Sapne le gaye kis aur in Hindi Love Stories by PARESH MAKWANA books and stories PDF | SAPNE - ले गए किस और..

Featured Books
Categories
Share

SAPNE - ले गए किस और..

सपने ले गए किस और..

परेश मकवाणा

ऐ कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसे सपने देखने का बहुत शोख़ था। आँखों में बहुत बड़े बड़े सपने लिए घूमती थी इसीलिए शायद उसका नाम भी सपना ही था। सपना वो लड़की थी जो अपने सपनो के लिए जीती थी। कभी कहती थीं बड़े होकर डॉक्टर बनुगी तो कभी कहती थी शिक्षक कभी कहती थी पुलिस बनुगी तो कभी कहती थी हवाई जहाज उड़ाऊंगी। इन्ही बड़े बड़े सपनों में उसका बचपन बीत गया दसवी पास कर गई आज वो बहुत खुश थीं की दसवीं में वो अच्छे नम्बरों से पास हो गई उसे यही लगता था की अब वो शहर जाकर पढ़ेगी पर ऐसा नहीं हुवा वो मिठाई का डिब्बा लेकर जब घर पहुची तो उसका जीजा प्रतीक अपने बच्चे के साथ आया था। कुछ महीने पहले ही उसकी बीमार दीदी की मौत हो गई उसके बाद प्रतीक और उसका एक साल का बेटा दीपक अकेले रहते थे।

प्रतीक : अरे वाह मिठाई किस खुसिमे सपना..?

सपना : वो में पूरे 89% से पास हो गई सोचा मिठाई बाटू सबको..।

प्रतीक : ए तो बहुत अच्छी बात है।

अचानक बीच में उसकी माँ ने प्रतीक से कहा तो दामादजी शादी की तैयारी सुरु कर दे..

माँ की बात सुनकर सपना चोक गई उसने पूछ लिया माँ किसकी शादी..?

माँ : तुम्हारी और दामादजी की पांच दिन बाद।

सपना : माँ तुम पागल हो गई हो..में अभी शादी नही करुंगी मुझे अभी पढ़ना है एर होस्टेस बनना है।

माँ : शादी तो तेरी अभी होगी चाहे तू मान या ना मान। और ऐ पढ़ाई बढ़ाई सब बंद।

सपना पूरी तरह से टूट गई दो दिन बाद शादी थी। इसीलिए माँ ने उसे एक कमरे में बंद कर दिया। क्योकि वो जानती थी की ए लड़की घर से भी भाग सकती हैं। वैसा ही हुवा शादीवाले दिन जब उसे तैयार करने के लिए सुबह दरवाजा खोला तो वो खिड़कियों से भाग चुकी थी। यहाँ से सपना के सपनों का सफर सुरु होता हैं

वो भागकर स्टेशन आ जाती हैं जहाँ पर उसे कुछ गुंडे छेड़ते है। तब उसे एक अंजान आदमी बचाता है जो अपना नाम राघव बताता है दोनों के बीच जानपहेचान होती है और फिर दोनों एक ही ट्रेन में बैठते हैं। सफर के दौरान थकेहाल सपना की आंख लग जाती हैं और इसी बीच उसके हाथमे से डायरी गिर जाती हैं। राघव वो डायरी उठता है और पढ़ने लगता है।

नाम है सपना सपनो की दुनिया में रहने वाली। बचपन से आज तक की हर वो बात जो वो अपनी डायरी में लिखती आयी थी। वो सबकुछ राघव ने तीन घण्टे में पढ़ लिया। अब वो सपना के बारे में सब कुछ जनता था।

फिर राघव ने उसकी हर तरह की मदद की यह तक की उसे रहने के लिए अपने घर भी ले गया जहाँ राघव के आलावा एक उसकी बूढी माँ भी रहती थी। वो भी सपना को अपनी बेटी की तरह रखने लगी..। एक दिन राघव ने उसे कहा में जनता हु की तुम अपना घर छोड़कर यहां सिर्फ अपने सपनो के लिए आई हो। हवाई जहाज से आसमानो में उड़ना चाहती हो ना ?

सपना : हां पर ये सब आपको कैसे मालूम..?

राघव : तुम्हारी आँखों में वो सपने साफ दीखते हे जो तुमने देखे हैं।

सपना : पर अब तो मेरे पास ना पैसे है ना पढ़ाई किस काम के ये सपने।

राघव : में हु ना। में दूंगा पैसे तुम अपनी पढ़ाई फिर से सुरु कर सकती हो।

सपना : में आपके पैसे केसे ले सकती हूं।

राघव : उधार के तौर पर लेलो जब तुम्हारे सपने पूरे हो जायेंगे जब तुम एर होस्टेस बन जावो तब वापस कर देना।

और फिर सपना की अधूरी पढ़ाई सुरु हो गई..वो कॉलेज जाने लगी मानो उसके सपने हकीकत बन रहे थे। ए सब राघव की वजह से हुवा था इसीलिए वो राघव को कोई फरिश्ता मानती थी।

पर वक़्त कब क्या चाल चल जाये किसे पता। उसके साथ कुछ ऐसा हुवा जो शायद आजतक किसीके साथ नही हुवा जो कभी नही होना चाहिए था वो हुवा।

जिस पर वो सबसे ज्यादा भरोसा करती थी जिसे वो अपना सबकुछ मानती थी उसी राघव ने उसे एक दिन मुम्बई ले जाकर कोठे पर बेच दिया। और उसकी वो बूढी माँ असल में वो उसकी माँ थी ही नही वो मुम्बई की एक मसहूर वेश्या लीलावती थी। जो राघव जेसो के साथ मिलकर बेसहारा लड़कियों को फसती थी। फिर उसे अपने धंधे में जबरदस्ती सामिल करती थी।

सपना के साथ भी कुछ ऐसा ही हुवा था राघव सपना को मुंबई घुमाने के लिए लाया। और वही उसने अपना असली चेहरा दिखा दिया। जिससे सपना मानो टूट सी गई..। एक ही पल में चूरचूर हो गए उसके सारे सपने। हर रात..उसके जिस्म से कोई खेलने लगा। और उसे अपने आप से नफरत हो गई। कई बार यहासे भागने के उसने असफल प्रयास किये। पर वो इस भयंकर दलदल से बहार नही निकल सकी। पर एक दिन मौका देखकर भाग निकली और भागते भागते एक कार से टकराई

कुछ घण्टो बाद जब उसे होश आया तो उसने अपने सामने किसी अपने को पाया वो था प्रतीक सपना उससे चिपक क्र रोने लगी।

प्रतीक : कहा थी सपना एक साल से पागलो की तरह तुम्हे धुंध रहा हु। कहा थी तुम ?

सपना : जीजू मुझे माफ़ कर दो।

फिर उसने इन छे महीनों में उसके साथ जो कुछ भी हुवा सबकुछ बता दिया।

प्रतीक : ऐसे लोगो को तो जेल में सडाना चाहिए। मेरा एक दोस्त इस शहर का एसीपी हे में अभी उससे बात करता हूं।

तुम हारना मत हम उसे जेल भेजेंगे।

फिर सपना की गवाही पर पुलिसने लीलावती के कोठे पर छापा मारा राघव और उसके आदमियो को अरेस्ट किया और जबर्दस्ती इस व्यापर में धकेली गई कई लड़कियों को आजाद किया।

प्रतीक : सपना इतने में हार गई क्या..? तुम्हारे उन सपनों को पूरा नही करोगी ?

सपना : हां जीजू में हार गई अब मेरा कोई सपना नही है मुझे मरना होगा में नही जी सकती ऐसी जिंदगी।

प्रतीक : नही सपना तुम्हे मेरे लिए जीना होगा तुम्हे अपने अधूरे सपनो के लिए जीना होगा तुम्हे वो नीला आसमान चूमना होगा।

सारे समाज की परवाह किए बिना प्रतीक ने सपना को अपना लिया। और तीन साल बाद सपना पाइलेट बन गई। उसने चुम लिया वो नीला आसमान ।

***