हार नहीं मानूंगी
आशीष कुमार त्रिवेदी
कहते हैं कि ईश्वर भी उन्हीं की मदद करता है जो संघर्ष के लिए तैयार रहते हैं। जो अपनी मदद स्वयं करते हैं। ईश्वर भी ऐसे व्यक्तियों के हौंसले को सलाम करता है। दरअसल कामयाब वही होता है जो संघर्ष से घबराता नहीं है। जो हर परिस्थिति में डटा रहता है। ऐसे व्यक्ति के कदम सफलता भी चूमती है।
अपनी लगन और हौंसले से पूजा गुप्ता ने विषम परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में मोड़ लिया। पूजा एक गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं जिसके कारण वह 100% शरीरिक रूप से अक्षम हैं। लेकिन शरीरिक अक्षमता उनके मार्ग की बाधा नहीं बन सकी। अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर पूजा पंजाब नेशनल बैंक में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनका सपना एक IAS अधिकारी बनने का है।
इस मुकाम तक पहुँचने के लिए पूजा को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पर कोई भी कठिनाई उनके हौंसले को तोड़ नहीं पाई।
अपनी बीमारी के कारण पूजा अपने हाथों का पूरी तरह प्रयोग नहीं कर पाती हैं तथा चलने में असमर्थ हैं। शारीरिक अक्षमता के बावजूद मानसिक तौर पर बहुत ही मज़बूत हैं।
समाज में कई ऐसे लोग थे जो उनके मनोबल को तोड़ने का प्रयास करते थे। उनका कहना था "क्या करोगी पढ़ कर। तुम कुछ नहीं कर पाओगी।" कुछ लोग डराते थे कि यदि कॉलेज जाओगी तो वहाँ सीनियर तुम्हारी रैगिंग करेंगे। तुम परेशान हो जाओगी। लेकिन पूजा ने कभी भी ऐसे लोगों पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने तय कर लिया था कि वह शिक्षा लेकर स्वयं को आत्मनिर्भर बनाएंगी और परिवार का सहारा बनेंगी। उनके इस काम में परिवार वालों ने उन्हें पूर्ण सहयोग किया।
पूजा अच्छी तरह से जानती थीं कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उनका शिक्षित होना बहुत आवश्यक है। शिक्षा ही उन्हें शक्ति प्रदान करेगी। पढ़ने और आगे बढ़ने की उनकी लगन को एक घटना द्वारा आसानी से समझा जा सकता है। जब वह Mcom के अंतिम वर्ष में थीं तब तीसरे Semester की परीक्षाओं के समय UGC द्वारा आयोजित NET एवं JRF परीक्षा की तिथि भी उसी समय पड़ गई। उन दिनों बहुत अधिक ठंड पड़ रही थी। परीक्षा केंद्र 90 किमी दूर था। पूजा के लिए उस ठंड में यात्रा करना कठिन था। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। उन्होंने वह परीक्षा दी। अपने कॉलेज में उस परीक्षा में एक ही प्रयास में पास होने वाली वह एकमात्र छात्रा थीं।
तभी पूजा को बैंक परीक्षा के बारे में पता चला। उन्हें लगा कि यदि वह बैंक परीक्षा में पास हो गईं तो अपनी मंज़िल तक पहुँचना उनके लिए आसान होगा। उन्होंने तय कर लिया कि वह बैंक परीक्षा की तैयारी करेंगी। इस मकसद को पूरा करने के लिए पूजा ने एक कोचिंग सेंटर में प्रवेश ले लिया। वह पूरे मनोयोग से पढ़ाई में जुट गईं।
2012 में पूजा ने Bank PO की प्रवेश परीक्षा पास कर ली। वह बहुत प्रसन्न थीं। उन्हें लग रहा था कि उन्होंने अपना लक्ष्य पा लिया है। लेकिन वह नौकरी प्राप्त नहीं कर सकीं। पूजा को दुख हुआ परंतु हिम्मत नहीं हारी। वह पुनः तैयारी में लग गईं। 2013 में ना सिर्फ उन्होंने लिखित परीक्षा पास की बल्कि इंटरव्यू पास कर नौकरी भी हासिल की।
पूजा का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। पिता श्री अजय गुप्ता एक दुकान चलाते थे। लेकिन वह दुकान सही प्रकार से नहीं चल रही थी। घर में आर्थिक तंगी चल रही थी। पूजा के अलावा इनका सबसे छोटा भाई भी शारीरिक रूप से अक्षम था। परिवार चलाना कठिन था। ऐसे में पूजा की माँ श्रीमती सुनीता गुप्ता ने धैर्य पूर्वक परिवार को संभाला। उन्होंने पूरी कोशिश की कि चाहें कुछ भी हो पूजा एवं उनके भाईयों की तालीम व परवरिश में कोई बाधा ना आए। अपनी सूझबूझ तथा हिम्मत से पूजा की माताजी ने परिवार को संभाले रखा।
पूजा की शिक्षा में उनके माता पिता की अहम भूमिका रही। जब पूजा छोटी थीं तो उन्हें स्कूल ले जाना तथा छुट्टी होने पर घर लाने का काम उन्होंने पूरी ज़िम्मेदारी से निभाया। जब कभी पूजा किसी बात से उदास होती थीं तो उनके माता पिता उन्हें प्रोत्साहित करते थे। यही कारण था कि अपनी शारीरिक चुनौती तथा घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद पूजा अपनी मंज़िल को हासिल कर सकीं। पूजा के चाचा जी की भी उनके जीवन में अहम भूमिका रही। पूजा को स्कूल कॉलेज ले जाने में वह भी भरपूर सहयोगी रहे। अभी भी उनके बैंक आने जाने में वह पूरा सहयोग करते हैं।
आज पूजा ना सिर्फ स्वयं आर्थिक रूप से स्वावलंबी हैं बल्कि परिवार का सहारा भी हैं। वह अपनी सदैव आगे बढ़ने का प्रयास करती हैं। अतः बैंक द्वारा आयोजित पदोन्नति की परीक्षाएं देती रहती हैं।
पूजा अपने परिवार को बहुत प्रेम करती हैं। वह सभी का खयाल रखती हैं। पूजा के छोटे भाई श्री लोकेश गुप्ता को अपनी बहन पर नाज़ है। उनका कहना है कि पूजा सभी को हिम्मत देती हैं। ऐसी बहन पाकर वह धन्य हैं।
पूजा का सपना IAS अधिकारी बन कर शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए आदर्श प्रस्तुत करना है।
पूजा की हिम्मत और हौंसले की सराहना करते हुए Ability Foundation द्वारा इनकी उपलब्धियों के लिए इन्हें 2017 में Cavinkare ability award से नवाज़ा गया है। यह Award Ability Foundation एवं Cavinkare Pvt. Ltd. द्वारा उम लोगों को दिया जाता है जिन्होंने शारीरिक चुनौतियों के बावजूद साहस का परिचय देते हुए कामयाबी हासिल की है।
पूजा ने जिस तरह समस्याओं से घबराए बिना ना सिर्फ शिक्षा हासिल की बल्कि परिवार का सहारा बनी हैं वह काबिले तारीफ है। अपनी उपलब्धियों से पूजा ने उन सबको उचित जवाब दिया है जो कभी उनकी शारीरिक अक्षमता के कारण उन्हें अयोग्य साबित करने का प्रयास करते थे।
आज पूजा जिस स्थान पर हैं वहाँ से वह उन सभी को प्रेरणा दे रही हैं जो कठिनाइयों से डर कर हार मान लेते हैं। अब वह भी जीवन में कुछ करने को प्रेरित होंगे। साथ ही साथ पूजा का उदाहरण समाज को शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के प्रति अपना दृष्टिकोंण बदलने में भी सहायता करेगा।
पूजा ने जो भी प्राप्त किया वह उनकी शिक्षा कारण ही संभव हो सका। अतः पूजा का शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को संदेश है कि चाहें कितनी कठिनाइयां आएं हमें अपनी पढ़ाई नहीं छोड़नी चाहिए। शिक्षा ही हमें सबल बनाती है। अतः हर हाल में स्वयं को शिक्षित बनाओ।
पूजा वह मशाल हैं जो अँधेरे में रास्ता दिखाती है।