेरी और देखते हुए पूछा। “क्या तुम जाओगे?”
“मैं सच में नहीं जानता क्या कहूँ। मेरी अधूरे कार्यों की सूची अच्छी ख़ासी लम्बी है।”
“ओह, एंट्रस्थर आपके काम कर देगा। आप आजकल काफ़ी फीके लग रहे हो। मुझे लगता है थोड़ा बदलाव आपके लिए सही रहेगा, और वैसे भी आपको हमेशा से शेरलोक हॉम्ज़ के केस में दिलचस्पी रही है।”
“उनके एक केस से मैंने जो पाया है उसके बाद अगर मुझे उनके केस में दिलचस्पी ना हो तो मैं अकृतज्ञ माना जाऊँगा।” मैंने जवाब दिया। “पर अगर मैं जाने की सोचता हु तो मुझे तुरंत तैयारी करनी होगी क्यूँकि मेरे पास अब सिर्फ़ आधा घंटा है।”
अफ़घानिस्तान के मेरे सैन्य जीवन ने मुझे एक तत्पर-तैयार यात्री बनाया था। मेरी ज़रूरतें सीधी-सादी थी, इसलिए मैं बताए गए समय से कम में अपनी बैग के साथ टैक्सी में बैठ के पेड़िंगटन स्टेशन की तरफ़ चल पड़ा था। शेरलोक हॉम्ज़ प्लैट्फ़ॉर्म के एक सिरे से दूसरे सिरे तक चक्कर काट रहे थे, उनका लम्बा, दुबला-पतला शरीर लम्बे चौगे और कपड़े की चुस्त टोपी पहनने की वजह से और भी लम्बा और दुबला लग रहा था।।
“बहुत अच्छा किया जो तुम आए, वोटसन”, उन्होंने कहा। “जिस पर मैं पूरी तरह से निर्भर हो पाऊँ ऐसे किसी व्यक्ति के साथ होने से बहुत बड़ा फ़र्क़ पड़ता है। स्थानिक मदद करने वाला या तो बेकार होता है या पक्षपात से भरा। अगर तुम हमारे लिए कोने की दो सीटें बचा के रखते हो तो मैं टिकट लाता हु।”
पूरे डिब्बे में शेरलोक हॉम्ज़ के इधर उधर बिखरे हुए काग़ज़ात के अलावा सिर्फ़ हम ही थे। नोट लेने और चिंतन करने के अंतराल के बीच बीच में वे रीडिंग शहर के पीछे छूटने तक इन काग़ज़ों में कुछ ढूँढते और पढ़ते रहे। फिर अचानक उन्होंने इन काग़ज़ों का बड़ा सा गोला बनाया और सामान रखने के रैक के ऊपर उछाल फेंका।
“इस केस के बारे में तुमने कुछ सुना है?” उन्होंने पूछा।
“कुछ भी नहीं। पिछले कई दिनों से मैंने अख़बार नहीं देखा।”
“लंदन प्रेस के पास भी पूरा ब्योरा नहीं है। घटनाक्रम को अच्छे से समझने के लिए मैं आज-कल के सारे अख़बार पढ़ रहा था। जितना मुझे पता चला, उससे लगता है कि यह वैसा ही केस है जो दिखता सरल है पर होता है बहुत ही मुश्किल।”
“यह बात थोड़ी विरोधाभासी लग रही है।”
“पर यह पूर्णतया सच है। विलक्षणता निरपवाद रूप से एक सुराग़ होती है। गुनाह जितना ही साधारण और आम सा होता है उतना ही मुश्किल होता है उसे सुलझाना। हालाँकि, इस केस में जिसकी हत्या हुई है उसके बेटे के ख़िलाफ़ बहुत ही गम्भीर केस दर्ज हुआ है।”
“फिर यह हत्या का केस है?”
“फ़िलहाल ऐसा माना जा रहा है। मैं कुछ भी ऐसे ही मान लेना नहीं चाहता जब तक मेरे पास व्यक्तिगत रूप से इसकी छानबीन करने का मौक़ा ना हो। मैं तुम्हें, कम शब्दों में, जितने मेरी समझ में आये है, हालात समजाऊँगा।”
“बोसकोंब वैली हेयरफ़ोर्डशाइअर में रॉस के क़रीब का एक देहाती प्रांत है। मिस्टर जॉन टर्नर इस तरफ़ के सबसे बड़े ज़मींदार है, जिन्होंने ऑस्ट्रेल्या में ख़ूब पैसे बनाए और कुछ साल पहले अपने वतन लौट आए। उनकी जागीर का हेथरली वाला खेत उन्हो ने मिस्टर चार्ल्ज़ मेक्कार्थी को, जो ख़ुद भी एक भूतपूर्व ऑस्ट्रेलीयन थे, भाड़े पे दे रक्खा था। उपनिवेश में यह दोनो एक-दूसरे को जानते थे तो यह असहज नही था कि जब ये वतन लौटे तो इन्होंने जितना हो सके उतना आसपास ही बसना पसंद किया। प्रकट रूप से टर्नर ज़्यादा धनिक थे सो मेक्कार्थी उनके जोतदार बने मगर फिर भी, जैसा कि नज़र आ रहा है, दोनो समान ही रहे, इसलिए कि दोनो अक्सर साथ नज़र आते थे। मेक्कार्थी के एक बेटा था, अट्ठारह साल का लड़का, और टर्नर के उसी उम्र की इकलौती बेटी थी, मगर इन दोनो में से किसी की भी पत्नी जीवित नहीं थी। ऐसा लगता था जैसे वे पड़ोस के अंग्रेज़ परिवारों से विलग रहते थे और निवृत जीवन जी रहे थे, हालाँकि दोनो मेक्कार्थी खेल के शौक़ीन थे और पड़ोस की रेस मीटिंग में वे अक्सर देखे जाते थे। मेक्कार्थी ने दो नौकर रक्खे थे - एक आदमी और एक लड़की। टर्नर के यहां काफ़ी बड़ा कुनबा था, क़रीब आधा दर्जन कम से कम। यह उतनी जानकारी है जितनी मैं उन परिवारो के बारे में इकट्ठि कर पाया हु। अब कुछ तथ्य।”
“जून की तीन तारीख़ को, यानी पिछले सोमवार को, दोपहर तीन बजे के क़रीब मिस्टर मेक्कार्थी अपने हेथरली वाले घर से निकले और बोसकोंब पूल की तरफ़ चल दिए, जो कि बोसकोंब घाटी में बहते हुए झरने से बना एक छोटा तालाब है। सवेरे वो अपने नौकर के साथ रॉस में थे और तब उन्होंने उससे कहा था कि उसे जल्दी करनी चाहिए क्योंकि तीन बजे उनकी एक बहुत ही महत्वपूर्ण अपॉइंटमेंट थी। उस अपॉइंटमेंट से वे कभी ज़िंदा नहीं लौटे।”
“हेथरली फ़ार्म हाउस से बोसकोंब तालाब पौने मिल की दूरी पे है, वहाँ पहुँचने के लिए मैदान से जाते हुए उन्हें दो लोगों ने देखा था। एक बूढ़ी औरत थी जिसके नाम का ज़िक्र नहीं किया गया है और दूसरा था विल्यम क्राउडर, जो मिस्टर टर्नर के यहाँ शिकार की रक्षा का काम किया करता था। यह दोनो साक्षी बताते है कि मिस्टर मेक्कार्थी अकेले ही चल रहे थे। शिकार-रक्षक ने और भी बताया कि श्रीमान मेक्कार्थी के गुज़रने के कुछ ही मिनटों बाद उसने उनके बेटे मिस्टर जेम्स मेक्कार्थी को अपनी बग़ल में बंदूक़ दबाए उसी रास्ते जाते देखा था। जहाँ तक उसका मानना था, पिता उस वक़्त अब भी नज़र आ रहे थे और बेटा उनका पीछा कर रहा था। उसने इस बात पे ज़्यादा नहीं सोचा था जब तक कि उसने शाम को इस दुर्घटना के बारे में सुना।”
“शिकार-रक्षक विल्यम क्राउडर की नज़रों से ओझल होने के बाद भी यह दो मेक्कार्थी देखे गए थे। बोसकोंब तालाब घने पेड़ो से घीरा हुआ वृत है, जिसके किनारों पे घास और बेंत की झालर नज़र आती है। एक चौदह साल की लड़की, पेशंस मोरन, जो कि बोसकोंब वैली के जागीर लौज के रखवाले की बेटी थी, एक जंगल में फूल चुन रही थी। वह बताती है कि जब वो वहाँ थी उस दौरान उसने, जंगल की सीमा और तालाब के क़रीब, मिस्टर मेक्कार्थी और उनके बेटे को देखा, और ऐसा लग रहा था मानो उनके बीच उग्र झगड़ा चल रहा हो। उसने वरिष्ठ मेक्कार्थी को अपने बेटे के साथ तेज़ ज़बान का प्रयोग करते सुना, और उसने देखा कि इस बात पर अगले ने हाथ उठाया था मानो अपने पिता को मारना चाहता हो। उनकी हिंसा से डर के वो भाग खड़ी हुई और अपनी माँ को जाकर बताया कि उसने बोसकोंब तालाब के पास दोनो मेक्कार्थी को झगड़ते देखा था और उसे डर था कि वे लड़ने वाले थे। उसने मुश्किल से इतना बताया ही होगा कि युवा मेक्कार्थी यह बताने के लिए और लौज के रखवाले की मदद माँगने के लिए लौज तक दौड़ता आया कि उसने अपने पिता को जंगल में मरा हुआ पाया था। वह काफ़ी उत्तेजित था, उसकी बंदूक़ और हैट नदारद थी, और उसका दायाँ हाथ और आस्तीन ताज़े ख़ून से सने हुए थे। उसके पीछे पीछे जाकर उन्होंने मृतक का शरीर तालाब के पास पड़ा हुआ पाया। उसके सर पे किसी भारी और कुंठ हथियार से बार-बार वार किया गया था। ज़ख़्म कुछ ऐसे थे मानो उनके बेटे की बंदूक़ के कुंदे से वार किया गया हो जो कि लाश से कुछ ही क़दम दूर पड़ी पाई गई थी। ऐसे हालात में इस युवक को तुरंत गिरफ़्तार कर लिया गया और तहक़ीक़ात के बाद मंगलवार को इसे ‘सोची समझी हत्या’ का फ़ैसला सुना दिया गया, उसे बुधवार को रॉस में न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत किया गया, जिसने इस केस को अगले न्यायालय के सुपुर्द किया। यह इस केस के मुख्य तथ्य है जो मृत्यु समीक्षक और पुलिस-कोर्ट के सामने प्रकट हुए है।
“मैं मुश्किल से इस से ज़्यादा अभिशप्त केस की कल्पना कर पाउँगा,” मैंने कहा। “अगर कभी पारिस्थितिक सबूत गुनहगार की और इंगित करते हो ऐसा कोई केस हो सकता है तो यह वो केस है।”
“पारिस्थितिक सबूत छलावा है।” बड़े ही विचारमग्न तरीक़े से हॉम्ज़ ने जवाब दिया। “ऐसा लग सकता है कि यह सीधा किसी एक बात की तरफ़ इंगित कर रहा है, परंतु अगर तुम अपने नज़रिए को ज़रा सा बदलोगे तो पाओगे कि यह उतने ही अटल रूप से किसी दूसरी बात की तरफ़ इंगित करता है। यह मानना ही पड़ेगा, यद्यपि, कि केस इस युवक के ख़िलाफ़ निहायत ही गम्भीर होता जा रहा है, और यह काफ़ी हद तक सम्भव है कि वोहि दोषी हो। हालाँकि इलाक़े में कुछ लोग है जो उसके निर्दोष होने में यक़ीन रखते है, जिसमें से एक है ज़मींदार की बेटी मिस टर्नर, और लेस्ट्राड को, जो तुम्हे शायद स्कार्लेट की जाँच वाले केस के सिलसिले में याद होगा, इस केस पे उसके पक्ष में रोक रखा है। लेस्ट्राड, जो कि ख़ुद उलझा हुआ है, उसने केस मुझे सोंपा है, और यहीं वजह है की दो अधेड़ उम्र के लोग शांतिपूर्वक अपने घर में नाश्ता पचाने के बजाय पचास मिल प्रति घंटा की रफ़्तार से पश्चिम की तरफ़ जा रहे है।”
“मेरी आशंका है,” मैंने कहा, “तथ्य इतने स्पष्ट है कि आपको इस केस को सुलझाने का बहुत कम श्रेय मिलेगा।”
“ज़ाहिर तथ्यों से ज़्यादा भ्रांतिकर कुछ नहीं होता,” उन्होंने हँसते हुए जवाब दिया। “इसके अलावा हमें कुछ और ज़ाहिर तथ्य भी हाथ लग सकते है जो किसी भी तरह से लेस्ट्राड के लिए ज़ाहिर नहीं थे। तुम मुझे इतनी अच्छे से तो जानते हो कि यह सोच के चलो कि मैं घमंड कर रहा हु जब मैं कह रहा हु कि मैं ऐसे जरियों से या तो लेस्ट्राड के अनुमान की पुष्टि करूँगा या तो पूरी तरह से धज्जियाँ उड़ा दूँगा, जिन जरियों को इस्तेमाल करने के लिए वो बिलकुल असमर्थ है। पहली ही मिसाल के लिए मैं अच्छे से बुझ सकता हु कि तुम्हारे शयनखंड में खिड़की दाहिनी और है और तब भी मैं यह सवाल उठाता हु कि क्या मिस्टर लेस्ट्राड ने इतनी साफ़ बात को ध्यान में लिया भी होगा।”
“आप यह कैसे—”
“मेरे प्यारे साथी, मैं तुम्हें भलीभाँति जानता हु। मैं जानता हु सैनिक जीवन का वह सुथरापन जो तुम्हें चरितार्थ करता है। तुम हर सुबह दाढ़ी बनाते हो और इस मौसम में तुम सूर्य प्रकाश के सहारे दाढ़ी बनते हो; पर क्यूँकि जैसे जैसे बायीं तरफ़ और आगे बढ़ते है वैसे वैसे तुम्हारी दाढ़ी कम से कमतर पूरी लगती है, और यह सचमुच लापरवाह ढंग से की हुई नज़र आती है जैसे ही हम जबड़े के कोण तक आते है, यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि उस तरफ़ का हिस्सा दूसरे हिस्से से कम प्रकाशित है। मैं यह नहीं सोच सकता कि तुम्हारी आदतों वाला आदमी सामान प्रकाश में ख़ुद को देखे और ऐसे परिणाम से संतुष्ट हो जाए। मैं यह बात निरीक्षण और निष्कर्ष के क्षुल्लक उदाहरण के रूप में बता रहा हु। इसीमे है मेरी व्यावसायिक विशेषता और यह सम्भव है कि हमारे सामने के इस केस की जाँच पड़ताल में यह हमारे काम आए। एक या दो मुद्दे है जो तहक़ीक़ात के दौरान उभर के आए, और जो ग़ौर करने लायक है।”
“वो क्या है?”
“ऐसा दिखता है कि उसकी गिरफ़्तारी तुरंत नहीं हुई थी बल्कि हेथेरली फ़ार्म लौटने के बाद हुई थी। रक्षीदल के अफ़सर ने जब बताया कि वो अब क़ैदी है तो उसने कहा था कि यह सुन कर उसे आश्चर्य नहीं हो रहा, और यह कि यह बात जिसके वो लायक है उससे ज़्यादा नहीं है। उसके यह निरीक्षण की सीधी असर यह थी कि इसने मृत्यु समीक्षम के फ़ैसले पर की थोड़ी बहुत आशंका को भी हटा दिया।”
“यह तो अपराध का स्वीकार है,” मैं बोल पड़ा।
“नहीं, क्यूँकि इसके पीछे पीछे आयी थी निर्दोषता की आपत्ति।”
“घटनाओं की ऐसी अभिशप्त शृंखला के बाद यह कम से कम एक संदेहजनक टिप्पणी तो है ही।”
“उसके विपरीत,” हॉम्ज़ ने कहा, “यह बादलो में एक चमकीली दरार है जो मुझे इस वक़्त दिख रही है। वह चाहे जितना भी निर्दोष हो, वह उतना मंदबुद्धि भी नहीं है जो इतना भी ना समझे की उसके ख़िलाफ़ हालात काफ़ी धुँधले है। अगर उसने अपनी गिरफ़्तारी पर आश्चर्य जताया होता या अपमानित होने का दिखावा किया होता तो यह मुझे बहुत ही ज़्यादा संदेहजनक लगता, क्यूँकि ऐसे हालात में आश्चर्य या ग़ुस्सा सहज नहीं होता, और फिर भी षड्यंत्रकारी आदमी को यह सबसे सही तरीक़ा नज़र आता है। उसका परिस्थिति का निष्कपट स्वीकार उसे या तो निर्दोष बताता है या वह एक अच्छा ख़ासे निग्रह और दृढ़ता वाला व्यक्ति है। रही बात उसके इसी के लायक होने की, वो भी असहज नहीं है अगर तुम इस बात ग़ौर करो कि वो अपने पिता की लाश के बग़ल में खड़ा था, और इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं कि उस दिन वो अपना संतानोचित फ़र्ज़ निभाना चूक गया था, यहाँ तक कि उस छोटी लड़की के मुताबिक़, जिसकी गवाही काफ़ी महत्वपूर्ण है, उसने उन पर हाथ भी उठाया था जैसे कि वो उन्हें मारना चाहता हो। उसकी बातों में नज़र आता खेद और पश्चाताप मेरे लिए सूचक है कि वह एक दूरस्त दिमाग़ है नहीं कि एक दोषी चित्त।”
मैंने अपना सर धुनाया। “बहुत से लोग इससे भी हल्के सबूतों के बिनाह पर फाँसी चढ़ा दिए गए है,” मैंने कहा।
“ज़रूर चढ़ा दिए गए है। और बहुत सो लोगों को अन्यायपूर्वक फाँसी दी गई है।”
“इस मामले में उस युवक की अपनी क्या कहानी है?”
“मुझे आशंका है कि उसकी कहानी उसकी तरफ़दारी करने वालों के लिए ज़्यादा उम्मीद दिलाने वाली नहीं है, हालाँकि एकाध-दो मुद्दे है उसमें जो सूचक हो। तुम्हें वो यहाँ मिलेंगे, और तुम चाहो तो ख़ुद ही पढ़ सकते हो।”
उन्होंने अपने पुलिंदे से हीयरफ़ोर्डशाइअर के स्थानिक अख़बार की नक़ल निकाली, और उसे मोड़ते हुए एक पैराग्राफ़ की और इंगित किया जिसमें उस अभागे युवक ने जो कुछ भी हुआ था उसका अपना विवरण दिया था। मैंने डिब्बे के एक कोने में ख़ुद को बिठाया और बड़े ही ध्यान से पढ़ने लगा। विवरण कुछ ऐसा था:
“मिस्टर जेम्ज़ मेक्कार्थी, मृतक के इकलौते पुत्र, बाद में बुलाए गए और उन्होंने निम्नानुसार सबूत पेश किए। ‘मैं तीन दिन घर से दूर ब्रिस्टल में था, और सोमवार, ३ तारीख़ की सुबह ही लौटा था। मेरे आने के समय मेरे पिताजी घर पर मौजूद नहीं थे, और मुझे नौकरानी द्वारा बताया गया कि वे गाड़ी चला के दूल्हे जॉन कॉब के साथ रॉस गए हुए थे। मेरे लौटने के कुछ ही देर में मैंने आँगन में उनकी ट्रैप के पहियों की आवाज़ सुनी, और खिड़की से बाहर झाँकने पर मैंने देखा कि वो आँगन से बाहर की तरफ़ चल दिए थे, हालाँकि मैं नहीं जानता था वो किस और जा रहे थे। फिर मैंने अपनी बंदूक़ उठाई और बोसकोंब तालाब की तरफ़ टहलने निकल गया, मेरा इरादा ख़रगोश की बाड़ की मुलाक़ात लेने का था जो कि दूसरी तरफ़ थी। जाते हुए रास्ते में मैंने विल्यम क्राउडर, शिकार रक्षक, को देखा, जैसा कि उसने अपने बयान में कहा है, मगर उसकी यह समझने में भूल है कि मैं अपने पिताजी का पीछा कर रहा था। मुझे बिलकुल नहीं पता था कि वो मेरे आगे चल रहे है। तालाब से सो गज की दूरी पर जब मैंने “कूँऊउ!” की पुकार सुनी, जो मेरे और पिताजी के बीच का सामान्य संकेत था। तब फिर मैं आगे की तरफ़ भागा और उनको तालाब के पास खड़ा पाया। वह मुझे वहाँ देख कर काफ़ी अचंबित दिख रहे थे और मुझे बड़े रूखे तरीक़े से पूछा की मैं वहाँ क्या कर रहा था। परिणामस्वरूप हमारी बातें हुई जो बहस में बदली और बाद में लगभग मारामारी तक पहुँची, क्यूँकि मेरे पिता काफ़ी उग्र स्वभाव के इंसान थे। यह देख के कि उनकी गर्मजोशी क़ाबू से बाहर हो रही थी, मैं उन्हें वहीं छोड़ कर हेथेरली फ़ार्म की तरफ़ लौट आया। मैं १५० गज भी दूर नहीं गया होऊँगा कि मैंने अपने पीछे ख़ौफ़नाक चीख़ सुनी, जिसने मुझे वापिस वही दौड़ जाने के लिए मजबूर किया। मैंने अपने पिता को, बुरी तरह से ज़ख़्मी सर के साथ, ज़मीन पर मरते हुए पाया। मैंने अपनी बंदूक़ गिरा दी और उन्हें बाहों में थाम लिया पर वो लगभग तुरंत ही मर गए। मैं कुछ देर उनके पास घुटनो के बल बैठा रहा, और फिर मिस्टर टर्नर के लॉज-रखवाले के वहाँ, चूँकि उसका घर सबसे नज़दीक था, मदद माँगने गया। जब मैं लौट के आया तो मैं अपने पिता के पास किसिको नहीं पाया, और मुझे कोई इल्म नहीं उन्हें यह चोट कैसे लगी। उनके रूक्ष और डरावने तरीक़ों को लेकर वो लोकप्रिय इंसान नहीं थे, पर उनका, जहाँ तक मुझे पता है, कोई सक्रिय दुश्मन नहीं था। मुझे इस विषय में इससे ज़्यादा कुछ नहीं मालूम।’
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