Khao Mere Sir ki kasam in Hindi Short Stories by CHHATRA PAL VERMA books and stories PDF | खाओ मेरे सिर की कसम

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खाओ मेरे सिर की कसम

खाओ मेरे सिर की कसम

अरे शिखा तुम यहाँ, मेंटल अस्पताल में! सब खैरि़यत तो है? अजय ने अपनी कालेज के समय की खास मित्र को यकायक देख कर आश्चर्य प्रकट किया|

हाँ अजय मैं, पति के साथ आई हूँ|

क्यों क्या हुआ उन्हें?

पता नहीं| चलो उधर छाया में बैठ कर बात करते हैं, जब तक वे चेकअप में हैं|

बबलू के जन्म के काफी दिनों तक सब कुछ सामान्य था| एक दिन यकायक बंगले पर आये तो टेंशन में थे| पूछने पर बताया तो कुछ नहीं|

सिर्फ इतना कहा हम तीनों कल गाड़ी से पिताजी के पास चल रहे हैं और तब से हम लोग यहीं हैं|

और सुधीर की नौकरी ...?

गाँव आने पर तो सुधीर और भी गुम सुम हो गये, न किसी से बात करते हैं, न खाने में रुचि है, न बबलू जिसको वे अपनी आंखों पर बिठाये रहते थे, से ही प्यार से मिलते बैठते हैं, किसी को कुछ बताते भी तो नहीं| ससुर जी के बहुत आग्रह पर केवल इतना बताया कि वे नौकरी से स्तीफा दे आये हैं| मेरे लाख कोशिश करने पर भी इस सब का सबब भी नहीं बताते हैं|

बाबूजी, देवी देवताओं, गन्डा, ताबीज और ओझाओं के भी चक्कर लगा चुके हैं, पर परिणाम वही ढाक के तीन पात| हार थक कर बड़ी मुश्किल से समझा बुझा कर आज उन्हें यहाँ के लिए तैयार किया| अजय कुछ समझ नहीं आता कि क्या करूं?

अच्छा शिखा यह बताओ कि वहाँ जहाँ तुम लोग सर्विस पर थे सुधीर का किसी से कोई झगडा़ या लव अफेयर तो नहीं चल रहा था?

अजय मेरी जानकारी में तो बिलकुल नहीं| तुम तो जानते हो कि झगडा़ करना सुधीर के वश का नहीं है| जहां तक मुझे याद है उनके आफिस में कोई महिला कर्मचारी भी तैनात नहीं है, और उनके सहकर्मियों के घर वे न के बराबर ही जाते थे या फिर मुझे लेकर जाते थे|

फिर क्या वजह हो सकती है सुधीर की सनक की, कि अच्छी खासी नौकरी छोड़ कर जनाब घर में बैठ गए, अजय ने माथा रगडा़?

यही तो समझ में नहीं आ रहा अजय|

खैर देखते हैं डाक्टर्स क्या कहते हैं?

डाक्टर और सुधीर बहार आये, सुधीर ने अजय को देख कर भी न देखा हो ऐसा व्यवहार किया पर शिखा कि ओर कुछ अजीब सी नज़रों से देखा|

डाक्टर ने कहा मिसेज सुधीर, वैसे अपेरेंटली मिस्टर सुधीर को कुछ नहीं हुआ जान पड़ता है, परसों फिर आप दोनों रूटीन चेकअप के लिए आ जायें|

हाँ तो मिसेज सुधीर मुझे यह बताएं कि जब से आपके पति को ऐसा हुआ है उनका व्यवहार आपके साथ कैसा रहा है, आई मीन आप समझ रहीं होंगीं ...?

जी हाँ डाक्टर, आश्चर्य तो मुझे भी है, औरों की अपेक्षा वे मेरा कुछ खास ख्याल रखने लगे थे, हमारी सेक्स लाइफ में किसी भी तरह की कोई रूकावट या बदलाव नहीं आया था बल्कि मुझे ऐसा महसूस होने लगा था कि हम दोनों के बीच प्यार और बढ़ गया था| परन्तु परसों आपके यहाँ से चेकअप करवाने के बाद रात को सुधीर ने अजीब हरकत की, मेरे साथ सेक्स भी किया, मुझे मारा भी, और गाली भी दी|

गाली देते समय उन्होंने कौन से शब्द इस्तेमाल किये थे, आप मुझे बता सकेंगी ? डाक्टर ने जानना चाहा|

जी हाँ डाक्टर साहब, वैसे सब कुछ ठीक होता तो वो गलियां मेरे मुंह से न निकलतीं पर यहाँ तो सवाल मेरे पति की जिंदगी का है इसलिए बताती हूँ| उन्होंने मुझे कुत्ती, कमीनी और कुलटा कहा था|

जी मुझे मालूम है, गालियाँ देने के लिए मैंने ही उन्हें उकसाया था|

जी मैं समझी नहीं मुझसे आपको क्या तकलीफ थी जो ...?

आप गलत अर्थ न लगाएं, मरीज के लिए डाक्टर किसी भी हद तक जा

सकता है| और वही मैंने किया| सच मानिये, परसों से पहले तक मैंने

आपको देखा भी नहीं था, पर डायग्नोसिस में जो मुझे महसूस हुआ उसको पुख्ता करने के लिए इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था| अरे हाँ आपके वह दोस्त जिनसे उस दिन अप बात कर रहीं थीं ने भी अपरोक्ष रूप से मेरी मदद कर दी|

मैं समझी नहीं डाक्टर?

अभी समझ जाएंगी, केवल मेरे एक प्रश्न का उत्तर देने के पश्चात|

पर गुजारिश है आप कुछ छिपाएँ नहीं, अन्यथा मेरे मरीज के हित में ठीक नहीं होगा|

जी पूछिये|

क्या आपने अपनी शादी के पूर्व के किसी ऐसे वाकिये का, खासकर आपके किसी और से अंतरंग सम्बन्धों का जिक्र मिस्टर सुधीर से किया था कभी|

शिखा को काटो तो खून नहीं| सोचने लगी यह डाक्टर है या अंतर्यामी? फिर भी जवाब देने की बजाय उलटा डाक्टर से प्रश्न कर दिया, “क्या सुधीर ने ऐसा कुछ कहा आपसे?”

जी नहीं, और यदि आप भी न बताना चाहें तो कोई दबाव नहीं है|

नहीं डाक्टर पत्नी के लिए पति की जिंदगी से बढ़कर कुछ नहीं होता, यदि मेरे व्यक्तिगत जीवन की अन्तरंग परत खुलने से सुधीर का तिनके भर भी उपचार हो सकता है तो मैं कुछ नहीं छिपाऊंगी|

डाक्टर! छः सात महीने पहले एक रात अंतरंगता के क्षणों में सुधीर को न जाने क्या सूझी कि पूछने लगे शिखा तुमने मेरे शिवाय क्या किसी और के साथ यह सब किया है जो इस समय हम दोनों कर रहे हैं? मेरे नकारात्मक उत्तर से उन्हें संतुष्टि नहीं हुई और उन्होंने मेरा हाथ अपने सिर पर रख कर जोर देकर कहा खाओ मेरे सिर की कसम|

मैं लाचार हो गयी पति कि झूठी कसम न खा सकी और वह सब बता दिया जो एकांत में मेरे बहनोई ने मेरे सोने का फायदा उठा कर किया था|

मैं बहिन का घर बर्बाद होने के डर से चुप रह गयी| हालाँकि उसके

बाद मेरे बहनोई की न तो हिम्मत पड़ी और न ही मैंने कोई ऐसा मौका

आने दिया कि उस वाकिये की पुनरावृत्ति हो सके|

अब आप समझीं कि सुधीर ने आपको गलियां क्यों दीं? क्योंकि मर्ज़ जानने के लिए मैंने ही उन्हें यह कह कर उकसाया था कि यदि आपकी पत्नी का चरित्र खराब है तो अब भी वह किसी न किसी मर्द से ताल्लुकात रखतीं होंगीं, घर जाकर उनसे दरियाफ्त करना, और सौभाग्य वश जब मैं और सुधीर बहार आये मिस्टर अजय आपसे बातें कर रहे थे जिससे मिस्टर सुधीर का शक और बढ़ गया और रात वे अपने को कंट्रोल न कर सके, गुस्से में गलियां दे कर अपनी भड़ास

निकाल दी|

तो डाक्टर अब क्या करें?

अब मिस्टर सुधीर का इलाज तो आपके ही हाथ में है| बस आपको थोड़ी सी एक्टिंग करनी होगी| आपकी एक्टिंग पर निर्भर करेगा कि मिस्टर सुधीर ठीक होते हैं या नहीं|

थेंक्यू डाक्टर|

रात हमेशा की तरह सुधीर जब शिखा के कमरे में सोने आया तो स्त्री स्वाभाव के विपरीत शिखा ने पहल कर कामुक छेड़खानी से सुधीर के शरीर में कामाग्नि भरना शुरू कर दिया, और जब उसने देखा लोहा गरम है तो छिटक कर दूर हो गयी| इठलाते हुए बोली जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती, तुम मुझसे बिलकुल प्यार नहीं करते|

भले ही रूखे स्वर में सही, सुधीर ने कहा यदि प्यार न करता होता तो आज हम दोनों में से इस धरती पर एक ही जिन्दा होता|

क्या खाक प्यार करते हो, करते होते तो क्या मेरे एक झूठ से अपना और हम सब का यह हाल कर लेते?

झूठ! मतलब?

वही जो उस दिन मैंने तुम्हें चिढ़ाने के लिए मेरे जीजाजी और मेरे बारे में ...|

क्या कह रही हो, खाओ मेरे सिर की कसम कि वह सब झूठ था|

शिखा इसी मौके की तलाश में थी, अंगड़ाई लेती हुई सुधीर से लिपट गयी और एक नहीं अपने दोनों हाथ सुधीर के सिर पर रख कर बोली तुम्हारी कसम मैं झूठ बोली|

सुबह सुधीर ने बबलू को खूब प्यार किया, माता पिता के चरण छुए, पत्नी को चूमा और काम की तलाश में निकल गया|

लेखक :-

छत्र पाल वर्मा