बॉडी लैंगुएज
संवाद हर किसी के जीवन की अहम क्रिया है. इसके द्वारा हम अपनी बातें दूसरों तक पहुँचाते हैं और उनकी बातें हम तक पहुँचती हैं. यद्यपि आमतौर पर अपनी बातें मुंह से बोलकर ही शाब्दिक रूप में प्रकट करते हैं, फिर भी यह जरूरी नहीं है कि हमेशा हम शब्दों का ही प्रयोग करें. यह अमौखिक भी हो सकता है. बहुत बार अपने शरीर के अंगों के हाव भाव या हरकत से भी अपनी बात, मनः स्थिति या संवेदना दूसरों तक आसानी से बता देते हैं. इस तरह के संचार माध्यम को बॉडी लैंगुएज या शरीर की भाषा कहते हैं. आजकल के व्यस्त जीवन में करीब 40 प्रतिशत या कभी उससे भी ज्यादा बातें हम बॉडी लैंगुएज से कह जाते हैं.
बॉडी लैंगुएज से बोलते या सुनने वाले की मनः स्थिति समझा जा सकता है - जैसे कि वह खुश है या दुखी है या चिंतित है. कभी ऐसा भी सम्भव है कि शाब्दिक संचार से ज्यादा सशक्त बॉडी लैंगुएज हो. अतः बोलने समय भी बॉडी लैंगुएज पर ध्यान देना जरूरी है, जैसे जब हम किसी इंटरव्यू में कुछ बोलते हैं तो चयनकर्ता की नजर हमारी बॉडी लैंगुएज पर भी होती है.
बॉडी लैंगुएज के कुछ उदारण
आँखों की भाषा - बॉडी लैंगुएज का एक अहम हिस्सा है. इस पर अलग से विस्तार में भी लिखा जा सकता है. जब हम किसी से नजरें मिला कर बात करते हैं और श्रोता भी नजरें मिला कर सुन रहा है तो इसका अर्थ हुआ वह हमारी बात पर ध्यान दे रहा है. अगर वक्ता नजरें झुका कर बात कर रहा है तो यह संकेत देता है कि उसमें आत्मविश्वास की कमी है. अगर श्रोता आँखें झुकाये है तो मतलब हुआ वार्तालाप में उसकी रूचि नहीं है. आँखों के इशारे से किसी को पास बुला सकते हैं या फिर दूर जाने को कह सकते हैं.
बॉडी लैंगुएज के अन्य उदाहरण
छाती के पास दोनों भुजाओं को बाँध कर रखना - व्यक्ति के रंजिश, टकराव या विरोध की स्थिति हो सकती है या फिर उसे ठंड लग रही है.
संवाद के समय बार बार कान छूना या खुजलाना या आँखें नीची रखना बात पर अविश्वास दर्शाता है.
संवाद के समय सर झुकाये रखने का मतलब श्रोता बोर हो रहा है या बात में उसकी रूचि नहीं है.
बोलने समय बार बार चेहरा छूना बात को छुपाने की मंशा या छल कपट का सूचक हो सकता है.
पीठ के पीछे दोनों हाथों को बांधना आत्मनियंत्रण या कभी निराशा का द्योतक है.
सर के पीछे दोनों हाथों को रखना आत्मविश्वास दिखाता है.
हाथों को कस कर मुठ्ठी बांधना क्रोध या आक्रामक माना जाता है.
कुछ बॉडी लैंगुएज यौन की रूचि बताते हैं मसलन होंठों से चुंबन का इशारा, नजरें मिलाना,स्पर्श करना, मुस्कुराना या करीब आने की कोशिश करना.
दोनों टांगें फैला कर बैठने का अर्थ हुआ वह रिलैक्सड है.
कूल्हों पर हाथ रखना अधीरता है.
संवाद के समय आँखें बंद करना विषय पर चिंतन, मंथन हो सकता है. अगर बंद आँखों के साथ अपनी नाक छू या दबा रहा है तो यह नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है.
संवाद के समय कंधे उचकाना विषय की जानकारी न होना हो सकता है.
मुख की भाषा
बंद होठों पर तर्जनी रखने का अर्थ मौन रहने का संकेत है.
शेष अँगुलियों को बंद रखते हुए तर्जनी और मध्यमा को फैला कर " V " का संकेत विजय दर्शाता है.
शेष अँगुलियों को बंद रखते हुए तर्जनी को हवा में बायां दायां हिलाना किसी काम को करने से मना करना है. यही संकेत सर को बायां दायां हिलाने से जाता है जबकि सर को ऊपर नीचे करना स्वीकार बताता है.
खुली अँगुलियों के साथ हथेली को किसी को दिखाने का अर्थ उसे आगे बढ़ने से रोकना है.
मेज़ पर अंगुलियां बजाना बेचैनी का संकेत है.
कसे होठों ( tight lipped ) से मुस्कुराना कोई राज़ की बात है.
नीचे का होंठ बाहर रखते हुए होंठ काटने का मतलब अपसेट होना है.
खुल कर मुक्त हँसी का अर्थ रिलैक्सड होना है.
जीभ दिखाना असहमति हो सकती है.
दांतों से नाखून कुतरना फ्रस्टेशन है.
जीभ काटना कोई आश्चर्यजनक बात या घटना बताता है.
बोलते समय बॉडी लैंगुएज शब्दों की पिच, वॉल्यूम और क्वालिटी पर भी निर्भर करती है.
इंटरव्यू के समय
इंटरव्यू के समय चेहरे पर हल्की मुस्कान आपकी ताजगी और सहजता दिखाता है.
सीधा बैठ कर प्रश्नकर्ता की आँखों में देख कर बोलना आत्मविश्वास का संकेत है. वहीँ आँखें झुका कर बोलना विश्वास की कमी दर्शाता है.
उसी तरह सीधा और नॉर्मल चल कर आना जाना आत्मविश्वास बताता है जबकि सर और कंधा झुकाना आत्मविश्वास की कमी समझा जाता है.
अगर हाथ मिलाने की स्थिति हो तो सामने वाले को देखते हुए हल्की मुस्कान के साथ हैंड शेक अच्छा माना जाता है.
इंटरव्यू के बाद भी मुस्कुराते हुए सीधे और नॉर्मल चाल से रूम से निकलना अच्छा माना जाता है -
कुछ गलत बॉडी लैंगुएज
फूहड़ और अल्हड़ स्टाइल में चलना अभद्रता है.
अपने को बढ़ा चढ़ा कर पेश न करें.
बाहें फैला कर किसी को इशारा करना अशिष्टता है.
बार बार घड़ी देखना आपकी जल्दबाजी दिखाता है.
चेहरे का भाव ( facial expressions ) आपकी भाषा के अनुरूप हों, यानि चेहरे पर मुस्कुराहट न हो. और अगर ख़ुशी की बात है तो चेहरे पर प्रसन्नता हो.
संवाद के बीच बार बार कपड़े छूना, पेन या चश्मा छूने का अर्थ आप नर्वस हैं या आत्मकेंद्रित हैं.
किसी बात से सहमत या असहमत हों तो भी बार बार देर तक सर न हिलाएं.
बातचीत में आँखें मिलाएं पर घूरना गलत है.
बातचीत के दौरान कुछ दूरी बनाये रखें बहुत सट कर बात न करें.
बार बार मुठ्ठी न बांधें.
ध्यान देना चाहिए की भिन्न देश या संस्कृति में बॉडी लैंगुएज अलग हो सकते हैं. लिंग और उम्र के अनुसार बॉडी लैंगुएज कुछ अलग हो सकते हैं. किसी व्यक्ति की केवल एक मौखिक या शारीरिक भाषा से उसको नहीं आंकना चाहिए. बॉडी लैंगुएज पढ़ना और समझना भी एक कला ही है.
- शकुंतला सिन्हा -
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