आवारा कुत्तों का रोड शो.....
मार्निग-वाक में डागी ‘सीसेंन’ को घुमाने का काम फिलहाल मेरे जिम्मे आ गया है |
रास्ते में दीगर कुत्तों से बचा के निकाल ले जाने का टिप, गणपत ने जरूर दिया था, मगर प्रेक्टिकल में तजुर्बा अलग होता है|
एक हाथ में डंडा, एक हाथ में पटटा पकडे, कुत्ते के बताए रास्ते में खुद खिचते चले जाओ | सामने आये दूसरी नस्ल की बिरादरी वालो को भगाते रहो |
उस दिन शर्मा जी साथ हो लिए, पूछे कौन सा है ? मैंने कहा अल्शेशियन |
कितने का लिए ? मैंने कहा, एक मित्र के यहाँ बोल रखा था, उनने दिलवाया | वे बोले; और कोई मिले तो दिलवाइए हमें भी |
मैंने कहा, शर्मा जी, कंझट का काम है कुत्ते का शौक करना| अपना बस चले तो अभी ये पट्टा आपको थमा के छुट्टी पा लें, मगर पिंटू का शौक है; सो खींचे जा रहे हैं |
वैसे भी आप मांस-मच्छी, अंडा कहाँ खिला पाओगे, ये नस्ल तो इनके बिना गाय माफिक हो जायेगी |
शर्मा जी नान-वेज पर टिक नहीं पाए; वे राजनीति में उतर आये | क्या कहते हैं ? किसकी बनेगी ?
मैंने कहा जो ज्यादा भौक ले वही मैदान से दूसरों को खदेड़ने के काबिल होता है |आप डारविन को जानते हैं .....? शर्मा जी बोले... अपनी कालोनी में कोई नया आया है क्या ....? मैंने कहा शर्मा जी आप विज्ञान पढ़े हैं ..मै उनकी बात कर रहा हूँ | उनके अनुसार ‘सर्वाइवल आफ फिटेस्ट’ का सिद्धांत सब जगह लागू होता है | फील्ड चाहे कोई हो ... आपका क्या कहना है ? वे कान खुजलाते हुए कहने लगे,
आपकी बात तो सही है | आजकल टी वी देख-देख, सुन सुन के तो कान पक गए हैं |ये तो अच्छा है कि देश के माहौल को बहुत कुछ ये आई पी एल वाले सम्हाल ले रहे हैं, लोगों को देश की हालात से रुबरु होने नहीं देते .... आप इंटरेस्ट रखते हैं न, क्रिकेट में ?
मैंने कहा हाँ, क्यों नहीं,…….
....सीसेंन उधर नही ....रास्ते में चलो ....|
शर्मा जी ने कहा, आपकी बात समझ लेता है, देखो रास्ते में आ गया |
मैंने कहा शर्मा जी यही तो खूबी है इन ‘कुत्ते’ लोगो की |, जरूरत होती है तरीके से सिखाने की ....| आप जैसा हेन्डल करोगे वैसी नस्ल बनेगी | मेरी नजर में कुत्ते हो कि आदमी दोनों पर ये समान रूप से लागू होता है | आप देखिये, हम सुबह उठते हैं तभी ये बाहर पोर्च में फेका हुआ अखबार ला के टिका देता है | इसे पता नहीं किसी ख़ास हेड लाइन की गूंज उसको कहाँ से मिल जाती है वह कुकियाने लगता है ....अभी पढ़ लो | मै कहता हूँ. सीसे ....मार्निंग वाक के बाद...., वो ‘ठीक है ‘ के अंदाज में आ जाता है | आप कल्पना करो इस जगह अगर दूसरा हो तो तर्क का कालीन बिछा के कहेगा अभी क्यों नहीं ....”?
हमने सीसेन को यूँ ट्रेंड किया है कि ये भौकता जबरदस्त हैं, दौड़ाता भी खूब है, मगर जब तक हम न कहे कभी किसी को काटेंता नहीं | आजकल आप जानते होंगे राजनीति में ऐसा ही चल रहा है | बहुत से राजनैतिक दल अपने-अपने प्रखर प्रवक्ता या ऐ ग्रेड के मीडिया ‘ब्रीफर’ तैनात कर रखे हैं | ये दहाड़ के चार- दिन में माहौल को न्यूज चेनल पर छा जाने वाले स्टेज में ले आते हैं | एकबारगी ऐसा लगता है अगर टी वी की हद न होती तो ये कूद के बाहर आ जाते |
--बिना फ़िल्म देखे ये कल्पना-लोक में एलान कर देते हैं कि अमुक ने ये गैर-जरूरत चीज परोस के माहौल को उनके कुनबे के खिलाफ कर दिया है |ये बरसों से जो बाहर शौच करते रहे लोग, उनको फ्लश चलाने में अभी न जाने और कितना वक्त देना होगा ?
आगे देखिये...., वे जो कुछ आवारा कुत्ते आ रहे हैं कैसे गुर्रायेगे इस पर.... लगेगा अकेला आया है चलो नोच ले...|
मगर वहीँ, जब हमारा अल्शेशियन एक गुर्रायेगा तो दुम-दबा के भाग खड़े हो जायेंगे स्साले .....|
मैंने गौर किया शर्मा जी पर मेरी बातों का तत्कालिक परिणाम भी देखने को मिल रहा था | अब सीसेन को प्रसंशनीय नजर से ताक रहे थे|
एकाएक, पता नहीं किस तरफ से किसी एक आवारा कुत्ते का एलान जारी हुआ...... बहुत से आवारा कुत्तों का झुण्ड चक्रव्यह की माफिक, सीसेन के चारों तरफ मंडराने लगा | मैंने डंडे के बल पर खदेड़ने का प्रयास किया, शर्मा जी बोले... ये तो खतरे की घंटी है कुछ कीजिए ....मैंने कहा शर्मा जी अपना अल्सेशियन इस माहौल से निपटने में माहिर है | उसे केवल हमारे इशारे की जरूरत है | इन खजैलो को मिनटों में दुरुस्त कर देगा| यूँ देखने में आवारा रोड छाप कुत्तों से, अल्शेशियन सीसेन घिरा जरुर था |वो थोडा सहमा सा मेरी तरफ देख रहा था, मगर जैसे ही हमने हिम्मत दी, उसमे एकाएक चार सौ चालीस का करंट दौड़ गया | उसकी एक घुड़की उन सब पर भरी पडने लगी |
आवारा कुत्ते आपनी रोड शो रैली को, दूसरी गली की तरफ ले गए |
मैंने कहा, देखा शर्मा जी, यही हमारे इधर भी हो रहा है | रैलियां देख के हम अंदाजा लगा लेते हैं उमीदवार में दम है | जब तक कोई ताल-ठोंक के सामने आके नहीं गुर्रायेगा जनता बेचारी भ्रम पाले रहेगी और अपना वोट ऐरे-गैरे खजैलो को देती रहेगी |
हमारा प्रयास होना चाहिए कि रोड-शो के अंजाम को रूबरू देखें | शामिल होने वालों की कद-काठी पहचाने|अगर लगे कि इसमें कोई गुडा- तत्व, उठाईगिरी करने वाले, मुनाफाखोर, घपलेबाज ठेकेदार, नीयत खोर इंजीनियर, गलत बयानबाजी से हिंसा भडकानेवाला नेता शामिल नहीं हैं तो इत्मीनान से अपना मत, अपनी सहमति इनको दें |
हमारा मानना है, आप क्वालिटी देखो नस्ल देखो, दमखम देखो | ये नहीं कि चोर, उठाईगीर धोखेबाज, सुपारी-किलर, ब्लेक मार्केटियर, दलाल-ठेकेदार कोई भी टिकट हथिया ले, और उसे आप चुन लें |
शर्मा जी आजकल के इस मखौल्बाजी को तब्दीली की जरूरत है कि नहीं ...?
अभी हम देख रहे हैं, एक ने भाषण झाडने में महारत हासिल कर ली, दूसरे ने पोल खोलने की विद्या सीख ली, और बन गए राजनीति के दिग्गज पंडित |
गुंडे-मवाली, घूसखोरो से देश को बचाओ भइए ... बहुत हो गया |
इतनी देर खड़े गपियाने में, सीसेन कब दिशा मैदान से फारिग हो गया, पता ही नहीं चला |
सुशील यादव
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