Meri pahli prem kahani in Hindi Love Stories by Matin Shaikh books and stories PDF | मेरी पहली प्रेम कहानी

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मेरी पहली प्रेम कहानी

मेरी पहली प्रेम कहानी

15 साल पुरानी बात है मैं उस वक्त स्कूल में था. स्कूल छूटने के बाद मेरा क्लास रहता था. स्कूल का वक्त सुबह 7 से 12 तक रहती थी. और 3 से 5 तक क्लास. क्लास में मेरे बगल में एक हैंडसम लड़का बैठता था. और वो मेरा अच्छा दोस्त भी बन गया था. हम इस लड़के को इस कहानी का 'राजा' कहेंगे. हमारे क्लास में दूसरे स्कूल के लड़के लडकिया भी थी. राजा भी दूसरे स्कूल का था. हम क्लास में मिलते थे. एकदम फ्री लड़का था. उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी. उसकी घर की परिस्थिति भी अच्छी थी. उस वक्त वो हम सबको चॉकलेट, वडापाव खिलाने की उसकी कंडीशन थी. उस समय हमारे जेब में गलतीसे मिले तो 4 आने वो भी हमारे किस्मत से. पॉकेटमनी ये प्रकार उस समय नही था. पहिले दिन से जब वो क्लास में आया तब से एक अच्छा दोस्त बन गया था. क्लास छूटने के बाद हम बहुत मस्तिया करते थे. उस समय उसके पास सायकल थी. उस वक्त सायकल होना मतलब अब के कॉलेज जाने वाले लड़के के पास मर्सेडीज़ होने जैसा था. हम डबल सीट बैठते थे. मतलब वो ही सायकल चलाता ता था मैं पीछे बैठता था. मुझे घर के पीछे वाले गली में छोड़कर वो चला जाता था.

हमारे क्लास में एक सुंदर लड़की भी थी. ऊँचीपुरी,घुंगराले बाल, खूबसूरत, शरीर से नाजुक हिरण जैसी उसकी आँखें. और यही है इसे कहानी की 'राणी'. ये राजा और राणी एकही स्कूल और एकही क्लास में थे. दोनो रहने को भी आसपास के सोसायटी में थे. राजा के बिल्डिंग के बाजू के ही पुलिस कॉलोनी काम चालू था. राणी के पापा पुलिस डिपार्टमेंट में काम को थे. वो अच्छी पोस्ट पर थे. इसलिए उन्हे अच्छी बिल्डिंग में रहने के लिए जगह मिली. राजा की वजह से मेरी और उसकी मुलाकात हुई. मैं, राजा, राणी और उसकी दो दोस्ते ऐसा हमारा ग्रुप तैयार हुआ. इस ग्रुप में और किसीको एंट्री नही दी. क्लास शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद हम क्लास के कट्टे पर बाते करते बैठते थे. एक बात हमारे नजर से चूकती नही थी. राजा का राणी को देखना और रानी का राजा को साथ देना. उस वक्त का प्यार इस समय के जैसा फ़ास्ट फॉरवर्ड नही था. उस वक्त नजर पे सब खेल था. एक दूसरे तक मैसज भेजने के लिए एक तो दोस्त या फिर लायब्रेरी की किताबें. मोबाईल क्या चीज है ये उस समय दूर दूर तक पता नही थी. घर किसी एक के पास एमटीएनएल होता था जिस पर पूरा मोहल्ला उस पर निर्भर था. फ्रेंडशिप डे, वैलेंटाइन डे ये सब तब सातसमंदरपार थे. उस समय अगर किसी लड़की से दोस्ती करनी होती तो डेरिंग करने बजाय दूसरा रास्ता नही था. नही तो लडकिया डेरिंग कर कर रक्षा बंधन को राखी लाकर बांध देती थी.

तो उस जमाने में राजा और राणी की ये प्रेम कहानी शुरू हुई. बातें करते समय एक दूसरे को देखकर हँसना, आखो से बाते करना, बातें करते वक्त दोना का विषय पर एकमत होना. क्लास में आने के बाद पहले एक दूसरे को ढूंढना और हमेशा की जगह पर न दिखे तो परेशान होना. कभी राजा क्लास को न आये तो राणीकी नजर दरवाजे पर होना, एयर राजा जैसे आये तो दोना का आँख से आँख मिलाना. राजा जैसे ही आकर क्लास में बैठा तो राणी का आखो से राजा को पूछना "क्यों इतना लेट हुए" और राजा को आखो से ही जवाब देना "कुछ नही ऐसे ही". क्लास चालू समय मे एकदूसरे तरफ ध्यान न होते हुए भी देखना और नजर मिलते ही मुस्कुराना. ये सब हमें समज में आ रहा था. पर कोई भी कुछ नही बोल ता था. हम सबको उनकी जोड़ी पसंद थी पर उनके दिल मे का हमे जब तक नही समझता हम कैसे उनसे इस बारे में बोलते ?

फिर भी हमने उन्हें सपोर्ट करना शुरू किया. जैसे कि ग्रुप में बैठते वक्त दोनो को एक साइड की जगह देना, तब राजा के हातों के स्पर्श से राणी मुस्कुराने लगती थी. उसे शरमाते देख राजा भी बहोत खुश होता था. क्लास छूटने के बाद हम सब साथ जाते थे. एक एक दोस्त को छोड़ते हुए सबसे आखिर में राणी का घर था. एक बार सब दोस्त गए फिर हम तिन्हों ही चलते थे. में राजा की सायकल लेकर साइड से चलता था और राजा और राणी एक तरफ से चलते थे. चलते वक्त एक दूसरे को देखकर मुस्कुराना, मुँह से कम आँखों से ज्यादा बातें करना ये हमे समझ रहा था. उन्हें लगता था कि उन्हें किसिने देखा ही नही. और हमने भी उन्हें इसका कभी अहसास होने नही दिया. राणी को घर पर छोड़ने के बाद राजा मुझे उसकी सायकल पर मेरे पीछे वाली गली में छोड़कर चला जाता था.

हमारी आँखों के सामने राजा और राणी का प्यार बढ़ रहा था. पर दोनों ने भी कभी इस पर बात नही की थी. एक बार हमने राणी को घर पर छोड़कर वापिस जा रहे थे तभी राजा नव कहा अरे यार आजकल मुझे अलग ही फील हो रहा है. राणी को घर पर छोड़ा तो कुछ खो गया जैसे होता है. रात भर उसकीही याद आती है. उसकी दी हुई नोट्स लेकर सोता हु जब कही नींद आती है. मेरे साथ ये क्या हो रहा है कुछ समझ मे नही आ रहा है. क्या उसके साथ भी यही होता होंगा क्या ?मैन कहा दोस्त लगता है तुझे प्यार हो गया है. उसके दिल मे क्या है हम उसे कल पूछेंगे अब तू घर जा. दूसरे दिन वो क्लास को जल्दी आ गया लेकिन उसकी राणी से पूछने की हिम्मत ही हुई नही. मै ने कहा रहने दे जैसा चल रहा है चलने दे. ऐसे ही 2/3 महीने निकल गए. दोनो ने एक दूसरे से प्यार के बारे में बोला नही. सबकुछ हमेशा की तरह ही चल रहा था. राजा ने डेरिंग कर के कहा कि आब में राणी से इस विषय पर बात करूंगा. राजाने बहुत सोचकर बोला कि एक चिठ्ठी लिखेंगे. वो चिठ्ठी क्लास छूटने के बाद उसके हाथ मे देकर चले जायेंगे. राणी को सोचने का वक्त देंगे और उससे कल मिलेंगे. बड़े मुश्किल से राजाने पहला प्रेमपत्र लिखा. राजा ने वो चिठ्ठी दो दिन तक साथ मे लेकर घूम रहा था. उसे वो चिठ्ठी देने की हिम्मत नही की.

चौथे दिन वो क्लास में जल्दी आ गया था. वो थोड़ा टेंशन में दिख रहा था. मुझे लगा वो उसे प्रपोस करने वाला था इसलिए टेंशन में होंगा. मैन पूछने पर उसने बताया अरे यार वो आज आई ही नही मेरा दिन ही बेकार गया. उसके बिल्डिंग के नीचे एक चक्कर मारकर आया हु वो गैलरी में खड़ी थी उसने मुझे देखकर भी अनदेखा कर दिया और बिना मुस्कुराये ही अंदर चले गयी ऐसा कभी नही हुआ. उसे पता तो नही चल गया कि मैं उसे प्रपोस करने वाला हु ? इसीलिए वो गुस्सा हुए है क्या?हम क्लास के बाहर उसका इंतजार करते खड़े थे. तभी वो आयी और एक नजर डाली और क्लास में चली गयी. हमेशा जैसा हाय नही और उसके चेहरे पर हसी नही थी. उसका चेहरा एकदम लाल हुआ था. आँखे सूजी हुई थी. शायद वो रो कर आई थी. किसी से कुछ न कहते हुए वो अपने जगह पर आकर बैठ गयी. हम भी अपनी अपनी जगह पर जाकर बैठ गए. कब एकबार का क्लास खत्म होंगा और कब में उससे बात करूंगा ऐसा राजा को हो रहा था. आखिरकार क्लास खत्म हो गया. हमारा ग्रुप वैसे ही बैठा रहा. राणी भी बैठी रही. मैन राजा के हाथों में चिठ्ठी रखी और दूर जाकर बैठ गया. हैम सब ग्रुप मेंबर दूर जाकर बैठ गए. राजा उठकर राणी के पास जाकर बैठ गया. राजा ने अपनी हाथ मे की चिठ्ठी उसके हाथ मे देने के लिए उसका हाथ खोला तो उसके हाथ मे पहलेसेही एक चिठ्ठी थी. राणी ने इशारे से कहा कि वो चिठ्ठी उसी के लिए है. राजा ने अपनी चिठ्ठी राणी के हाथ मे दी और राणी की चिठ्ठी आपने पास ली. कापते हाथोंसे वो चिठ्ठी ली खोली पढ़ी और खुशी से नाचने लगा. और मेरे तरफ देख उस चिठ्ठी को चूमने लगा. राणी ने भी वही लिखा था जो राजाने आपने चिठ्ठी में लिखा था. राजा बहुत खुश हुआ और हमारा टेंशन कम हुआ. वो दोनों का एक दूसरे पर सच्चा प्यार था दोनो ने एकही दिन प्रोपोज़ करने का सोचा.

दोनों भी एक दूसरे को बहुत चाहते थे. हम सब बहुत खुश हुए. पर राणी के दिल मे कुछ और ही था. राणी ने चिठ्ठी खोली और पढ़कर खुश हुई. चिठ्ठी हाथ मे लेकर दो मिनिट राजा तरफ देखती रही. और फिर जोर जोर से रोने लगी. राणी को क्या हुआ ये हम में से किसी को समझा नही. हम उसके पास गए उसे शांत किया और पूछा कि क्या हुआ ? उसने रोना बंद करके बताया कि ये चिठ्ठी मैंने दो दिन पहले लिखी थी. पर ये चिठ्ठी देने की हिम्मत नही हो रही थी. मुझे भी तू बहुत पसंद है. पर.." और उसने एक बड़ा पॉझ लिया. और फिर से रोने लगी. वो पाच सेकंड हमारी सास रोक रखे थे. वो बोली पापा के बदली का आर्डर आया है हमे कल ही ठाणे छोड़कर कोल्हापुर जाना है. उसके इतना कहने पर ही हमारे पावो तले की जमीन सरक गई. हम में से कोई कुछ नही बोला. बात करने का कोई फायदा नही था. वैसे ही हैम सब क्लास से बाहर आये और चलने लगे. एक एक कर सब दोस्तो को छोड़कर हम राणी के बिल्डिंग के नीचे पहुच गए. दोनों कुछ न कहते हुए बस एक दूसरे को देख रहे थे. आखिरकार मैन उससे पूछा "कल कब जा रहे हो ?"

वो बोली "कल 6 बजे सामान भरने की गाड़ी आ रही है और आठ बजे तक हम चले जायेगें." इतना सुनने के बाद राजा} और मैं वह से निकले. राजा मुझे सायकल पर छोड़ने आया. मेरे बिल्डिंग की पीछे वाली गली में आकर हैम रुक गए और राजा ने अबतक रुकाये हुए आपने आँसू वो खुलकर रोने लगा. उसकी जगह शायद मैं होता तो यही करता. मैन उससे पूछा कि "तुम जाने वाले हो सुबह ?" उसने ना कहा.

अगले 4/5 दिन राजा क्लास को नही आया. दोस्तो से पूछा तो वो 4/5 दिन से स्कूल में भी नही आया था. शायद उसकी तबियत ठीक नही होंगी. मैन सोचा आज शामको जाकर उससे मिलते है. क्लास छूटने के बाद उसके घर गया. राजा चुपचाप शाल छोड़कर गादी पर पड़ा हुआ था. राजा के मम्मी ने बताया अरे दो दिनों से उसकी तबियत ठीक नही है. कुछ कह ही नही रहा. डॉक्टर के पास लेकर गयी वो बोले कुछ नही हुआ. पर दिनभर सो रहा है. मैं उसके बेड के पास गया और उसने मु पर ली हुई शाल हटाई. गोरा चेहरा लाल हुआ था. शायद घरवालो के पीछे बहोत रोया था. तकिया भी गिला हो गया था.

मैंने पूछा "क्या हुआ ?

उसने बताया कुछ नही यार तुझे तो सब पता है. मैं बोला तू गया था ना उससे आखरी बार मिलने. वो बोला हा गया था पर उसके सामने नही. झाड़ के पीछे छुपकर देख रहा था. एकटक मेरे बिल्डिंग की तरफ देख रही थी उसे लगा था कि मैं आऊंगा. मेरी उसके सामने जाने की हिम्मत ही नही हुई. मैं अगर इसके सामने गया होता तो मैं आपने आप को रोने से नही रोक पाता. आखिरकार वो गाड़ी में बैठी तब मैं झाड़ से हटकर सामने आया और गाड़ी चालू होने के बाद उसे हात दिखाया. क्योंकि वो गाड़ी नही रुका सकती थी. उसने मुझे और मैंने उसे आखरी बार देखकर हैट ऊपर किया और टाटा किया. आँखों मे आँसू होने की वजह से उसे आखरी बार नही देख सका मैं. अब वो आज के बाद कभी नही मिलेंगी उस का दुःख ही रहा है.

ये सब सुनकर मेरे आँखों मे आँसू आ गए. मैंने आँसू पोछे और राजा से कहा "कल स्कूल में जा और क्लास को भी आ ठीक लगेंगा. उसके बाद राजा सिर्फ एक सप्ताह ही स्कूल में आया. वो जिस जगह बैठती थी उस जगह को देख कर बहोत रोता था. उसकी बहोत याद आती थी इसलिए उसने क्लास को आना छोड़ दिया. कभी कभी मिलता था तो उसका चेहरा हमेशा उदास रहता था. कुछ दिनों बाद उसके भी पिताजी की बदली पुणे में हो गयी जाते समय मिलकर गया और कहा पुणे से कोल्हापुर नजदीक है किस्मत में रहा तो राणी जरूर मिलेगी. उसके बाद मैं न राजा से मिला ना राणी से. अब वो दोनों कहा है कुछ पता नही.