Dohara Dard - 3 in Hindi Biography by Lakshmi Narayan Panna books and stories PDF | दोहरा दर्द

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दोहरा दर्द

दोहरा दर्द भाग - 2 का कुछ अंश

मेरे और पिताजी के बीच बहुत सारी बातें हुईं मैं उन्हें भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से अवगत कराता और वे भाग्य और भगवान की बातें करते । मैं कहता समय पर जाग जाने वाले अपना भाग्य खुद लिख सकते हैं । भाग्य के भरोसे तो बुजदिल बैठा करते हैं । यह मेरी जिंदगी है इसे मैं भाग्य के भरोसे नही छोड़ सकता । लेकिन ये क्या ? …

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जो पिताजी कभी मेरी हर बात को मानते और समझते थे आज मेरी कोई बात मानने को तैयार नही थे । पिताजी कहने लगे कि पहले तो तुमने लड़की पसन्द कर ली अब मना कर रहे हो । यह ठीक बात नही है ऐसे किसी की इज्जत से खिलवाड़ नही करना चाहिए । मैंने उन्हें समझाया कि ऐसी कोई बात नही है कि मैंने उसे पसंद किया । मैं तो उसे ठीक से जनता भी नही हूँ । बस इतना है कि जिस स्कूल में मैं पढ़ाता हूँ वहीं वह भी पढ़ाती है । उसने मुझसे खुद ही शादी के लिए कहा है मगर मैं शादी नही करना चाहता । मुझे अभी डॉक्टर बनना है इसके लिए बहुत पढ़ाई करनी है जो शादी के बाद नही हो पायेगा । तब पिताजी कहने लगे उसके बाप को घर किसने भेजा ? उसे तुम्हारे घर का पता कैसे मिला ? वह तो कह रहा था कि तुम्हारी उससे बात हो गई है । इसलिए मैंने भी कहा जब मेरे बेटे को लड़की पसन्द है तो मुझे कोई ऐतराज नही, मैं तैयार हूँ । कहने लगे अब तुम बताओ लड़की का चाल चलन तो ठीक है या नही । अपने पिताजी के बहुत से गुण मुझमे भी थे ही । उनमें से एक था झूठ नही बोलना । मैंने कहा पिताजी कुछ दिनों की मुलाकात में कोई किसी का चाल चलन कैसे बता सकता है । देखने में तो ठीक है चाल चलन खराब तो नही लगा, तो इससे क्या मुझे अजीब सा डर लग रहा है जैसे कोई मुझे रोक रहा हो । मेरा दिल कहता है कि यह शादी करके मैं फंस रहा हूँ । जबसे उसने मुझसे शादी के लिए कहा है अजीब से सपने आते हैं । जैसे कोई कह रहा हो यह शादी करके तुम्हारी जिंदगी खराब हो जाएगी । एक शादी का सीन दिखता है उसमें मेरी लड़ाई हो रही है किसी से और किसी ने मेरे सभी लोगों को बाँध रखा है । मैं अकेला बहुत सारे लोगों से लड़ रहा हूँ । मुझे लगता है पिताजी यह शादी मेरी जिंदगी खराब कर देगी । मेरा डॉक्टर बनने का सपना टूटता दिख रहा है । लेकिन पिताजी नही माने । वे तो बस यही कहते सपने उल्टे होते हैं । सपने से कुछ नही होता क्योंकि तुम सोंचते हो इसलिए ऐसे सपने आते हैं । शादी तो एक न एक दिन करनी ही है । यह लड़की तुम्हे पसन्द करती है और एक ही बिरादरी की है । क्योंकि लड़की तुम्हे खुद पसन्द करती है इसलिए हमेशा तुम्हे चाहेगी , वह अपनी मर्ज़ी से शादी करना चाहती है तो हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ रहेगी तुम्हारा साथ देगी । मैं समझ गया ज्यादा नेकदिल होने के कारण पिताजी उस लड़की की भावनाओं को ठेस नही पहुंचाना चाहते । वे सबको अपने जैसा नेकदिल समझते थे । उनको नही पता था कि दुनिया मे कितने चालक लोग हैं जो पहले तो बहुत सीधे दिखते हैं लेकिन अपना काम निकल जाने के बाद अपना असली चेहरा दिखाने लगते हैं ।

मुझे सीमा के पिता का असली चेहरा कुछ कुछ दिखने लगा था । मैं सोंच रहा था कि उसने मेरे पिताजी से झूठ क्यों बोला कि शादी के लिए मुझसे बात हो चुकी है और मैने ही उनको घर भेजा है । जबकि मैंने तो शादी के लिए उससे कभी हां की ही नही , उल्टा उसने ही मेरा अपमान कर दिया मेरी डिग्री का मजाक उड़ाया । मुझे दाल में कुछ काला नजर आने लगा था ।

पिताजी के बाद मैं किसे अपनी बात समझाता कन्हाई बप्पा तो समझने की हालत में थे नही । अब मेरी दीदी और जीजाजी ही थे जो मुझे सबसे ज्यादा अच्छे से समझते थे । उन्होंने तो मुझे अपने बेटे की तरह पाला था । मुझे उम्मीद की एक किरण दिखने लगी अब मैं फिर लखनऊ भागा ताकि जल्दी से दीदी को बोलकर शादी होने से रोक सकूं । मुझे पूरा भरोसा था कि दीदी मुझे जरूर समझेंगी ।

लखनऊ पहुंचा अगले दिन मैंने दीदी से सारी बात बताई । दीदी कहने लगीं ऐसे कैसे कोई लड़की तुम्हे पसन्द करने लगी । पहले तुम्हारी जान पहचान और दोस्ती जरूर होगी । मैंने दीदी को समझाने का पूरा प्रयास किया लेकिन दीदी मानने को तैयार नही थीं । क्योंकि उन्हें मेरी दोस्त के बारे में जानकारी थी । उन्हें शक था कि मैं उसके लिए ही शादी से मना कर रहा हूँ । वह नही चाहती थीं कि उसके साथ कोई रिश्ता रखूं क्योंकि वह लड़की ग़ैरबिरादरी की थी । आप तो जानते हैं जातिवाद देश में नाशूर बन चुका है । लोग अपनी बिरादरी में ही शादी व्याह करते हैं । इस जातिवाद ने ही दहेज जैसी बुराई को भी जन्म दिया है । मैं भी इस जातिवाद और दहेज के विरोधी था और सोंच रखा था । जब कुछ बन जाऊंगा तो बिना दहेज के किसी गरीब की बेटी से व्याह करूंगा । ताकि किसी गरीब का बोझ हल्का हो सके । लेकिन यह क्या हो रहा था ? मेरे कंधे किसी का बोझ हल्का करते इससे पहले ही उन पर बोझ लादने की तैयारी हो रही थी ।

मेरे जीवन का दोहरा दर्द अपने पथ पर तेजी से बढ़ा चला आ रहा था । मेरे जीवन में कौन सा तूफान आने जा रहा है यह किसी को मालूम नही था । अकेला मैं ही था जिसे एक डर सा महसूस हो रहा था । मेरे पास कोई रास्ता भी नही था इससे भागने या बच निकलने का । मैं अपने आपको न जाने किस जंजीर में जकड़ा हुआ अनुभव कर रहा था जिसे तोड़ने के लिए पूरा जोर लगा रहा था मगर तोड़ नही पा रहा था । मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं वह शेर हूँ जिसे मजबूत सलाखों से बने पिंजड़े में बंद कर दिया गया है और चाह कर भी उससे बाहर नही आ पा रहा हूँ ।

उधर सीमा के पिता एम लाल न चाहते हुए भी शादी से मना नही कर पा रहे थे । शायद उन पर सीमा और उसकी माँ का दबाव बढ़ रहा था । अब तो स्कूल में सीमा रोज मिल ही जाती थी । वह जब भी मिलती शादी की बात जरूर खोदती । मैं उसे रोज मना करता, वह मुझसे रोज वादा करती और कहती कि मैं शादी के बाद आपको परेशान नही करूंगी । अगर मैं आपको पसंद नही हूँ तो मुझे इतना तो बता दीजिए कि मुझे किस कमी के की वजह से आप ठुकरा रहे हैं । आप मुझ पर भरोसा रखिये मेरी वजह से आपकी पढ़ाई पर कोई असर नही आएगा । उसका चेहरा देखकर मुझे कभी नही लगा कि वह कभी मुझे धोखा भी दे सकती है। उसकी बातों में सच्चाई नजर आती थी लेकिन मेरी जिम्मेदारियां और संघर्ष उस पर विश्वास करने से रोक रहे थे । कभी कभी उस पर भरोसा तो होता फिर कुछ देर बाद जब मैं अपना संघर्षमय जीवन देखता तो भरोसा टूटता दिखने लगता । अक्सर ही वह मुझसे शादी की बात जरूर करती थी । एक दिन वह कहने लगी मेरे पापा शादी के लिए मान गए हैं ।

अब तो मेरे अरमानो पर जैसे पानी फिर गया था । मुझे पता था वही व्यक्ति शादी पक्ष में नही था । उसकी मर्जी पर ही शादी टिकी हुई थी अब तो उसने भी हाँ कर दिया । अब मैं शादी तोड़ने के और उपाय ढूढने लगा । कहीं कोई रास्ता नजर नही आ रहा था । तब मैंने अपने एक डॉक्टर मित्र को बताया । पहले तो वे मुझे डाँटने लगे क्योंकि वह मुझसे काफी सीनियर थे और मैं उनके साथ उनकी क्लीनिक में उन्हें असिस्ट भी करता था । उन्होंने कहा जब शादी बिल्कुल तय हो गयी है तब मुझे बता रहे हो, तुमने साफ साफ क्यों नही मना किया । मैंने उन्हें बताया कि मैं कई बार मना कर चुका हूँ फिर भी वह लड़की समझने को तैयार नही है । वह कहती है मैं किसी भी हाल में आपके साथ रह लूंगी । अब तो पिताजी भी तैयार हो गए हैं । आप ही उन्हें समझाइए की इस तरह मेरा भविष्य खराब हो जाएगा । डॉक्टर साहब ने भी प्रयास किया लेकिन पिताजी नही मानें । इस बात की वजह से डॉक्टर साहब और पिताजी की कहा सुनी भी हो गई । तब डॉक्टर साहब मुझसे कहने लगे यह शादी सिर्फ तुम रोक सकते हो । अपने बाप के विरोध में अगर आज नही बोले तो फिर यह समय नही आएगा । उनसे कहा दो की मैं किसी भी कीमत पर यह शादी नही करूंगा । कुछ दिन तक शायद तुम्हारे पिता तुमसे बात भी न करें क्योंकि उन्हें बहुत तकलीफ होगी । जिस बेटे को उन्होंने पढ़ाया लिखाया जब वही उनके खिलाफ बोलेगा तो उनको कष्ट तो होगा लेकिन अब इसके सिवा कोई चारा नही है । अगर तुम डॉक्टर बनना चाहते हो तो तुन्हें यह कदम उठाना ही पड़ेगा । मैंने डॉक्टर साहब से तो कहा कि ऐसा ही करूंगा ।

लेकिन मैं उस पिता का विरोध कैसे कर सकता था जिसने अपना जीवन सिर्फ मेरे लिए जिया है । जिस गांव में उस समय कोई हाइस्कूल भी नही पास था वहां रहने वाले मेरे पिताजी ने शिक्षा का महत्व समझा । उस पिता के निर्णय को मैं गलत कैसे ठहरा सकता था । मैं तो उन्हें सबसे अधिक समझदार इंशान समझता था । अगर मैं उन्हें गलत कहता तो उनकी सोंच का अपमान हो जाता । अपने पिताजी के फैसले का मैंने हमेशा सम्मान किया था । वैसे मेरी पढ़ाई के बारे में उनसे अधिक फिक्र और किसी को हो भी नही सकती थी क्योंकि मेरी पढ़ाई मेरा सपना नही पिताजी का सपना थी । अगर मैं उन्हें गलत कहता तो वे अपना अपमान महसूस करते और मैं उनका अपमान नही करना चाहता था । मैंने पिताजी से साफ साफ कह तो दिया कि मैं यह शायद नही करूँगा , आप इसे मना कर दीजिए । लेकिन कहीं न कहीं मेरे कहने में जोर की कमी रह गयी थी । इस बात को कहने के लिए जितनी दृढ़ता की जरूरत थी वह दृढ़ता नही आ पाती थी । क्योंकि पिताजी का प्यार मुझे उनके सामने कमजोर कर देता था । पिताजी मेरे पिताजी ही नही पथ प्रदर्शक भी थे । एक वही तो थे पूरे गाँव मे जिन्हें शिक्षा का सही मायने पता था । अनपढ़ होते हुए भी उन्हीने मुझे पढ़ाया लिखाया जबकि गाँव के बहुत से पढ़े लिखे लोग अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नही दिला पाए । इतने समझदार पिता को मैं क्या समझाता ।

पिताजी को किसी तरह मना तो करना ही था तो मैंने कहा पिताजी आप जानते हैं शादी व्याह में बहुत खर्च होता है । आपके पास तो मेरी किताबें खरीदने तक पैसे नही हो पाते , फिर शादी के लिए पैसों का इंतज़ाम कैसे होगा ? शादी के बारे में सोचना छोड़ दीजिए । पिताजी मेरे बाप तो थे ही इसलिए मेरे हर सवाल का जवाब भी उनके पास पहले ही रहता था । कहने लगे शादी व्याह कोई पैसे जोड़कर नही कर पाता । जब करना होता है तो सब इंतज़ाम हो जाता है । तुम खामोखा क्यों परेशान हो । पिताजी मेरी बात मानने को तैयार नही थे और मैं शादी के लिए नही तैयार था । मैंने उन्हें यह भी बताया कि उस लड़की का बाप तो मुझे पसंद भी नही करता । उसने मेरा बहुत अपमान किया है । हर बार मुझे नीचा दिखाना चाहता है । कभी मेरी डिग्री को तो कभी घर को । एक तरफ तो वह ये कहता है कि मेरी बेटी गाँव में नही रह पाएगी । दूसरी तरफ मुझसे अपनी बेटी की शादी भी करना चाहता है ।पिताजी थोड़ा नरम होते दिख रहे थे । कहने लगे अगर वह नही करना चाहता तो वह खुद मना कर देगा ।

अपने साथ हो रही जद्दोजहद में मैं कुछ भूल रहा था । मैं अपने उद्देश्य से तो भटक ही रहा था साथ ही अपनी दोस्त को भी भूल रहा था । इस घटना ने मेरी भाग दौड़ बढ़ा दी थी मैं अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान नही दे पा रहा था । मेरा ज्यादा से ज्यादा वक्त शादी तोड़ने की प्लांनिग करने में जा रहा था । कई दिन हो गए थे अपनी दोस्त से मिले हुए एक दिन वह मुझसे मिलने ही आ रही थी कि वह मुझे रास्ते में मिली मैं कहीं जा रहा था । उसने मुझे रोकर कहा सुना है तुम शादी कर रहे हो । मैंने कहा तुमको कैसा पता चला । अभी मैं शादी करना नही चाहता लेकिन वह लड़की तो पीछे ही पड़ गई है । उसने तो अपने घर वालों को भी तैयार कर लिया है । और तो और उसके पिता एम लाल मेरे पिताजी से भी बात कर चुके हैं । अब तो मेरे पिताजी भी तैयार हैं । मेरी बात तो कोई सुन ही नही रहा है । इन बातों के चक्कर में उससे हाल चाल पूछना तो भूल ही गया था । मैंने उससे पूछा कोई नही अपनी बताओ सब ठीक है इधर कहां जा रही थी । वह कहने लगी जब मुझे पता चला तुम शादी कर रहे हो तो मैंने सोंचा तुम्हे कुछ बता दूं । इसलिए तुम्हारे पास ही आ रही थी । मैंने कहा बोलो क्या कहना चाहती हो । आज मेरे इकरार का जवाब मिलने वाला था । लेकिन क्या फायदा जब मैं बूरी तरह फंस चुका था । खैर उसने मुझसे कहा तुम शादी न करो, तुम्हे तो अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए । काफी दिनों बाद उससे बात हो रही थी तो मैं थोड़ा मूंड में आ गया मैंने कहा क्यों न करूं मेरा भी मन करता है कि कोई मुझे प्यार करे । अब उससे रहा नही गया जो बात उसने अब तक अपनी मन मे दबाये हुई थी वह होंठों पर आ रही थी । उसके होंठ बेचैन से हो उठे, दिल की बात जुबान पर आ ही गई । उसने मुझसे कहा यह शादी करके तुम फंस जाओगे मैं तुम्हे जानती हूँ । तुम बहुत अच्छे इंशान हो मुझे मेरी सहेली ने उस लड़की के बारे में बताया है । वह लड़की तुम्हारे लिए ठीक नही है । तुम्हारी पढ़ाई बर्बाद हो जाएगी । मैं तो मजाक के मूंड में था इसलिए उससे कहा तो मेरे लिए कौन लड़की ठीक होगी ? अब उसके होंठ दिल बात को जबान पर आने से रोक नही पाये उसने कहा ही दिया । वह कहने लगी तुम अपनी पढ़ाई पूरी करके कुछ बन जाओ फिर मैं तुमसे शादी करूंगी ।

मैं जानता था कि वह मुझे मन ही मन चाहती है । लेकिन यह नही जानता था कि कह क्यों नही रही थी । आज मुझे पता चला कि वह मेरी पढ़ाई में व्यवधान नही डालना चाहती थी । उसे लगता था प्यार मोहब्बत के चक्कर में पढ़ाई खराब होगी । उसे इस बात की समझ थी कि बेरोजगारी के चलते हम कुछ कर भी नही पाएंगे । इसलिए वह मेरे कुछ बनने तक इंतजार करना चाहती थी । आज उसे लगने लगा था कि कहीं देर न हो जाये । वह मेरा प्यार पाना चाहती थी इसलिए अच्छे समय का इंतजार कर रही थी । मेरी जिंदगी में उठे तूफान से वह घबरा गई और मजबूर हो गई, अपने प्यार का इजहार करने के लिए । मैंने कहा मेरे तुम्हारा मिलन आसान नही होगा एक तो मैं गरीबी ऊपर से जातिवाद । तुम एक ब्राह्मण की बेटी हो और मैं चमार न तो तुम्हारे माता पिता चाहेंगे और न ही समाज हमें इसकी इजाजत देगा । उसने कहा तुम कुछ बन जाओ फिर अगर माता पिता नही मानेंगें तो हम भागकर शादी कर लेंगे । तुम्हे नही पता पहले तो उन्होंने मुझे पढ़ाया लिखाया नही क्योंकि वे सोंचते थे ज्यादा पढा लिखा देने से पढ़ा लिखा लड़का भी खोजना पड़ेगा । जिससे मेरे व्याह में खर्च भी अधिक लगेगा । अगर उन्होंने मुझे किसी अनपढ़ शराबी के साथ व्याह दिया तो मेरी तो जिंदगी ही खराब हो जाएगी । जाति तो इंशानों ने बनाई है । मैं इस जातिवाद से नफरत करती हूँ ।

अब मैं समझ गया वह भी मुझे खोना नही चाहती थी । मैंने समझाया कि भले ही मुझे कोई नौकरी मिल जाये । हम दोनों शादी भी कर लें फिर भी हमे तमाम सामाजिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा । इसलिए अभी हमारा समय अच्छा नही है । इस वक़्त जरूरी है यह शादी टूटने की ।

मुझे किसी काम से निकलना था इसलिए अधिक बात नही हो पाई और चला गया । उससे कहा मैं कोशिस कर रहा हूँ कि यह शादी न हो । यह मेरी प्रेम कहानी का अंतिम सीन था । इसके बाद प्यार की घड़ी जैसे रुक सी ही कभी कभार सूइयां हिल भर गई होंगी ।

आने वाला तूफान बहुत नजदीक पहुंच चुका था । रोकना मेरी सामर्थ्य से बाहर हो गया । एक दिन सीमा के पिता मेरी दीदी के घर पर आए वहां कहने लगे मेरी बिटिया शादी के लिए जिद्द कर रही है लेकिन मैं जानता हूँ, वह गांव में नही रह पाएगी । मुझसे कहा शादी के बाद तुम यहाँ रहोगे तो मेरी बेटी वहां अकेली नही रह पाएगी । मैं कुछ कहूँ इससे पहले ही दीदी ने कहा जब तक मेरा भाई यहाँ पढ़ाई करेगा तब तक सीमा भी यहीं रहे हमको कोई दिक्कत नही । मैंने तो दीदी से कहा था वह हर दिन नई शर्तो के साथ बात करता है अब अगर और कोई शर्त लगाएगा तो मना कर दूंगा । उसके आने की खबर पहले से थी इसलिए जीजा दीदी ने कहा था मेरे घर पर तुम उनका अपमान नही कर सकते इसलिए तुम कुछ मत बोलना । मैं चुपचाप सुनता रहा वह शर्त पर शर्त लगाते गये । मेरे सीधे सादे दीदी जीजा उनकी हर शर्त मानते गए । शादी तय हो गयी क्योंकि उसके रहने की समस्या खत्म हो चुकी थी । सीमा के पिता बहुत चालक किस्म के इंशान हैं अपनी चालाकी से मेरा सार खेल बिगाड़ गए । मैं समझता था सीमा गाँव में रह नही पाएगी यह सोंच कर यह शादी वो लोग खुद मना कर देंगे । लेकिन दीदी जीजा के भोलेपन ने सारे किये कराए पर पानी फेर दिया । एक प्रयास मैं और करना चाहता था । तब एक दिन मैं सीमा के घर गया उसके पिता से बात की, मैंने उन्हें बताया कि शादी करने के लिए मेरे पास पैसे भी नही हैं । मैं शादी कैसे कर लूं आप यह शादी मना कर दीजिए । लेकिन वह नही माने कहने लगे परेशान क्यों होते हो सब इंतजाम हो जाएगा । मैं हूँ न जो कमी बेसी होगी देखा जाएगा ।

मैंने कहा आप शादी में नगद कितना देंगें ?

अब तो उनको गुस्सा आ गया क्रोधित होकर कहने लगे दान दहेज बताया नही जाता जो मेरी मर्जी हो वह करूंगा ।

मैंने फिर कहा, मैं दहेज नही मांग रहा । आप कहते हैं सब इंतजाम हो जाएगा तो कहां से आएगा पैसा, शादी का खर्च तो मुझे ही उठाना है । मुझे पता तो होना चाहिए कि मेरे पास कितने पैसों का इंतजाम हो रहा है । उसी के हिसाब तो खर्च करूंगा ।

अब तो उनको और क्रोध आ गया कहने लगे । तुम तो कहते हो मुझे दहेज नही चाहिए फिर भी दहेज की बात कर रहे हो । मैंने कहा मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूँ कि आप मेरी कितनी मदद करेंगे । उसने कहा मैं के दोपहिया गाड़ी दूँगा और आठ दस हजार नगद । इससे ज्यादा नही कर पाऊंगा । मैंने कहा गाड़ी से मेरा बोझ हल्का होने के बजाय और बढ़ेगा । आठ दस हजार में क्या होगा इतने में तो खाने का भी इंतजाम नही होगा । आप गाड़ी का भी नगद दे दीजिए । या फिर शादी मना कर दीजिए । अब ऐसा लग रहा था जैसे लड़ाई हो जाएगी । कहने लगे गाड़ी नही दूँगा तो मेरे लोग क्या कहेंगे । और तुम्हारा बाप तो कुछ नही कहता । उसको भेजो जो कहना है वही बात करे । अब जाओ यहां से । मैं पिताजी के पास गया उनको बताया कि वह कहता है तुम्हारा बाप तो कुछ नही कहता, तुम यहाँ दहेज मांग रहे हो । कृपया आप यह शादी मना कर दीजिए । अब पिताजी कहने लगे बेटा लड़की तुम्हे चाहती है अगर शादी तोड़ दी और वह कुछ कर बैठी तो क्या होगा । तुम शादी करो सब हो जाएगा । मैंने कहा अभी जब शादी के पहले वह मेरा इतना अपमान कर रहा है, अपनी हर बात जिद्द करके मनवा रहा है, शादी के बाद तो दहेज प्रथा की धमकी देकर जो चाहेगा ओ मनवायेगा । पिताजी ने कहा जब लड़की तुमको चाहती है तो क्या वह तुम्हे फंसने न देगी शादी के बाद अगर उसका बाप कुछ कहेगा तो वह तुम्हारे साथ होगी । अभी वह कुछ कह नही सकती क्योंकि अपने बाप के घर में है ।

पिताजी को क्या पता कि उसे इस बात का गुस्सा है कि उसके न चाहते हुए भी उसकी बेटी मुझसे शादी करना चहती है । वह अपनी खुशी से यह शादी नही कर रहा है । उस पर दबाव है । जिसका गुस्सा वह मुझ पर उतार रहा है । उसकी बेटी ने मेरे लिए उसकी बात नही मानी । इसलिए मुझ पर शर्तें लगता है कि मैं ही मना करूँ ताकि वह अपनी बेटी से कह सके की उसने शादी नही तोड़ी ।

मैंने सीमा से एक बार फिर कहा तुम्हारे पिताजी शायद नही चाहते नही । इसीलिए जब मिलते हैं बेइज्जती ही करते हैं । इसलिए भूल जाओ शादी से मना कर दो । वह कहने लगी पापा की आदत है ऐसे बात करने की मम्मी ने उनको समझाया है । वे अब कुछ नही कहेंगे । अगर आप नही करना चाहते तो मुझे बताइए मुझमें क्या कमी है । पिताजी कहते हैं मैं गाँव में नही रह पाउंगी पर मैंने तो कभी नही कहा ।

शादी मना नही हो पाई और देखते देखते शादी की तैयारियां भी शुरू हो गईं । पिताजी के पास पैसे नही थे इसलिए उन्होंने कुछ लोगों से उधार माँगा । लेकिन ज्यादा पैसों का इंतजाम ही नही पाया मुझे चिंता थी कि शादी का खर्च कैसे निपट पायेगा । मैं फिर सीमा के घर गया अबकी मैंने कहा आप सही सही बाताएँ कितना नगद देंगे । मेरे पिताजी कुछ कहें या न कहें यह मेरी जिंदगी है । जो कर्ज पिताजी ले रहे हैं वह कर्ज आखिर मुझे ही चुकाना है । इसलिए मुझे चिंता है कितना कर्ज पूरा कर पाऊंगा और कितना बचेगा । वह कहने लगे बीस हजार से एक रुपया अधिक नही दूँगा ।

मैंने कहा ठीक है इसी हिसाब से खर्च भी करूँगा । लेकिन ध्यान रहे अब कभी यह मत कहना कि कोई गहना कम रह गया मेरी जो मर्जी होगी बनवाऊंगा ।

शादी की तैयारियां होने लगीं वर छेगाई की रश्म का दिन भी आ गया । उस दिन भी उसने अपनी चाल चल दी । यह रश्म अदा होने के समय मेरी ऐसी बेइज्जती हुई जिसने मुझे क्रोध से भर दिया । इस रश्म में लड़की वाले जो भी लाते हैं वह एक नियम के तहत लड़के के हाथ पर बड़े सम्मान के साथ दिया जाता है । लेकिन ये क्या उसने तो मुझे बुलाकर मेरे हाथ में कुछ रुपये ऐसे थमा दिए जैसे कि मैंने रुपये कभी देखे ही न हों । मैं समझ गया मेरे द्वारा कही गई नगद की बात से नाराज होकर मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया है । पहले तो मैं समझ ही नही पाया मैं समझा उसे हमारे यहां के रिवाज पता ही नही होंगे । लेकिन जब पता चला कि उससे कहा गया कि अभी रुक जाए तो उसने कहा ठीक है । जल्दी जल्दी करते हैं हमें निकलना भी है ।

अब तो मैने ठान लिया कि उसने जो पैसे देकर मेरा अपमान किया है । वह ले जाकर उसे दे आऊंगा और कह दूँगा इतना अपमान नही सह सकता । मैंने पिताजी से कहा वह ऐसे ही अपमान करता रहेगा और तुम कुछ नही कह सकते । मैं अब यह शादी नही करूंगा । इस बात पर मेरे परिवार वे लोग जो भीतर से जलन रखते थे वे अपना खेल खेलने लगे । पिताजी को भावनात्मक आघात करने लगे । सब कहने लगे देखो आज तक हम सबने आपकी हर बात मानी है । और यह आपका लड़का आपकी इज्जत का ख्याल नही करता । आपकी बात नही मानता । अगर लड़की ने कुछ कर लिया तो सब फंसेंगे । पिताजी भावनाओं में बह गए और रोने लगे । कहने लगे मुझे पता है तुम मेरी बात नही मानोगे बहुत जिद्दी हो । लेकिन एक बात याद रखना मैंने तुम्हारे लिए बहुत कष्ट उठाये हैं । आज तुम मेरी बात नही मान रहे हो । ठीक है जो तुम्हारी मर्जी है करो लेकिन तुम्हारा मेरा रिश्ता खत्म करके ।

मैं अपने पिता की आंखों में आंशू कैसे देख सकता था । छोड़ दिया आपने आपको समय के हवाले । पिताजी से कहा पिताजी जो आप चाहते हैं वही होगा लेकिन आज बस एक बात और कहूँगा । आपने आज रोकर न जाने किस तूफान को गले लगाया है । मुझे पता चल चुका है वह परिवार रिश्तों की कदर नही करता क्योंकि उनको घमण्ड है अपने धन का ।

मेरे जान जाने के बाद भी मैं मजबूर होकर आते हुए तूफान का इंतजार कर रहा था । यह निर्णय भी कर लिया था कि अब जिंदगी की हर लड़ाई जम के लड़ूंगा । हार हो या जीत उससे लड़ना ही पड़ेगा रोक नही जा सकता बस इंतजार है उसके आने का …….

To be continued ( शेष दोहरा दर्द भाग 4 में पढ़ें ।)