Vyathitbhaye Ashiq in Hindi Comedy stories by Archana Chaturvedi books and stories PDF | व्यथितभये आशिक़

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व्यथितभये आशिक़

व्यथित भये आशिक

अर्चना चतुर्वेदी



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व्यथित भये आशिक

आइये आज आपको एक महानुभाव से मिलवाती हूँ । यूं तो जनाब शादीशुदा और दो जवान बच्चों के बाप हैं पर शादीशुदा होने से ख्वाहिशे खत्म नहीं होती । उनकी ख्वाहिशे आशिकी के समंदर में डूबती उतराती हैं । आशिकी उनका फुलटाइम जॉब है, उनका दिमाग हमेशा कामदेव की डयूटी बजाता है ।

हां में इनके व्यक्तित्व के बारे में तो आपको बताना भूल ही गई ।

देखने में अजब गजब, मोटी तोंद, कुछ त्रिभुजाकार सा मुहँ और उसमें ठुंसा रहता है पान मसाला जिसकी वजह से रंगीन दांत और आंखों पर बाबा आदम के जमाने का चश्मा, हंसी तो ऐसी कि खलनायक भी पिछड जाये और जब बात करने को मुहँ खोले तो उसका सामना करने की आपकी रही सही हिम्मत भी जबाब दे जाये ।बाकी कसर पूरी कर दी माँ बाप ने सुन्दर लाल नाम रख कर । सरकारी अफसर है सो जिदगी आराम से कटती है ।

बंदे में हिम्मत भी गजब की है, अनेकों बार पिटे पर कहीं भी कोई भी मौका नहीं चूकते लाइन मारने का, और तो और सोच तो इतनी फंडू कि कोई भी महिला किसी पुरुष सहकर्मी से बात करे तो उन्ही का नाम जोडकर बदनाम करते फिरें । उनके किसी परम मित्र की भी कोई महिला मित्र हो तो उससे भी जलते हैं और उसके सामने खुद को कोसना भी नहीं भूलते । क्या करें उनकी तरफ कोई नहीं देखती ।

पर भगवान के घर देर है अंधेर नहीं, आखिर सुन्दर लाल की किस्मत ने भी पलटी मारी । उनका तबादला दूसरे अॉफिस में हो गया वहां उन्हें प्रमोशन तो मिली ही साथ ही मिली एक सेक्रेटरी, जो थी तो शादीशुदा पर थी एकदम तितली टाइप... हर दम चहकती सी रहती, 35 पार कर चुकी थी पर खुद को समझती 21 की थी और हरकतें भी वैसी ही थी । देखने में भी ठीक ठाक थी । सुन्दर लाल से लंबी, लम्बोतरा मुहँ, ऊपर के दांत नीचे के दांतों से दौड में जीतते हुए, पर सुन्दर लाल के सामने तो खूबसूरत ही थी और नाम था सपना, जिसने सुन्दर लाल को दिन में ना जाने कितने सपने दिखा डाले और उसके खिलंदडे स्वभाव ने, हमारे सुन्दर लाल के मन के गिटार के सारे तार छेड डाले थे ।

उन्होंने अपना जाल उस पर डाला तो वो बडी आसानी से फंस भी गई । फंसना ही था, दफ्तर में कामदृधाम कुछ खास था नहीं । खाली दिमाग इश्क का घर होता है । इस घर में सुन्दरलाल घुस गये ।

अब तो उनके पांव जमीन पर टिक ही नहीं रहे थे । हर समारोह हर कान्फ्रेंस में दोनों साथ साथ जाते । सुन्दर लाल मित्रों को बताना नहीं भूलते कि फंसा ली हमने भी ।

अब हमारे ”ब्यूटी रेड“ यानि सुन्दर लाल जी सपना पर अपना समय और पैसा दोनों लगा रहे थे ताकि मछली हाथ से फिसल ना जाये और मछली भी ठुमकती डोल रही थी । इससे पहले अॉफिस में इतनी इम्पाटेर्ंस जो उसे किसी ने नहीं दी थी ।

इधर हमारे सुन्दर लाल जी के मित्रों ने उन्हें समझाने का भरसक प्रयत्न किया कि ”भाई इस उम्र में ये छिछोरापन शोभा नहीं देता कहीं भाभी जी को पता लग गया तो खैर नहीं“ उस पर सुन्दर लाल जी ने मित्रों से कहा, ‘भाई हमारी चिंता तो आप मत ही करो, हमने भी कोई कच्ची गोलियाँ नहीं खेली हैं । हमने सपना और उसके पति से अपनी पत्नी को मिलवा दिया है । हमारी कुछ पारिवारिक मुलाकातों की वजह से श्रीमती जी को अब कभी शक नहीं होगा । वो पूरी तरह बेफिक्र हैं सपना और उनके पति से घुल मिल भी गई हैं । दोस्तों ने उनके दिमाग की दाद दी और इस फार्मूले पर भविष्य में काम करने का प्रण ले लिया ।

अब सुन्दरलाल जी का मामला एक दम फिट फाट चल रहा था । कभी ये पत्नी सहित सपना के घर जाते, कभी वो आते । अब तो पारिवारिक मिलन की फोटो फेसबुक पर भी दिखने लगी थी । हमारे सुन्दर लाल दोस्तों को तुर्रा देते फिर रहे थे अपनी अक्लमंदी का ”देखो बीबी और माशूक दोनों को सेट कर दिया, मर्द हो तो हमारे जैसा आदि ।

इसी तरह उनकी जिंदगी की शताब्दी एक्सप्रेस तेजी से दौड रही थी । अब सुन्दर लाल जी बीबी की तरफ से एकदम निश्चिंत होने लगे थे कि अब उनकी मोहब्बत में कोई रोडा नहीं । उन्ही दिनों आफिस की किसी कान्फ्रेंस के सिलसिले में पहाडों पर जाना था । सुन्दर लाल जी के मन में लड्डू फूट रहे थे कि इस बार तो पूरे चार दिन सपना के साथ बिताने का मौका मिलने वाला था । इन्होने अपना कार्यक्रम अपनी पत्नी को बताया तो वो बडे प्यार से बोली ”सुनो जी हमें भी ले चलो हम कभी पहाड पर गये भी नहीं हैं“ ।

”अरे डार्लिग मन तो हमारा भी था, पर क्या करे, हम तो कान्फ्रेंस में व्यस्त रहेंगे और आप होटल में बोर हो जाएँगी“ सुन्दर लाल जी बीबी से बडे प्यार से बोले । असल में तो वो इस रोडे को साथ ले जाना ही नहीं चाहते थे ।

पर बीबी भी हार मानने वाली नहीं थी । उन्होंने पैंतरा बदला,”अरे आप सपना के पति रमेश को भी साथ ले लो । आप दोनों दिनभर कान्फ्रेंस में रहेंगे । हम रमेश के साथ घूम लेंगे ,फिर शाम को तो आप और हम होंगे ही ।

अब सुन्दर लाल जी मान गये ‘इस बहाने बीबी और माशूक दोनों खुश अपना मौका तो निकाल ही लेंगे दिनभर तो सपना हमारे साथ ही रहेगी'।

सपना भी खुश हो गई और उसका पति भी फटाफट मान गया । उसे तो मानना ही था क्योंकि उसका खर्च देने का वादा सुन्दर लाल जी ने कर ही दिया था ।

खैर सब पहाडों पर पहुंचे । दिन में कान्फ्रेंस । शाम को सैर सपाटा । बीबी जरुरत से ज्यादा खुश नजर आ रही थी और मेहरबान भी । सुन्दर लाल को लगा, चलो अब लाइफ सेट है, सब स्मूथ चल रहा है ।

उस दिन कान्फ्रेंस का आखिर दिन था और सुन्दर जी और सपना होटल जल्दी वापिस आ गये । उनकी पत्नी और रमेश कही आसपास घूमने गये थे । रिशेप्शन से चाबी लेकर दोनों कमरे में आये । सुन्दर लाल के मन में लड्डू फूटा कि चलो मौका मिला । तभी सपना बोली ”सर आप प्लीज देखकर आईये ना मैडम और रमेश कहाँ है । में तब तक फ्रेश हो जाती हूँ ।“ अरे आ जायेंगे ना तब तक हम दोनों .......वो कुछ कह पाते तब तक सपना ने लगभग उन्हें कमरे से बाहर धकेल दिया, ”जाइये ना सर“ । बेचारे अपना सा मुहँ लेकर निकल पडे, अपनी पत्नी को खोजने ।

थोडी दूर आगे ही पार्क था । वहां पहुँचने पर उन्होंने जो देखा तो उनकी आँखे फटी रह गयीं और पैरों तले की जमीन निकल गई ।

उनकी बीबी माशूक के पति की बाँहों में थी और दोनों इश्क लडा रहे थे, वो भी पार्क में खुले आम । सुन्दरलाल जी की आँखों के आगे झिलमिल नाचने लगी ।किसी तरह वहां से वापस आये । चुपचाप अंदर जाकर लेट गये ।

उसी शाम उनके पेट में दर्द उठा और वह इलाज कराने अपने शहर लौट आये । कई दिन उन्होंने इस स्पेशल दर्द का इलाज कराया ,पर दर्द ठीक ही न हुआ ।

किसी सयाने के कहने पर उन्होंने ट्रांसफर ले लिया, तब जाकर दर्द थोडा ठीक हुआ अब दर्द बस तब ही र्बता है जब उनकी पत्नी सपना या रमेश का नाम लेती है ।

भगवान जैसा दर्द सुन्दरलाल जैसे भले आदमी को दिया, ऐसा दर्द भगवान सारे दुश्मनों को दे ।E-1104, Amrapali Zodiac,

Sector 120, Noida UP 201307