Dracula 10 in Hindi Moral Stories by Mohd Siknandar books and stories PDF | ड्रेक्युला 10 - 8

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ड्रेक्युला 10 - 8

ड्रैकुला 10

Part - 8

वह खाली बोतल जैसे ही फेकने चला वैसे ही सड़क पर झाड़ू लगा रहा आदमी उस से कहता है कि “ अगर गंदगी फैलायी तो झाड़ू लगवा लूँगा ।” उसकी बात सुनकर ड्रैकुला ने शराब की खाली बोतल जेब मे रख ली और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। आखिरकार चलते-चलते ड्रैकुला एक पुल पर आ गया । नीचे बहते हुए समुन्द्र को देखकर ड्रैकुला बहुत खुश हुआ । वह मन मे कहता है कि “ बस बहुत हुआ अब मै यही से कूदकर अपनी जान दे दूंगा ।” इतना कहकर ड्रैकुला पुल के रेलिंग के ऊपर चढ़ गया। जैसे ही कूदने के लिए अपना पहला कदम आगे बढ़ाया कि तभी पीछे से एक आवाज सुनायी दी “ हे अंक्ल मरने जा रहे हो क्या ? ” जब ड्रैकुला ने पलटकर देखा तो उसे एक जापानी लड़का और जापानी लड़की दिखायी दी । वह रेलिंग पर से उतरकर नीचे आया और उन दोनों से कहता है कि “ तुम लोग मुझे चैन से मरने क्यो नहीं देते ।” जापानी लड़का उस कहता है कि “ सुन यार चिल मार पहले हम दोनों की फोटो खीच दो । फिर बाद मे मर जाना ।” ड्रैकुला उन दोनों से कहता है कि “ ठीक है । ” उसकी बात मानकर ड्रैकुला ने मरना कैन्सल कर दिया । इसके बाद उस जापानी लड़का ने अपना डिजिटल कैमरा उसको दे दिया । ड्रैकुला उस डिजिटल कैमरा को उल्ट-पुल्ट करके देखने लगा । वह मन मे सोचने लगा कि “ ये डब्बा तो बहुत छोटा है । कही ये जॉन भाई की तरह चम्पा-सुरती तो नहीं खाता ।” जापानी लड़की अपने बॉयफ्रेंड से कहती है कि “ ये तो शक्ल से मुझे पागल दिखायी देता है या शायद ये चोर भी हो सकता है ।” वह लड़का अपनी गर्लफ्रेंड से कहता है कि “ हमे इसे क्या लेना देना । बस हमारी फोटो सही से खीच दे। वही हमारे लिए काफी है ।” डिजिटल कैमरा को उल्ट-पुल्ट कर के देख रहा ड्रैकुला के हाथ से कैमरे का बटन दब गया और तेजी सी रोशनी उसके चेहरे से टकरायी । जिस से वह कुछ देर के लिए अंधा हो गया । ड्रैकुला चीखते-चिलाते हुए कहता है कि “ मम्मी इन लोगो ने मेरी आंखे फोड़ दी ।” इतना कहकर इधर-उधर भागने लगा और एक लोहे के खंभे से टकराकर जमीन पर बेहोश हो गया । जापानी लड़का बेहोश पड़े ड्रैकुला से कहता है कि “ गधा कही का मेरा महंगा कैमरा तोड़ दिया ।” इतना कहकर दोनों बेहोश पड़े ड्रैकुला को लातों से मारने लगे और उसको भला-बुरा कहते हुए वहाँ से चले गये । कुछ देर बाद जमीन पर बेहोश पड़े ड्रैकुला को धीरे-धीरे होश आने लगा । तभी उसे एक पुलिस वाले का चेहरा दिखायी दिया । वह घबराकर जल्दी से खड़ा हो गया और इधर-उधर घूमकर सीटी बजाने लगा । पुलिस वाला अपना डंडा नाचते हुए कहता है कि “ क्यो बे शराब पीकर यहाँ सोता है पब्लिक को परेशान करता है आती-जाती लड़की को छेड़ता है । तेरी घर मे माँ-बहन नहीं है क्या ।” ड्रैकुला अपना सिर इधर-उधर हिलाकर उस से कहता है कि “नहीं माई बाप ।” पुलिस वाला ड्रैकुला के कान मे चुपके से कहता है कि “चल जल्दी से पैसे निकला वरना झूठ केस बनाकर जेल मे डाल दूँगा ।” जेल का नाम सुनते ही ड्रैकुला थर-थर काँपते हुए कहता है कि “ मेरे पास तो बिल्कुल पैसे नहीं है।” इतना कहकर अपनी पैंट की जेब उसके सामने उलटी कर दी । पुलिस वाला सिगरेट पीकर उसका धुआ ड्रैकुला के चेहरे के पर छोड़ते हुए कहता है कि “ तू तो गया बेटा । पैसा नहीं तो आजादी भी नहीं , तुझे तो मै रेप केस किड़नेपिंग,ड्रग्स और हथियार बेचने के साथ-साथ मानव तस्करी और चोरी का आरोप लगाकर जेल मे डाल दूँगा । फिर वहाँ पर जाकर चक्की पीसिंग-पीसिंग एंड पीसिंग ।” ड्रैकुला उसके सामने हाथ जोड़कर कहता है कि “ ऐसा मत करना। वरना मै अपना मुंह कही नहीं दिखा पाऊँगा । आज तक मेरे खानदान का कोई भी शैतान जेल नहीं गया है । इसलिए मुझे जेल मत भेजो बाबू मोसाई ।” अचानक पुलिस वाले की नजर ड्रैकुला के उगली पर गयी । जिसमे वो बेशकीमती अंगूठी पहनना हुआ था । मगर ये बात ड्रैकुला को खुद नहीं मालूम थी उसके असली कीमत के बारे मे । पुलिस वाला ड्रैकुला से कहता है कि “ ये अंगूठी हमका दे दे ठाकुर ! ये अंगूठी हमका दे दे ।” ड्रैकुला उस पुलिस वाले से कहता है कि “ नहीं गब्बर नहीं । ये मेरी माँ की आखिरी निशान है, इसे मै किसी भी कीमत पर नहीं दूंगा ।” पुलिस वाला गुस्से मे आकर कहता है कि “अभी मै तेरी माँ-बहन एक करके ये खानदानी अंगूठी छिनता हूँ बस तू देखता जा ।” आखिरकार उस पुलिस वाले ने ड्रैकुला को मार-पीटकर उसकी खानदानी अंगूठी छिन ली। इसके बाद रावण की तरह हंसने लगा और ड्रैकुला बच्चे के तरह रोने लगा । पुलिस वाला डंडा दिखा कर ड्रैकुला से कहता है कि “ अगर तू किसी को बताया कि मैंने तुझे लूट है तो इस डंडे ऐसी जगह मरूँगा ना, कि तू ना तो किसी को बात पायेगा और नहीं डॉक्टर को दिखा पायेगा ।” इसके बाद वो पुलिस वाला ड्रैकुला को डर-धमका कर वहाँ से भाग गया और ड्रैकुला सुबक-सुबक कर रोने लगा । वह अपने आँसू पोछकर एक बार फिर से आत्म हत्या करने पुल के रेलिंग पर चढ़ गया । अचानक वहाँ पर बस आकर रुकी । जिसमे से ढेर सारे बच्चे निकल कर पुल के रेलिंग के पास खड़े होकर इधर-उधर देखने लगे। दो बच्चे मुंह मे लालीपोप लिए ड्रैकुला से कहते है कि “अंकल आप उस रेलिंग के ऊपर खड़े होकर क्या कर रहे है ।” ड्रैकुला उन दोनों से कहता है कि “ मै यहाँ पर आत्म हत्या करने आया हूँ और प्लीज मुझे परेशान मत करो ।” दोनों बच्चे ड्रैकुला से पूछते है कि क्यो अंकल । ड्रैकुला रेलिंग पर उतरकर उन दोनों को बताया कि “ यहाँ के लोगो ने मेरा सब कुछ छिन लिया । मेरा नाम, मेरी पहचान, मेरा ताबूत, मेरा घर और यहाँ तक मेरी मेहनत की कमायी भी । ऐसी जिल्लत भरी जिंदगी से मर जाना अच्छा है । दुनियाँ वालों मे जा रहा हूँ भगवान मै आ रहा हूँ ।”