Kash yahan bhi vaisa hi hota in Hindi Comedy stories by Arvind Kumar books and stories PDF | काश यहाँ भी वैसा ही होता

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काश यहाँ भी वैसा ही होता

काश यहाँ भी

वैसा ही होता

अरविन्द कुमार

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काश यहाँ भी वैसा ही होता

अभी—अभी गूगल करते समय मुझे पता चला है कि दुनिया के नक्‌शे पर एक बहुत सुन्दर देश है, जो अपने आकार, प्रकार और जलवायु के हिसाब से काफी कुछ हमारे देश की तरह है। पर अपने क्रिया—कलापों में वह हमारे इस देश से काफी भिन्न है। उस देश में भी डेमोक्रेसी यानि कि लोकतंत्र है। वहां भी कई राजनीतिक पार्टियाँ हैं। पर वे चुनाव बाज नहीं हैं। उनकी घुसपैठ जिंदगी के हर क्षेत्र में उस तरह की नहीं है, जिस तरह की हमारे देश में हुयी पड़ी है।

वहां जिन्दगी अलग है और राजनीति अलग। वहां की सरकारें हमेशा गरीब और मेहनत मजदूरी करके पेट पालने वाले लोगों के हितों के बारे में पहले सोचती हैं। उसके बाद खाए—पिये—अघाए हुए लोगों के बारे में सोचती हैं। उनकी सारे योजनायें गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, भ्रष्टाचार और महंगाई को खत्म करके आम जनता के लिए सस्ती शिक्षा, सस्ती चिकित्सा और सस्ती परिवहन सेवाओं को मुहैया कराने के लिए होती हैं। वे सिर्फ कुछ खास, धन्नासेठ व्यापारियों, घोटाले बाज नेताओं और अमीर कार्पोरेट्‌स के हितों को साधने के चक्कर में बाकी जनता को न तो उल्लू बनाती हैं और न ही उनके फायदों के लिए गरीबों को पूरी तरह से निचोड़ कर रख देतीं हैं। वे कभी भी ऐसी नीतियाँ नहीं बनाती, जिससे कि नेता—मंत्री, दलाल, कमीशन खोर, मुनाफा खोर, अमीर घराने और दलाल पूंजीपति दिन प्रति दिन और अमीर होते चले जायें और गरीब और गरीब। यही नहीं, वहां धर्म और राजनीति का भी कोई चोली—दामन का साथ नहीं है। वहां धर्म अलग है और राजनीति अलग।

आपको ताज्जुब हो रहा है न? शुरू—शुरू में मुझे भी हुआ था। दरअसल, हम अपने देश की स्थिति परिस्थिति के इतने अभ्यस्त हो चुके हैं कि सीधी—सच्ची बातें हमें हमेशा काल्पनिक, मनगढ़ंत और गप्पें लगती हैं। पर आप खुद गूगल करके देख लीजिये। आपको उस देश के बारे में सब कुछ सही—सही पता चल जायेगा। अब आप उन बातों को सच मानिये या मत मानिये। यह सब आपकी सोच पर निर्भर करता है। खैर, गूगलानुसार उस देश की राजनीति साफ—सुथरी और सफ्फाफ है। वहां के नेतागण अपनी जुबान और लंघोट दोनों के बहुत पक्के हैं। चुनाव—सुनाव वहाँ भी होते हैं। पर वहां न तो कभी कोई जाति के नाम पर वोट मांगता है और न ही धर्म के नाम पर। उस देश के लोग बिना किसी दबाव, बिना किसी प्रलोभन के अपने मन से वोट देते हैं। वहां वोट घसीटने के लिए नोट, दारू और नमक के पानी का खेल नहीं खेला जाता। वहां वोटिंग बिलकुल निष्पक्ष और स्वतंत्र होती है। कहीं कोई फर्जी वोटिंग और बूथ कैप्चरिंग नहीं होती। और चुनावों के समय न कहीं कोई तनाव, न कहीं कोई मार—पीट और न कहीं कोई हिंसा होती है।

उस देश के नेता अपने चुनावी भाषणों में अपनी जुबान पर लगाम लगा कर सिर्फ मुद्दों और नीतियों पर भाषण दिया करते हैं। न कोई किसी को गन्दा और नीच कहता है और न ही कोई अपने विरोधियों पर किसी प्रकार का कीचड़ उछालता है। और सबसे बड़ी बात तो यह कि चुनाव जीतने के बाद भी कोई नेता अपनी लंघोट और जुबान को कभी ढीला नहीं होने देता। वे जनता को जनार्दन मानते हैं। और चुनावों के समय वे जो—जो वायदे करते हैं, चुनावों के बाद उन्हें निभाने की पूरी कोशिश करते हैं। वे चुनावी वादों को जुमला कह कर कभी भी हवा में नहीं उड़ाते। इसीलिये विपक्ष की भूमिका वहां सरकार से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। वहां का विपक्ष महज हो—हल्ला करके सरकार की धज्जियाँ नहीं उड़ाता। वह हमेशा सरकार को अपना रचनात्मक सहयोग देता है।

हालाँकि उस देश में हमारे देश की ही तरह मिर्ची पाउडर वाले स्प्रेयर हैं और वहां का हर इंसान जरूरी दस्तावेजों को फाड़ कर चिंदी—चिंदी उड़ाना और गेंद बना कर हवा में उछालना अच्छी तरह से जानता है। फिर भी उनकी संसंद में न तो किसी प्रकार की गैर संसदीय सामग्री का प्रयोग होता है और न ही किसी असंसदीय भाषा का। वहां संसद और विधानसभाओं में कभी कोई गतिरोध पैदा नहीं होता। बल्कि पक्ष और विपक्ष दोनों मिलजुल कर सरकार और देश चलाते हैं। और अगर खुदा—न—खास्ते वे देश नहीं चला पाते हैं, तो वहां की जनता को यह पूरा अधिकार होता है कि वे उनको रीकॉल कर के अपने लिए एक नयी सरकार और नया विपक्ष चुन लें।

वहां संसद और सांसदों की एक महान गरिमामाय परंपरा है। चूंकि उस देश की राजनीति बहुत ही स्वच्छ है, इसलिए वहां हर जगह नारियों की सच्ची पूजा होती है। वहाँ न कोई दहेज काण्ड होता है, न कोई छेड़—छाड़। वहां न तो कभी कोई बलात्कार या सामूहिक बलात्कार होता है, न ही कोई बलात्कार पर बदजुबानी करता है। यद्दपि उस देश में एसिड की खोज हो चुकी है, पर कहीं कोई एसिड अटैक की घटना नहीं होती। इसलिए वहाँ की संसद के भीतर और बाहर हर जगह महिलायें अपने आप को निर्भय और सुरक्षित महसूस करती हैं। वैसे तो, उस देश के बारे में और बहुत सी बाते है। मसलन वहाँ की मीडिया की निष्पक्षता के बारे में। धार्मिक गुरुओं द्वारा कभी फतवे न दिए जाने के बारे में। देशभक्ति व राष्ट्रवाद के घाल—मेल रहित रहने के बारे में। और कभी सांप्रदायिक दंगे न होने के बारे में। पर समय और स्थान के अभाव के कारण मैं चाह कर भी आपको उस देश की सारी बातें नहीं बता पा रहा। आप से गुजारिश है कि आप गूगल पर जाइये। और उस देश के बारे में ठीक से जानिये। अगर आप वहां दी गयी जानकारियों से सहमत हैं, तो अपने—अपने ईश्वर से प्रार्थना कीजिये कि हमारा अपना देश भी वैसा ही हो जाये। और अगर आप सहमत नहीं हैं, तो गूगल तो कहता ही है कि आप उन्हें संपादित करके सुधार दीजिये। बड़े शौक से उसे अपने देश की तरह रंग पोत दीजिये।

अरविन्द कुमार