Sadhu Bnaam Swadu... in Hindi Short Stories by Girish Pankaj books and stories PDF | साधु बनाम स्वादु...

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साधु बनाम स्वादु...

साधु बनाम स्वादु ....

पहले लोग उन्हें 'साधु' कहते थे, मगर अब 'स्वादु' कहने लगे हैं।

वक्त वक्त की बात है। इसीलिए तो कहा गया है कि संतो, करमन की गति न्यारी। भले कर्म करोगे तो संत, वरना अंत ही अंत, यानी जीवन का द एंड। बड़े-बुजुर्ग कह गए हैं कि पाप का घड़ा एक दिन भरता है और दन्न से फूट जाता है। लेकिन जो पापी होता है उसे लगता है कि उसका घड़ा इत्ता बड़ा है, इत्ता बड़ा है कि फूटेगा ही नहीं। मुसीबत यहीच्च है कि पापी को अपना पाप पाप भी तो नहीं लगता।
ऐसे ही एक पुण्यात्मा जी एक दिन मिल गए। हमने उनके बारे में सुन रखा था कि वे संत न होते थे बहुत बड़े माफिया-डॉन होते। जो भी उनसे टकराया,' निबटा' दिया गया। वे लोग कहाँ चले गए, सब ढूँढ़ते रह गए। फिर भी हमने हिम्मत नहीं हारी। पूछ ही लिया- ''साधुजी, आपके बारे में ये क्या सुन रहे हैं कि आप भोली-भाली कन्याओं को एकांत में बुला कर उनके साथ कुछ गलत-सलत काम करते हैं?''
साधुजी बिल्कुल खलनायकी हँसे और बोले, ''ये सब अफवाहें हैं बच्चा। लोग मुझसे जलते हैं। मेरे लाखों भक्त हैं। वे अपनी श्रद्धा से मेरे पास आते हैं। और मैं पूरी श्रद्धा के साथ उनका दोहन करता हूँ तो इसमें बुराई क्या है? वैसे भी आपको पता होना चाहिए कि मैं भगवान का अवतार हूँ। रास रचाने का मुझे लाइसेंस मिला है।''
तो क्या भगवान ऐश करते हैं आपकी तरह? वे तो करुणा के अवतार होते हैं, लोगों की सहायता करते हैं। आपके बारे में तो लोग कहते हैं कि आप धर्म की आड़ में केवल और केवल लूटते हैं। किसी की इज्जत, किसी का धन, विश्वास?''
साधुजी बोले, ''ये घोर कलजुग है न। अब हम जैसे भगवानों की नई भूमिका यही है। तुम ये सब नहीं समझ सकते क्योंकि तुच्छ मनुष्य हो । देखो, दुकानदारी का समय हो रहा है। भक्त आएँगे, प्रसाद चढ़ाएँगे। मैं आँखें बंद करके ध्यान का ढोंग करूँगा। तुम जाओ भाई। तुम मीडियावाले हमारी दुकानदारी की वाट लगा देते हो। आसारामों को झांसाराम बना देते हो। ''
मैंने कहा, ''साधुजी, यह तो बताइए कि बुढ़ापे में भी आप इतने ताकतवर कैसे बने रहते हैं? क्या खाते-पीते हैं? कुछ टिप्स दीजिए न।'' साधुजी चिढ़वाली हंसी हँसे- ''वाह, बेटे, हम अंदर की बात बता दें ताकि तुम हमारा हक मारो। भक्त से भगवान बन जाओ? जाओ, जाओ, और परेशान मत करो। वरना हमारी खोपडिय़ा घूम जाएगी और तुम तुम नहीं रहोगे। वैसे भी तुम लोग धरती के शैतान हो। सत्यानाश हो तुम्हारा। तुम लोगों को जीने का हक नहीं है। लगे रहते हो पोल खोलने में। भले लोगों को कटघरे में खड़ा करते रहते हो।''
साधुजी ने जी भर कर मीडिया को गरियाया और एक बटन दबा दिया। पी-पी पी की आवाज़ आने लगी। थोड़ी देर में दो पहलवान टाइप के लोग आए। साधुजी बोले,'' देखो, इसे ज्यादा तकलीफ न हो। धीरे-धीरे मालिश करना इसकी । और हाँ, खबरदार, अब कोई भी अंदर घुसे, तो उससे पूछ लेना, कहीं वो मीडियावाला तो नहीं है। न जाने साले कब, कहाँ से कोई फोटो-शोटो ले लें। चैन से जीने भी नहीं देते ससुरे। और हाँ, गार्ड, 'उस ब्रेचारी कन्या को तो भेज देना, जिसका भूत उतारना है।''