Dracula 10 in Hindi Moral Stories by Mohd Siknandar books and stories PDF | ड्रैकुला 10

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ड्रैकुला 10

ड्रैकुला 10

Part - 3

थोड़ी ही देर मे मिट्टी से दबा हुआ सुनहरे रंग का ताबूत सब के सामने नजर आया । सब मजदूर एक-दूसरे से कहते है कि “जरूर इसमे सोना-चाँदी और हीरे जवाहरात होगे । अब तो हम सब भी अमिताभ बच्चन की तरह बन गये करोड़पति भाई । बाप बड़ा ना भईया सबसे बड़ा रुपया , कौन बनेगा करोड़पति । इतने मे एक मोटा-तगड़ा सा आदमी वहाँ पर आया और चिल्लाकर सब मजदूर से कहता है कि “यहाँ पर खड़े होकर तुम सब क्या खिचड़ी पका रहे हो । क्या मै इसी बात के लिए पैसा देता हूँ कामचोरों।” सब मजदूर आपस मे कहते है कि “ इस मोटे-भैसे को बिल्कुल पता नहीं चलना चाहिये कि हमे सुनहरे रंग का ताबूत मिला है ।” वह मोटा आदमी एक बार फिर से चिल्लाकर कहता है कि “ काम पर आ रहे हो या फिर काटू तुम सब की तनख्वाह ।” एक मजदूर चिल्लाकर कहता है कि “आ रहे है इंजीनियर साहब । दरअसल उस मोटे आदमी का नाम कोडल है जो पेशे से एक अड़ियल और जिददी इंजीनियर है । उसने काले रंग की कोट और नीले रंग शर्ट पहन हुई थी । चेहरे पर सफेद रंग का मोटा चशमा और बाये हाथ मे जलता हुआ सिगार । जो उसकी तारीफ करता उसकी सैलरी अपने-आप बढ़ जाती और जो बुराई करता उसकी नौकरी खा जाता । उस जगह को छोड़ने से पहले सब मजदूर अपने शराबी दोस्त जॉन से कहते है कि “इस ताबूत का ध्यान रखना ।” इतना कहकर सब मजदूर अपने-आप काम पर लग गये । सब मजदूरो को दुबारा काम पर लगा देखकर कोडल सिंगार पीते हुए वहाँ से चला गया । दरअसल जॉन एक नम्बर का आलसी और शराबी था । जिसके कारण उसको कई बार नौकरी से हाथ धोना पड़ा मगर तभी उसे अक्ल नहीं आयी । पूरे मौहल्ले ने उसे एक नया नाम दिया-शराबी जॉन । इसी से तंग आकर उसकी पत्नी ने उसे घर से निकला दिया । इंजीनियर कोडल ऊंची आवाज मे सब से कहता है कि “तुम सब एक नमबर आलसी और कामचोर हो ।” इधर शराबी जॉन ने गलती से ताबूत का ढक्कन खोल दिया । ताबूत का ढक्कन खोलते ही जादू का असर खत्म हो गया और कई सदियो से सोया हुआ बदमाश ड्रैकुला जाग उठा । तेज धुआ के साथ ड्रैकुला ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए ताबूत बाहर आया अचानक ज़ोर-ज़ोर से खाँसने लगा । शराबी जॉन ड्रैकुला की पीठ थपथपाते हुए कहता है कि “ कुछ लेते क्यो नहीं हो भाई।” ड्रैकुला शराबी जॉन से कहता है कि “ले ले के तो ये हाल हुआ है मेरा ।” शराबी जॉन ड्रैकुला से कहता है कि “मुझे तो कुछ नहीं समझ मे नहीं आ रहा कि तुम कहना क्या चाहते हो । शायद इसे पीने से तुम अपनी दिल की बात सही तरीके से कह सको ।” शराब की तीन-चार घूंट पीकर ड्रैकुला शराबी जॉन से कहता है कि “ “ ये तुमने मुझे क्या पिला दिया ?” शराबी जॉन शराब के तीन चार घूंट पीकर कहता है कि “ सोम-रस, मदिरा , शराब , दारू , वाटका , बीयर, रम , देसी ठराहा भी कहते है इसको ।” ड्रैकुला शराबी जॉन से कहता है कि “ पागल-गंधे इटली के महान सम्राट ड्रैकुला को देसी ठराहा पिलाया । जिसके नाम से पूरा इटली थर-थर काँपती है उसे देसी ठराहा । यहाँ से पचास-पचास कोस दूर जब रात मे कोई बच्चा रोता है ना । तब माँ अपने बच्चो से कहती है कि बेटा सो जा नहीं तो ड्रैकुला आ जायेगा ।” शराबी जॉन मन मे कहता है कि “ कमाल है इसे तीन-चार घूंट मे ही नशा चढ़ गया और साला मैंने तीन-चार बोतले पी डाली मगर तब भी नशा नहीं चढ़ा । मुझे तो लगता है कि ये ड्रैकुला साला गांजा के साथ-साथ कुकीन भी पीता है तभी तो इतना चिल्ला-चिल्लाकर बात कर रहा है ।” ड्रैकुला गुस्सा कर कहता है कि “मुझे खून चाहिये मै सिर्फ खून पीता हूँ और कुछ नहीं ।” शराबी जॉन मन मे कहता है कि “अगर इस रेडियो को बंद नहीं किया गया तो ये कुछ ही देर मे भगवान भी बन जायेगा ।” शराबी जॉन ड्रैकुला से समझाते-बुझाते कहता है कि “ इस दुनिया मे सिर्फ अमीर लोग ही गरीबो का खून पीते है मेरे भाई । हमारे हिस्से की रोटी को छीनकर अपनी तिजोरी भरते है । फिर एक दिन टीवी पर आकर कहते है कि हम सब मिलकर गरीबी को हटायेगे । अगर मुझे से कोई पूछे तो मै कहूँगा कि सबसे पहले अमीरों को हटाये ,गरीबी अपने आप हटायेगी। पता नहीं भगवान हम गरीबो की कब सुनेगा और कब इन अमीरों को सजा देगा ।” उसकी बात सुनकर ड्रैकुला के आंखो मे आँसू आ गये । ड्रैकुला शराबी जॉन से लिपटकर कहता है कि “ भाई जॉन अमीर हमे जीने नहीं देते और भगवान हमे मरने नहीं देता ।” इसके बाद दोनों मिलकर खूब शराब पीने लगे । लेकिन ड्रैकुला पर शराब का नशा बिलकुल नहीं चढ़ा । वह शराबी जॉन को वही पर छोडकर जंगल की सीमा से बाहर निकल गया । तभी उसे पक्की सड़क दिखायी दी और वह चिल्लाकर कहता है कि “ यहाँ की नदी काली कैसे हो गयी परमेश्वर । कही मै नरक मे तो नहीं या फिर कयामत दिन तो नहीं । जिसका ज्रिक बाइबिल मे बताया गया है ।” अचानक दूर से ट्रक की जलती हुई रोशनी दिखायी दी । वह सड़क के बीचों बीच खड़े होकर कहता है कि “ हे नरक के शैतान । तुम इटली के महान सम्राट ड्रैकुला को इस तरह से नहीं डर सकते ।” इतना कहकर ड्रैकुला अपने सम्मोहन की शक्ति से उस ट्रक को रोकने की कोशिश की । मगर उसे नहीं मालूम था कि मशीनों पर जादू असर नहीं करती । एक तरफ था- इटली का महान सम्राट ड्रैकुला और दूसरी तरफ थी - आधुनिक युग की ट्रक । ड्रैकुला ने अपनी पूरी सम्मोहन शक्ति लगा दी उस ट्रक को रोकने की । मगर ट्रक रोकने के बजाये उसकी स्पीड और बढ़ा गयी । इस से पहले की ड्रैकुला कुछ समझ पाता , ट्रक उसको जबरदस्त टक्कर मारकर हवा मे उड़ा दिया । ड्रैकुला पक्के आम की तरह जमीन पर आकर गिरा और उसके मुंह से सिर्फ एक ही शब्द निकला- “ ज़ोर का झटका धीरे से लगा ।”