Ankahi Kahaani in Hindi Love Stories by Jagriti Saini books and stories PDF | अनकही कहानी

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अनकही कहानी

अनकही कहानी

हर दिन की तरह आज भी अनु अपनी सारी सुध बुध खो कर ऑफीस में बैठे अपने नये डिज़ाइन्स देख रही थी| इस बार मॅगज़ीन में कौन सा डिज़ाइन भेजना है ये निर्णय करना काफ़ी मुश्किल था क्यूंकी इस बार सिर्फ़ डिज़ाइन पब्लिश करना ही लक्ष्य नहीं था बल्कि प्रतियोगिता में साल की 5 बेहतरीन कंपनीज़ में अपनी कंपनी का नाम लाना भी ज़रूरी था|

अनु सुबह से इसी कशमकश में उलझी हुई थी.. बस एक गिलास पानी पिया था सुबह से.. खाने का तो होश ही कहाँ था.. घड़ी में 4 बज रहे थे और मेज़ पर हर तरफ बस डिज़ाइन्स बिखरे हुए थे जिनमें अनु सुबह से बस कामिया ही देखती जा रही थी|

उसी पल पीछे से एक आवाज़ आई..

“हेलो अनु! कैसी हो तुम?”

एक पल के लिए जैसे पूरे जहान में जैसे सन्नाटा सा छा गया हो.. और उस से भी कहीं ज़यादा सन्नाटा अनु के दिल में उभर आया..

हां.. ये जानी पहचानी आवाज़ थी..! अनु में पीछे मुड़कर देखने की हिम्मत नहीं थी.. उस एक पल में जैसे कोई सदियों की कहानी अनु की आँखो के सामने उतर आई हो.. आँसू पलकों में छुपाके, बड़ी हिम्मत के साथ अनु ने पीछे मुड़कर देखा.. और उसकी निगाहें उन्ही निगाहों में फिर से जा मिली जिनमे सिमट जाने की वो ना जाने आज तक कितनी दुआ करती रही|

मन में पहला ख्याल आया “कैसी हो सकती हूँ तुम्हारे बिना?”

फिर उस अनकही कहानी पे परदा डालते हुए अनु ने धीमी सी आवाज़ में कहा “मैं ठीक हूँ, तुम कैसे हो?”

साकेत के चेहरे पे एक हल्की सी मुस्कुराहट उभर आई.. इस से पहले की अनु और कुछ पूछ पाती, अनुज वहाँ आ गया.

अनुज और साकेत पिछले 10 साल से एक दूसरे को जानते थे और उनके जैसी दोस्ती शायद ही कभी किसी ने देखी या निभाई होगी. वो दोनो एक दूसरे के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे.. उनकी दोस्ती सभी के लिए मिसाल की तरह थी. उन दोनो ने ये ऑफीस भी एक साथ ही जाय्न किया था; लगभग 7 साल पहले| लेकिन फिर 2 साल पहले साकेत किसी काम से अमेरिका चला गया|

आज 2 साल बाद वो दोनो फिर मिल रहे थे.. और दोनो के चेहरे पे खुशी का सागर उमड़ आया था.. उन्हे एक बार फिर साथ देखकर अनु ने अपने सवालों का कारवाँ अपने दामन में ही समेट लिया|

हाँ बहुत से सवाल थे दिल में.. और उनकी गहराई अनु कभी खुद भी नहीं समझ पाई. कुछ ही पल में वो दोनो वहाँ से चले गये और अनु फिर से अपनी कुर्सी पर बैठ गई.. लेकिन इस बार वो काम करने नहीं बैठी थी.. अब उसे ये भी याद नहीं था के सामने डिज़ाइन्स पड़े हैं और कल उसे फाइनल फाइल्स सब्मिट करनी है|

इन दो लम्हो में मानो उसकी दुनिया ही बदल गई.. पुरानी यादों का एक कारवाँ सा दिल में हिलोरे खा रहा था.. जिस एहसास को अनु ने ना जाने कितने वक्त से बस अपने दिल में दफ़ना के रखा था, आज वो उसकी आँखो के सामने फिर ख्वाब की तरह उतर आया|

हाँ ये एक अनकही कहानी थी.. लेकिन अनकही दुनिया के लिए.. अनु ने तो उस ख्वाबों की ज़िंदगी को हर लम्हा खुद में जिया था..

एक गहरी सांस के साथ अनु की ज़िंदगी के पीछले 7 साल उसके सामने एक किताब की तरह खुल गये. उसकी आँखो में आँसू भर आए और उस खोए हुए एहसास ने आकर फिर उसके दिल पे दस्तक दे दी..

लगभग 7 साल पहले जब अनु ने ये कंपनी जाय्न की थी तब उसकी ज़िंदगी कुछ और ही थी.. वो ज़िंदगी के हर रंग को करीब से महसूस करती थी.. अपनी खुशियों को अपनी मुट्ठी में समेट के चलने वाला उसका जज़्बा उसे हर काम में आगे बनाए रखता था.. पढ़ाई पूरी करने के बाद ये उसकी पहली नौकरी थी और पहले दिन ही उसे साकेत की टीम में जगह मिली. अनु अपने काम से दिल से जुड़ी थी और उसका लक्ष्य हमेशा पर्फेक्षन ही होता था.. टीम के सभी लोग काफ़ी अच्छे थे लेकिन अनु हर वक्त बस अपने काम में ही मगन रहती थी.. साकेत उसकी लगन देखकर बहुत खुश था और उसकी टीम हर दिन अनु के क्रियेटिव डिज़ाइन्स की वजह से कंपनी के लिए न्यू टार्गेट्स अचीव करती जा रही थी.

अनु के लिए काम के साथ वक्त की कोई सीमा नहीं थी.. वो सब भूलकर काम में डूब जया करती थी और कभी कम करते करते ही सुबह भी हो जाया करती थी.. साकेत ने हमेशा उसके हुनर को सराहा और जल्दी ही अनु को प्रमोशन भी मिल गई.. वो अब साकेत की ही टीम में सीनियर आड्वाइज़र का काम करने लगी और उसका अधिकतर समय साकेत के साथ डिस्कशन्स में ही बीत जाता था.. दोनो ही अपने काम में माहिर थे और उनके लिए टार्गेट्स अचीव करने में रात दिन कोई मायने नहीं रखते थे.. अक्सर वो देर रात तक फोन पे डिज़ाइन्स डिसकस किया करते थे.

काम में ना जाने कब 2 साल बीत गये अनु को पता ही नहीं चला.. लेकिन धीरे धीरे उसके दिल से जो एहसास जुड़ते जा रहे थे उसने अब उन्हें महसूस करना शुरू किया|

कहते हैं लड़कियाँ भावनाओं में जल्दी बह जाती हैं.. शायद कुछ ऐसा ही अनु के साथ भी हुआ..

कॉलेज के दिनो से ही अनु को लव स्टोरीस पढ़ने की आदत थी.. उसे उन कहानियों में ही यकीन सा नज़र आता था.. काम से जब भी फ़ुर्सत मिलती या तो वो एक नयी लव स्टोरी पढ़ना शुरू कर देती या फिर ऐसी ही दिलों की कहानी लपेटे कोई फिल्म देख लिया करती थी.. वो अक्सर उन कहानियों में ही खो जाया करती थी लेकिन उसने कभी ये नहीं सोचा था के एक दिन उसकी अपनी ज़िंदगी भी एक ऐसी ही कहानी बन कर रह जाएगी|

साकेत बहुत ही सुलझा हुआ लड़का था| दूसरों के हुनर की तारीफ़ करना, उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना उसे बहुत अच्छा लगता था| वो बचपन से ही अपने परिवार से बहुत करीब से जुड़ा हुआ था और शायद इसी लिए उसका व्यवहार बड़ा सहज सा था| अनु अक्सर साकेत के बात करने के तरीके से काफ़ी प्रभावित होती थी. वो दूसरों का बहुत ख्याल भी रखता था.. अनु कभी बीमार हो जाती थी तो ऑफीस का सब काम खुद ही मेनेज कर लिया करता था| उसने कभी अपनी टीम को प्रोग्रेस के लिए प्रेशराइज़ भी नहीं किया, लेकिन उन्हे बड़े हुनर के साथ और अच्छा काम करने का हौंसला दिया करता था. शायद इसी लिए टीम के सब लोग साकेत की बहुत इज़्ज़त किया करते थे|

इतने वक़्त से साकेत के साथ काम करते करते अब अनु को साकेत की आदत सी हो गई थी.. वो दोनो अक्सर देर से काम ख़तम करके ऑफीस से साथ ही निकला करते थे और कई बार बाहर ही डिन्नर करके फिर साकेत अनु को घर ड्रॉप कर दिया करता था.. शायद ये साकेत के लिए एक आम ज़िंदगी थी लेकिन अनु उसकी सब अच्छी आदतें दिल से महसूस किया करती थी. अनु की कहानियों और कविताओं में जो सक्श उसकी ख्वाबों की ज़िंदगी में अक्सर उभर आया करता था धीरे धीरे उसे साकेत का चेहरा उससे मिलता हुआ सा नज़र आने लगा था|

वक्त के साथ अनु ये खुद भी नहीं समझ पाई के साकेत कब उसके ख्वाबों का हिस्सा बन गया| उसे दिन भर साकेत के आस पास रहने में एक अजीब सी खुशी का एहसास होता था, लेकिन जब घड़ी की सूइयां शाम की ओर इशारा करने लगती तो उसे बेचैनी सी होने लगती|

एक दिन साकेत को कंपनी की दूसरी ब्रांच, जो उसी शहर के दूसरे हिस्से में थी, का एक नया प्रॉजेक्ट मिला| अब उसे आधे दिन दूसरे ऑफीस में काम मेनेज करना था और बाकी के आधे दिन अपने पुराने प्रॉजेक्ट्स पे काम करना था| बस अगले दिन से ही उसकी नई रुटीन शुरू हो गई.. और अब काफ़ी बिज़ी भी रहने लगा. साकेत अपने नये काम में पूरी तरह डूब गया लेकिन अनु के दिल में तो कुछ और ही चल रहा था| सुबह का आधा दिन बीताना अनु के लिए बहुत मुश्किल सा होने लग गया, वो बार बार घड़ी की सुइयों को देखा करती और उसकी नज़र ऑफीस के गेट पेर अटकी रहती के कब साकेत की एक झलक देखने को मिले| यही इंतज़ार अब उसके हर दिन का हिस्सा बन गया था.. साकेत अक्सर 1 या 2 बजे के बीच ऑफीस आ जाया करता था.. लेकिन कभी कभी दूसरे ऑफीस में मीटिंग्स की वजह से देर भी हो जाया करती थी और कभी कभी तो उसका पूरा दिन दूसरे ऑफीस में ही बीत जाता था..

अनु सुबह से 1 बजे तक अपनी सांसो को गिन गिन कर वक्त बीता दिया करती थी.. खुद को काम में बिज़ी रखने की कोशिश भी बहुत करती लेकिन ख़याल अपनी एक अलग ही दुनिया बनाते जा रहे थे.. जिन पर उसका अपना कोई बस नहीं था.. अगर साकेत को आने में 2 बजे के बाद 5 मिनिट की भी देरी हो जाती तो उसके चेहरे की रोनक ही उड़ जया करती थी इसी डर में के साकेत आज ऑफीस आएगा भी या नहीं| अपने दिल की हालत उसने कभी किसी से नहीं कही क्यूंकी वो खुद भी इस बात को नहीं समझ पा रही थी के क्यूँ उसका दिल हमेशा साकेत के इंतज़ार में ही रहता है..

ये बात सिर्फ़ इंतज़ार की नहीं थी, ये ख्वाबों की ज़िंदगी अब अनु पर हर तरह से हावी होने लगी थी. वो साकेत के ख्यालों में इस कदर डूब जया करती थी के उसे अपना कोई होश ही नहीं रहता था. उसके दिल में कुछ ऐसे एहसास उठते थे जिन्हे वो शब्दों में ब्यान ही नहीं कर पाती थी, बस तन्हाई में आँसू बहा लिया करती थी. इस बात को समझने में अनु को ज़्यादा वक्त नहीं लगा के वो साकेत को चाहने लगी है लेकिन ये बात होंठो पे लाने की हिम्मत वो कभी जुटा ही नहीं पाई. साकेत से ये कह देने पर उसे साकेत को पाने की जिस खुशी का अंदाज़ा था उस से कहीं ज़्यादा डर उसके दिल में इस बात का था के कहीं साकेत उसके दिल की बात को नहीं समझ पाया और उसने उसे हमेशा के लिए खो दिया तो वो कैसे जी पाएगी..

ये प्यार भी बड़े अजीब रंग दिखाता है. जिसे हम तहे दिल से चाहते हैं उसे खो देने का ख़ौफ़ इतना गहरा होता है के उसमें हमारी सारी खुशियाँ समा जाती हैं..

साकेत अब अपनी एक अलग ही दुनिया में व्यस्त हो चुका था.. वो अक्सर काम में और अपने दोस्तों में बिज़ी रहा करता था.. उसकी टीम के डिज़ाइन्स अब अनु खुद ही फाइनल करती थी. उन दोनों के बीच बातचीत भी काफ़ी कम हो गई थी लेकिन इस से अनु के दिल में उठे एहसास पर कभी कोई फरक नहीं पड़ा.. बल्कि उसका दिल हर दिन और बेचैन होता गया.. इन बढ़ती दूरियों को देखकर उसके दिल में साकेत को खो देने का दर बढ़ता ही चला जा रहा था, और उस से कहीं ज़्यादा उसके दिल में प्यार उमड़ता चला जा रहा था|

अब अनु अक्सर अकेले में ही वक्त बीताने लगी थी, उसे किसी से बात करना अच्छा नहीं लगता था. हर पल दिल में एक घुटन सी रहती थी| हज़ारों बातें होती थी उसके दिल में जिन्हें वो साकेत से कहना चाहती थी लेकिन जब भी उसके सामने जाती तो एक अंजानी सी खामोशी उसके दिल में घर कर जाती थी| साकेत से नज़रें मिलते ही वो खुद को भी भूल जाती थी और ज़ुबान पे लफ्ज़ तो कभी आ ही नहीं पाते थे|

अब अनु को साकेत से नज़रें मिलाने में भी हिचकिचाहट सी होने लगी थी.. क्यूंकी उसे डर था के जो राज़ वो अपने दिल में चूपा रही है वो कहीं उसकी आँखे ना खोल दें. जब अकेली होती थी तो खुद में खोई हुई हज़ारों बातें कह दिया करती थी अपने ख्वाबों में रहने वाले साकेत से और जब हक़ीक़त उसे पल भर के लिए साकेत के सामने लेकर खड़ा कर देती तो अनु की ज़िंदगी जैसे थम सी जाया करती थी..

अनु साकेत के प्यार में इतनी बेबस हो चुकी थी के उसकी ज़िंदगी के सब रंग उसे अधूरे से नज़र आते थे| उसकी आँखो से कब साकेत की याद में आँसू बह जया करते थे ये वो खुद भी नहीं समझ पाती थी, कभी रात भर जाग के बस आँसुओं के साथ लम्हें बीता दिया करती थी और दिन साकेत की एक झलक देखने के इंतज़ार में बीत जाया करता था|

साकेत के साथ बिताए लम्हें अनु के दिल और दिमाग़ पर हमशा छाए रहते थे और उसके ख्वाबों ने अब अपनी एक अलग ही दुनिया बसा ली थी| अनु अक्सर इस प्यार में खुद को इतना अकेला महसूस करती थी के उसे अपनी ज़िंदगी का कोई होश ही नहीं रह जाता. लेकिन जिस साकेत को उसने कभी पाया ही नहीं, दिल की बात कहने पर उसे खो देने का डर हमशा बढ़ता ही गया|

अनु की इस हालत को साकेत अपनी व्यस्त दुनिया में कभी समझ ही नहीं पाया.. लेकिन अनुज ने शायद कहीं ना कहीं अनु के दिल में चलने वाली इस कशमकश को समझ लिया था| हालाँकि उसने अनु का रुख़ समझकर कभी उस से इस बारे में सीधे बात नहीं की लेकिन वो अक्सर अनु की बेबसी का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करता था|

इसी बीच, एक दिन साकेत ने अमेरिका जाने का डिसीजन ले लिया.. वहाँ उसके अंकल का कोई बिज़्नेस था जिसे संभालने के लिए उन्हें अब साकेत की ज़रूरत थी.. वो दिन अनु की ज़िंदगी का सबसे खोफ़नाक दिन था जब साकेत ने अचानक ही ऑफीस में अपने जाने की बात कह डाली. वो बस सब से वीदा लेकर अपनी नयी मंज़िल की ओर निकल गया| हालाँकि कंपनी के कुछ प्रॉजेक्ट्स अभी भी उसके पास ही थे लेकिन उन्हें अब वो अमेंरिका से ही संभालने वाला था|

साकेत तो अपनी नई दुनियाँ सजाने निकल गया लेकिन अनु की पूरी दुनिया पल भर में बिखर गई.. वैसे तो शायद वो हमशा से इस प्यार में अकेली ही थी लेकिन अब उसकी साकेत के साथ होने की सब उम्मीदें भी टूट चुकी थी.. साकेत का इस तरह अचानक चले जाना अनु बर्दाश नहीं कर पाई| वो काफ़ी दिन तक ऑफीस भी नहीं आई, अनुज को बॉस से पता चला के अनु मेंडिकल लीव पे है; वो समझ चुका था के अनु की ये बेबसी उसकी ज़िंदगी को अब तबाह कर देगी, इसलिए उसने अनु से बात करने की एक कोशिश की|

अनुज अनु से मिलने उसके घर पर गया, अनु की हालत उस से देखी नहीं गई, लेकिन अनु ने साकेत के बारे में अब भी कोई बात नहीं की, शायद वो अपनी हालत के लिए बेख़बर साकेत को ज़िम्मेवार नहीं ठहराना चाहती थी| अनु की खामोशियाँ आज उसे ये दिलासा देने की कोशिश कर रही थी के एक तरफ़ा प्यार का यही मुकाम होता है|

अनुज ने अनु को काम पर वापिस लौट जाने के लिए बहुत ज़ोर दिया.. वो साकेत के बारे में अनु की इच्छा के बीना कोई बात नहीं करना चाहता था.. उसने बस ये कह कर अनु को समझाने की कोशिश की के उसे खुद को काम में बिज़ी रखना चाहिए|

अनुज के समझाने के बाद अनु ने फिर खुद को जीने की एक नई वजह देने की कोशिश करनी चाही| उसने दोबारा ऑफीस जाना शुरू कर दिया.. लेकिन उसे हर लम्हा साकेत की यादें ख्वाबों की दुनिया में ले डूबती थी.. हर दिन उसके हाथ एक ही दुआ में उठते के जिस से उसने इतना प्यार किया काश कभी वो एक पल के लिए दोबारा उसके सामने आ जाए तो वो अपने दिल का सब हाल कह दे|

साकेत ने अमेरिका से 2 साल में अनु से कभी कोई कॉन्टेक्ट करने की कोशिश नहीं की.. और शायद उसके पास कोई वजह भी नहीं थी क्यूंकी वो अनु के दिल की हालत को कभी समझ ही नहीं पाया.. वो तो अपनी ही दुनिया में व्यस्त था|

लेकिन आज वो बीता हुआ कल अनु के सामने फिर आ खड़ा हुआ था.. और असल में अनु के लिए तो वो कल कभी बीता ही नहीं था.. वो तो आज भी उसी रास्ते पर साकेत के इंतज़ार में अकेले खड़ी थी.. ये कहानी आज तक एक तरफ़ा प्यार में ही करवटें लेती जा रही थी.. और इसमें सिर्फ़ अनु और उसके बेपनाह प्यार का कारवाँ ही सिमटा हुआ था|

बीते हुए लम्हें याद करते करते घड़ी में कब 8 बज गये अनु को पता ही नहीं चला| सभी लोग ऑफीस से लगभग निकल ही चुके थे और अनु अभी भी अपनी कुर्सी पर बैठी बेसूध सी अपनी ज़िंदगी के टूटे तार पिरोने की कोशिश कर रही थी.. वो अभी तक समझ ही नहीं पाई थी के साकेत सच में वापिस आ गया है या वो अभी भी बस उसके ख्वाबों में ही है|

अनु की बेबसी उसकी आँखो से आँसू बनकर बहने ही वाली थी के पीछे से फिर एक आवाज़ आई.. “बहुत देर हो गई है अनु! तुम अभी तक घर नहीं गई?”

इस आवाज़ को सुनकर अनु ने गहरी साँस ली, अपने आँसुओं को पलकों में समेटा और फिर पीछे मुड़कर देखा तो साकेत खड़ा था| साकेत से नज़रें मिलते ही उसने पल भर में खुद को भूला दिया.. आज तक ना जाने कितने सवाल दिल में इक्कते किए थे साकेत से पूछने के लिए, ना जाने कितनी बातें थी उस से कहने के लिए.. लेकिन आज जब वो एक बार फिर सामने खड़ा था तो अनु मौन थी| शब्द अपनी दिशा बदल चुके थे या फिर शायद वो अनु के एक तरफ़ा प्यार की गहराई को पीरोने की ताक़त ही नहीं रखते थे|

अभी अनु ने कोई जवाब दिया ही नहीं था के साकेत ने फिर कहा.. “बहुत देर हो गई है अनु, आओ में तुम्हें घर छोड़ दूं.. बाहर अंधेरा हो गया होगा|”

अनु खुद से कह रही थी “अंधेरा तो मेरे मन में है साकेत, बाहर के अंधेरे से तो में निकल भी जाऊँ लेकिन मेरे मन के अंधेरे से तो तुम्हारे सीवा कोई नहीं निकल पाएगा मुझे|”

ऑफीस से अनु के घर तक का रास्ता लगभग 25 मिनिट का था.. लेकिन इतने वक्त में साकेत और अनु के बीच कोई बात नहीं हुई.. अनु बेबस सी होकेर हर सुध बुध भूल चुकी थी.. उसने कुछ कहने की हिम्मत ही खो दी थी.. लेकिन आज साकेत भी ना जाने किन ख्यालों में खोया हुआ था.. दोनों ने मौन रहकर घर तक का रास्ता पूरा कर लिया.. घर के सामने गाड़ी रोक कर साकेत ने अनु से धीमी सी आवाज़ में कहा “घर आ गया अनु”|

अनु ने अपने अंदर के कारवाँ को दबाते हुए गाड़ी से बाहर कदम रखे और धीरे धीरे बिना कुछ कहे अपने घर की तरफ बढ़ने लगी, तभी पीछे से साकेत ने फिर आवाज़ दी|

“अनु, तुम आज भी कुछ नहीं कहोगी?”

ये सुनकर अनु की बेबसी आँसू बनकर उसकी आँखो से बहने लगी, लेकिन वो समझ नहीं पाई के साकेत ने आख़िर उससे आज पहली बार ऐसा क्यूँ कहा| उसमें पीछे मुड़केर साकेत का चेहरा देखने की हिम्मत नहीं थी, बिना कुछ जवाब दिए वो अपनी जगह पर थम सी गई, मानो सांसो का कारवाँ एक पल के लिए रुक सा गया हो|

साकेत ने कुछ कदम आगे बढ़कर धीमी सी आवाज़ में कहा “मुझसे शादी करोगी अनु?”

एक पल के लिए अनु ये सुनकर स्तब्ध सी रह गई, उसे वक्त की इस करवट का एहसास ही नहीं था| अपनी बीखरी हुई ज़िंदगी को समेट कर वो पीछे मूडी तो देखा साकेत हाथ में अंगूठी लेकर खड़ा था|

उसने एक बार फिर अनु से कहा “मुझसे शादी करोगी अनु?”

आज भी अनु के पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं थे, इस पल का एहसास उसके जीवन के सारे दुख बहाकर कहीं दूर ले गया और कुछ कहने से पहले वो साकेत से लिपट गई| उसके आँसू आज सब सीमाएँ लाँघ चुके थे| साकेत आज पहली बार उसके प्यार की गहराई को समझ पाया था और आज वो भी अपने आँसू ना रोक पाया|

साकेत ने फिर अनु के कान में कुछ शब्द कहे “मुझे अनुज ने तुम्हारे बारे में बताया, लेकिन मुझे माफ़ करना मुझे आने में काफ़ी देर हो गई| मैं तुम्हे लेने ही वापिस आया हूँ, मुझे माफ़ करना में कभी तुम्हारे दिल की बात समझ नहीं पाया| मैं ये तो नहीं जानता के मैं इतने प्यार के काबिल हूँ भी या नहीं जितना प्यार तुमने मुझ से किया है, लेकिन मैं वादा करता हूँ के आज के बाद कभी तुम्हारी आँखो में आँसू नहीं आने दूँगा|”

अनु के पास अब भी कहने के लिए कुछ बाकी नहीं था, लेकिन अब उसे ज़िंदगी से और कुछ पाने की चाह भी नहीं थी|

साकेत की बाहों में आज उसने जन्नत का सुकून पा लिया!

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