Sara kristophara lee Sayada ise he kehte hain ek yug ka anta ! in Hindi Short Stories by Prabhu Jhingran books and stories PDF | सर क्रिस्टोफर ली: शायद इसे ही कहते हैं एक युग का अंत!

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सर क्रिस्टोफर ली: शायद इसे ही कहते हैं एक युग का अंत!

सर क्रिस्टोफर ली : शायद इसे ही कहते हैं एक युग का अंत!

टेलीग्राफ में छपी एक छोटी सी खबर के अनुसार ब्रितानी सिनेमा पर सात से अधिक दशकों तक राज करने वाले महानतम अभिनेता सर क्रिस्टोफर ली 93 वर्ष की उम्र में जिंदगी से हार गये। 11 जून की सुबह क्रिस्टोफर ने लंदन के चेलेसा एण्ड बेस्टमिनिस्टर अस्पताल में अंतिम सांस ली।

ड्रैकुला और स्टारवार्स जैसे कालजयी फिल्मों से अपनी लोकप्रियता की बुलंदियां छूने वाले क्रिस्टोफर नायकों से अधिक लोकप्रिय चरित्र कलाकार माने जाते थे, उन्हें केंद्र में रखकर फिल्में लिखी जाती थीं, और तीन से अधिक पीढियां उनके चाहने वालों में शामिल थीं।

अपने आखिरी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वे काम करते करते मरना पसंद करेंगे और शायद इसीलिए वे अंतिम दिनों में भी अपनी नई फिल्म पर काम करने में मशगूल थे जिसकी नायिका उमा थ्रूमैन थी। पिछली बार वे गत फरवरी में आयोजित 'बर्लिन फिल्म फेस्टिवल' में आखिरी बार देखे गये थे और शरीर से शिथिल होने के बावजूद उन्होंने 'सिनेमा फॉर पीस फाउंडेशन' की मदद के उद्देश्य से आयोजित समारोह में शामिल होने की जिद की थी। सोशल मीडिया के युग में जहां किसी सेलिब्रिटी की मौत की खबर तत्काल वायरल हो जाती है, क्रिस्टोफर के निधन को परिवार वालों ने कतिपय कारणों से लंबे समय तक साझा नहीं किया।

सन्‌ 1958 में बनी सुपर हिट हॉरर फिल्म 'ड्रैकुला' में 'काउंट डै्रकुला' की अपनी यादगार भूमिका ने उन्हें अलग पहचान दी। दी क्रियेचर (1957), द हाउंड ऑफ द वास्करविलिस (1959), द विकरमैन (1974, द न्यू वैच (1990), जिन्ना, (जिसमें क्रिस्टोफर ने मोहम्मद अली जिन्ना की भूमिका निभाई)(1998), द लार्ड ऑफ द किंग्स (2001—3), स्टार वार्स (2005) उनकी कुछ बेहद चर्चित फिल्में हैं। क्रिस्टोफर ने 250 से भी अधिक फिल्मों में काम किया।

उन्हें वर्ष 2009 में 'नाइटहुड' की उपाधि से नवाजा गया और 2011 में वैफ्टा फेलोशिप प्रदान की गई।

27 मई, 1922 को वेलग्रेविया बेस्टमिनिस्टर लंदन में जन्में 'क्रिस्टोफर फ्रैंक कैरेडिनी' ने 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध में स्वयंसेवक तौर पर काम किया। युद्ध की समाप्ति की उथल—पुथल ने उनके कामकाज को भी प्रभावित किया और उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाने की ठान ली। 1947 में उनकी पहली रोमांटिक फिल्म आई 'कॉरीडोर्स ऑफ मिरर्स'। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ली 1977 में अमेरिका गये और अपनी 'हॉरर मैन' की छवि को बदलने के लिए अमेरिकी फिल्म 'एयरपोर्ट 77' में काम किया। उनकी फिल्मों के दीवाने दुनिया भर में फैले थे, वे सचमुच में एक बेहतरीन कलाकार और इंसान थे।

प्रख्यात फिल्म लेखक और समीक्षक स्कॉट बेनवर्ग की यह टिप्पणी शायद क्रिस्टोफर ली की समूची फिल्म यात्रा को रेखांकित कर जाती है —''क्या आपके बच्चे हैं ? वे क्रिस्टोफर को जानते हैं। क्या आपके दादा—दादी आपके साथ रहते हैं ? वे भी क्रिस्टोफर को जानते हैं।'' ब्रिटिश प्रधानमंत्री के शब्दों में — ''टाइटन ऑफ गोल्डेन एज ऑफ सिनेमा...... जिसे सालों तक याद किया जायेगा।''

प्रभु झिंगरन

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