भोर ...
Smita Shah
smitashah2910@gmail.com
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लेपटोप के स्क्रीन पे रातको दो बजे एक मेसेज चमकता है .. " हाय !"
मुझे अजीबसा लगता है | इतने सालों के बाद ... ! ये वही था ! मेरी जिन्दगीका पहला और आखरी शख्स जो दिलके करीब आ पाया था |
एक टाइम ऐसा था की ऐसा लगता था ..अब एकदूसरेके बिना जी नहीं पाएंगे ,यकायक चला गया था छोड़के | बिना वजह बताये |
में : कैसे हो ?
वो : बस ,ठीक ही हूँ !
मैं : इतने वक़्तके बाद कैसे याद किया !
वो : आपको ऑनलाइन देखातो सोचा हाय कर लूँ !!
मैं : ओह ! ओके ...
थोड़ीदेर तक कोई कुछ नहीं बोला |
मैं अपने काम में व्यस्त हो गयी | स्टोरी खत्म करनी थी |
फिर मेसेज आया : क्या कर रही हो ?
मैं : बस एक स्टोरी लिख रही थी .. ख़त्म कर रही हूँ |
वो : आप ठीक तो हो ?
अब मुझे सचमुच गुस्सा आया |
झुंझला गयी मैं : ये क्या आप आप लगा रक्खा है ? हमारे बीच इतना तकल्लुफ कबसे आ गया ?
वो : तकल्लुफ तो आप कर रही हो ... !
मैं : अरे ...!!
वो : एक मेसेज भी तो नही किया इतने सालों में ! एक फोन तो कर सकती थी तुम !
मैं : छोड़के तुम गए थे ! ऐसे कोई जाता है भला !
मेरी आँख में बरबस आंसू छलक आये |
क्या रूठेको यूँही छोड़ देते है ? मनाते नहीं !! उसने कहा ..
मेरे जेहनमे शायर शमीम 'हयात 'साब का शेर आया ..
" झगड़ कर लौट आना था मुझे कुछ दूर ही जाके ;
तुम्हीने जल्दबाज़ी की ,वहीं थोड़ा ठहरना था |
सच मैं भी तो नहीं गयी मनाने !
" कितनी दूर निकल गए रुठने मनाने में ?
सच कहूँ ! मैं तो कॉन्टेक्ट नहीं करने वाली थी | तुम गए थे बिना बताये !"
वो : मेरी अपनी वजह थी !
मैं : कुछ बता कर तो जाते ! और अब आये हो तो सब ठीक होगा है ना !!
" हाँ , अब सब ठीक है !"
" फिर छोड़ कर जानेका इरादा तो नहीं ना ?"
" नहीं , कभी नहीं .. लेकिन तुम पहले वाली मेरी जान बन जाओ "
एक स्माइली भेज कर मैं परवीन शाकिर का एक शेर जड़ देती हूँ :
"तेरी खुशबु का पता करती है ,
मुझपे अहसान हवा करती है ;
शब की तन्हाईमे अबतो अक्सर
गुफ्तगू तुझसे ही रहा करती है ...!"
सामने से बड़ा स्माइली आता है
" सच में तुम वैसी ही हो ... बिलकुल भी नहीं बदली ! बस ,हमेशा ऐसे ही रहना मेरी
ज़िन्दगीमे !"
मैं : सच कहूँ तो मुझे तुम पे कभी गुस्सा नहीं आया ... पूछो क्यूँ !!!
वो : "क्यूँ .!"
" क्यूंकि में गब्बरसिंघ नहीं हूँ !"
सामने से " हाहाहाहाहा " आया और बड़ा सा स्माइली भी |
मेरी आँख में आंसू और होठों पे मुस्कराहट थी |
आसमान साफ़ था ... रात भर बारिश के बाद |
छोटा सा सूरज निकल आया था अपनी हलकी रौशनी मेरी आँखों में भरते हुए ...
स्मिता शाह ' मीरा '