एवरलास्टिंग प्यार
कविता वर्मा
मेरे प्रिय वैलेंटाइन,
आज तुम्हें यह पत्र लिख रही हूँ यह बताने के लिए नहीं कि मैं तुमसे कितना प्यार करती हूँ बल्कि वह बताने के लिए जो मैंने अब तक तुम्हे कभी नहीं बताया। और भी कुछ बताने को जो शायद कभी तुम्हारे भी मन में आया होगा लेकिन तुम कभी बता नहीं पाए।
जानते हो तुम मेरे वैलेंटाइन तब से हो जब हमारे यहाँ वैलेंटाइन मनाने की प्रथा ठीक से शुरू ही नहीं हुई थी। और हाँ यह भी जान लो कि हम तो उलटे तरीके के वैलेंटाइन हैं। नहीं समझे ना लोग पहले वैलेंटाइन बनते हैं प्यार के बंधन में बँधते हैं फिर शादी के बंधन में लेकिन हम तो पहले शादी के बंधन में बँधे फिर वैलेंटाइन बने।
याद है उस समय जब तुम्हारी नई नई नौकरी लगी थी फूल देने का कहाँ सोचते थे हम एक दूसरे को लेकिन हमारा प्यार तो सदाबहार था जबकि फूल तो शाम होते तक मुरझा जाते हैं लेकिन हम तो एक दूसरे का साथ पाकर ही फूल से खिल जाते थे।
चॉकलेट तो तुम्हें बहुत ज्यादा पसंद ही नहीं थी हाँ लेकिन जब भी मौका मिलता था हम मिठाई जरूर खाते थे याद है ना।
वो बाइक पर दूर तक घूमने जाना रास्ते में रुक कर भुट्टे खाना लेकिन तुम कभी भी किसी सुनसान सड़क के किनारे गाड़ी नहीं रोकते थे। कितना चिढ़ती थी मैं लेकिन तुम , तुम तो मेरी सुरक्षा के लिए चिंतित रहते थे। कभी एक दो मिनिट को गाड़ी रोक भी देते थे तो सदा चौकन्ने रहते थे।
मुझे तो याद नहीं है कि कभी तुमने मुझे या मैंने तुम्हे आय लव यू कहा हो लेकिन प्यार तो हमारी आँखों में झिलमिलाता था वह कभी भी शब्दों का मोहताज़ कहाँ रहा ?
अच्छा याद करो कभी मैंने तुम्हे कोई सरप्राइज़ गिफ्ट दिया है ? अरे सोचो सोचो कभी कुछ तो दिया होगा। नहीं आया याद लेकिन मुझे याद है जब शादी के बाद मेरे पास नेलकटर नहीं था और कैंची से नाख़ून कटना मुझे आता नहीं था तब तुम एक शाम नेलकटर ले कर आये थे। कितना मुश्किल था उन दिनों तय खर्च से पंद्रह रुपये निकलना पता नहीं तुमने कैसे निकाले थे लेकिन वह गिफ्ट उसके बाद मिले तमाम गिफ्ट्स और जरूरतों से बहुत ज्यादा कीमती था।
मैंने तो शायद ही कभी तुम्हें कोई गिफ्ट दिया हो लेकिन जब शाम को घर में घुसते ही कहते थे ना तुम्हें कैसे पता कि आज मेरा बैंगन का भरता या मेथी का बेसन खाने का मन था तब एक अद्भुत तसल्ली मिलती थी।
आज सोशल मीडिया पर युवाओं को अपने प्यार का इज़हार करते देखती हूँ तो सोचती हूँ क्या हमें भी ऐसा कुछ करना चाहिए था ? क्या कहते हो तुम करना था क्या ? अरे वही आय लव यू कहना गिफ्ट सरप्राइज़ देना वगैरह।
जानते हो जब हम बाइक से जाते थे तब तुम हर गढ्ढे को बचा कर कितने सावधानी से गाड़ी चलाते थे तब कभी कभी युवा लड़के लड़कियों को लहराती बाइक से सर्र से गुजरते देखती थी मन तो होता था कहूँ चलो न गाड़ी की स्पीड बढ़ाओ लेकिन कह नहीं पाती थी पता था एक छोटी सी बात भी ना मानोगे चिंता जो करते हो या कहूँ प्यार करते हो। और जब कभी गाड़ी के आसपास किसी शोहदे को गाड़ी चलाते देखते तो भीड़ भरी सड़कों की तरफ गाड़ी मोड़ देते या किसी दुकान पर यूँ ही रुक जाते। तुम्हारी चौकन्नी नज़र से कहाँ कुछ छुप पाता था।
याद है जब पहली विदाई के लिए शादी के डेढ़ महीने बाद मुझे लेने आये थे। मैंने बताया ना ये उस समय की बात है जब वैलेंटाइन डे मनाने का चलन नहीं था और सबके सामने बाहों में भरना तो हम सोच भी नहीं सकते थे याद है न कैसे सबसे छुप कर एक दूसरे को देखा करते थे। कितनी कशिश थी उसमे।
और भी ना जाने कितनी छोटी छोटी बातें हैं जिनसे हमने अपने प्यार का इजहार किया कभी पत्र लिखकर तो कभी बिना कहे एक दूसरे की चिंता करके कभी एक दूसरे की पसंद का ख्याल रखकर।
समय के साथ हमारी छोटी छोटी बातें हमारी आदतें बन गईं। हम दोनों ही एक दूसरे की सांस लेने पलकें झपकाने जैसी आदत बन गए।
जानते हो लेकिन अब इन आदतों में कुछ बदलाव चाहती हूँ मैं। अरे चौंकों मत क्या सोचने लगे कुछ गलत मत सोचो। अच्छा क्या तुम यह सोच रहे हो कि मैं तुम्हे किसी और से इश्क़ करने को कह रही हूँ ? हहाह ऐसा कभी सोचना भी मत। लेकिन हाँ अब मैं इन प्यार के तरीकों में कुछ बदलाव करने के लिए जरूर कह रही हूँ। मैं चाहती हूँ कि किसी दिन शाम को तुम फूलों का एक गुलदस्ता लेकर घर आओ या कभी यूँ ही लॉन्ग ड्राइव पर जाते हुए रास्ते में कहीं रुक कर हम सूर्यास्त देखें एक दूसरे की तस्वीरें खींचें या थर्मस में रखी कॉफी पियें। कभी यूँ ही तेज़ आवाज़ में गाने लगा कर जोर जोर से गायें या फिर कभी अपने अपने कामों से अलग अलग जाते हुए भी एक दूसरे की अपने लिए उपस्थिति और इंतज़ार को महसूस करें।
कभी माल में हाथ में हाथ डाले घूमने जाएँ तो कभी ठिठुरती ठण्ड में सड़क किनारे किसी कैफ़े में आइसक्रीम खाएँ। कभी तुम अचानक पिज्जा आर्डर कर दो तो कभी पीछे से आकर मेरी आँखें बंद कर दो। कभी किसी रिश्तेदारी की शादी में जाने के बदले किसी मूवी का नाईट शो देख आएं और तुम उन्हें फोन करके कह दो कि तबियत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए नहीं आ पाए। कभी बिस्तर में देर तक पड़े रहें ना तुम उठो ना मैं बस यूं ही अलसाएं। तो कभी बालकनी में लगे पौधों की देखभाल करते करते ही दिन बिताएं। बस वो सब ना करें जो हमेशा से करते हैं आये वो करें जो कभी कर ना पाए।
वो क्या है ना आजकल प्यार के इजहार के इतने नए नए तरीके हो गए हैं कि देख कर मन ललचाता है लेकिन मैं पहले ही बता दे रही हूँ कि सिर्फ प्यार के तरीके बदलें प्यार तो वैसा ही रहने देना जैसा उन दिनों में था जब हमने वैलेंटाइन मनाना शुरू नहीं किया था।
तुम्हारी वैलेंटाइन