Dr. Kalam short biography in Hindi Biography by Mrityunjaya Dikshit books and stories PDF | डॉ अब्दुल कलाम की जीवनी

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

डॉ अब्दुल कलाम की जीवनी

15 अक्टूबर पर विशेष :—

भारतरत्न मिसाइलमैन डा. कलाम

मृत्युंजय दीक्षित

हम सभी युवाओं व आम जनमानस के दिलों में राज करने वाले देश के महान कर्मयोगी भारतरत्न मिसाइलमैन के नाम से लोकप्रिय पूर्व राष्ट्रपति डा. ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के एम मध्यमवर्गीय परिवर में हुआ था। उन्होनें भारत व भारत की जनता को इतना बहुत कुछ दिया है। आज उन्हीं की मेहनत का परिणाम है कि भारत एक परमाणुशक्ति संपन्न राष्ट्र बन चुका है। उनके दिशानिर्देशों के अनुरूप बनायी गयी मिसाइलों से भारत के पड़ोसी शत्रु कांप रहे हैं। अब चाहे चीन हो या पाक कोई भी भारत के साथ आमने सामने के युद्ध से कतरा रहा है। भारतरत्न कलाम का जीवन सदा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। कलाम एक ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी थे जो वास्तव में पूरी तरह से वास्तविक रूप से धर्मनिरपेक्ष था। वे हर धर्म का आदर करने वाले थे। कलाम ने अपने जीवनकाल में कोई्र भी एक ऐसी बात नहीं की या आचरण नहीं किया जिससे यह लगे कि किसी धर्मविशेष के प्रति उनका लगाव या झुकाव था। डा़ कलाम का पूरा जीवन ही प्रेरणास्पद है। डा ़ कलाम का जीवन एक ऐसा जीवन है जिनके जीवनकाल में ही किताबेें भी लिखी गयीं और फिल्म भी बन गयी। डा ़ कलाम देश के पहलें ऐसे राष्ट्रपति बन गये जोकि सोशल मीडिया में लगातार सक्रिय रहते थे और युवाओं तथा नये वैज्ञानिकों एवं बालकों के लिए प्रेरक बाते लिखा करतेे थे।

15 अक्टूबर 1931 के तमिलनाडु के रामेश्वरम मे जन्में भारतरत्न राष्ट्रपति डा ़ ़कलाम का पूरा नाम अबुल जाकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम था। अब्दुल कलम के जीवन पर उनके माता— पिता की अमिट छाप पड़ी थी। अब्दुल के जीवन पर विभिन्न धर्मो के लोगो ं का व्यपाक प्रभाव पड़ा था।उनके स्कूली जीवन को सही दिशा देने में उनके गुरू की महती भूमिका थी।कलाम को अंग्रेजी साहितय पढ़ने का चस्का लगा। फिर उनकी इच्छा भौतिकशास़्त्र में हुई। उन्होनें अध्ययन के प्रारंभिक दिनों में ही विज्ञान और ब्रहमांंड , ग्रह— नक्षत्रों और ज्योतिष का काफी गहराई्र से अध्ययन कर लिया था।

डा ़कलाम ने सोशल मीडिया में कहा था कि,”सरलता, पवित्रता और सच्चाई के बिना कोई महानता नही होती। “ उनमें यह सभी गुण विद्यमान भी थे। डा ़ कलाम के अंदर कवि,शिक्षक,लेखक,वैज्ञाानिक सहित आध्यात्मिक गुण विद्यमान थे। एक प्रकार से वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। यह उनकी महान प्रतिभा का ही कमाल है कि आज भारत के पास अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल जैसी मिसाइलों का भंडार हो गया है। साथ ही उनकी प्रेरणा से ही भारत अब अपनी मिसाइल तकनीक को और विकसित करने में लग गया है। 1998 में उन्ही की देखरेख मेें भारत ने पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया। इसके बाद भारत परमाणु श्क्ति संपन्न देशों की सूची में शामिल हुआ था। डा ़ कलाम ने 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई। 19992 जुलाई से दिसंबर 1999 तक वे रक्षा विज्ञान सलाहकर और सुरक्षा शोेध और विकास विभाग के सलाहकार रहे। 1982 में उन्हें डीआरडीओ का निदेशक नियुक्त किया गया। यहीं पर उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा ने नये कीर्तिमान को छुआ। इन्होनें अग्नि एवं त्रिशूल जैसी मिसाइलोें को स्वदेशी तकनीक से बनाया।

कलाम अपने जीवनकाल में सदा युवाआें से ही मिलने और उनसे संवाद स्थापित करने का प्रयास करते थे। कलाम का मानना था कि युवा पीढ़ी ही देश की पूंजी है।जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं तो उनके आदर्श उस काल के सफल व्यक्तित्व ही हो सकते हैं।माता— पिता और प्राथमिक कक्षाओं के अध्यापक आदर्श के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बच्चे के बड़े होने पर राजनीति ,विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग जगत से जुड़े योग्य तथा विशिष्ट नेता उनके आदर्श बन सकते हैं। कलाम ने ही सर्वप्रथम भारत के लिए अपनी पुस्तक के माध्यम से विजन 2020 प्रस्तुत किया। यह पुस्तक भारत में काफी चर्चित हुयी।

डा ़़कलाम जो काम करते थे वे पूरी तरह से समर्पित होकर करते थे। डा़ कलाम के जीवन पर आधारित दो पुस्तकें “तेेजस्वी मन” और फिर ”अग्नि की उड़ान“ उनके जीवन का एक ख्ुाला दस्तावेज हैं। उनकी देशभक्ति व कार्य राजनीति से परे थे।वह देश केे पहले ऐसे राष्ट्रपति बने थे जोकि राजनीति से अलग व बहुत दूर थे। अच्छी तरह से याद आ रहा है कि जब उनके नाम का चयन किया गया था तब पूरे देश को आश्चर्य हो रहा था। एक ओर जहां देश के युवाओं व वैज्ञानिकों में हर्ष की लहर दौड़ रही थी वहीं दूसरी ओर एक तबका यह भी सोच विचार में डूब रहा था कि जब कभी कोई बड़ा संवैधानिक विवाद उनके सामने आयेगा तो वे उसका निपटारा कैसे करेंगे।देश के अधिकांश विद्वानों की यही राय बन रही थी कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने कहीे गलत निर्णय तो नहीं कर लिया है। लेकिन आम राजनैतिक लोगों की यह सोच भी समय रहते फेल हो गयी। यह उन्हीं के निर्णय का असर था कि जब यूपीए— 1 सत्ता में आया तब श्रीमती सोनिया गांधी के पास प्रधानमंत्री बनने का पूरा अवसर था लेकिन विदेशी मूल का होने के कारण उन्हें प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर कर दिया था। जिसके बाद मनमोहन सिंह का नाम प्रधानमंत्री के रूप में सामने आ गया था। यही कारण रहा कि उसके बाद कांग्रेस और कलाम के बीच दूरियां बढ़ती चली गयीं और उन्हें दुबारा राष्ट्रपति बनने का अवसर नहीं मिला। कलाम देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होनें संसद में अपने भाषण के दौरान पंथनिरपेक्ष शब्द का इस्तेमाल किया था। जिससे भी कांग्रेसी और वामपंथी विचारधारा के लोग चिढे़ं रहते थे। एक बात और डा ़ कलाम किसी खूंखार से खूंखार अपराधी को भी फांसी की सजा देने के खिलाफ थे अतः उन्होने ं अपने कार्यकाल मेंं कभी भी किसी भी प्रकार की फांसी की सजा को स्वीकार नहीं किया। यही कारण था कि आज की तारीख में फांसी की सजा के मामले लटक गये हैं और जिनका लाभ अब अपराधी लोग उठाने का प्रयास कर रहे हैें। डा़ कलाम हमेशा युवाओं से ऊंचे सपने देखने की बात कहा करते थे। वे कहा करते थेकि ऐसे सपने देखो कि वे जब अब तक पूरे न हो जायें तब तक आप को नींद न आये।डा ़ कलाम ने ही रेलवे को आधुनिक बनाने का मूलमंत्र दिया। डा. कलाम जीवन के अंतिम सांसों तक कार्य करते रहे।वे एक ऐसे कर्मयोगी थे जो जाते —जाते संदेश देकर गये। कलाम ने एक सबल सक्षम भारत का सपना देखा था। वे हमेशा देश को प्रगति के पथ पर ले जाने की बातें किया करते थे।डा . लाम बेदाग चरित्र, निश्छल भावना और विस्तृत ज्ञान से पूर्ण दृढ़ प्रतिज्ञ व्यक्ति थे। वे एक महान सपूत थे। वास्तव में भारतरत्न और सदा याद आने व्यक्ति थे। ऐसा प्रतीत ही नहीं हो रहा है कि वे अब आज हमारे बीच नहीं रहे। यह बात तो सही है कि हर व्यक्ति का हर सपना पूरा नहीं हो सकता है लेकिन अब देश की भावी पीढ़ी को कलाम साहब के हर सपने को पूरा करने की महती भूमिका अदा करनी हैं । ताकि देश को कलाम के सपने के आधार पर पूरे देश को 24 घंटे बिजली मिलने लगे और गांवाें से गरीबी और अशिक्षा का कुहासा दूर हो सके।

प्रेषकः— मृत्युंजय दीक्षित

123,फतेहगंज गल्लामंडी

लखनऊ(उप्र)—226018

फोन नं. —9198571540