Dracula 10 in Hindi Moral Stories by Mohd Siknandar books and stories PDF | ड्रेक्युला 10 - 9

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ड्रेक्युला 10 - 9

ड्रैकुला 10

Part - 9

दोनों बच्चे ड्रैकुला से कहते है कि “अंकल क्या हम भी आपके साथ मर सकते है क्योकि हमारे माता-पिता भी नही और ना ही अच्छा घर । सब लोग हम सब को अनाथ कहते है ।” ड्रैकुला उन दोनों बच्चे से पूछता है कि “ फिर तुम सब रहते कहाँ पर हो ।” दोनों बच्चे उस से कहते है कि “ हम सब एक अनाथालय मे रहते है ।” उनकी बात सुनकर ड्रैकुला हैरान हो गया । इस से पहले की ड्रैकुला उन से कुछ और पूछता । तभी पीछे से एक आवाज सुनायी दी- कि “ ये बच्चे सही कह रहे है ।” जब ड्रैकुला ने पलटकर देखा तो उसे एक महिला दिखायी दी। जिसकी उम्र लगभग 35 साल थी । वह महिला ड्रैकुला से कहती है कि “मेरा नाम लीना है और मै एक अनाथालय चलती हूँ ।” ड्रैकुला अपना कोलर ऊपर करके कहता है कि “ मै हूँ इटली का सम्राट ड्रैकुला लेकिन भी मेरे सारे सितारे गरदिश मे चल रहे है इसलिए मेरी हालत एक भिखारी जैसी है ।” इतना कहकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा । लीना ड्रैकुला से कहती है कि “ इसमे रोने वाली कौन सी बात है सुख-दुख तो आता-जाता रहता है । सुख मे तो सभी साथ निभाते है लेकिन दुख हमे अपने पराये के बारे मे बताता है । उसे ही पता चलता है कि हमसे कौन प्यार करता और कौन नहीं ? ये दुनियाँ दुखो से भरी पड़ी है लेकिन हम तभी जीते है और मुस्कुराते है ।” आइस-क्रीम खा रहे बच्चो की तरफ इशारा करके कहती है कि “जरा उन बच्चो के मुस्कुराते हुए चेहरे को देखो । भला कौन बता सकता है कि इनमे से कुछ बच्चो को ब्लड कैंसर है और कुछ बच्चो को तो एडस और दम जैसी खतरनाक बीमारियाँ भी । ये खिखिलाते हुए चेहरे कब मुरझाये जाए । हम से कोई नहीं बता सकता । लेकिन तब भी हँसकर जी रहे है । मगर तुम्हें तो कोई खतरनाक बीमारी भी नहीं । बस कुछ लोगो ने तुम्हारा घर, नाम और ताबूत छिना है । उसे तुम तो मेहनत करके दुबारा भी हासिल कर सकते है । इसलिए मेरी बात मानो आत्म हत्या करने का ख्याल अपने मन से निकाल दो ।” ड्रैकुला लीना से कहता है कि “ माँ कसम लीना जी ने अपने तो मेरी आंखे खोल दी है ।” ड्रैकुला सब बच्चो को अपने पूर्वजो की बहादुरी की कहानी सुनने लगा । कहानी सुनकर सब बच्चे ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे और उसी के साथ ड्रैकुला और लीना भी । इस तरह समय का भी पता नहीं चला और शाम हो गयी । ड्रैकुला और लीना बच्चो को बस मे बैठने लगे । बस मे चढ़ते समय लीना अपना कार्ड देकर कहती है कि “ क्या तुम मेरे साथ खाना खाने के लिए बाहर चल सकते हो ।” ड्रैकुला मुस्कुराकर कहता है कि “ हाँ क्यो नहीं ।” बस की खिड़की से अपना सिर निकालकर एक बच्चा महान ड्रैकुला से कहता है कि “ ड्रैकुला अंकल कही आप रोमानियन के असली वाले ड्रैकुला तो नहीं ।” ड्रैकुला अपना हाथ माथे पर मारकर कहता है कि “ यही बात तो मै कब से समझने की कोशिश कर रहा हूँ ।” तभी बस स्टार्ट हो गयी लीना ड्रैकुला से कहती है कि “अपना ध्यान रखना ड्रैकुला ।” इतना कहकर वो बस के अंदर बैठ गयी । ड्रैकुला जाती हुई बस को बस देखता रहा । बस के जाने के बाद ड्रैकुला भी घर की तरफ निकल पड़ा । वह सीधा जॉन के घर पहुंचा । घर के अंधेरा देखकर ड्रैकुला मन मे सोचने लगा कि “सब के घर की लाइट तो जल रही है तो फिर हमारे घर मे अंधेरा क्यो । कही जॉन भाई बिजली का बिल जमा करना भूल तो नहीं गये ।” ड्रैकुला धीरे से दरवाज़ खोलकर अंदर आते हुए कहता है कि “ इतना सन्नाटा क्यो है भाई ।” अचानक रंग-बिरंगे लाइटे एक दम से जल उठी । जिस से ड्रैकुला घबराकर खाने के टेबल के नीचे छिप गया । शराबी जॉन टेबल के नीचे छिपे ड्रैकुला के पास जाकर कहता है कि “ ड्रैकुला भाई यहाँ छिपकर क्या कर रहे हो, तो तुम्हें खुश होना चाहिए क्योकि आज तुम्हारा जन्मदिन है ।” जन्म दिन का नाम सुनते ही ड्रैकुला टेबल के नीचे से बाहर आकर कहता है कि “दरअसल मेरी चावनी नीचे गिर गयी थी बस उसी को ढूंढ रहा था ।” लियाना एक बहुत बड़ा केक टेबल पर रखकर कहती है कि “जन्मदिन मुबारक हो इटली मे महान सम्राट ड्रैकुला।” ड्रैकुला लियाना और जॉन से कहता है कि “मुझे तो खुद नहीं मालूम की आज मेरा जन्मदिन कब है ।” लियाना ड्रैकुला से कहती है कि “आज के ही दिन तुम ! इन सब को जमीन के नीचे से मिले थे । इसलिए उसी दिन को हम सब ने तुम्हारा जन्मदिन मान लिया ।” दरअसल शराबी जॉन के घर पर वही मजदूर थे जिन्होने जमीन के अंदर सुनहरे रंग ताबूत को बाहर निकल था । लियाना की बात सुनकर ड्रैकुला बहुत खुश हुआ । उसने सब के साथ मिलकर केक काटा और सब को बड़े प्यार से खिलाया भी । ड्रैकुला मन मे कहता है कि “कोई भी मेरे लिए गिफ्ट नहीं लाया ।” उसका उदास चेहरा देखकर सब लोग समझ गये कि “ वो अपना गिफ्ट ढूंढ रहा है ।” लियाना और शराबी जॉन सब के साथ मिलकर ड्रैकुला के कहते है कि “ड्रैकुला भाई ऊपर वाले कमरे की लाइट जला दो प्लीज ।” ड्रैकुला दुखी मन से कहता है कि “ ठीक है जॉन भाई ।” इतना कहकर वो ऊपर वाले कमरे मे चला गया । जैसे ही उसने कमरे की बुझी लाइट को जलाया, वैसे ही खुशी से उछल पड़ा-क्योकि उसका सुनहरा ताबूत वही पर रखा हुआ था ।” ड्रैकुला अपने ताबूत से लिपटकर कहता है कि “ मैंने तुम्हें बहुत याद किया मेरे प्यारे ताबूत। अब से तुम्हें अपने से दूर जाने नहीं दूंगा ।” इसके बाद ड्रैकुला उस कमरे से बाहर आया । इस से पहले की वो कुछ और कह पाता । लियाना और शराबी जॉन ड्रैकुला से पुछते है कि “ कैसा लगा तुम्हारा गिफ्ट ।”