Aarakshan - Aarthik Adhaar Par Hona Chahiye in Hindi Magazine by Virendra Nagar books and stories PDF | आरक्छन आर्थिक आधार पर होना चाहिए

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आरक्छन आर्थिक आधार पर होना चाहिए

आरक्छन आर्थिक आधार पर होना चाहिए

मेरे प्रिय मित्रो एक और आरक्छन समर्थक आ गया आज मेरी वॉल पर बाकायदा इस होशियार चंद ने टैग किया है मुझको और बुड़बक हमको बोल रहा है की आरक्छन मिलना चाहिए जाती के आधार पर क्योकि फलां फलां कारण नीचे इमेज में दिया है इस गधे ने !! और साथ ही बोल रहा है "हम बेशर्मो को चाहिए आर्थिक आधार पर "हम बेशर्मो को " ???? वाह रे मेरे आरक्छन के शेर "बाप ने ना मारी मेढकी और बेटा तीरंदाज़ "अबे चूतिये तू खुद ही अपने दलित भाइयो का सबसे बड़ा दुश्मन है वो कैसे समझाता हु सुन बेटा " मैं मानता हु हमारा देश कई सालो तक छुआ छुत का शिकार रहा उन्हें अन्य जातियों की तरह शिक्षा नहीं मिली पीछड़े वर्ग को शिक्षा का अवसर मिल पाए इसलिए शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था की गई, उन्हें नौकरी मिल पाए इसलिए सरकारी नौकरी में आरक्षण दिया गया. संविधान निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर को विश्वास था की इस व्यवस्था से अगले दस सालो में सभी पिछड़ी जातीया मुख्यधारा में शामिल हो जाएगी और इसके बाद शायद आरक्षण की आवश्यकता ही न हो. लेकिन आंबेडकर को भी क्या पता था की वो बन्दर के हाथ में उस्तरा दे रहा है आजादी के ६७ साल बाद भी ये उस्तरा तू अपने ही दलित भाइयो की गांड में मार रहा है इसका ज्ञान है बे तुझको "पड़े" लिखे या लिखे "पड़े " मार्केटिंग मनीजर बाबू ..... नहीं समझा होगा अभी तक !! ले सुन आगे का प्रवचन एक ठोक उदाहरण देता हु एक ठोक समझता है ना ?? इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसी जगह का ले !! क्या ? उदाहरण बे !! कुछ और मत समझ लेना वो फर्स्ट ईयर वाला !! हा तो मैं बोल रिया था की वहा 15% स्थान अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित है. 100 में से 15 सिट केवल अनुसूचित जाती के छात्रो को दी जा सकती है. इन 15 स्थानों के लिए प्रतियोगिता में वो हर छात्र है जो अनुसूचित जाती में जन्मा है. अब ये बता पिछले ६७ सालो में कोई भी दलित इंजीनियर,डॉक्टर,वकील,नेता,कलेक्टर या सरकारी अफसर नहीं बना ?? बोल बना की नहीं ? नहीं बना तो तुम चुतियो को आरक्छन देने का क्या फायदा हुआ ?? और यदि बना तो निश्चित रूप से पिछड़ा हुआ नहीं रहा वो और जब वो पिछड़ा हुआ नहीं रहा तो काहे का आरक्छन बे गधे ?? तू और तेरी आने वाली सारी पुस्ते ऐसे ही आरक्छन लेती रहेगी तो तेरे उन भाइयो का क्या होगा जो सच में पिछड़े है क्योकि आज आरक्छन का लाभ तो केवल वो ले रहे है जो केवल जाती से पिछड़े है सचमुच में नहीं !! तेरे बाप ने आरक्छन लिया और कामयाब हो गया फिर भी उसने तेरे लिए आरक्छन लिया अब तू भी मनीजर बाबू बन गया अब तू अपने बच्चे के लिए मांगेगा कुल मिला के तू देश के और सचमुच में पिछड़े अपने भाई के पिछवाड़े में धनिया बोता रहेगा !! वाह रे हुसियार लेकिन इतना तो बता दे कब तक ??? अबे तू अब तो पिछड़ा हुआ नहीं है तू अब अपने बच्चो को अपने दम पे कामयाबी दिल सकता है तो छोड़ता क्यों नहीं है आरक्छन?? अभी भी अपनी आरक्छन वाली पिपरी बजा रहा है ??? इन सारे कॉलेज में और नौकरी में तुझे अभी भी आरक्छन चाहिए अपने बच्चो के लिए ??? और बेशरम बोल रहा है हमको ? अबे फोकट की आदत लगी है तुझको मुफतखोर !! तुझे एक मजे की बात और समझाता हु सुन मायावती को जानता है ना ?? वही थुलथुल गांड वाली हथनी बे !! उसने तो साला परमोशन में भी आरक्छन घुसाने की कोशिस कर डाली परमोशन में आरक्छन का मतलब जानते हो मनीजर बाबू ?? "पहले गधे को लक्स साबुन से नहलाओ फिर गुलाब जल भी छिड़को "समझे ?? वो तो भला हो सुप्रीम कोरट वालो का जो उसकी बात नहीं मानी वरना उसकी गांड तले तो बचा कूचा दम भी निकलने वाला था !! अब तो छोड़ आरक्छन अपने सचमुच में पिछड़े भाइयो के लिए ताकि वो दिन जल्द आये जब सब सामान हो जाए इस समाज में क्यों बेकार में अपने फायदे के लिए ऐसी पोस्ट डालता है जिससे समाज में और कटुता बढ़े ?? मैंने और मेरे जैसे ना जाने कितने लोगो ने कभी किसी को मंदिर में जाने से नहीं रोक, ना कभी जात पूछ कर साथ खाना खाया, ना किसी को जाती के नाम पर प्रताड़ित किया सबके साथ हॉस्टल के एक ही कमरे में रहा, उनकी चड्डी तक आपस में बदल ली !! मेरे भाई क्यों देश की मार रहा है तू इस आरक्छन के नाम पर ?? अब कुछ नहीं बचा !!!!!