Doosari Shadi in Hindi Short Stories by Dharm books and stories PDF | दूसरी शादी

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दूसरी शादी

दूसरी शादी

संतोष हरफनमौला और शौकीन किस्म का इंसान था। पिता सरकारी मास्टर थे, जिनके पैसों से वह आराम से अपने शौक पूरे करता रहता था। उसके बाकी के दो बडे भाई भी थे लेकिन वे अपने खर्चे अपनी कमाई से ही करते थे। उन दोनों का शौक संतोष की तरह नही था।

लेकिन पिता की सरकारी नौकरी कब तक चलती. जैसे ही संतोष के पिता रिटायर हुये तो तनख्वाह भी आधी हो गयी। लेकिन संतोष के खर्चे वही रहे। हालत पतली होती गयी। लेकिन किस्मत से संतोष ने रिश्वत देकर अपनी शिक्षामित्र की नौकरी लगा ली। किन्तु उसमें तनख्वाह सिर्फ संतोष के खर्च लायक ही थी।

इस नौकरी का एक फायदा ये हुआ कि संतोष की शादी वाले आने शुरू हो गये। नौकरी पेशा लडका अगर गांव में रहता है तो उसकी शादी की गांरटी हो जाती है। एक जगह से संतोष का रिश्ता पक्का भी हो गया। लडकी सुन्दर थी और दहेज भी ठीक ठाक मिला था।

संतोष की वीवी का नाम मोहनी था। संतोष का शौक पहले से कम हो गया था। क्योंकि पहले वो अकेला था, लेकिन अब उसकी वीवी भी साथ रहती थी। शुरूआत में संतोष अपनी बीबी को खूब प्यार करता था। उसकी हरबात पूरी करता था। वो जब भी कहती तभी उसे उसके मायके घुमाकर ले आता था।

मोहनी की छोटी बहिन ममता जो संतोष की साली लगती थी. वो दिखने में मोहनी से खूबसूरत थी। संतोष उसके साथ बहुत ही खुश रहता था। ममता की भी संतोष से खूब छनती थी। मोहनी को इस बात से कोई एतराज न था। वो सोचती थी कि जीजा साली में ये सब तो होता ही है। फिर ये गांव देहातों में आम बात होती है। जीजा अपनी जीजागिरी में अपनी सालियों से भद्दे मजाक तक कर डालता है, और कोई कुछ नही बोलता।

संतोष अब ममता के साथ ऐसी ही हरकतें करता रहता था। ममता भी कम न थी, उसे भी अपने इस जीजा के साथ रहकर ये सब करवाना अच्छा लगता था। लेकिन बात इतने तक होती तो ठीक थी, बात तो संतोष और ममता के बीच मोहब्बत होने तक पहुंच गयी थी।

संतोष अपनी पत्नी मोहनी को साथ ले अक्सर ससुराल जाता था, लेकिन इन दिनों के बीच में भी संतोष अपनी ससुराल जा पहुंचता। उसका मकसद सिर्फ ममता से मिलना होता था। जब ममता को अपने घर संतोष के जाने की खबर होती तो उसे खुशी होती थी। सोचती थी उसके पति को उसके मायके वालों से कितनी मोहब्बत है जो अक्सर वहाँ घूम आता है।

उसे क्या पता था कि संतोष क्या गुल खिला रहा है। धीरे धीरे रोजाना सा संतोष ममता के पास जाने लगा। रोज रोज घर आना जब ससुराल वालों को थोडा अखरा तो ये दोनों घर के बाहर मिलने शुरू हो गये। बात यहाँ तक पहुंच गयी कि संतोष ने ससुराल वाले कस्बे में एक कमरा किराये पर ले लिया, जिसमें ममता को ले जाकर उससे शारीरिक सम्बन्ध तक बना लिये।

मोहनी तो इस बात से अन्जान थी लेकिन उसके मायके वालों को इन दोनों पर शक होने लगा। ममता के माँ बाप चाहकर भी न तो संतोष से कुछ कह सके और न ही यह बात मोहनी को बता सके। उन्हें डर था कि इस बात से उनकी लडकी का घर बर्बाद हो जायेगा।

लेकिन इस समस्या का हल निकालने के लिये उन्होंने ममता की शादी करवाने की सोच ली। ममता इस वक्त उन्नीस बीस साल के आसपास की उम्र की थी। शादी की उम्र तो उसकी वैसे ही हो चुकी थी। जब ममता के लिये लडका देखा जाने लगा तो उसे भी खबर हो गयी। इस बात से ममता की चिंता बढ गयी थी।

उसने झट से ये बात संतोष को बता डाली। संतोष तुरंत ममता के पास जा पहुंचा और उसे सीधे उस जगह ले पहुंचा जहाँ उसने ममता से सारी बात पूंछ डाली। इसके बाद संतोष ने ममता को भरोसे में लेते हुये पूंछा, ‘‘ममता तुम मेरे साथ जिंदगीभर के लिये रहना तो चाहती हो न? अगर चाहती हो तो बताओ फिर में उसी हिसाब से बात करूं।”

ममता तो पहले ही संतोष के प्यार में पड चुकी थी, बोली, ‘‘हाँ जीजू में आप के ही साथ रहना चाहती हूँ लेकिन कुछ ऐसा करो कि मेरी शादी न हो और में हमेशा के लिये आपकी हो जाऊँ।” संतोष ने दृढ निश्चय से कहा, ‘‘तो फिर तुम मुझसे शादी के लिये तैयार हो जाओ।”

ममता ऊपर से नीचे तक सिहर गयी। संतोष पहले ही उसकी बडी बहिन मोहनी से शादी कर चुका था। फिर उससे शादी कैसे कर सकता था। दूसरा ये कि घर के लोग इस शादी के लिये कैसे तैयार हो जाते। साथ में मोहनी भी तो सिरदर्द होनी थी। ममता चिंतित हो संतोष से बोली, ‘‘लेकिन ये कैसे हो सकता है? दीदी ये सब हो जाने देगी?”

संतोष उसी अन्दाज में बोला, ‘‘हम लोग चुपके से कोर्ट मैरिज कर लेंगे, उसके बाद सब लोगों को पता चलेगा। जब सब हो चुका होगा तो कोई कुछ नही कर सकेगा। तुम्हारी दीदी भी चुप हो बैठ जायेगी और तुम्हारे माँ बाप भी। अगर मंजूर हो तो बोलो।”

ममता इस वक्त संतोष के प्यार में अन्धी हो उठी थी। उसे ये न दिखायी देता था कि संतोष के साथ शादी करने से उसकी सगी बडी बहन का घर वर्बाद हो जायेगा। उसे ये भी न दिखायी देता था कि हिन्दू धर्म में एक साथ दो शादियां नही हो सकतीं। पहले एक को तलाक देना पडता है तब ही दूसरी शादी हो सकती है।

ममता ने एक पल में ही हाँ कह दिया। संतोष उसे समझाते हुये बोला, ‘‘देखो कल तुम इस वक्त ही तैयार रहना। मैं आऊँगा और तुम्हें लेजाकर मैरिज रजिस्ट्रार के यहाँ तुमसे शादी कर लूंगा। उसके बाद सब लोगों को फोन से बता देंगे। तब तक तुम इसी किराये के कमरे पर आराम से रहना, तुम्हारे साथ में भी रहूँगा।”

ममता को भी ये बात जंच गयी। इसके बाद संतोष ममता को उसके घर के पास छोड आया। अगले दिन समय पर वो ममता को लेकर कार्ट मैरिज कर डाली। उसके बाद ममता को ले उसी किराये के कमरे पर आ गया और सब लोगों को खबर कर दी।

ममता के माँ बाप तो यकीन ही न कर पाये कि ऐसा हो गया है। और ये सब उनके खास दामाद ने किया है, जो पहले से उनकी बडी बेटी के साथ शादी शुदा है। ममता की माँ तो खूब रोयी थी। उसे अपनी दोनों बेटियों के भाग्य पर रोना आता था। एक ममता तो शादीशुदा बहनोई से शादी कर बैठी कर बैठी थी। दूसरी मोहनी अपनी ही बहन की सौतन बन गयी थी।

जब से खबर मोहनी ने सुनी तो वो मरने को भागती थी। बडी मुश्किल से संतोष के घर के लोगों ने उसे रोका था। लेकिन इसके बाद भी वो दिनभर रोती रही थी। क्या करती? वो संतोष के बच्चे को अपनी कोख में लिये हुयी थी कि ये खबर सुनने को मिल गयी। उसे दोहरा दुख इस बात का था कि उसका पति दूसरी शादी कर रहा था, वो जिससे शादी कर रहा था वो उसकी छोटी बहिन थी। जिसकी उम्र संतोष से बहुत कम थी।

उसे अपनी बहिन पर गुस्सा भी आता था और प्यार भी। लेकिन अपने पति संतोष पर सिर्फ गुस्सा ही आता था। वो सोचती थी कि ममता ने नही सोचा तो कम से कम संतोष को ये सोचना चाहिये था कि वो शादीशुदा है। फिर दूसरी शादी क्यों?

ममता और संतोष दोनों मस्त थे, लेकिन दोनों घरों में उथल पुथल हुयी पडी थी। ममता के पिता ने संतोष से बात करनी चाही, लेकिन संतोष किसी बात पर तैयार न था। ममता के पिता सोचते थे कि जो हो गया सो हो गया, अब दोनों अपने अपने घर लौट आयें। ममता की दूसरी शादी हो जायेगी और संतोष मोहनी के साथ अपनी जिंदगी बितायेगा।

जब संतोष ने बात न मानी तो ममता के पिता ने पुलिस में जाने का विचार कर लिया। लेकिन घर के लोगों ने उन्हें रोक लिया। कहते थे कि अगर संतोष जेल गया तो मोहनी का क्या होगा? अगर ममता ने इस बात से दुखी कुछ कर लिया तो? ये सब बातें कर घर के लोगों ने उन्हें पुलिस में जाने से रोक लिया।

मोहनी के नाराज होने की वजह से संतोष कई दिन घर न आया था। मोहनी विवश हो ढीली पड गयी। उसने संतोष से बात की और ममता सहित घर आकर रहने के लिये कह दिया। साथ ही यह भरोसा दिया कि वो किसी तरह का कोई ऐसा काम नही करेगी जिससे उन दोनों को परेशानी हो।

संतोष को मोहनी की बात पर भरोसा था। वो अगले ही दिन ममता को ले घर आ गया। घर में पूरी तरह सन्नाटा था। किसी को इस शादी से किसी भी तरह की खुशी नही थी। सिर्फ दो लोगों को छोडकर, एक ममता और दूसरा संतोष।

धीरे धीरे माहौल हल्का हुआ, ममता और मोहनी के बीच बोलचाल शुरू हो गयी। संतोष ने इस बात से चैन की सांस ली। लेकिन एक दिन अकेले में मोहनी ने ममता को अपने पास बिठाया और प्यार से बोली, ‘‘ममता मुझे अब तेरे साथ कोई परेशानी नही। जो तूने किया वो हो गया। अब उसे बदला नही जा सकता, लेकिन ये सब करने से पहले तुझे ये तो सोचना चाहिये था कि तू खुद अपनी बहिन का घर उजाडने जा रही है। चल मेरे बारे में नही तो अपने बारे में ही सोच लेती। क्या करेगी अब जिन्दगीभर? ये प्यार का नशा दो चार दिन में उतर जायेगा फिर क्या करेगी?”

ममता चुप हो अपनी बडी बहिन की बात सुनती रही। अब उसे भी ये सब ज्यादा ठीक न लग रहा था। लेकिन अब तो कुछ हो ही नही सकता था। वक्त हाथ से फिसल गया था। बाद में ममता और मोहनी दोनों मिलकर रहनें लगीं। दोनों की जिन्दगी पहाड सी लम्बी थी, लेकिन मिलकर उसे आसान बना रहीं थीं।

(समाप्त)