Pahli si muhabbat, mere mahbub n mang in Hindi Magazine by sushil yadav books and stories PDF | पहली सी मुहब्बत, मेरे महबूब न मांग ...........

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पहली सी मुहब्बत, मेरे महबूब न मांग ...........

पहली सी मुहब्बत, मेरे महबूब न मांग ....

सुशील यादव

गनपत शाम को आया | आज उसकी खोजी निगाहें शांत थी | वो ड्राईग रूम में इधर-उधर कुछ नहीं देख रहा था | इलेक्शन निपटाए हुए नेता की माफिक उसका चेहरा शांत था | मगर परिणाम आने में हप्ते भर का समय हो और समय के काटे न कटे, जैसे भाव आ जा रहे, दिख रहे थे | उसकी बैचैनी को ताड़ के हमने पूछा क्या बात है गनपत, कुछ उखड़े हुए से हो ...?

उसने अगल –बगल निगाह फेरी, मै समझ गया कोई राज-नुमा बात है जिसके खुलासे से पहले वो इत्मीनान चाहता है | मैंने ग्यारंटी देते हुए कहा, भाई खुल के बताओ | अपनों से क्या पर्दा ?

वो झिझकते हुए खुलने को राजी हुआ | सुशील भाई वो आपकी भाभी है न .....?

हाँ ..हाँ ...अपनी बेगम ....यानी आपकी अर्धांगनी ....? खैरियत तो है ....?

-अरे ऐसी खैरियत-वैरियत वाला मामला नहीं है वो एकदम तंदरुस्त हैं | मगर मामला उन्ही से जुडा है.....|

मैंने कहा भाई गनपत, साफ-साफ कहो, पहेलियाँ मत बुझाओ | वैसे पिछले महीने भर से इलेक्शन वाली पहेलियाँ बुझा-बुझा के आपने हमारा दिमाग खाली कर लिया है | सीधे-सीधे बताओ तो सही बात क्या है, जहाँ आप हमारी दखल चाहते हैं ?

झगडा फसाद हुआ क्या, ये तो प्राय: मिया-बीबी के बीच रोज का मामला है, | घर-घर होते रहता है| ये बिना किसी बाहरी दखल के दो-चार दिनों में अपने-आप शांत हो जाता है |

अगर गायनिक मसला है तो हमारी श्रीमती चली जायेगी साथ| किसी डाक्टर को दिखा लाएगी ...|

सुशील भाई आप तो समझ नहीं रहे हो ....ये सब बात नहीं है ....?

मैंने कहा तुम समझाते भी नहीं.... और चाहते हो मै समझ जाऊ..? .मै हाईकमान या कोई उपर वाला हूँ क्या ...? अगर शर्म-लाज से लिपटी हुई बात है तो ये समझ लो डाक्टर के पास मर्ज जितना खुल के कहोगे, ईलाज उतना बेहतर मिलेगा ...समझे ....?

वो बिना रुके, एक सांस में बेझिझक कह गया, तुम्हारी भाभी “मुझसे पहली सी मुहब्बत मागती है” |

मेरे होठो में जोर की हसी आई | हसी दबाते हुए मैं, गनपत के गंभीर टाइप ‘मनोवैज्ञानिक वाकिये’ से पल भर में अपडेट हो गया |

अब गनपत को छेडने और खीचने की गरज से कहा, तो पहली सी मुहब्बत देने में कोई हर्ज है क्या .....?

-उसने कहा सुशील भाई, हम उनको मुहब्बत के नाम पे चार-चार ‘इशु’ पकड़ा चुके हैं| वे सब के सब, खुद भी काबिल, बड़े, और समझदार हो गए हैं | उन सब के बच्चे, यानी नाती –पोते घर में धमा-चौकडी मचाये रहते हैं |

अब ऐसे में उनकी पहले सी मुहब्बत वाली बात पल्ले नहीं पडती |

और आपको बता दें हम झंडू च्वयनप्राश वाले नहीं हैं. कभी इस्तेमाल ही नहीं किया ....? रोटी –दाल,खिचडी में निपट रहे हैं| देखो तो अब जाके अपना और हमारा मुह ......अब क्या कहें ..फजीहत कराने में तुली हैं .....खैर ...जाने भी दो ....?

मैंने गनपत से कहा गनपत भाई, तुम कहीं कन्फ्यूज्ड हो ...|

भाभी जी के भले संस्कार हैं | नित भजन –कीर्तन में जाते मैंने स्वयं देखा है | आपको गलत फहमी हो रही है ....?

आप मामला पूरे संदर्भ के साथ बताओ | किस तरह उनने कहा, “आप मुझसे पहली सी मुहब्बत नहीं करते’.....

-मेरा अंदाजा है भाभी जी को, किसी शापिंग माल में कोई चीज, यानी साडी या ज्वेलरी पसंद आ गई होगी | इसे खरीदने कि भूमिका बांधी जा रही होगी |

हो सकता है, मायके से काल आया होगा, उधर से कोई आने को होगा, जिसे स्टेशन लेने जाने,घुमाने –फिराने का मामला होगा ....| तुम जो सोच रहे हो प्यार-मोहब्बत वाला मामला है, वैसा मै अपने तजुर्बे के साथ कहे देता हूँ, कुछ नहीं है समझे |

घर जाओ, किसी शुभ मुहूर्त में उनसे प्रणय निवेदन करो, देखो कैसे झिडक के छिटक जायेगी | छी आपको शर्म नहीं आती .....जैसे धक्के खाने के लिए तैयार रहना ?

कल आके बतलाना जरूर ....जोर का झटका धीरे से लगा कि नहीं .......?

अगले सप्ताह भर गनपत नदारद रहा |

आठवे दिन शापिंग माल में फौज के साथ मिला | परिचय कराने लगा ये मेरे साले, उनकी पत्नी,बच्चे सब छुट्टियाँ मनाने आये हैं |

पीछे उनकी पत्नी, यानी भाभी हाथ जोड़ के नमस्ते कर रही थी |

उनके जुड़े हुए हाथों में मुझे एक अनुनय, एक आग्रह,एक उलाहना दिख रहा था | इन सब के साथ ही एक जुमला भी ख्याल आ रहा था “आप मुझसे पहली सी मुहब्बत नहीं करते”

गनपत, अपनी शर्मिदगी लिए बहुत से थैलों के झुरमुट में, मुझसे जल्दी बाय-बाय करने के मुड में था ......|